The Powerful Word of The Prophet by Khalil Gibran and Quotes pdf download. खलील जिब्रान द्वारा लिखी गई “दि प्रोफेट” एक ऐसी किताब जिसने देवदूत के माध्यम से लोगों के मन-मस्तिष्क में घुमड़ रहे सारे सवालों का जवाब बड़े ही सरलता से दिया। जिसे लोगों ने आदरपूर्वक स्वीकार कर अपने जीवन को सुखमय बनाया।
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Review
‘देवदूत’ इस किताब को खरीदने के पीछे एक बहुत ही अच्छी घटना है, जिसे मैं शेयर करना चाहूँगा। जब मैं अमेजन पर किताबों की तलास कर रहा था, तब मुझे बाकि किताब की आड़ में छिपे ‘देवदूत’ कभी-कभार ताक-झाक कर लिया करता था। लेकिन मैं उससे अपनी नजरें चुरा लेता था और मेरी तलास किसी और किताब पर जाकर ठहर जाती थी। कभी मैं उसे देख कर आगे बढ़ जाता था, या वो मुझे देखकर कहीं छिप जाती थी, और इस तरह हम दोनों के बीच एक दूरी बनी रहती थी। ऐसा एक महीने तक चलता रहा।
आखिरकार वो समय आ गया, जब हम दोनों ने एक दूसरे को देख कर अपनी-अपनी नज़रे नहीं चुराई और आज वो मेरे साथ है। यकीन करिए मैने देवदूत से बहुत कुछ सीखा है, जिसे मैने आपके साथ नीचे लिख कर शेयर भी किया है।
मै सनातनी हूँ, और मैने गीता उपदेश पढ़ा है। लेकिन एक प्रोफेशनल ब्लॉगर होने के नाते जब मैने इस किताब को यानि कि ‘देवदूत’ को पढ़ा तो मुझे दोनों कुछ हद तक एक ही लगे। खलील जिब्रान द्वारा लिखित इस किताब को अगर आप खलील उपदेश कहें तो कोई ज्याती नहीं होंगी।
‘दि प्रोफेट’ खालील जिब्रान द्वारा लिखित एक इंग्लिश किताब है, जिसे फिंगरप्रिंट पब्लिकेशन ने एम. ए. समीर के माध्यम से हिन्दी अनुवाद किया गया है, जिसका नाम पब्लिशर ने ‘देवदूत’ रखा है। 120 पन्नों के अंदर सिमटी इस किताब में दूसरों से कुछ कहने और समझाने के लिए बहुत कुछ है। बस आपके अंदर वो जिज्ञासा चाहिए, ताकि देवदूत के माध्यम से कुछ सिख सकें और अपने जीवन में एक छोटा बदलाव लाकर अपने को सुखमय बना सके।
Summary
“देवदूत” कोई उपन्यास नहीं है और नही कोई कविता संग्रह। लेकिन खलील जिब्रान ने अपने उपदेश को एक बहुत ही सरल तरीके से मानवता के लिए व्यक्त किया है। जिसमें उन्होंने अपने संदेश को देने के लिए एक प्रमुख पात्र देवदूत को चुना है। जिससे लोगों को उनके जीवन के महत्वपूर्ण रहस्यों से पहचान कराता है।
उस देवदूत का नाम अलमुस्तफा है, जिसे ईश्वर ने चुना और अपने प्रेम का पात्र बनाया। अलमुस्तफा 12 वर्षों तक ऑरफ़ालीज़ नामक शहर में रहा और अब जहाज का इंतजार कर रहा है, जो उसे उसके मातृभूमि को ले जाएगा। बारहवे वर्ष इलूल महीने के सातवे दिन उसने नगर की चहारदीवारी के बाहर पहाड़ी पर चढ़कर समुन्द्र की ओर देखा। उस समय उसे कोहरे को चीरता हुआ अपना जहाज आता हुआ दिखाई देता है। और उसके हृदय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
जिस प्रकार उसे अपने मातृभूमि को लौटने की खुशी थी, उसी प्रकार उसे ऑरफ़ालीज़ शहर को छोड़ने की टीस भी थी। जिन लोगों के बीच वो रहा था, जिनके बीच रहकर उसे ढेर सारा प्यार मिला था। लोग उसके लिए प्रार्थना करते थे। मान-सम्मान देते थे। जहाज को किनारे देख अलमुस्तफा पहाड़ी से उतरने लगा तो उसने देखा कि दूर-दराज के क्षेत्र से सामूहिक रूप से स्त्री और पुरुष अपने-2 खेत-खलिहान और बाग-बगीचे छोड़कर नगर की ओर आ रहे हैं। वह स्पष्ट सुन रहा था कि वे सभी लोग उसका नाम पुकार रहे थे। खेत-दर-खेत उन लोगों की आवाजे जहाज के आने की खबर फैला रही थी।
जिसमें भांति-भाति के लोग थे और अलमुस्तफा को अलविदा कहने आए थे। इससे पहले की अलमुस्तफा उनका शहर छोड़ कर चला जाता, सबने अपने-अपने मन से हर एक प्रकार के सवाल किया। जिसे अलमुस्तफा ने बड़े ही सरल भाषा में उनके सवालों के एक-एक कर, जवाब देता चला गया।
दि प्रोफेट द्वारा कहे गए कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
ऑरफ़ालीज़ शहर के लोगों द्वारा अलमुस्तफा से 27 सवाल किये गए, जिसका अलमुस्तफा ने जवाब दिया। उन सवालों में से मै कुछ को ही आपके सामने रख रहा हूँ ताकि आप भी उन सवालों के जवाब को जान सके और उनमें से कुछ अमल कर अपने जीवन को सूद्रीण बना सके।
प्रेम
- जब प्रेम तुमको पुकारे तो तुम उसका अनुसरण करो, यद्यपि उसकी राह अत्यंत कठिन और विषम है और जब उसके पंख तुम्हें अपने साये में लेना चाहे तो तुम उसके आगे आत्मसमर्पण कर दो, उड़पी उसके आँखों में छिपी तलवार तुम्हें घायल कर सकती है।
- जिस प्रकार प्रेम तुम्हारी ताजपोशि करेगा, उसी प्रकार वह तुम्हें फाँसीं पर पर भी चढ़ाएगा। और जिस प्रकार तुम्हारी तरक्की के लिए है, उसी प्रकार वह तुम्हारी रुकावट के लिए भी है।
- जिस प्रकार वह तुम्हारी ऊंचाई तक जाकर धूप में लहलहाती हुई तुम्हारी सबसे कोमल डालियों की देखभाल करता है, उसी प्रकार वह तुम्हारी गहराई में जाकर धरती में समाई हुई जड़ों को भी हिला देता है।
विवाह-
- एक दूसरे से प्रेम करों, प्रेम को बंधन न बनाओ, बल्कि अपनी आत्मा के किनारों से बीच उसे चलायमान समुन्द्र बनने दो। एक-दूसरे के प्याले को भरो, लेकिन एक ही प्याले से बिल्कुल मत पियो।
- साथ-साथ गीत गाओ, नृत्य करो और आनंद उठाओ, फिर भी प्रत्येक का अपना-अपना अस्तित्व रहने दो, जिस प्रकार वीणा के तार अकेले होते हैं, जबकि वे एक ही साथ संगीत उत्पन्न करते हैं। एक-दूसरे को अपना हृदय अर्पित करो, लेकिन एक-दूसरे के संरक्षण में न रहो।
संतान-
तुम वह धनुष हो, जिससे तुम्हारे बच्चे जीवित तारों की भांति निकलते हैं। धनुषधारी अनंत के मार्ग पर निशाना लगाता है और तुम्हें अपनी शक्ति के आगे झुकाता है, ताकि उसके तीर तीव्र गति से दूर जा सकें। उस धनुषधारी के हाथों तुम्हारा झुकाया जाना आनंद के लिए है, क्योंकि वह उड़ने वाले तीरों से प्रेम करता है और इसलिए उस धनुष से भी वह प्रेम करता है, जो कि स्थिर है।
दान-
- संसार में ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी अथाह संपत्ति में से बहुत थोड़ा दान करते हैं और इतना भी वे अपने अपनी पहचान बनाने के लिए देते हैं और उनकी अंतर्निहित इच्छाएं उनके इस दान को अलाभकारी बना देती हैं। इसके विपरीत संसार में ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास बहुत कम है, लेकिन वह सारा-का-सारा दे देते हैं। यह वही लोग हैं जिनका जीवन में विश्वास है और जीवन की उदारता में भी और उन का खजाना कभी खाली नहीं होता है। संसार में ऐसे लोग भी हैं, जो आनंदपूर्वक दान करते हैं और वह आनंद ही उनका पुरस्कार है।
- खुले हाथों से दान करने वाले व्यक्ति को अधिक प्रसन्नता तब मिलती है, जब उसे दान देने की अपेक्षा दान लेने वाले की तलाश हो।
खान-पान-
शायद तुम धरती की सुगंध पर जीवित रह सकते और अमरबेल की भांति प्रकाश द्वारा जीवन-निर्वाह कर सकते, लेकिन खाने के लिए तुम्हें हिंसा करनी पड़ती है, तो अपनी प्यास बुझाने के लिए नवजात बछड़े की मां को उससे अलग करके दूध लेते हो, तो फिर इस काम को ईश्वर की पूजा की तरह करो।
कार्य-
- अगर तुम दुख में जन्म लेने को संकट और जीवन-निर्वाह को अपने माथे पर लिखा अभिशाप कहते हो, तो मैं कहता हों, कि तुम्हारे माथे का पसीना ही उस लिखे हुए को मिटा सकता है।
- जो व्यक्ति संगमरमर पर कार्य करता है और पत्थर में अपनी आत्मा को देखता है, वह खेत में हाल चलाने की अपेक्षा बेहतर है।
सुख और दुख
- जब तुम आनंदित हो जाओ तो अपने दिल की गहराई में झाँककर देखो और तुम देखोगे कि जो तुमको सुख दे रहा है, वह वही है, जिसने तुमको दुख दिया है।
- जब खजाने की देखभाल करने वाला अपना सोना-चांदी तौलने के लिए तुम्हें उठाता है, तब तुम्हारा सुख और दुख कम-ज़्यादा होता रहता है।
घर-
नगर के चारदीवारी के अंदर घर बनाने की तुलना में किसी निर्जन स्थान पर अपनी कल्पनाओं की कुटिया बनाओ, क्योंकि जैसे तुम शाम के धूधलके में अपने घर आते हो, वैसे ही तुम्हारे अंतर में बसने वाली यात्री, जो हमेशा दूर और अकेला रहता है, वह लौट आता है।
वस्त्र-
- तुम्हारे वस्त्र तुम्हारी सुंदरता को बहुत हद तक ढक लेते हैं, लेकिन वे तुम्हारी कुरूपता को नहीं छिपाते।
- तुम अपनी निजता को स्वतंत्रता को अपने वस्त्रों में तलाश करते हो, लेकिन शायद तुम्हें बंधन ही मिले।
- काश! तुम धूप और वायु से अपनी त्वचा का अधिक और वस्त्रों से कम संपर्क करा सकते।
क्रय-विक्रय-
- तुम्हें धरती अन्न के रूप में अपने फल देती है और अगर तुम उन फलों को अपने हाथों में इकट्ठा करना जानो तो वह काफी है। धरती के उपहारों के लेंन-देन में ही विपुलता है और इसी में तुम्हें संतोष प्राप्त होगा।
- जब तुम बाजारों में, खेतों में और समुद्रों में और अंगूर के बगीचों में परिश्रम करने वाले लोग जुलाहों, कुम्हारों और मसाले इकट्ठा करने वाले से मिलो तो धरती की महान आत्मा का आह्वान करो, जिससे तुम्हारे बीच आकर मापदंड और वस्तुओं के मूल्य-निर्धारण को शुद्ध कर दे।
विवेक और लालसा–
तुम्हारी आत्मा बहुधा युद्ध का मैदान बन जाती है, जहां पर तुम्हारा विवेक और तुम्हारी बुद्धिमत्ता लालसा और क्षुधा के विरुद्ध युद्ध करते है।
निश्चित रूप से तुम एक अतिथि का सम्मान दूसरे अतिथि से अधिक नहीं करोगे, क्योंकि जो एक आदमी पर अधिक विशेष ध्यान देता है, तो वह दोनों के प्रेम और विश्वास को खो देता है। जो पहाड़ियों में तुम सफेद चिनार की ठंडी छाया में तथा खेतों और मैदानों की शांति को गंभीरता बैठते हो, तो अपने हृदय में मौन भाषा में यह कहो “ईश्वर विवेक में वास करता है।”
कष्ट-
- कष्ट एक ऐसी कड़वी दवाई है, जिसके द्वारा चिकित्सक तुम्हारे अंदर रहने वाले तुम्हारे अस्वास्थ्य अस्तित्व का उपचार करता है। अतः अपने चिकित्सक पर विश्वास करो और खामोशी के साथ शांति से उसकी दवाई को पी लो। क्योंकि उसके हाथ भारी और कठोर हैं, जो अदृश्य शक्ति के कोमल हाथ द्वारा निर्देशित होते हैं।
- और वह प्याला जिसे वह तुम्हारे लिए लाता है, हालांकि वह तुम्हारे होठों में जलन पैदा करता है, उसको उस मिट्टी से बनाया गया है, जिसको कुम्हार ने अपने पवित्र आंसुओं से सिक्त किया है।
मित्र-
जब तुम अपने मित्र से विदाई हो तो शौक मत करो क्योंकि तुम्हें उसमें जो चीज़ सबसे अधिक प्रिय है, वही उसकी अनुपस्थिति में अधिक स्पष्ट हो सकती है, जैसे पर्वतारोही को पर्वत मैदान से देखने में स्पष्ट लगता है।
समय-
- समय और ऋतु के अनुसार तुम अपने व्यवहार को निर्देशित करो और इसी के साथ अपनी आत्मा के पथ को भी निर्देशित करो। समय को तुम एक जल-स्रोत का रूप देते हो, जिसके किनारे तुम बैठ सको और उसके बहाव को देख सको।
- अगर अपने विचार अनुसार तो मौसमों में समय कुमावत हर मौसम को समय में लपेट लो और वर्तमान द्वारा अतीत को याद से और भविष्य को तृष्णा से आलिंगन करने दो।
The Powerful Word of The Prophet by Khalil Gibran and Quotes
- न तो प्रेम किसी पर अपना आधिपत्य जामाता है और न ही किसी को अपने ऊपर आधिपत्य जमाने देता है। क्योंकि प्रेम ही प्रेम के लिए पर्याप्त है।
- एक दूसरे से प्रेम करों, प्रेम को बंधन न बनाओ।
- तुम्हारी संतान अपनी संतान नहीं है। वे तो परम जीव द्वारा अपने लिए की गई कामना के पुत्र एवं पुत्री हैं।
- जब मांगा जाए और उस समय मांगने वाले को दे दिया जाए, तो यह बड़ा अच्छा कर्म है, लेकिन श्रेष्ठ कर्म तो वह है, जब बिना मांगे दिया जाए ।
- रोककर रखी हुई चीज़ नष्ट ही होती है।
- कार्य एक अभिलाषा है और परिश्रम एक दुर्भाग्य। कार्य करते हुए जीवन से प्रेम करना जीवन के गहरे रहस्यों के साथ आत्मीयता बनाना है।
- प्रेम का ज़ाहिर होना ही कार्य है।
- तुम्हारा घर ही तुम्हारा विस्तारित शरीर है।
- हकीकत में सुख की इच्छा आत्मा के उत्साह की हत्या कर देती है और शवयात्रा में मुस्कुराकर चल देती है।
- तुम उन मकबरों में नहीं रहोगे, जिन्हे मृतकों ने जीवितों के लिए बनाया है।
- यह मत भूलों कि मैली आँखों से बचने के लिए एक ढाल की तरह है।
- यह मत भूलो कि धरती तुम्हारे नंगे पावों का स्पर्श पाकर प्रसन्न हो उठती है और तुम्हारे बालों से खेलने की इच्छा रखती है।
- धरती की महान आत्मा हवा पर तब तक शांतिपूर्वक न सो सकेगी, जब तक कि तुममे से प्रत्येक की संतुष्टि न हो जाए।
- पुण्यात्मा भी दुष्टातमा द्वारा किये गए कर्मों से मुक्त नहीं है।
- तुम्हारा विवेक एवं तुम्हारी लालसा समुन्द्र में यात्रा करती हुई आत्मा के पतवार और पाल हैं।
- विवेक अकेले राज करते हुए एक सीमित शक्ति का प्रदशन है और लालसा एक अनियंत्रित ज्वाला है, जो स्वयं को भी जलाकर नष्ट कर लेती है।
- खगोलशास्त्री अपने अंतरिक्ष-संबंधी ज्ञान के बारे में तुमसे बात कर सकता है, लेकिन वह अपना ज्ञान तुम्हें नहीं दे सकता।
- एक आदमी अपनी दूरदर्शिता किसी दूसरे आदमी को नहीं दे सकता।
- तुम्हारा मित्र ही तुम्हारी आवश्यकताओं की पूर्ति है।
- बीता हुआ कल केवल आज की याद है और आने वाला कल आज का स्वप्न।
- निश्चित रूप से फल जड़ से नहीं कह सकता है, “मेरी तरह बनो-परिपक्व, परिपूर्ण और अपना सब कुछ देने वाला।”
- जब तुम अपनी बातचीत करने के अंदाज में जागरूक हो, तो तुम अच्छे हो।
- कभी-कभी व्यर्थ की बातें कमजोर जुबान को मजबूत भी बना सकती हैं।
- ईश्वर तुम्हारे शब्दों को तब तक नहीं सुनता, जब तक ‘वह’ स्वयं ही तुम्हारे होठों के माध्यम से उन शब्दों को नहीं बोलता है।
- सुंदर एक जीवन है, जबकि जीवन अपने पवित्र चेहरे से घुंघट हटा लेता है।
- सौंदर्य, दर्पण में अपने आप को एकटक देखते रहने वाली अमरता है।
- जो आदमी नैतिकता को अपने सर्वश्रेष्ठ कपड़े समझकर धारण करता है, उनका नग्न रूप में रहना ही ठीक है।
- एक उल्लू जिसकी आंखें दिन के बजाय केवल रात में ही देख पाती हैं, वह प्रकाश का रहस्य को नहीं जान सकता।
- आदमी की जरूरते बदलती हैं, लेकिन उसके प्रेम नहीं और न ही उसकी इच्छा कि उसका प्रेम उसकी जरूरतों की संतुष्टि करें।
- यह वही जीवन है, जो शरीर में जीवन की खोज करता है लेकिन कब्र से डरता है।
- तुम्हारे अंदर जो चीज कमजोर और घबराई हुई दिखाई दे, तो समझो कि वही शक्तिशाली और मजबूत है।
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लेखक के बारे में
इस डाटा को फिंगरप्रिंट द्वारा पब्लिश की गई किताब देवदूत से ही लिया गया है।
6 जनवरी, 1883 को लेबनान के बिशारी गांव में खलील जिब्रान का जन्म हुआ था। जब वह 12 वर्ष के थे, तो गरीबी के चलते हुए अपने परिवार के साथ 1895 में अमेरिका चले गए थे। एक लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि और लेखक युवा खलील ने बड़ी सरलता से अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बना ली। उन्होंने कुछ समय पेरिस में रहते हुए अध्ययन किया और फिर वापस न्यू यार्क आ गए।
अपनी छोटी सी आयु में ही खलील जिब्रान ने अरबी भाषा में लिखना शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बनाने के बाद उन्होंने अंग्रेजी में भी लिखना शुरू कर दिया। और इस तरह आज के समय में खलील जिब्रान को लगभग 25 पुस्तकें लिखने का जाता है।
खलील जिब्रान मुख्य रूप से 1923 में लिखी गई अपनी पुस्तक “दि प्रोफेट” के लिए जाने जाते हैं, जिसकी केवल अंग्रेजी भाषा में ही बीस लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी है। इस पुस्तक को अब तक लिखी गई सभी अध्यात्म पुस्तकों में विश्व स्तर पर सबसे अधिक सराहा गया है। लाओ त्शू और शेक्सपियर के बाद खलील जिब्रान को विश्व भर में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले कवि-लेखक के रूप में जाने जाते हैं।
जब खलील जिब्रान केवल 48 वर्ष के थे, तब 1931 में लिवर की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को लेबनान वापस भेज दिया गया और वही उनका अंतिम संस्कार किया गया।
FAQ
Q: क्या देवदूत एक अच्छी किताब है? Ans: यह जिब्रान का सबसे प्रसिद्ध किताब है। पैगंबर का 100 से अधिक विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जो इसे इतिहास में सबसे अधिक अनुवादित पुस्तकों में से एक बनाता है, साथ ही साथ अब तक की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक है।
Q: इस किताब की माध्यम से खलील जिब्रान हमे क्या संदेश देना चाहते हैं?
Ans: किताब बताती है कि हमें दुनिया में आने के अनुभव से खुश होना चाहिए, भले ही यह दर्द से भरा हुआ लगे, क्योंकि मृत्यु के बाद हम देखेंगे कि जीवन का एक पैटर्न और एक उद्देश्य था, और जो अब हमें 'अच्छा' लगता है ' और 'बुरा' को बिना निर्णय के हमारी आत्माओं के लिए अच्छा माना जाएगा।
Q: देवदूत का मुख्य विषय क्या है?
Ans: परस्पर जुड़ाव। कुल मिलाकर, देवदूत मानवता की परस्पर प्रकृति पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। धर्म से परे, पुस्तक यह मानती है कि किसी के बच्चे अपने नहीं हैं, बल्कि “जीवन की स्वयं की लालसा” से संबंधित हैं। मनुष्य स्वयं हैं लेकिन स्वयं से परे भी बहुत मूल्यवान हैं
Q: इस किताब में देवदूत की भूमिका क्या है?
Ans: देवदूत सच्चाई सिखाता है और परमेश्वर के वचन की व्याख्या करता है। वह अधर्मियों को पश्चाताप के लिए बुलाता है। वह हमारे लाभ के लिए प्रभु से रहस्योद्घाटन और निर्देश प्राप्त करता है। वह भविष्य में देख सकता है और आने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी कर सकता है ताकि दुनिया को चेतावनी दी जा सके।
Q: देवदूत के लेखक कौन हैं?
Ans: जिब्रान खलील जिब्रान, जिसे आमतौर पर अंग्रेजी में खलील जिब्रान के रूप में संदर्भित किया जाता है, एक लेबनानी-अमेरिकी लेखक, कवि और दृश्य कलाकार थे, जिन्हें एक दार्शनिक भी माना जाता था, हालांकि उन्होंने खुद शीर्षक को अस्वीकार कर दिया था।
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