इस ब्लॉग पोस्ट मे हम आपको the story of my life: book review, book summary in hindi by helen keller के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
Table of Contents
Book Review
“मेरा जीवन” हेलेन केलर द्वारा लिखित the story of my life का हिन्दी अनुवाद है। जिसे पब्लिशर प्रभात प्रकाशन ने 2021 मे पब्लिश किया है। जैसा कि आपको टाइटल से ही पता चल गया होगा कि यह किताब हेलेन के जीवन की आत्म कथा है, जिसे उसने अपने जीवन के 19 साल की पड़ाव मे कंप्लीट किया।
इस किताब और इस किताब की लेखिका की खासियत यह है कि हेलेन के न आँख है, और न हो सुन सकती हैं। फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन मे हमेशा एक आशावादिता का रूप लिए संघर्ष करती हुई सारी परेशानियों का बड़े ही सहजता के साथ सामना किया और उसने ढेर सारी किताबें पढ़ने के साथ-साथ लिखना भी शुरू कर दिया।
यह किताब आपको बाकि और किताबों से बहुत ही अलग और रोचक लगेगी। आपको भी यह पढ़ने और जानने को मिलेगा कि अंधे और बहरे लोग कैसा महसूस करते हैं, कौन-कौन सी परेशानियों का उन्हे सामना करना पड़ता है। वो समाज को किस नजरिए से देखते हैं, समाज उनके साथ किस तरह अपना बर्ताव करता है, वो किस तरह अपने आस-पास की चीजों को जानना चाहते हैं, वो कैसे सीखते हैं, इन्ही सब चीजों को हेलेन अपने जीवन मे घटी घटनाओं को इस किताब के माध्यम से बताती है।
मेरा यकीन है कि जिस तरह आपको अरुणिमा सिन्हा और निक वूईचिक ने अपने जीवन परिचर से आपको प्रेरित किया है, हेलेना भी आपके मापक पर खरा उतरेंगी। आप एक बार अवश्य इस किताब को पढ़िये, और धन्यवाद दीजिए प्रभात प्रकाशक को कि उसने इतनी अच्छी किताब हिन्दी मे उपलब्ध कराया।
the story of my life
book summary in hindi by helen keller
हेलेन केलर का जन्म 27 जून,1880 को उत्तरी अलबामा के एक छोटे से शहर, तसकंबया मे हुआ। हेलेन का ददिहाल कास्पार किलर से संबंध रखता था, जो स्विट्ज़रलैंड के निवासी थे और मेरीलैंड में आकर बस गए थे। हेलेन के दादा कास्पर किलर ने अलबामा मे बड़ी सारी भूमि ‘ग्रहण’ कर ली और अन्तः वहीं बस गए।
हेलेन की दादी, लाफएट के सहायक अधिकारी अलेक्जेंडर मूर की बेटी थीं और वर्जीनिया के औपनिवेशिक गवर्नर अलेक्जेंडर स्पॉटसवूड की पौत्री थी। वह रॉबर्ट ई. ली की ममेरी बहन भी थी।
हेलेन के पिता आर्थर एच. केलर संघाधीन सेना(कॉनफेडरेट आर्मी) मे कप्तान थे और माँ केट एडम्स उनकी दूसरी पत्नी थीं, जो उनसे बहुत साल छोटी थी। हेलन के छोटे भाई का नाम फिलिप्स ब्रूकस और छोटी और प्यारी बहन का नाम मिलड्रेड था। हेलेन को डेढ़ साल की उम्र मे ही उदर और मस्तिष्क की विकत रक्त संकुलता जैसे बीमारी के कारण आँखों की ज्योति तथा श्रवण- शक्ति चली गई। जो किलर परिवार के लिए अत्यंत दूखदाई था।
हेलेन एक होशियार और बुद्धिमान थी, जिसने कभी हार नहीं माना और अपने देखने, सुनने समझने की चीजों को स्पर्श मात्र से चीजों को समझने लगी। एक बार ऐसा हुआ कि हेलेन ने अपनी माता को किचन मे बाहर से कुंडी लगा दी, और सीढ़ियों पर बैठ कर उनके चिल्लाने और दरवाजा को पीटने की आवाज को महसूस कर हसती रही, और तीन घंटे बाद किसी नौकर ने आकर दरवाजा खोला।
बचपन के एक-एक दिन बीतता रहा लेकिन जब हेलेन के माता-पिता को लगा कि अब हेलेन को किसी तरह शिक्षा देने की जरूरत हैं तो उन्होंने किसी ऐसे स्कूल य शिक्षक की तलास करना शुरू किया जहां उनकी लाड़ली को अच्छे तरीके से शिक्षा मिल सके लेकिन उन्हे काफी जगहों से निराशा हाथ लगी। और कोई भी स्कूल या शिक्षक ऐसा नहीं मिला जो दृष्टि बाधित और बहरे बच्ची को पढ़ा सके।
सात साल की उम्र में हेलेन को अपने प्रिय शिक्षिका मिस सुलीवॉन से मुलाकात हुई, जो उसकी सबसे प्रिय दोस्त और सबसे अच्छी मार्गदर्शिता बनी। मिस सुलीवॉन ने हेलेन को न सिर्फ समझा बल्कि उसे पुत्री जैसा सदभाव किया और एक-एक वर्णमाला के साथ धीरे-धीरे चीजों को सिखाना शुरू कर दिया।
मिस सुलीवॉन उसे अपने साथ कहीं बाहर लेकर जाती और ज़्यादा-से-ज़्यादा चीजों को छूकर महसूस करने के बाद उसे उसके बारे मे बताती, जो हेलेन को बहुत ही अच्छा लगता। वह हमेशा नई चीजों के बारे मे जानने के लिए उत्साहित रहती। मिस सुलीवॉन ने हेलेन को होंठों को छूकर बात को समझने के बारे मेन बताया, जिसने हेलेन की जीवन को और भी आसान बना दिया।
हेलेन की शिक्षा के प्रारंभ से ही मिस सुलीवॉन ने तय कर लिया था कि वह उससे उसी तरह बात करेंगी जिस तरह किसी भी उस बच्चे से बात की जाती है जो सुन सकता है। फरक सिर्फ इतना था कि उसने वाक्यों को बोलने के बजाय हेलेन के हाथों पर लिख दिया करती, जिसे हेलेन बड़े ही आसानी से उसे समझ लेती और अपने मुक भाषा मे जवाब देती।
सभी साधारण सी चीजें जानने के बाद हेलेन का एडमिशन पर्किन्स स्कूल(जो दृष्टि बाधित बच्चों का स्कूल था) मे चार साल के लिए हो गया जिसके दोरान जब उसकी मुलाकात उसके जैसे ही और भी बच्चों से होता था तो उसे ऐसा आनंद मिलता था या उसे ऐसा लगता था कि वो उनके साथ अपने घर में है।
1892 के समय हेलेना ने ‘दि फ्रास्ट किंग’ नाम की एक किताब लिखी और वह किताब पब्लिश भी हो गई लेकिन कुछ दिनों बाद ही उसके ऊपर कंटेन्ट चुराने का आरोप लगा, जिसमें मिस सुलीवॉन भी सामील थी। बात जब कोर्ट तक पहुंची तो हेलेन को पता चला कि उसने जो कहानी लिखी है वह हु-ब-हु बिल्कुल वैसी ही है। जिसको लेकर हेलेन से अकेले मे पुछताछ भी हुई।
इल्जाम ये लगा कि हो न हो मिस सुलीवॉन ने कभी न कभी हेलेन को ये कहानी सुनाई होंगी, लेकिन कुछ दिन बाद मामला ठंडा पद गया और विपक्ष ने अपना दिल दिखाते हुए उसे नकार दिया और केश खत्म हो गया। फिर उसके बाद हेलेन और भी साहित्यिक किताबों को पढ़ना शुरू किया। जिसमें मिस सुलीवॉन बहुत मदद करती थी।
1894 मे मिस हेलेना चौटेक्वा मे अमेरिका एसोसिएशन की एक बैठक में भाग लिया, जिसका आयोजन बधिर लोगों को बोलने की शिक्षा कोप्रोत्साहन हेतु किया गया था। वहाब यह तय हुआ कि हेलेना को न्यूयार्क नगर मेन बधिर बच्चों के लिए संचालित राइट-ह्यूमन स्कूल में जाना चाहिए।
हेलेन अक्टूबर,1894 मे मिस सुलीवॉन के साथ वहाँ गई । इस स्कूल का चयन विशेष रूप से इसलिए किया गया था, क्योंकि वहाँ वाचिक शिक्षा और ओष्ठ-पठन मे प्रशिक्षण प्रदान करने की सर्वोत्तम व्यवस्था थी। इन विषयों के अलावा हेलेना उस स्कूल में दो वर्षों के दौरान अंकगणित, प्राकृतिक-भूगोल, फ्रेंच और जर्मन का अध्ययन किया।
अक्टूबर, 1896 में हेलेना रैडक्लीफ़ के लिए तैयार होने के उद्देश्य से ‘कैम्ब्रिज स्कूल फॉर यंग लेडीज’ में दाखिला ले लिया। जिसमें हेलेना को क्लास मे शिक्षकों द्वारा बताए गए बातों को बताने के लिए मिस सुलीवॉन उसके साथ रहा करती थी। इस स्कूल मे हेलेना ने भौतिकी, बीजगणित, ज्यामिटीं खगोल-विज्ञान ग्रीक और लैटिन के साथ-साथ फरें और जर्मन भी सीखा।
पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद अक्टूबर 1898 मे हेलेन और मिस सुलीवॉन बोस्टन वापस लौट गए। 1899 मे मे रैडक्लीफ़ कॉलेज के लिए अपनी निर्णायक परीक्षा मे बैठी और कॉलेज मेन प्रवेश पानए का संघर्ष समाप्त हो गया।
1900 मे कॉलेज में दाखिला लेने के बाद 1904 मे रेडक्लीफ़ कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री हासिल करने के बाद सह प्रशंसा प्राप्त कर बैचलर की डिग्री हासिल करने वाली पहली दृष्टि-बाधित महिला बनी।
इन सब के दौरान हेलेन ने अनेकों साहित्य की किताबोंको पढ़ा जैसे- ‘लिटल लॉर्ड फॉनटिलराय’ ग्रीक हीरोज, फ़ेबल्स, वंडरन, बाइबल स्टोरीज, टेल्स फ्राम शेक्सपियर, ए चाइल्डस हिस्ट्री ऑफ इंग्लैंड, दि अरेबियन नाइट्स, दि स्विस फैमिली रॉबिन्स, दि पिल्ग्रिम्स प्रोग्रेस , रॉबिन्स क्रूसों , लिटल वुमन, हेडि एक खूबसूरत कहानी इत्यादि….
इन्ही सब के बाद 1907 मे हेलेना ने अपनी कहानी लिखी जिसका नाम “दि स्टोरी ऑफ माई लाइफ” है। जो आप इस समय पढ़ रहे हैं। यदि आपको हेलेना के बारे मे जानकार अच्छा लगा या और भी किसी महापुरुष की बायोग्राफी जाननी हो तो कमेंट करे।
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
- मोलस्क जीवों की खोल-निर्माण प्रक्रिया मन अर्थात बुद्धि के विकास की प्रक्रिया को इंगित करती है। जिस तरह नोटिलस का अद्भुत-कामचलाऊ आवरण पानी से सोखे गए पदार्थ को परिवर्तित कर देता है और उसे अपना ही हिस्सा बना लेता है, उसी प्रकार व्यक्ति थोड़ा-थोड़ा करके जो ज्ञान एकत्र करता है, वे ज्ञानंश भी इसी तरह परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजरते हैं और विचारों के मोती बन जाते हैं।
- बच्चे का मन एक क्षुद्र नदी की तरह होता है जो अपनी शिक्षा के पथरीले मार्ग पर खुशी से हिलोरें लेते और नाचते हुए आगे बढ़ती हैं। उसकी यह खुशी कहीं एक फूल के रूप मे, कहीं एक झड़ी के रूप मे, और कहीं दूर लोम सदृश बादल के रूप में झलकती है।
- कोई भी शिक्षक बच्चे को कक्षा मेन तो ले जा सकता है, लेकिन हर शिक्षक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करना नहीं सीखा सकता। वह तब तक खुशी से काम नहीं करेगा, जब तक कि वह ऐसा महसूस न करे कि उसे आज़ादी है, व्यस्त रहने या आराम करने की;
- कोई भी बाधिर बालक जिसने उन शब्दों को ईमानदारी से बोलने की कोशिश की है जिसे उसने कभी नहीं सुना- जो कभी खामोशी की उस कैद से नहीं निकला जहां प्यार की कोई धुन नहीं थी, पक्षी-गान नहीं था, जिस नीरवता को कभी किसी संगीत-लहरी ने नहीं तोड़ा-अचरज के उस रोमांच को, आविष्कार के उस हर्ष को नहीं भूल सकता जिसकी अनुभूति उसे तब होती है जब उसने अपने मुँह से पहला शब्द निकला।
- साहित्य की महान रचनाओं का आनंद हमारी समझ-बुझ के बजाय हमारी संवेदना की गहराई पर अधिक निर्भर करता है। समस्या यह है कि उनकी श्रमसाध्य व्याख्याओं मे से बहुत कम हमारी स्मृति मे रह पाती है। स्मृति से वे इस तरह छूट जाते हैं, जैसे कोई अधिक पका फल शाखा से छुटकर नीचे गिर जाता है।
- किसी फूल, जड़ एवं तने और उनसे संबंधित बहुत-सी बातों को जाना जा सकता है और विकास की सभा प्रक्रियाओं को जानना भी संभव है और फिर भी, हो सकता है कि कई दिव्यलोक की ओस मे ताजा-ताजा नहाए फूल की खूबसूरती को पहचान न पाए!
- ज्ञान शक्ति है। बल्कि ज्ञान खुशी का दूसरा नाम है। क्योंकि ज्ञान-विस्तृत, गहरा ज्ञान-पाने का अर्थ होता है, सच्चे उद्देश्यों को झूठ से अलग पहचानना, और उदात्त को निकृष्ट से अलग देख पाना।
- मानव की प्रगति को स्पष्ट दर्शाने वाले विचारों एवं कार्यों को जानने का मतलब है-सदियों से होकर मानवता के दिल की विशाल धड़कनों को महसूस करना और यदि कोई इन धड़कनों मेन आकाश की ओर बढ़ने की प्रेरणा महसूस नहीं करता तो अवश्य ही वह व्यक्ति जीवन की समरसता, मधुर स्वरलहरियों के प्रति बाहर आ रहा होगा।
- देहात मे केवल प्रकृति की मनोहर रचनाएं नजर आती हैं। वहाँ व्यक्ति की आत्मा को उस कठोर संघर्ष के कारण दुखी नहीं होना पड़ता जो उसे केवल अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए भीड़-भाड़ वाले शहर में करना पड़ता है।
- मैं इस संसार मेन इतनी खुश हूँ कि मुझे भविष्य के बारे मेन अधिक सोचने की आवश्यकता नहीं है, मुझे सिर्फ यह याद रखना है कि ईश्वर के दिव्यलोक मे कहीं मेरे प्यारे मित्र मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं, अनेक वर्ष बित जाने के बावजूद वे मेरे इतने करीब प्रतीत होते हैं कि यदि किसी क्षण मेरा हाथ पकड़ लें और उतने ही लाड़-प्यार से बोलें, जैसे वे दूर चले जाने से पहले बोला करते थे, तो मुझे कुछ भी विचित्र नहीं लगना चाहिए।
पात्रों का चरित्र-चित्रण-
हेलेन केलर- हेलेन केलर दृष्टि बाधित और शोर को न सुन सकने वाली एक कोमल हृदय वाली लड़की है। जिसका स्वभाव बहुत ही साधारण आदर्शवादी है। आशावादी होने के साथ-साथ बहादुर भी है। जो आने वाले हर चुनीतियों का डट कर सामना करती है। जल्दी हार नहीं मानती है। उसे नई-नई चीजे सीखने और जानने मेन अच्छा लगता है। वो किसी भी चीज को बहुत गहरे प्रभाव से उसे जानने की कोशिश करती है।
मिस सुलीवॉन- मिस सुलीवॉन हेलेन की एक सच्ची दोस्त होने के साथ-साथ एक शिक्षिका भी है। जो हर कदम पर हेलेन का साथ देने के लिए खड़ी रहती है। उनके कर्म ईमानदारी पूर्ण और सच्ची निष्ठा से भरा है। वह एक आदर्शवादी और मृदुभाषी भी हैं। उनकी भावनाए सदा हेलेन से जुड़ी होती है और वह हमेशा हेलेन के साथ रहती हैं।
हेलेन केलर कोट्स-
- अकेले तो हम थोड़ा ही काम कर सकते हैं, पर एक साथ मिलकर हम बहुत कुछ कर सकते हैं।
- प्रकृति अपने बच्चों पर खुला आक्रमण करती है और अपने कोमलतम स्पर्श के नीचे कपटी पंजों को छिपाए रखती है।
- प्यार कुछ उन बादलों की तरह है जो सूरज निकालने से पहले आकाश में थे।
- वास्तविकता यह है कि व्यक्ति के चेहरे के भावों से अक्सर उसके कथन की सही तस्वीर झलकती है।
- युवा लेखक स्वाभाविक रूप से हर उस बात की नकल करने का प्रयत्न करता है जो उसे अत्युत्तम लगती है और वह अपनी सराहना को आश्चर्यजनक प्रतिभा से बदल देता है।
- लिखने की कोशिश करना बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसी अत्यंत दुरूह समस्या को हाल करना।
- मौलिक बनने का कोई तरीका नहीं है, सिवाय इसके की हमारा जन्म मौलिक हो।
- जो कोई भी सच्चा ज्ञान पाना चाहता है, कठिन पहाड़ी पर उसे अकेले ही चढ़ना पड़ता है। चुकि वहाँ तक पहुचने के लिए कोई राजमार्ग नहीं है, इसलिए मुझे इधर-उधर टक्कर खाते हुए शिखर तक पहुचने के लिए अपना रास्ता बनाना पड़ता है।
- अतीत के साहित्य से वह सब मिटा दिया जाना चाहिए जो कुछ भी उसमें बुरा और बर्बर है।
- ईश्वर की हर संतान से उतना प्यार करो जितना कर सकते हो और याद रखो कि भलाई की संभावनाएं बुराई की संभावनाओं से बृहतर होती है।
- ईश्वर का पितृत्व और इंसान का बंधुत्व! ये सच्चाईयां सभी धर्म-सिद्धांतों और पूजा-उपासना का आधार हैं।
- ईश्वर प्रेम है, ईश्वर हमारा पिता है, हम उसकी संतानें हैं, अतः घोर काले बादल छँट जाएंगे और सच्चाई को चाहे जितना तोड़ा-मरोड़ा जाए, असत्य की जीत नहीं होती।
FAQ-
Q the story of my life का लेखक कौन है?
हेलेन केलर।
Q the story of my life हिन्दी संस्करण का पब्लिशर कौन है?
प्रभात पब्लिकेशन।
Q हेलेन केलर का जन्म कब हुआ?
27 जून,1880 ।
Q हेलेन केलर के माता-पिता का नाम क्या था?
हेलेन की माता का नाम केट एडम्स और पिता का नाम आर्थर एच. केलर था।
Q हेलेन केलर कौन सी डिग्री हासिल की है?
बैचलर ऑफ आर्ट।
Q हेलेन केलर की पहली किताब कौन सी थी?
हेलेन केलर की पहली किताब ‘दि फ्रास्ट किंग’ थी।
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