इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे कनाडियन लेखक रॉबिन शर्मा द्वारा लिखित The monk who sold his Ferrari की book review के साथ-साथ summary in hindi और Quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
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The monk who sold his Ferrari: Book Review
सन्यासी! जिसने अपनी संपत्ति बेंच दी। भारतीय मूल के कनाडियन लेखक द्वारा लिखित “the monk who sold his Ferrari” का हिन्दी अनुवाद है। इस किताब को रॉबिन शर्मा ने अपनी आत्म संतुष्टि प्राप्त करने के बाद 1997 में इस किताब का अवलोकन किया और यह इतनी लोकप्रिय हुई कि आज आपके सामने मोजूद है।
अगर बात करें इस किताब के बारे में तो इसके टाइटल से पता चल जाता है कि इस किताब का मुख्य उद्देश्य क्या है और यह किस विषय पर आधारित है। यह किताब आपको भौतिकता के मार्ग से हटा कर आध्यात्मिकता की ओर ले जाने में सहायता करेगी। हालांकि लेखक का यह भी कहना है कि जरूरी नहीं है कि आप भी अपनी समपत्ति बेंच कर ही ऐसा करें।
लेकिन फिर भी अपने आप को काबू में करते हुए, ज्यादा लोकाचार का पालन न करते हुए अपने को समाज से थोड़ा दूर करते हुए अपने मन को एक शांत की राह पर ला सकते हैं। जो आपको इस भौतिक समाज में मिलने से रहा है।
इस किताब के दो प्रमुख पात्र जूलियन और जॉन के बीच हो रहे बात-चित को पढ़ते वक्त ऐसा लगा जैसे मैं उनके बीच मौजूद हूँ, और सबसे अच्छी बात ये कि उन्हे नहीं मालूम कि मैं भी हूँ। जिस तरह जॉन अपने दोस्त जूलियन से प्रभावित होकर उसकी बातों को चुपचाप सुनता जाता है आप भी ऐसा महसूस करेंगे।
किताब यह भी साबित करती है कि अगर आपको आध्यात्मिकता के तरफ कदम बढ़ाना है तो सबसे शानदार मार्ग पूरब का होगा, चाहे फिर वो भारत का हो या चाइना का हो या जापान का। रॉबिन के इस किताब में आपको अपने सपनों को पूरा करने और भाग्य का निर्माण करने की कथा का भी वर्णन है।
रॉबिन की यह किताब ज्ञान, जो आपके जीवन को उत्साह , उद्देशय और शांति प्रदान करने में सफल रहा है।
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The monk who sold his Ferrari: Summary in hindi
यहा कहानी जूलियन मेन्टले की है, जो पेशे से एक समृद्ध वकील है। जिसके पास अथाह धन-समपत्ति है। जो वकालत करने अपने फ़रारी में आता है। जिसकी फीस बहुत है। वह अपने मुवक्किल से बहुत पैसा चार्ज करता है। मेन्टले के बैंक अकाउंट में 300 मिलियन डॉलर पड़ी हुई है। लेकिन फिर भी उसके मन में शांति नहीं है। वह हमेशा हतास और निराश रहता है।
मेन्टले का बच्चा एक एक्सीडेंट में मारा जा चुका है और वह कुछ नहीं कर सकता। उसकी पत्नी भी उसे छोड़ कर जा चुकि है। इसी दौरान मेन्टले की मुलाकात जॉन से होती है। जो उसका असिस्टेंट बनता है। शहर का नामि-ग्रामी वकील होने के नाते जॉन उसका बहुत आदर करता है। हालांकि कुछ समय बिताने के बाद वह उसका एक अच्छा दोस्त भी बन जाता है।
एक दिन मेन्टले अपनी एक केश के सिलसिले में जॉन के साथ कोर्ट में अपनी मुवक्किल के प्रति बहस कर रहा होता है कि उसे हार्ट अटैक आ जाता है। जॉन और आस-पास के लोग उसकी मदद करते हैं और वह कुछ देर बाद पुनः अपनी साधारण अवस्था में लौट आता है। इसके पहले उसने डॉक्टर से अपने को दिखाया होता है, जिसमें डॉक्टर अपने इस पेशे को छोड़ने की सलाह देता है लेकिन मेन्टले अपने आप को व्यस्त रखने के लिए और भी ज्यादा समय व्यतीत करने लगता है।
कोर्ट में हुए इस घटना ने जूलियन के ऊपर अपना गहरा प्रभाव डाला और नतीजा ये हुआ कि वह अपना सारा कारोबार छोड़कर, अपनी सारी संपत्ति के साथ-साथ उसने अपनी फ़रारी को भी बेच भारत की ओर कूच कर गया।
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जूलियन जब तक लौटा जॉन एक अच्छा वकील बन चुका चुका था। जूलियन को जॉन पहचान ही नहीं सका। क्योंकि जूलियन अब पहले जैसा नहीं था। वह बदल चुका था। उसके माथे पर एक तेज थी। चेहरे पर मुस्कान थी। और उसका शरीर एक ऊर्जा से ओत-प्रोत लग रहा था। जॉन बिल्कुल आश्चर्य हुआ। ऐसा कैसे हुआ।
चुकि जूलियन उसका दोस्त था, उसने उसे अपने घर पर बुलावा दिया और जब दोनों उस रात मिले तो जूलियन ने अपने इस बदलाव के बारे में बताना आरंभ किया। जो की उसका लक्ष्य भी था। और जॉन उससे और उसकी हर एक बातों से बहुत प्रभावित था।
जूलियन बताता है कि भारत भूमि की प्राचीन संस्कृति और रहस्यपूर्ण परंपराओं ने मुझे सदा से ही अपनी ओर आकर्षित किया था। मैने छोटे-छोटे गांवों की यात्रा की- कभी पैदल तो कभी रेल से। मैने वहाँ के नए रीति-रिवाज सीखे, अनन्य प्राकृतिक दृश्य देखे तथा भारतीय स्नेहपूर्ण थे।
भारत के मंत्रमुग्ध कर देने वाले वातावरण में ज्यों-ज्यों दिन सप्ताहों में परिवर्तन होते गए, मैने धीरे-धीरे अपने-आपको जीवंत और सम्पूर्ण अनुभव किया जैसा कि मैं बचपन में था। जीवन के प्रति उत्साह और ऊर्जा के साथ-साथ मेरी स्वाभाविक उत्सुकता और क्रियाशीलता क्षमता धीरे-धीरे लोटने लगी। मैं अपने-आपको अधिक आनंदपूर्ण और शांत अनुभव करने लगा और फिर से हसने लगा।
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सात महीने पूरे भारतवर्ष में घूमने के बाद जब मैं कश्मीर के एक गांव में पहुंचा तो मेरी मुलाकात योगी कृष्णन से हुई, जो दिल्ली के एक जाने-माने वकील थे। लेकिन उन्होंने उस भौतिक संपदा को छोड़ आध्यात्मिकता को अपनाया और इस इस गांव के मंदिर में अपनी सेवा दे रहे हैं।
कृष्णन ने ही मुझे सिवाना में निवास करने वाले सन्यासियों के बार में बताया। जिसका मतलब है उच्च ज्ञान प्राप्त करने का स्थान। मैने उनके बताए मार्गों पर सात दिनों तक हिमालय की पहाड़ियों अकेले चढ़ते हुए पास में रखे हुए थोड़ा-बहुत कुछ खा-पीकर बिताए थे। और अंततः मेरी मुलाकात भगवा रंग का चोला पहने सिवाना के एक संत रमन से हुई।
जब मैने उनको अपनी व्यथा सुनाई तो उन्होंने मेरा स्वागत किया और अपने यहाँ रहने का प्रस्ताव भी दिया। मैने वहाँ के हर एक संत को देखा जिसमें महिलायें और युवा यू कहें तो सब युवा ही थे। जिसकी उम्र लगभग 100 वर्ष या उससे अधिक की रही होंगी लेकिन उनमें ऊर्जा का भंडार था।
वहाँ वातावरण इतना स्वच्छ की ऐसा लगता था कि मानो मैं जीतेजी स्वर्ग में आ गया हूँ। चारों तरफ फूलों के बाग और ऊंचे पहाड़ी से गिरता झरना मन को मोह लेने वाला था। चारों तरफ एक असीमित शांति फैली हुई थी। वहाँ सबने मेरा स्वागत किया और मुझे अपना सारा ज्ञान अर्जित किया। ताकि मैं अपने शहर लौट कर और भी लोगों से इस ज्ञान को बाँट सकूँ। जिसके लिए मैं आज यहाँ तुम्हारे पास आया हूँ।
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आज की रात जो भी मैं ज्ञान तुमको दूंगा, उम्मीद करूंगा कि उससे तुम्हारे जीवन में भी बदलाव आएंगे और तुम इस ज्ञान को और भी लोगों से साझा करोगे।
जॉन चुपचाप बैठकर जूलियन की बातों को सुनता रहा। और उसके बातों के अनुसार मन में सवालों के भाव को पैदा करते हुए जूलियन से उसका जवाब माँगता रहा। और जूलियन उसके सारे सवालों का जवाब बहुत ही आराम से देता गया।जूलियन से जॉन से कहा कि
- अपने मन पर अधिकार करो।
- अपने उद्देश्यों को पूरा करो।
- कैजेन का अभ्यास करो।
- अनुशासित रहना सिखों।
- अपने समय की कद्र करो।
- निस्वार्थ भावना से दूसरों की सेवा करो
- वर्तमान को गले लगाओ
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
- अपने मन और शरीर को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करो। अपनी आत्मा को बलवान बनाओ। जिन कामों से तुम डरते हो उनको करो । असीम ऊर्जा और अनंत उत्साह के साथ जीना प्रारंभ करो। सूर्य को उगते हुए देखो। बरसात में नृत्य करो। ऐसा व्यक्ति बनो जैसा बनने का तुम स्वप्न देखते हो।
- वही काम करो, जो तुम हमेशा करना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश कर नहीं पाए, और तुमने चालाकी से यह विश्वास कर लिया कि अबही तुम बहुत छोटे हो या बहुत बड़े हो। बहुत अमीर हो या बहुत गरीब हो। उड़ान भरनेवाला पूर्णतया जीवंत जीवन जिने की तैयारी करो। पूर्व के लोगों का कहना है कि भाग्य मानसिक रूप से तैयार व्यक्ति पर कृपया करता है।
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तुम वही हो, जो कुछ तुम दिन-भर सोचते रहे हो। तुम वही हो, जो कुछ अपने-आप से दिन भर कहते रहे हो। यदि तुम यह कहते हो कि तुम वृद्ध हो, थक गए हो, यह मंत्र तुम्हारे बाहरी अस्तित्व में यथार्थ के रूप में दिखाई देने लगेगा। यदि तुम यह कहते हो कि तुम कमजोर हो और तुममे उत्साह की कमी है, तुम्हारी दुनिया इसी प्रकृति की हो जाएगी।
लेकिन यदि तुम यह कहते हो कि तुम स्वस्थ हो, और पूरी तरह जीवंत हो, तुम्हारा जीवन परिवर्तित हो जाएगा। तुम देखते हो, जो शब्द तुम अपने-आप से कहते हो तुम्हारी आत्मछवि को प्रभावित करते हैं, जो तुम्हारे द्वारा कीए जाने वाले कामों का निर्णय लेती है।
उदाहरण के लिए, तुम्हारी आत्मछवि ऐसे व्यक्ति की है जिसमें किसी भी महत्वपूर्ण काम को करने के लिए आत्मविश्वास की कमी है, तुम वही कदम उठा पाओगे, जो इस विशेषता के विरोधी है।
इसके विपरीत यदि तुम्हारी आत्मछवि एक स्वस्थ व्यक्ति की है जो भयरहित है, फिर तुम्हारे सारे कार्य इस गुण के अनुकूल ही होंगे। तुम्हारी आत्मछवि सब तरह की भविष्यवाणियों को स्वयमपूर्ण करती है।
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पात्रों का चरित्र-चित्रण-
जूलियन- जूलियन शहर का अमीर वकील है। जो अपने मुवक्किलों से एक मोटी रकम लेता है। उसके पास भोग-विलास की सारी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन उसके मन में शांति नहीं है। वह बेचैन है। वह खुद से लड़ता है और हर बार उसकी हर होती है, तब वह पूर्व की तरफ आकर्षित होता है और ज्ञान प्राप्त कर दूसरे को बाटने के मार्ग पर अग्रसर होता है।
The monk who sold his Ferrari: Quotes
वर्तमान में जो कुछ भी है उसे दे देने में ही भविष्य के प्रति वास्तविक उदारता है।
The monk who sold his Ferrari
हर घटना के पीछे कोई-न-कोई कारण होता है।
The monk who sold his Ferrari
प्रत्येक घटना का कोई मतलब होता है और प्रत्येक असफलता के शिक्षाप्रद होती है।
The monk who sold his Ferrari
प्रत्येक असफलता चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक अथवा आद्यातमिक स्तर की, व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होती है।
The monk who sold his Ferrari
कभी भी अपने अतीत पर पश्चाताप न करो। बल्कि इसको गले लगाओ क्योंकि यह तुम्हारा शिक्षक है।
The monk who sold his Ferrari
बाहरी सफलता तभी मायने रखती है जब आपके अंतर में भी सफलता हो।
The monk who sold his Ferrari
अपने ऊपर समय लगाना सबसे अच्छा निवेश होगा।
The monk who sold his Ferrari
कभी भी सादगी की शक्ति को नजरंदाज मत करो।
The monk who sold his Ferrari
तुम्हारी दृष्टि तभी स्पष्ट होंगी जब तुम अपने हृदय में झाँककर देख सकोगे।
The monk who sold his Ferrari
जो बाहर की तरफ देखता है, वह स्वपन देखता है, जो अंदर की ओर देखता है, वह जाग जाता है।
The monk who sold his Ferrari
चिंता दिमाग की अधिकांश शक्ति का हरण कर लेती है और जल्दी या देर से यह आत्मा को भी क्षति पहुंचाती है।
The monk who sold his Ferrari
FAQ
Q दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी का लेखक कौन है?
कनाडियन लेखक रॉबिन शर्मा दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी के लेखक हैं।
Q दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी कब प्रकाशित हुआ था?
दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी को 1997 में पहली बार प्रकाशित किया गया था। जो आज लगभग 15 मिलियन से ज्यादा की बिक चुकि है जिसके वजह से इसने इंटेरनेशनल बेस्ट सेलिंग खिताब भी हासिल किया है।
Q दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
ज्ञान, जो आपके जीवन को उत्साह, उद्देश्य और शांति प्रदान करेगा।
Q दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी का सारांश क्या है?
मेन्टले जो वकालत के पेशे से जुड़े हुए थे और अपनी असंतुलित जीवन-शैली से पूरी तरह हताश थे। वह अपने पेशे, धन-समपत्ति सभी को त्यागकर हिमालय की चोटियों में गए और वहाँ सिवाना के संतों से उन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ उसी का निचोड़ यह पुस्तक हमें बताती है कि
आनंदपूर्वक विचारों का विकास करें।
जीवन की आवश्यकताओं और उद्देश्यों को अनुसरण करें।
आत्मानुशासन को परिष्कृत करें और साहसपूर्ण ढंग से कार्य करें।
समय की उपयोगिता को समझें।
अपने रिश्तों को पोषण दें और हर समय परिपूर्णतया से जियें।
Q दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी किसे पढ़ना चाहिए?
अगर आपके अंदर उत्साह की कमी है, कुछ समझ में नहीं आआ रहा है, किसी के मार्गदर्शन की जरूरत है, पर संकोचवश किसी से कह नहीं सकते, आपकी जीवन-शैली ठीक नहीं है। सब कुछ असत-व्यस्त है तो दि मंक हू सोल्ड हीज फ़रारी आपका मार्गदर्शन करेगी और सच्ची राह दिखाने का काम करेगी।
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