the merchant of venice

The Merchant of Venice: Book Review, Summary in Hindi, Quotes, PDF download

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक बेहतरीन नाटक The Merchant of Venice की book review और summary in hindi के साथ-साथ Quotes और pdf download को साझा करेंगे।

The Merchant of Venice: Book Review

विलियम शेक्सपियर की पिछले चार नाटकों को पढ़ने के बाद एक सुखद अंत वाली नाटक से पर्दा उठा है, जिसका नाम “वेनिस नगर का व्यापारी” है। ऐसा माना जाता है कि जिस भी कहानी या नाटक में निगेटिव किरदार जितना  दमदार होता है, वह कहानी या नाटक उतने ही शानदार होते हैं। वेनिस नगर का व्यापारी ऐसा ही एक दमदार पात्र है। जो इस नाटक का पिलर साबित हुआ है, जिसे मात देने के लिए इससे भी शानदार पात्र पोर्शिया है।

इस नाटक में आपका साक्षात्कार एक सच्चा मित्र, सच्ची प्रेमिका, सच्चा राजा और एक सच्चे व्यापारी से होंगा,  जो इस नाटक को बहुत ही शानदार बनाते हैं। जिसे आप एक बार में पढ़ना पसंद करेंगे। बल्कि ये सभी पात्र आपके चारों तरफ अपनी अदायगी को प्रस्तुत करते नजर आएंगे। जो इस नाटक को बहुत ही रोचक बनाता है।

मैंने इस नाटक को क्लास 9th में The Merchant of Venice के नाम से पढ़ा था लेकिन उस समय उतना कुछ मजेदार नहीं लगा, जितना कि आज। विलियम शेक्सपियर कि पिछली सभी नाटकों में मुझे एक चीज़ समान लगी। और वो है- शानदार चतुराई, खतरनाक छल-कपट, प्यार में अपने को कुर्बान कर देने वाले प्रेमी और न्याय।

इस नाटक में एक अलग चीज़ देखने को मिली और वो है, दया। जो इस नाटक का मूलभूत आधार भी है। शेक्सपियर की नाटकों में सबसे खास बात यह है कि कोई भी नाटक एक-दूसरे से कभी भी मेल नहीं खाते और मानव मन के सभी भाव रस को समायोजित कर देते हैं।

हिन्दी भाषियों के लिए इस बेहतरीन नाटक को मैपल प्रेस लिमिटेड ने प्रकाशित किया है।

मुझे इस नाटक को पढ़ने में बहुत ही मजेदार लगे, उम्मीद है आपको भी लगेंगे। आप मुझे कमेंट कर अपनी राय साझा कर सकते हैं।

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The Merchant of Venice: Summary in Hindi

इटली देश के वेनिस शहर में एक शाईलौक नाम का एक यहूदी व्यापारी रहता था। जो अन्य छोटे-छोटे व्यापारियों को ब्याज पर पैसे दिया करता था। जिसके वजस से वह वेनिस शहर का सनसे बड़ा धनवान व्यक्ति बन गया। शाईलौक अपने कर्जदाताओं के साथ बड़ी सख्ती बरतता था। जिसके वजह से वह शहर वासियों के बीच एक निर्दयी और क्रूर इंसान साबित हो चुका था।

उसी शहर में एक अंटोनियों नाम का भी एक भद्र पुरुष था, जो व्यापारियों को जरूरत पड़ने पर पैसा देता तो था लेकिन उनसे कभी ब्याज नहीं लेता था, और किसी-किसी से तो वह अपना सूद भी नहीं वसूलता था। जिसके वजह से लोग उसे एक सम्मान की नजर से देखते थे। अंटोनियों भी दूसरों की भांति जब भी शाईलौक से उसका आमना-सामना होता, गाली-गलौच किया करता था।

शाईलौक के मन में उससे बदला लेने की इच्छा तो होती थी, लेकिन वह कभी व्यक्त नहीं करता था और चुपचाप अपने काम में लग जाता था। अंटोनियों का एक मित्र था। जिसका नाम बिसानियों था। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्रेम और सदभाव से रहते थे। हालांकि बिसानियों एक निम्न स्तर का आदमी था, जिसके पास सिर्फ और सिर्फ जीवन यापन के लिए ही पैसे थे।  

एक रोज बिसानियों ने अपने दिल की बात बताते हुए अंटोनियों से कहता है कि वह एक सुंदरी से प्रेम करता है, जिसके पिता की मृत्यु हो गई है और वह अपने बेटी के लिए बहुत से धन छोड़ गया है, अगर मैं उससे विवाह कर लूँ तो निश्चित ही मेरी गरीबी दूर हो जाएगी।

उसके पिता के जीवित रहते मैं उससे कई बार मिला हूँ, जिसका मुझे अंदाजा है कि अगर मैं उससे शादी का प्रस्ताव रखू तो वह मना नहीं करेगी, लेकिन मुझे उसके पास जाने के लिए 3000 रुपये की जरूरत है।

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इतना सुनने के बाद अंटोनियों तो खुश होता है लेकिन वह अपना दुख व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरे पास पैसे तो नहीं हैं लेकिन मैं तुम्हें दिलवा सकता हूँ। जिसके बाद दोनों शाईलौक के पास पहुचते हैं और अंटोनियों शाईलौक से पैसे की मांग करता है, जिसके बदले अंटोनियों कुछ भी ब्याज देने को तैयार होता है।

ऐसा मौका देख कर शाईलौक के मन में अपना बदला लेने की सोचता है और अपने छल-कपट से अंटोनियों से एक कागज पर साइन करा लेता है कि वह पैसे तो दे रहा है बदले में उससे ब्याज भी नहीं लेगा, लेकिन तय समय के अंदर यदि पैसा नहीं लिया तो वह उसके शरीर के किसी भी जगह से आधा किलो मांस ले सकता है।

यह प्रस्ताव अंटोनियों को ठीक लगता है लेकिन बिसानियों को यह प्रस्ताव कुछ जचती नहीं है। वह अंटोनियों को समझाने की कोशिश करता है लेकिन अंटोनियों उसके बात को दरकिनार करते हुए कहता है कि अभी कुछ दिनों में उसका मालवाहक जहाज तट को आने वाला है, वह उसके बदले कितना भी ब्याज दे सकता है। इसकी कभी नौबत ही नहीं आएगी।

बिसानियों पैसा लेकर अपने प्रेमिका के राज्य को शादी का प्रस्ताव लिए चला जाता है। जो वेनिस शहर के पास ही बेलमांट नाम की स्थान पर रहती है और उसका नाम पोर्शिया है। पोर्शिया के अंदर सुंदरता और बुद्धि का भंडार थी। जब बिसानियों उसके पास पहुंचा तो वह बहुत खुश हुई। वह बिसानियों के मन की बात जानकर अति प्रसन्न हुई लेकिन उसने अपने पिता द्वारा एक प्रस्ताव रखा ।

पोर्शिया ने तीन सन्दुक सामने रखे। एक सोने का था, दूसरा चांदी का और तीसरा सीसे का था। इन तीनों सन्दुक में से किसी एक के अंदर पोर्शिया का चित्र था। पोर्शिया से शादी करने वाला अगर इन तीन संदूकों में किसी एक को खोलता है और उसमें से पोर्शिया की चित्र निकलती है तो वह उससे शादी कर सकती है।  

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पोर्शिया की सुंदरता और धन की चर्चा चारों तरफ थी, जिसे सुनकर उससे शादी करने के लिए दो और राज्य से राजा ने प्रस्थान किया था। पोर्शिया ने सबका स्वागत किया लेकिन उनके सामने सन्दुक रखने से पहले वह डरती थी, क्योंकि उसका मन पहले ही बिसानियों में लग चुका था। भगवान ने उसके मन की बात रखी और उन दोनों राजाओं को खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि एक ने सोने का तो दूसरे ने चांदी के सन्दुक खोले थे। जिनमें उसका चित्र नहीं था।

अंत में जब बिसानियों की बारी आई तो उसके पोर्शिया के मनोभाव को पढ़ते हुए अपने सच्चे प्यार को प्रदर्शिता किया और सही सन्दुक यानि कि सीसे वाली सन्दुक को खोलते हुए पोर्शिया की चित्र को बाहर निकाल दिया। जिसके बाद दोनों ने खुशी-खुशी शादी कर ली और पोर्शियों ने सबसे कीमती अंगूठी को बिसानियों के अंगुली में डाल दिया। अभी कुछ ही दिन हुए थे कि बिसानियों के नाम की एक पत्र ने दस्तक दी। जिसने पढ़ने के बाद बिसानियों दुखी हो गया।

शाईलौक को पैसे देने के दिन बिट चुके थे। अंटोनियों का मालवाहक जहाज डूब चुका था। पोर्शिया के पूछने पर उसने पत्र की बात को बताते हुए अंटोनियों की बात को व्यक्त किया, जिसे सुनने के बाद पोर्शिया ने बिसानियों को ब्याज के 10 गुना पैसा देकर भेज दिया लेकिन बात राज्य के कोर्ट तक पहुँच चुकि थी। और शाईलौक पैसे लेने के बजाय उसके दिल से आधा किलो मांस की मांग करने लगा।

बात इतनी हद तक पहुँच गई कि अंटोनियों को बचाने के लिए बिसानियों को वकील रखना पड़ा। वकील ने शाईलौक से अंटोनियों के लिए दया की याचना की। और सूद के पैसे के बदले 10 गुना पैसे देने का प्रस्ताक रखा लेकिन शाईलौक के मन में दुष्ट सवार था, उसके किसी की भी एक न सुनी और बार-बार सभा के सामने अपना ही प्रस्ताव रखता रहा।

वकील को लगा कि अब ऐसे नहीं मानेगा तो उसने शाईलौक के प्रस्ताव को स्वीकार किया। लेकिन उससे पहले उसने एक प्रस्ताव रखी कि तुमने अपने प्रस्ताव के अनुसार शरीर से सिर्फ और सिर्फ आधा किलो मांस की मांग की है। तो सिर्फ मांस ही मिलेगा अगर एक बूंद भी खून बाहर निकला तो तुम्हारी सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और तुम्हें एक इंसान की हत्या के बदले फांसी की सजा भी दी जाएगी।

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यह प्रस्ताव सुनने के बाद तो शाईलौक के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई। उसका माथा चकरा गया। क्योंकि वह ऐसा करने में असमर्थ था। फिर उसने पैसे ही लेने की मांग की। लेकिन अंटोनियों के वकील ने अपनी चपलता  दिखाते हुए शाईलौक के मांग को ही तवज्जो दिया, जिसका नतीजा ये हुआ कि शाईलौक को कुछ भी नहीं मिला और उलटे उसकी सारी संपत्ति भी जब्त कर ली गई लेकिन राजा और अंटोनियों ने उसके ऊपर दया दिखाते हुए उसकी समपत्ति को वापस कर दिया और ईसाई बनने का प्रस्ताव रखा। जिसे शाईलौक खुशी मन से स्वीकार कर लेता है।

केस जितने के बदले वकील बिसानियों से उसकी सबसे प्रिय अंगूठी की मांग करता है लेकिन बिसानियों देने से मना कर देता है। फिर अंटोनियों के कहने पर वह बेझिझक निकाल कर दे देता है।

जब दोनों पोर्शिया के पास पहुंचते हैं तो पोर्शिया अंटोनियों से मिलकर खुश होती है लेकिन उसकी खुशी पल भर में ही खत्म हो जाती है, जब उसकी नजर बिसानियों के खाली अंगुली पर पड़ती है। बिसानियों पोर्शिया से सारी बात को साझा करता है। जिसके बाद पोर्शिया उसे दूसरा अंगूठी देती है। उस अंगूठी को देखने के बाद बिसानियों और अंटोनियों एकदम चौक जाते है।

उसके बाद पोर्शिया यह बताती है कि वही वह वकील थी, जिसने अंटोनियों को बचाया है। उसके बाद सब खुश हो जाते हैं।

कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-

पोर्शिया- दया बहुत बड़ा गुण है। यह स्वर्ग से मृत्युलोक में अमृतवर्षा की तरह बरसाती है। इससे दोनों को खुख होता है। अर्थात जो दया करता है और जिस पर दया की जाती है, दोनों ही दया से आनंद पातें हैं। दया सब शक्तियों से मजबूत हैं। राजाओं में यह गुण उनके राज-मुकुट से भी अधिक शोभा देता है।

मुकुट केवल भौतिक स्वामित्व को प्रकट करता है, परंतु दया मुकुट से भी ऊपर है, क्योंकि दया राजाओं के दिल में बसती है। दया ईश्वर का गुण है, और इसलिए हमारे भौतिक राजाओं में जितनी अधिक दया होती है, उतने ही वे सहवर के समान होते हैं।

इसलिए ही यहूदी, तुम न्याय चाहते हो सही, परंतु केवल न्याय से हम मोक्ष नहीं पा सकते, जब तक कि ईश्वर हम पर दया नहीं करे। हम ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं, इसलिए हमको भी दूसरों पर दया करनी चाहिए। यह इसलिए कह रहा हूँ, ताकि शायद तुम्हें भी कुछ दया आआ जाए। क्योंकि यदि तुम न्याय ही चाहोगे तो वेनिस राज्य के नियम के अनुसार इस व्यापारी को दंड मिलेगा।  

पात्रों का चरित्र-चित्रण-

अंटोनियों-

अंटोनियों वेनिस नगर का एक सभ्य व भद्र पुरुष था। जो अन्य छोटे-छोटे जरूरत मंद व्यापारियों को पैसा दिया करता था और बदलें में उनसे ब्याज भी नहीं लेता था। जिसके वजह से वेनिस नगर के लोग उसकी प्रसंसा और सम्मान करते थे। अंटोनियों का स्वभाव बहुत दयालु था। वह किसी की भी मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहता था।   

शाईलौक-

शाईलौक वेनिस नगर का एक धूर्त व्यापारी था। जो व्यापारियों को ब्याज पर पैसे दिया करता था। जिसके अंदर दया नाम की कोई चीज नहीं थी। वह अपने पैसे किसी भी कीमत पर, बिल्कुल समय पर वसूलना जानता था। वह नीच और दुष्ट प्रकृति का इंसान था। शाईलौक अपने छल-कपट से अंटोनियों को मारने की कोशिश करता है लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।  

पोर्शिया-

पोर्शिया वेनिस नगर के पास ही बेलमांट नाम की स्थान पर रहती थी। वह जितनी ही धनवान थी, उतनी ही खूबसूरत भी और चालाक भी। उसकी चालाकी और सूझ-बुझ से ही शाईलौक की धूर्त चाल से अंटोनियों की जान बचाई जा सकी। वह सहानुभूति प्रकट करना जानती है।  

The Merchant of Venice: Quotes

किसी नायिका के पास नायक बनकर जाना कोई साधारण बात नहीं है।

The Merchant of Venice

सच है, दुनिया बाहरी चटक-मटक पर मोहित हो जाती है और वास्तविक तत्व की परवाह नहीं करती।

The Merchant of Venice

दया बहुत बड़ा गुण है।

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जो दया करता है और जिस पर दया की जाती है, दोनों ही दया से आनंद पाते हैं।

The Merchant of Venice

दया सब शक्तियों से मजबूत है।

The Merchant of Venice

मुकुट केवल भौतिक स्वामित्व को प्रकट करता है, परंतु दया मुकुट से भी ऊपर है।

The Merchant of Venice

दया ईश्वर का गुण है, और इसलिए हमारे भौतिक राजाओं में जितनी अधिक दया होती है, उतने ही वे ईश्वर के समान होते हैं।

The Merchant of Venice

केवल न्याय से हम मोक्ष नहीं पा सकते, जब तक कि ईश्वर हम पर दया नहीं करें।

The Merchant of Venice

हम ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं, इसलिए हमें भी दया करनी चाहिए।

The Merchant of Venice

दुश्मनी में लोग धर्म छोड़ देते हैं।

The Merchant of Venice

अगर बड़े लाभ के लिए थोड़ा सा झूठ भी बोलना पड़े तो भी कुछ हानि नहीं है।

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अच्छे काम करने से सभी का मन प्रसन्न होता है।   

The Merchant of Venice

FAQ

Q वेनिस नगर का व्यापारी नाटक का लेखक कौन है?

विलियम शेक्सपियर “वेनिस नगर का व्यापारी” के लेखक हैं।

Q अंटोनियों कौन था?

अंटोनियों वेनिस नगर का सभ्य और  भद्र व्यापारी था, जो जरूरतमंद लोगों को पैसा देकर उनकी मदद करता था, और बदलें में उनसे कोई भी पैसा नहीं लेता था।

Q पोर्शिया बिसानियों से शादी के लिए कौन सा शर्त रखती है?

पोर्शिया ने बिसानियों से शादी करने से पहले अपने पिता के द्वारा दी गई तीन संदूकों को सामने रखा। पहला सोने का था, दूसरा चांदी का और तीसरा सीसे का। शर्त यह थी कि इन तीनों में से किसी एक में पोर्शिया की तस्वीर है, अगर कोई भी सन्दुक खोलने पर वह तस्वीर निकलती है तो पोर्शिया उससे शादी करेगी।  

Q अंटोनियों को शाईलौक के चंगुल से किसने बचाया?

अंटोनियों को शाईलौक के चंगुल से बिसानियों की पत्नी पोर्शिया ने बचाया।

Q अंटोनियों का सच्चा मित्र कौन था?

अंटोनियों का सच्चा मित्र बिसानियों था।

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