Vinashkari Pralay Book Summary in Hindi by Vineet Bajpai pdf download. विनाशकारी प्रलय विनीत बाजपेयी द्वारा लिखा गया हड़प्पा शृंखला का भाग दो है, जो पिछली कहानी को आगे बढ़ता है।
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Book Review
“विनाशकारी प्रलय”, हड़प्पा शृंखला की दूसरी किताब है। जिसके लेखक विनीत बाजपेयी हैं। जिसका हिन्दी अनुवाद उर्मिला गुप्ता ने किया है। विनीत अपनी कहानी को जहां तक पिछली भाग में छोड़ा था, ठीक वही से बहुत ही खूबसूरती से उन्होंने पकड़ा है और कहानी को आगे ले गए हैं।
“हड़प्पा शृंखला” की दूसरे भाग में आपको प्यार, बगावत, तंत्र-मंत्र के साथ-साथ गुरु भक्ति भी पढ़ने को पढ़ने को मिलेगा। जो इस किताब को बड़ा ही रुचिकर बनाता है। इस किताब को पढ़ने के दौरान कभी-कभी ऐसा लगटा है कि मैने कोई धार्मिक किताब लिए पढ़ रहा हूँ। तो वही कभी-कभी न्यू वर्ड आर्डर की भयावह कहानी, जिसमें कांस्टेटाइन अपने को प्रजा का भगवान मानने लगता है। जो किसी बड़ी साजिस की अंजाम लगती है।
विनीत अपने इस कहानी में मतस्य और मनु-शतरुपा को इतनी शानदार तरीके से पिरोया है कि ये कहानी पढ़ते वक्त और भी मजेदार लगने लगती है। मतलब 300 के लगभग पन्ने को पढ़ते हुए ज़रा भी बोरियत महसूस नहीं हुआ और जिज्ञासा से एक के बाद एक पन्ना पलटते हुए कहानी पूरी हो जाती है।
मसान-राजा की चित्रण जितनी शानदार तरीके से विनीत ने किया है, पढ़ते वक्त ऐसा दृश्य सामने आता है कि शरीर थोड़ा सहम सा जाता है। उसके द्वारा नर बली चढ़ाना, लोगों की लाशों का हवन करना, खून और मांस से सना उसका गुफा। वाकई शानदार है। जिसमें द्वारका और विद्युत अपने साथी सहित फस जातें हैं। आगे की घटना बहुत दिलचस्प है। और रोचक भी।
Vinashkari Pralay Book Summary in Hindi
हड़प्पा 1700 ईसापूर्व-
हड़प्पा का देवता विवास्वन पुजारी चमत्कारिक रूप से महान स्नानागार की यातनाओं से बच निकलता है। एक साहसी और हिंसक मुकाबले से उसे बचाने के लिए पंडित सोमदत्त और प्रिय शिष्या तारा साथ देते है। जिसके बाद विवास्वन हड़प्पा के राजा और उसकी प्रजा को अपनी प्रतिशोध के लिए छोड़ कर चला जाता है।
विवास्वन को यह ज्ञान होता है कि उसके पत्नी संजना और पुत्र मनु मारे गए है, जिसके लिए हड़प्पा वासियों से प्रतिशोध के लिए कभी हड़प्पा के दुश्मन रहे असुरों के सम्राट, कुख्यात राज्य सूरा से हाथ मिला लेता है। सूरा उसे स्वीकार करता है । लेकिन उसकी एक शर्त रहती है कि वो सप्तॠषियों को मार देगा ताकि वो उस इलाके में राज कर सकें।
विवास्वन ऐसा करने से मना करता है लेकिन जब सूरा कहता है कि उस समय सप्तॠषि कहाँ थे, जब आपको हड़प्पा वासियों द्वारा सजा दिया जा रहा था, आपके पत्नी और बच्चे को मार दिया गया। ये बात सुन कर विवास्वन उसके झासे में आ जाता है और सूरा विवास्वन के द्वारा बताए गए जगह पर एक-एक कर ॠषियों को मारता जाता है।
विवास्वन चुपचाप देखता रहता है लेकिन जब उसे कुछ अजीब होने की आशंका होती है और जब माँ सरस्वती की क्रोध उसे दिखाई देती है, तो विवास्वन सूरा के प्रति ही बगावत कर उन्हे सातवाँ ॠषि के मारने से पहले सूरा को मार देता है।
हड़प्पा में युद्ध के दौरान के जब संजना और मनु को प्रियंवदा के सैनिक मारने जाते हैं तो मनु अपनी माँ की रक्षा के लिए लड़ता है लेकिन संजना मारी जाती है। दुश्मन उसकी माँ के पार्थिव शरीर को हाथ ना लगा सकें, उसे घोड़े पर लेकर सोमदत्त के कहे अनुसार पूरब की ओर लेकर भागता है।
रास्ते में मनु की मुलाकात एक मूर्छित पड़े मछली नुमा नीली शरीर वाले आदमी से होती है, जो एक-एक बंद पानी के लिए तरस रहा होता है। मनु अपने पास रखा पानी की कमंडल को उसके मुख में डालते हुए उसे होश में लाता है। होश में आने वो अपना नाम मत्स्य बताता है।
जब मतस्य मनु को प्राचीन काले मंदिर में ले जाता है, तो वो सूर्य पुत्र को बताता है कि यह मंदिर ऐसी पवित्र शृंखलाओं की सिर्फ एक कड़ी है। और काले मंदिर में मानवजाति का सबसे मूल्यवान रहस्य छिपा है। वह मनु को बताता है कि उसके पिता काले मंदिर के संरक्षक थे, और अब यह दायित्व मनु के कंधे पर आ गया है।
फिर मतस्य आने वाले विनाश की भविष्यवाणी करता है- विनाशकारी प्रलय की।
युद्ध को समाप्त कर सोमदत्त और तारा पूरब की दिशा में मनु को खोजते हुए आ जाते है। मनु उन सभी को लेकर मतस्य के मार्गदर्शन में एक भरी और बहुत विशाल नाव बनाने को कहता है, जिसमें पृथवि के हर वर्ग का एक बीज उसमें रखा जा सके।
विवास्वन को सातवाँ ॠषि उसे श्राप देते हैं, जो आने वाली हर एक पीढ़ी को उसे ढोना होगा और सब के सब का अंत बहुत ही कष्टदायक होगा। विवास्वन कहता है कि ऐसा हो ही नहीं सकता,क्योंकि उसका लड़का मारा जा चुका है। ॠषि विवास्वन को बताते हैं कि उसका लड़का मनु अभी जीवित है। जिसे जानकर विवास्वन बहुत खुश होता है। और अपने किये की माफी मागता है।
सप्त ॠषि कहते हैं कि उसका दिया हुआ श्राप वापस नहीं हो सकता है लेकिन कुछ सौ सालों बाद तुम फिर जन्म लोगे और काली मंदिर की रहस्य की रक्षा करोगे, क्योंकि तुम्हें ही उसके लिए चुना गया है।
2017 बनारस-
दशाश्वमेघ घाट पर हुए रोमी और विद्युत के गुटों के बीच हुए खूनी खराबे में विद्युत को गोली लग जाती है, जिसके बाद सब उसे अस्पताल लेकर जाते है और ठीक होने पर वह वापस आपने मठ को लौट आता है। उसके गुट से धोखा देने वाला बाला एक दिन मठ में आता है, जिसे मठ के संरक्षक उसे बंदी बना लेते हैं।
उसी समय देव-राक्षस मठ में भयानक महा-तांत्रिक, तृजट कपालिक के आने से व्यवधान पड़ता है। मसान-राजा के नाम से विख्यात तांत्रिक द्वारका शास्त्री पर व्यंग कर, विद्युत का करीब से मुयअना करता है। उसके साथ आई हुई दो हत्यारीन डाकिन तुरंत ही अघोरियों की भीड़ में खो जाती हैं।
उनके जाने के बाद बाला का कटा हुआ सर टेबल पर रखा हुआ मिलता है, जिस टेबल पर अभी कुछ मिनट पहले विद्युत बैठा बाला से बात कर रहा था।
उस खतरनाक तांत्रिक से बचाने या उसे मारने के लिए द्वारका शास्त्री अपने शिष्य बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के बुद्धिमान प्रोफेसर त्रिपाठी से मिलते हैं। जो कभी उस तांत्रिक का दोस्त हुआ करता था। लेकिन उसके द्वारा किये गए हमले ने त्रिपाठी की एक आँख निकाल ली। तब से त्रिपाठी उसका दुश्मन है।
त्रिपाठी शास्त्री से मिलकर ये सलाह देता है की अमावस्या की रात उस पर हमला कर उसे हराया जा सकता है। शास्त्री त्रिपाठी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए विद्युत और अपने कुछ साथियों के साथ अमावस्या की रात को धावा बोल देते है। लेकिन पासा पलट जाता है। त्रिपाठी धोखा देता है। शास्त्री को और विद्युत को लोहे की जंजीर से जकड़ लिया जाता है।
विद्युत को एक बड़े से चिमनी के ऊपर टांग दिया जाता है, जिसमें तांत्रिक द्वारा ढेर सारी लाशें डाली जाती है। चारों तरफ खून और जानवरों के मांस बिखरे पड़े होते है। विद्युत को जब पीड़ा असहनीय होने लगती है, तब उसके अंदर एक चमत्कारिक ऊर्जा प्रज्वलित होती है और विद्युत उस लोहे की जंजीर को बांधे गए पिलर सहित उखाड़ कर चिमनी के बीच में उड़ता हुआ प्रतीत होता है। और तांत्रिक से कहता है कि तुमने ऐसा करके बहुत बड़ी गलती की है, तुम जानते नहीं “मैं आधा-मानव और आधा-भगवान हूँ!“
यह भी पढ़े:-
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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
- तुम समझ नहीं रहे, मित्र… मानवजाति अब पहले से अधिक निर्मम तरीके से एक-दूसरे को मार रही है। हर दूसरे दिन दिन इंसान एक-दूसरे से नफरत करने या उसे मारने का कोई नया कारण तलाश लेता है। वो भगवान के नाम पर, आस्था ने नाम पर, देशभक्ति के नाम पर, संप्रदाय के नाम पर, ज़मीन के नाम पर, स्वर्ण के लिए एक-दूसरे को मार रहे हैं…. ये रक्त पिपासु अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कोई भी वजह ढूँढ़ लेते हैं। किसी एक इंसान के स्वर्ण आसन पर बैठने के लिए लाखों मासूमों का रक्त बहा दिया जाता है।
- हमारा धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। वास्तव में ये तो धर्म भी नहीं है। ये तो इस महान राष्ट्र, इस सुंदर उपमहाद्वीप के जीवन की शैली है। हमने जीरो की खोज की, गणितीय पाई का मन निकाला, मार्शल आर्ट, शल्य चिकित्सा, औषधि, शतरंज, राजनीति, योग… हम उस दौर में गूढ़ वेद लिख रहे थे, जब पश्चिम लोग गुफाओं में रहते हुए कच्चा मांस खाते थे!
- हमने वर्ण व्यवस्था या जाति प्रथा की रचना की जिससे श्रम को प्रभावशाली तरीके से बांटा जा सके- अर्थव्यवस्था में विकास के लिए। लेकिन देखो हमने अपनी सबसे पवित्र अवधारणा को कितनी बुरी तरह से भ्रष्ट कर दिया।
- कथक की उत्पत्ति वैदिक संस्कृत के काठा शब्द से हुई है। 400 ईसापूर्व से भी पहले और यहाँ तक की महाभारत में भी इस नृत्य शाली का वर्णन हुआ है, अथक को भारत की सबसे प्रमुख पारंपरिक नृत्य शाली माना गया है। इसकी लोकप्रियता बढ़ने का श्रेय बाहर से आए आर्यवर्तों के प्राचीन भाट समूहों को दिया जा सकता है, जो महा आख्यानों का वर्णन कला की इस आकर्षक शैली के साथ करते थे।
- कथक विशेष रूप से भक्ति आंदोलन के दौरान उभरकर आया, जहां भगवान कृष्ण की काठा को इस नाटकीय शैली के साथ प्रस्तुत किया गया। कथक के बनारस घराने का स्थान इस स्वर्णिम संस्कृति में सबसे ऊपर आता है।
- ब्रम्हांड में प्रेम सबसे सक्षम और अथक ताकत के रूप में उपस्थित है। सारे विनाश और आसपास खड़ी मौत के मध्य वो खड़े हैं। भले ही कितनी नफरत हो, हिंसा हो, देवताओं का पाटन हो या शहरों का विनाश हो, लेकिन प्रेम खड़ा है। एक-दूसरे के प्यार में खोए हुए।
कोट्स-
- ऐसे आदमी को रोक पाना असंभव है, जो स्वयं को ईश्वर के समान ही सर्वशक्तिमान मानता हो।
- हम वही होते हैं, जो हमारी नियति में लिखा होता है- हर समय, समग्र ब्रम्हांड में, इंसानी समझ और कल्पना की सीमाओं से परे।
- ब्रम्हांड के अदृश्य हाथ, जब मानवता की नियति पर बदकिस्मती की स्याही फेरते हैं, तो पवित्र मनुष्य भी अमरता का विष पी लेते हैं।
- दुवयता अपने भक्त से अधिक महान नहीं होती है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व ही नहीं होता।
- धन और सत्ता के लालच के सामने सब धरा रह जाता है।
- कोई भी देवदूत जो हिंसा की बात करे, वो ईश्वर का प्रतिनिधि हो ही नहीं सकता! उस ईश्वर के सच्चे भक्त, चाहे वो किसी भी धर्म के हों, वही है जो शांति, प्रेम और सह-अस्तित्व का संदेश पहुंचाएं।
- मात्र प्यार और भाईचारा ही भगवान तक पहुचने का सच्चा मार्ग है।
- ब्रम्हांड में मात्र एक ही चीज नियत है, और वो है परिवर्तन।
- ताकत के नशे में अक्सर छोटे आदमी बड़ी गलतियाँ कर बैठते हैं।
- जब ईश्वर किसी को नष्ट करने की ठान लेता है, तो वो सबसे पहले उसके निर्णय लेने की क्षमता को छिन लेता है।
पात्रों का चरित्र-चित्रण-
मतस्य-
मछलीनुमा आदमी और त्वचा में कुछ नीली सी रंगत थी। जिसके सुंदर, लंबे, भूरे बाल दिव्यता का एहसास करा रहे थे। त्रिकालदर्शी, सर्वशक्तिमान और नीली रंगत की आँखों थी। जो उस मछलीनुमा शरीर पर शोभायमान थी।
मनु-
मनु विवास्वन पुजारी का एक मात्र लड़का है। जो बहुत ही धीर, गंभीर और बहादुर योद्धा है। जिसके दिल में अपने माता-पिता के लिए प्यार है। जो निर्भीक है। उसके दिल में क्षमायाचना की भावना भी है। हड़प्पा के लोगों द्वारा विवास्वन के सताये जाने के बाद भी मतस्य के कहने पर मनु उन्हे बचाने के लिए नौका तैयार करता है।
सूरा-
सूरा एक शैतान राजा है। जिसके नाम से ही उसके राज्य और आस-पास के लोग डरते है। जिसका कद छोटा है। रंगत गोरी है। जो हमेशा चौकन्ना रहता है। वो नियमित रूप से तेंदुए की खोपड़ी में शराब पिता था। और बहुत बलशाली था। मिजाज उसका ऐयासी वाला था। जिसके चारों तरफ सुंदर महिलाये रहा करती है।
मसान राजा-
जिसे सब तृजट कपालिक नाम से जानते हैं। जो बहुत ही खतरनाक अघोरी तांत्रिक है। जो बहुत हिंसक है। जिससे स्थानीय प्रशासन, पुलिस और जनता, सब जगह खाली कर देते थे। वस्त्रों के नाम पर उसने पशुओं की ख्याल लपेटी है। उसके लंबे बाल मोटी चोटियों में गुथे थे। जो वर्षों के रक्त-पात और अस्वच्छता से रहने की वजह से नारंगी और भूरे रंग के हो गए थे। मसान-राजा हमेशा अफीम और चरस की नशों में डूबा रहता था।
FAQ-
Q-विनाशकारी प्रलय का लेखक कौन है?
विनीत बाजपेयी ।
Q-विनाशकारी प्रलय का जर्ने क्या है?
मिथक और काल्पनिक।
Q-विनाशकारी प्रलय किस पर आधारित है?
धरती पर बढ़ते अत्याचारों और उसके खात्मा के लिए जन्म लेने वाले अवतारों पर आधारित है।
Q-विनाशकारी प्रलय को पब्लिश किया गया था?
26 जुलाई, 2019.
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