Autobiography of Bismil

इस वेब स्टोरी में हम आपसे Autobiography of Bismil की बुक रिव्यु को साझा करेंगे। 

Autobiography of Bismil

Autobiography of Bismil को राम प्रसाद बिस्मिल ने लिखा है। 

Autobiography of Bismil

जिसे आज के समय में हिन्दी भाषा में  प्रकाशित कारण के लिए प्रकाश बुक्स ने फिंगर प्रिन्ट को अपना योगदान दिया है। 

Autobiography of Bismil

150 पन्ने में लिखी गई यह कहानी अपने में बहुत कुछ सेमेटे हुए हैं।

Autobiography of Bismil

बिस्मिल में अपने इस बायोग्राफी सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में नहीं अपितु प्रभावित उन सभी

Autobiography of Bismil

महानुभावों को स्थान दिया है, जिसकी जीवन घटना ने बिस्मिल को अपने तरफ आकर्षित किया।

Autobiography of Bismil

अब चाहे वह दादाजी, हो, माँ हो, गुरु सोमदत्त हो या देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी असफ़ाक उल्ला खान।

Autobiography of Bismil

बिस्मिल ने उन सभी घटनाओं का जिक्र किया है, जिसके कारण अंग्रेज उनके पीछे हमेशा पड़े रहते थे।

Autobiography of Bismil

बिस्मिल अपने अंतिम दिनों के समय को जेल की काल-कोठारी में हुए अपने दर्द बयान करते हैं कि....

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उन्हे दुख है कि उन्हे बचाने के लिए बाहर से कोई कोशिश नहीं की जा रही या कोई मदद मिली है।

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जिस आंदोलनकारियों को उन्होंने खड़ा किया और उनका भरपूर साथ दिया, उन्होंने भी उनसे मुँह मोड लिया।