Top 101 nick vujicic quotes in hindi by nick vujicic

Top 101 nick vujicic quotes in hindi | nick vujicic quotes of god jesus about life

इस ब्लॉग पोस्ट में आपको Top 101 nick vujicic quotes in hindi by nick vujicic के साथ-साथ nick vujicic के द्वारा लिखी गई कितब “रोक सको तो रोक लो” के कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश भी दिए गए हैं। जिसे पढ़ कर आप अपने को प्रेरित या आप किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो आपको उसका हाल मिल सकता है।

quotes of god jesus about life by nick vujicic

यह सभी कथन nick vujicic द्वारा लिखित किताब “रोक सको तो रोक लो” से ली गई हैं।

  • जब भी आप अपने किसी प्रियजन या मित्र की मृत्यु, रोग, टूटे संबंधों तथा वित्तीय संकट का बोझ ढो रहे हों तो उस समय ईश्वर को इसके लिए दोषी नहीं ठहराना चाहिए। उस समय आपको ईश्वर में अपने विश्वाश और आस्था को बनाए रखना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि ईश्वर ही आपको आनंद, शक्ति व प्रेम मरहम लगा सकता है।
  • कई बार जब जिंदगी आपकी ओर बहती हुई नजर आती है और आप उसके साथ पूरी गति से भागते हैं तो अचानक आपके रास्ते में बड़ा अवरोध उत्पन्न हो जाता है और आपकी जिंदगी रुक जाती है। ऐसे कठिन समय में जब आप अपने आसपास देखते है तो अपने दोस्तों और परिवारवालों को पाने साथ खड़ा हुआ पाते हैं। वे आपके नजदीक बैठकर प्यार से आपके बालों में हठ फैराते हैं, पीठ थपथपाते हैं और कहते हैं, “चिंता मत करों सब ठीक हो जाएगा”
  • जब आप निजी संकट से गुजर रहे हो, तब भी आपको सभी चीजों के प्रति दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए। भय से जन्मता है और चिंता, चिंता को ही पैदा करती है। कठिन समय में आप दुख, पछतावे, अपराध बोध, गुस्से या भय की भावनाओं से बच तो नहीं सकते, पर आप विशुद्ध भावात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर एक पहचान जरूर दे सकते हैं।
  • भले ही आपका विश्वश खुद पर हो, अपने उद्देश्य पर हो या अपने ईश्वर पर हो, यह हर स्थिति में एक शक्तिशाली प्रकाश स्तम्भ की तरह होता है पर आपको इसके प्रकाश को जगमगाने का मौका देना होगा। आप इसे अपनी उपेक्षा के कारण मंद नहीं कर सकते। कई बार आपको लग सकता है कि आप विश्वाश रखते हैं पर फिर भी प्रकाश की कोई किरण तक नजर नहीं आती।
  • ईश्वर को जानना और उस पर आस्था रखना आपके जीवन की बेहतरीन चीजों में से एक हो सकता है क्योंकि ऐसा करना उन घटनाओं को भी बेहतर बना सकता है, जो आपको बदतर जान पड़ती हैं। यह आपके संघर्षों को एक सिख में बदल सकता है, आपकी पीड़ा को ताकत बना सकता है और आपकी असफलताओं के बाल पर, सफलताओं को सामने ला सकता है।
  • आप हर दिन के सम्पूर्ण होने की चाह नहीं रख सकते। जीवन के कुछ दिन अन्य दिनों की तुलना में मजाकिया होते हैं तो कुछ दिन दुखदायी होते हैं। पर भला हो या बुरा, रोग हो या अच्छी सेहत, अच्छा हो या न हो यह कितनी मज़ाकिया बात है कि हम अब भी जिंदा हैं और सांस ले रहे हैं।
  • जब समझदार लोग जीवन कों संतुलित भाव से जीने की बात करते हैं तो हमे भी प्रातसाहित होनया चाहिए। हम भी जीवन के सभी पहलुओं जैसे- मन, शरीर, बुद्धि और हृदय को भरपूर बना सकें ताकि अपनी शारीरिक और मानसिक शक्तियों को बढ़ाते हुए अपना भावात्मक कल्याण करते हुए विश्वाश की ताकत को बरकरार रख सकें।

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Top 101 nick vujicic quotes in hindi

1-20

  1. भले ही कोई राह न दिख रही हो, पर फिर भी कोई न कोई राह होती ही है।
  2. अगर आप पहले से ही टूटे या बिखरे हुए हों तो ऐसे में कोई छोटी परेशानी भी मुसीबतों का पहाड़ दिखने लगती है।
  3. मनुष्य के चरित्र की मजबूती और विश्वाश की गहराई उसके जीवन के बुरे दौर में अहम सबक देने आते हैं। 
  4. हार आपकी उन कमजोरियों और असफलताओं को सामने लाती है जो वहाँ मौजूद होने के बावजूद आपको दिखाई नहीं देते।
  5. हार भी खलाड़ियों को प्रेरित करती है कि वे अपने उन कौशलों पर काम करें जो जीत के लिए बहुत आवश्यक माने जाते हैं।
  6. जब जीवन बहुत अच्छी तरह से चल रहा होता है तो अकसर लोग रुककर, उसका जायजा नहीं लेना चाहते। हममें से अधिकतर लोग अपने जीवन, अपने करियर और अपने संबंधों पर तभी ध्यान देते हैं जब मनचाहे नतीजे मिलना बंद हो जाते हैं।
  7. हर असफलता, पराजय और हार के बीच कुछ ऐसे अमूल्य सबक छिपे होते हैं, जिन्हे सीखा जाए तो वे छिपे वरदान की तरह सामने आ सकते हैं।
  8. जो लोग ईश्वर से प्रेम करते हैं, उनके लिए जो भी होता है, उनके भलाई के लिए ही होता है, वे लोग उसकी रज़ा में राज़ी होते हैं।
  9. कई बार हमारी भावनाएं ही हमारी हमारे नज़रिये को धुंधला कर देती हैं। निराशा के बीच सभी चीजों की हकीकत देख पाना कठिन होने लगता हैं।
  10. अगर आपको अपनी दृष्टि या नजरिया बनाए रखना है तो इसके लिए परिपक्वता की आवश्यकता होंगी और परिपक्वता या समझदारी अनुभव से आती है।
  11. जब आप सभी चीजों चीजों को इसी समय ठीक करने का हाथ पाल लेते हैं तो आप सिर्फ अपना तनाव बढ़ा रहे होते हैं।
  12. विनाश से पहले गर्व और ठोकर खाने से पहले घमंड होता है।
  13. प्रबोध की ओर जानेवाला सच्चा मार्ग, विनम्रता से होकर ही निकलता है।
  14. एक घमंडी इंसान कभी किसी से मदद नहीं चाहता इसलिए वह सदा असहाय होता है। घमंडी इंसान सब कुछ जानने का दावा करता है और यही वजह हैं कि उसे कुछ नहीं पता होता।
  15. हो सकता है कि हम हमेशा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ न हों लेकिन ईश्वर सदा हमारे प्रति कृतज्ञ रहता है।
  16. खुद पर तथा अपनी योग्यताओं पर भरोसा रखना बहुत महत्व रखता है पर आपके भीतर इतना धीरज, विनम्रता और समझ भी होनी चाहिए कि आप दूसरों की सहायता के बिना अकेले कुछ नहीं कर सकते और अंत में सारा श्रेय ईश्वर को ही जाता है।
  17. जब तक आप प्रेम के प्रति आग्रही बने रहते हैं तो प्रेम संभव हो सकता हैं। लेकिन अगर आप अपने दिल के आसपास चारदीवारी बना देंगे तो यह आप तक नहीं पहुँच सकेगा।
  18. जो प्रेम नहीं करता वह ईश्वर को नहीं जानता क्योंकि ईश्वर ही प्रेम है।
  19. मुझे एहसास हुआ कि मेरी विकलांगता उसी हद तक मुझे सीमित कर सकती हैं, जितनी मैं उसे अनुमति देता हूँ।
  20. आप जो भी देते हैं उसे ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

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21-40

  1. ईश्वर हमें उसी रूप में स्वीकार करता हैं, जैसे हम हैं।
  2. जब प्रेम की चिंगारी भड़कती है तो प्रतिक्रिया सदा एक सी होती है, आप उस एक इंसान के अलावा अपने ध्यान को कहीं और लगा ही नहीं पाते जिसने आपके जीवन को अपनी उपस्थिति से महका दिया है।
  3. अगर आपको सरल व सहज भाव से स्नेह मिल रहा है तो पूरी कृतज्ञता के साथ आभार प्रकट करें। अगर आपको अपने जीवनसाथी की तलाश के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, तो निश्चित रूप से जान लें कि जित भी शानदार होंगी।
  4. जब आप दूसरे की आवश्यकताओं को अपनी जरूरतों से ऊपर मानते हैं तो आप एक स्नेही संबंध में हैं।
  5. आप ईश्वर की रचना है और यही वजह हैं कि आप उसका पूरा प्रेम पाने के अधिकारी हैं, जो आपको एक स्नेही संबंध पाने के योग्य बनाता हैं।  
  6. अक्सर हम अपनी मंजिल तक जाने से पहले कई अलग तरह के रास्ते आजमाते हैं।
  7. जो भी काम आपको भरपूर संतोष देते हुए आपकी प्रतिभा और ऊर्जा को उभारता हो, उसे ही बढ़ावा दें।
  8. जब जीवन में किसी चीज के प्रति जुनून पैदा होता है तो उसके  साथ खतरा भी आता है।
  9. आपका जुनून ही आपको अपने उद्देश्य की ओर ले जाता है और ये दोनों तबही सक्रिय होते हैं जब आप अपने उपहारों पर पूरा विश्वाश जताते हुए अपनी प्रतिभा को दूसरों के साथ बांटते हैं। आपको आपके उद्देश्य के अनुसार ही रचा गया हैं।
  10. वह ताकत सिर्फ ईश्वर के ही पास है जो आपको भस्म के लिए सौन्दर्य, शोक के आनंद रूपी तैल तथा आपकी नासमझी को मिटाने के लिए प्रशंसा रूपी वस्त्र दे सकती है।
  11. जब तक आप सपनों को दिल से थामे रखते हैं, तक तक वे आपसे दूर नहीं होते।
  12. अगर आप अपने जुनून के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं तो हर चीज का अच्छी तरह से विश्लेषण करें।
  13. खतरे अकसर अपने साथ पुरस्कार भी लाते हैं
  14. शांत और सहज वातावरण में चरित्र नहीं पनप सकता। केवल संघर्ष और कष्टों के बीच ही आत्मा सशक्त होती है, महत्वाकांक्षा प्रेरित होती है तथा सफलता प्राप्त की जा सकती है।
  15. आधुनिक समाज के सबसे बड़े खतरों में से एक बड़ा खतरा यह है कि लोग अपने काम को या अपनी चीजों को अपनी पहचान से अधिक मोल देते हैं।   
  16. जब आप सहवर के मनचाहे रास्ते से भटक जाते हैं तो अकसर वह आपको सही राह पर लाने के लिए किसी को आपके जीवन में अवश्य भेजता है।
  17. हमें सफल बनने के लिए नहीं भेजा गया, हमें इसलिए भेज गया है कि हम प्रभु के निष्ठावान सेवक बन सकें। अगर प्रभु के साथ सफलता मिले तो हमें उसके लिए धन्यवाद देना चाहिए।
  18. जब आप अपने विश्वाश के अनुसार चलाएं की ठान लेते हैं तो ईश्वर स्वयं आपको राह दिखाता है।
  19. कष्ट से धैर्य आटा है; सहरी से चरित्र और चरित्र से हमें आशा का वरदान मिलता है।
  20. ईश्वर हमें चुनौतियों का उपहार इसलिए देता है ताकि हम ताकतवर बन सकें ।
  21. आप कैसी भी परिस्थितियों का सामना क्यों न कर रहें हों, ईश्वर आपको अपने उद्देश्य के लिए प्रयोग करेगा।

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41-60

  1. जीवन को भरपूर जियें और जब भी उठें तो हर दिन सराहें और गहरी सांस लें।
  2. हमें जिंदगी की सवारी करने का अवसर एक बार ही मिलता है।   
  3. आपके प्रश्नों के जवाब नहीं मिल रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि ऊब प्रश्नों के कोई जवाब हैं ही नहीं। हो सकता है कि आपको कुछ समय तक प्रतीक्षा करनी पड़े और प्रभु उसके बाद आपके लिए बनी योजना को सामने लाएं।
  4. नकारात्मक सोच और मनोभाव आपको भावुक करते हुए आपकी दृष्टि बदल सकते हैं। ईश्वर को अपनी हर संतान की सुंदरता और मूल्य दिखाई देता है।
  5. जब जीवन में कुछ बातें आपके खिलाफ जा रही हों तो अपनी प्रार्थना का सिलसिला जारी रखें।
  6. जिंदगी एक तोहफा हैं, एक सुविधा है, इसे हम अपना अधिकार नहीं मान सकते।
  7. हमारे कष्टों की तुलना उस कीर्ति से नहीं की जा सकती, जो उनके माध्यम से प्रकट होंगी।
  8. अगर आप भीतर से टूटें हो तो बाहर से सम्पूर्ण होना कोई मायने नहीं रखता।
  9. आपको कभी किसी को यह अनुमति नहीं देनी चाहिए कि वह आपको बुली (तंग करना या धौंस जमाना) कर सकें।
  10. हमें अपनी आस्था और विश्वास पर काम करते हुए उन लोगों का डटकर सामना करना चाहिए जो हमारे साथ या किसी दूसरे के साथ बुरा बरताव कर रहें हों।
  11. आप अपने साथ जैसा बरताव चाहते हैं, दूसरों के साथ भी वहीं बरताव करें।
  12. अपने पड़ोसी को भी उसी तरह प्रेम करों जिस तरह तुम खुद से करते हो।
  13. हम दूसरों के साथ जिस तरह पेश आएंगे, ईश्वर भी हमारे साथ उसी तरह पेश आएगा।
  14. ईश्वर चाहता हैं कि हम नेक काम करें और अगर किसी की मदद कर सकते हों तो ऐसा करने से कभी पीछे न हटें।
  15. जब कोई काम अविश्वसनीय लगता है तो प्रभु पर भरोसा रखना चाहिए क्योंकि प्रभु अवास्तविक लगने वाले सपनों और करिश्मों को भी संभव कर दिखाते हैं।
  16. प्रार्थना के माध्यम से हम हर तरह के भय से उबर सकते हैं और प्रार्थना ही किसी भी परिस्थिति में आपको जित का सेहरा पहना सकती है।
  17. क्या आप आने लिए प्रार्थना करेंगे? प्रार्थना करें कि अगर अनजाने में भी आपके हाथों किसी का अहित हो रहा हो तो प्रबही आपको उससे बचाएं। वे आपकी मदद करें कि अपने रवैए में बदलाव ला सकें।
  18. आपके साथ क्या हुआ यह बात इतना मायने नहीं रखती, जितना यह मायने रखता है कि उस चीज पर आपकी प्रतिक्रिया क्या रही।
  19. आत्मसर्पण का अर्थ है कि आप स्वयं को इस भ्रम से मुक्त कर रहें हैं कि सब कुछ आप ही के हाथ में हैं।
  20. हमें अपनी प्रतिभाओं का समुचित उपयोग करना हैं ताकि चाहे जो भी हो, हमारे भीतर आगे बढ़ने और जूझने की क्षमता बनी रहे।

61-82

  1. अपने आसपास की हर चीज को अपने बस में करने की मांग हमें अपाहिज कर सकती हैं।
  2. ईश्वर ही आज, बीते हुए कल और अनंत काल का उत्तर हैं।
  3. जहां हम कमज़ोर पड़ते हैं, वहाँ ईश्वर की ताकत हमारे साथ होती है।
  4. प्रभु हमें रोगी नहीं बनातें। वे हमें रोग और बड़ी चुनौतियां इसलिए सौपतें हैं कि ताकि हम उसके निकट जा सकें, उसे अपने जीवन का केंद्र बिन्दु बना सकें ।
  5. किसी भी चीज के लिए उद्वेग अनुभव न करें पर हर परिस्थिति में आभार और प्रार्थना के साथ अपने प्रभु से विनती करें।
  6. जब तक आप स्वयं को ईश्वर के हाथों सौप नहीं देते तब तक यह नहीं जान सकते कि आप अपने जीवन के साथ क्या कर सकते हैं। इसके बाद ही आप ईश्वर के साथ अपने संबंध में आनंद अनुभव कर सकते हैं।
  7. आज स्वार्थी हितों से इंकार करना यानि अपनी इच्छा और मांग को परे रखते हुए प्रभु की इच्छा को सर्वोपरि मानना।
  8. आत्मसमर्पण का अर्थ है कि ईश्वर को वह सब सौप देना जो आपको प्रिय हैं।
  9. ईश्वर के प्रति स्नेह रखो और वह आपकी हार्दिक इच्छा पूरी करेगा।
  10. एक नई कार, एक नई पोशाक या हीरे की अंगूठी आपको वह प्रसन्नता नहीं दे सकती, जो प्रभु के प्रति आत्मसमर्पण करने से मिलती है।
  11. जब आप जीवन में सब कुछ प्रभु के हाथों सौंप देते हैं, अपने धीरज और विश्वाश का दामन थामें रखते हैं तो आपको एक और बड़ा पुरस्कार मिलता है और यह है ईश्वर की ओर से शक्ति का उपहार।
  12. जब आप सब कुछ उसे सौंपकर, विश्वाश की शक्ति को अपने जीवन में काम करने का अवसर देते हैं तो प्रभु आपके लिए जो करते हैं, उसे देख आपको यकीन नहीं होगा।
  13. अगर हमें फल खाने हैं तो नेकीन के बीज बोने ही होंगे ताकि अच्छे से अच्छे बीज पैदा हों, जिससे और फलदार पेड़ लगाए जा सकें।
  14. प्रेम और विश्वाश के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यहीं है कि आपको उस पर अमल करना आना चाहिए।
  15. अगर ईश्वर ने बिना हाथ और पैरवाले एक इंसान को सहारा दिया है तो वह युद्ध की मार झेल चुके लोगों का भी सहारा बनेगा।
  16. हम कई बार अपनी ही प्रसन्नता को पाने की ओर इतना केंद्रित हो जाते हैं कि हम अपने जीवन का असली उद्देश्य तक भूल जाते हैं कि ईश्वर ने हमें संसार में क्या करने भेजा है।
  17. आपका जीवन चाह जैसा हो और आपके हालात चाहे जैसे भी हों फिर भी आप नेकी के बीज बो सकते हैं।
  18. जीवन में सबकों प्रेम और प्रातसाहन की आवश्यकता होती है, भले ही यह कोई प्रेरणादायक शब्द या कॉफी व डोनेट के साथ मिली मुस्कान ही क्यों न हो।
  19. जब सबके लक्ष्य और सफलता एक होती है तो हर किसीओ को बराबर लाभ मिलता है।
  20. अगर तुम एक-दूसरे से प्रेम करोगे तो इस तरह सब जान लेंगे कि तुम शिष्य हो।
  21. जब आपके हालात और अवस्था में बदलाव आता है तो आपके संतुलन में भी बदलाव आएगा।
  22. जिस तरह आप सड़क पर चलनेवाली हर कार और उसके चालक को अपने नियंत्रण में नहीं रख सकते, उसी तरह आप अपने जीवन के हर पहलू को भी अपने वश में नहीं रख सकते।   

83-101

  1. अगर आप इस दुनिया पर अपना प्रभाव छोड़ना चाहते हैं, तो आपको अपने विश्वास पर कार्य भी करना होगा।
  2. आप अपने सपनों पर भरोसा रख सकते हैं पर उन्हें पूरा करने के लिए आपको कर्म तो करना ही होगा ।
  3. आप अपनी प्रतिभा और योग्यता ऊपर विश्वास रख सकते हैं लेकिन यदि आपने उन्हें विकसित नहीं किया और उन्हें प्रयोग में नहीं लाया तो वे आपके किसी काम की नहीं है।
  4. संघर्ष नहीं होगा तो प्रगति भी नहीं होंगी।
  5. आपका चरित्र उन्ही चुनौतियों से बनता है, जिनका आप सामना करते हैं और पार उतरते हैं।
  6. जब आप अपने भय का सामना करते हैं तो आपके साहस में बढ़ोत्तरी होती है।
  7. अगर आप स्वयं को उसके भरोसे सौंप देंगे और उसकी रज़ा पर चलेंगे तो आपके सारे भय और संदेह भी छु-मंतर हो जाएंगे।
  8. जब आप केवल समाधानों पर नज़र रखेंगे तो स्वयं ईश्वर आपको राह दिखाएगा।
  9. जब आप अपने भरोसे और विश्वास को कायम रखते हुए कोई काम करते हैं तब आपको कोई बाधा रोक नहीं सकती, उस समय वे बाधाएं भी आपके लिए आगे बढ़ने और कुछ सीखने के अवसरों में बदल जाती हैं।
  10. ईश्वर कभी गलती नहीं करता। उसके पास सदा हमारे लिए कोई न कोई योजना होती है।
  11. आपको यह कभी नहीं मानना चाहिए कि आपका भय ही आपकी किस्मत हैं या आप एक बार गिरने के बाद दोबारा कभी उठ नहीं सकते।
  12. अगर आपके पास विश्वाश है तो आपको किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं, आप इसके साथ ही जीते हैं।
  13. अगर आपके भीतर आस्था और विश्वाश होगा तो अंधकार के बीच भी एक-एक कदम कर आगे बढ़ा जा सकता है।
  14. यह जीवन ईश्वर की ओर से मिला उपहार है और आपको इसके लिए ईश्वर का आभारी होना है।
  15. सबसे बड़ा खतरा तो वह है जब आपको लगने लगे कि आपको परमात्मा की जरूरत ही नहीं है।

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