Review and Summary of Positive Thinking Book in Hindi by Nepoliyan Hill

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे नेपोलियन हिल द्वारा लिखित किताब की book review के साथ-साथ Summary of positive thinking book in hindi को साझा करेंगे, जो आपके सकारात्मक सोच की शक्ति को बढ़ाने में मदद करेगा और आप इसकी मदद से आसानी से अपने जीवन मे बदलाव ला सकते हैं।

Review And Summary of positive thinking book in hindi by Nepoliyan Hill

Book Review

Positive Thinkingनेपोलियन हिल और माइकल जे. रिट द्वारा लिखी गई एक उत्प्रेरक, जागृत और समाज को एक पॉजिटिव शक्तियों के तरफ दिशा दिखाने वाली किताब है। यह सिर्फ एक किताब नहीं वरन आज के समय मे भटक रहे युवाओं को एक लालटेन लेकर स्वयं को आगे चलते हुए उनका मार्ग दर्शन करती है। जो ये कहती है कि आप एक लक्ष्य को लेकर चले। उसी पर निरंतर चलते रहे। सदा दूसरों का भला करे।

नेपोलियन हिल हमें इस किताब की मदद से यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हम किसी की बुराई ना करे। और हमेशा अपने लक्ष्य के बारे मे सोचते रहे। ताकि आपका मन उधर से कभी भटके नहीं। एक समय को निर्धारित करे और उसे पाने के लिए निरंतर प्रयास रात रहे।

positive thinking में Nepoliyan सिर्फ ये नहीं कहते की आप सिर्फ सोचते रहे, बल्कि आप सोचने के साथ-साथ एक के बाद एक नए कदम भी बढ़ाते रहे। अपने लक्ष्य तक पहुचने मे अगर कोई बाधाएं आती हैं, जो की आएंगे ही तो उनका डट कर सही निर्णय लेते हुए, विचार-मग्न करते हुए सामना करे और आगे बढ़े।

विजय अवश्य आपकी होंगी। Nepoliyan के इस बुक की सहायता से आप अपने जीवन दशा को बदल सकते हैं। जब आप इस किताब मे दिए गये सरल और स्पष्ट रूप से रेखांकित सिद्ध सिद्धांतों के मार्ग पर ईमानदारी से कदम बढ़ाएंगे। यह एक सेल्फ मोटिवेटेड किताब है, जिसे एक बार हर युवा को पढ़ना चाहिए। आपके मन में उत्पन्न हो रहे ऐसे कई सवालों के जवाब इस कवर के अंदर दबे पड़े हैं। अतः आप एक बार जरूर इसे खोले।

Summary of Positive Thinking Book in Hindi-

Nepoliyan Hill द्वारा लिखी गई Positive Thinking आपको अपार खुशीयों और असीम सफलताओं के दस नियमों को विस्तार से बताया गया है। जिनमे अपनी आत्म मापन के लिए हर एक नियम को बताने के बाद चार प्रश्नों को दिया गया है जिससे आप अपने ऊपर पड़ने वाले प्रभावों की जांच कर सकते है। उसके बाद उस नियम से संबंध रखने वाले उन सभी महान लोगों के वाक्य भी हैं, जिन्होंने आपको प्रेरित करने की कसम खा रखी है।

किताब के जरिए आपको ये बताया गया है कि एक सकारात्मक मानसिक भाव (पॉजिटिव मेंटल एटीट्यूड) के कारण आपके भीतर आशा बनती है और निरक्षाओं व हतोत्साह से उबरने मे मदद मिलती है। जब आपके पास पी. एम. ए होता है तो आप अपने आपसे खुश रहते हैं और दूसरों के साथ भी। आपके भीतर वह आंतरिक भाव, वह आंतरिक प्रकाश, वह आंतरिक मनोदशा होती है, जो आपको आत्म-सम्मान और उपयोगी भवनाए देती है। आपकी ओर सकारात्मक भाव और परिस्थितियाँ आकर्षित होती हैं और नकारात्मकता आपसे दूर हो जाती है।

आपको पता चल जाएगा कि पी. एम. ए के कारण आप दूसरे लोगों के साथ मित्रता करने और उनका सहयोग प्राप्त करने मे बाधाओं पर विजय प्राप्त करने और समस्याओं को अवसरों मे परिवर्तित करने मे समर्थ होते हैं।

 हम सभी अपनी आदतों के गुलाम हैं। आपकी आदतें और उनका प्रभाव या तो सकारात्मक हैं या नकारात्मक, यह आपकी रुचियों पर निर्भर करता है। आप अपने मस्तिक पर नकारात्मक विचारों को हावी न होने देने का फैसला कर सकते हैं। आप नकारात्मन विचारों और भावों को, वे जब भी उत्पन्न हो, के स्थान पर सकारात्मक भाव और विचार उत्पन्न कर सकते हैं। सकारात्मक आदते आपके मस्तिष्क को अधिक सजग रहने, आपकी कल्पनाओं को अधिक सक्रिय रखने, आपके उत्साह को बढ़ाने और इच्छा शक्ति को मजबूत करने मे स्वाभाविक रूप से प्रभावित करती है।

Top Ten formula’s of Positive Thinking

पहला सूत्र: पूरे विश्वाश के साथ अपने मस्तिष्क पर काबू कीजिए । Positive Thinking

पी. एम. ए. को हासिल करने का सिर्फ एक रास्ता है- आपको पूरे विश्वास के साथ अपने मस्तिष्क पर अपना नियंत्रण रखना होगा। आपका मस्तिष्क इस ब्रम्हांड का एक महान आश्चर्य है। नक्षत्र शास्त्री, गणितज्ञ और भौतिकविद फ्रीमैन डाचसन ने मस्तिष्क के बारे मे कहा, “यह अद्भुत है कि हमारा मस्तिष्क हमारे स्वभाव की सजकता मे दो अलग-2 स्तरों पर प्रवेश करता है।”

दूसरा सूत्र:अपने मस्तिष्क को उन चीजों पर केंद्रित कर दीजिए, जो आपको चाहिए और उन चीजों से दूर, जो आपको नहीं चाहिए। Positive Thinking

एक बार जब आपका मस्तिष्क आपके नियंत्रण मे आ जाता है तो आपको इस पर नियंत्रण रखना होता है और यह करने का श्रेष्ठ तरीका यह है कि उसे उन चीजों पर केंद्रित कर दीजिए, जो आप चाहते हैं और उन चीजों से दूर, जो आप नहीं चाहते हैं।

तीसरा सूत्र: स्वर्णिम नियम का सहारा लीजिए। Positive Thinking

दूसरों के साथ वैसा ही कीजिए, जैसा कि आप दूसरों से अपने लिए अपेक्षा करते हैं। इसके विपरीत, दूसरों के साथ ऐसा मत कीजिए, जो आप उनसे अपने लिए अपेक्षा नहीं करते।

चौथा सूत्र: आत्म-परीक्षण करके सभी नकारात्मक विचारों को निकालिए । Positive Thinking

कुछ लोगों को तब तक इस बात का पता नहीं चलता कि वे नकारात्मक ढंग से सोचते हैं,जब तक वे अपने विचारों, कार्यों और प्रतिक्रियाओं को जाँचने का सजग प्रयास नहीं करते हैं। आत्म-मूल्यांकन की प्रक्रिया सरल है। बस अपने से पूछिए,”क्या यह सकारात्मक है या नकारात्मक?” जब आप अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण प्राप्त करने और अपनी कल्पना-शक्ति के बाल पर इसे अपनी मनचाही दिशा मे मोड़ने मे विफल हो जाते हैं तो इस बात की बहुत संभावना है कि प्रतिक्रियाएं नकारात्मक होंगी, न कि सकारात्मक।

पाँचवा सूत्र: खुश रहिए! दूसरों को भी खुश रखिए। Positive Thinking

खुश रहने के लिए खुशी का प्रदर्शन कीजिए। ठीक उसी तरह, जब किसी नए ढंग से स्वांग करने के लिए सोचते हैं। आप नए विचार के लिए नए तरीके से काम कर सकते हैं। उत्साही बनिए, उत्साह का प्रदर्शन कीजिए। खुद पर और समस्त संसार पर हसिए।

      अंततः आपको आंतरिक खुशी और उत्साह की भावना का अनुभव होगा और ये बिना आपके ध्यान केंद्रित किये ही प्रदर्शित होगा।

छठवा सूत्र: सहनशीलता की आदत डालिए । Positive Thinking

लोगों के प्रति खुला मन रखिए। लोग जैसे हैं, उन्हे उसी रूप में पसंद करने और स्वीकार करने की कोशिश कीजिए, न कि यह अपेक्षा या कामना कीजिए कि वे वैसे हो जाएँ, जैसा आप चाहते हैं। कई वर्षों पहले नेपोलियन हिल ने सहनशीलता पर यह लेख लिखा था- “जब बुद्धि का सवेरा मानव प्रगति के पूर्वी क्षितिज पर फैल जाएगा और समय की रेट पर से अज्ञानता व अंधविश्वास के कदमों के निशान मीट जाएंगे, मनुष्य द्वारा किये ज्ञे अपराध पर लिखी गई किताब के अंतिम खंड मे यह लिखा जाएगा कि उसका सबसे घृणित पाप असहिष्णुता था ।”

सातवा सूत्र: स्वयं को सकारात्मक सलाह दीजिए। Positive Thinking

अपने मस्तिष्क को इस तरह से प्रशिक्षित कीजिए कि यह हर समय ही सकारात्मक भाव को अभिव्यक्त करे। आपको यह मालूम होनया चाहिए कि आप उन्ही विचारों या भावनाओं को भौतिक सत्य के रूप मे परिवर्तित करते हैं, जो हमेशा आपके मन मे रहती हैं। अअपने शायद यह कहावत सुनी होंगी,”आप मुझे वह बताइए, जिसके बारे मे आप सोच रहे हैं और मैं आपको यह बताऊँगा कि आप कौन है।” इसमे विलियम जेम्स के इस कथं की गूंज मिलती है, ‘हम वही बनाते हैं, जो हम अधिकांश समय सोचते हैं।‘

आठवा सूत्र: अपनी प्रार्थना की शक्ति का प्रयोग कीजिए। Positive Thinking

एक बार जब आप विश्व की व्यवस्था को स्वीकार कर लेते हैं तो आप देखेंगे कि इसे समझा जा सकता है और इस प्रकार नियमों के भीतर काम करके इसे बदला भी जा सकता है। प्रार्थना वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा आप उस व्यवस्था के भीतर अपने स्थान को स्वीकार करते हैं और इसे बदलने के लिए अपने आपको तैयार करना शुरू कर देते हैं। आप जीटन ज्यादा इशवार और उसकी उदारता को स्वीकार करते है, उतना ही अच्छा है: लेकिन यदि आप इस पर संदेह भी करते हैं और वह संदेह बहुत देर तक नहीं रहेगा.

नौवा सूत्र: लक्ष्य निर्धारित कीजिए । Positive Thinking

अपने लक्ष्य को निर्धारित करना अपने मक्षतिष्क को उन चीजों पर लगाना है, जो आप चाहते हैं और उन चीजों से हटाना है, जो आप नहीं चाहते हैं, जिसकी कि सूत्र #2 मे व्याख्या की गई है। आपको यह सीखने की जरूरत है कि आप दैनिक आधार पर दीर्घावधि और लघु अवधि के लक्ष्य निर्धारित करे। यह बहुत महत्वपूर्ण है। अपने लक्ष्यों को कागज की एक पर्ची पर लिखिए। कल्पना कीजिए कि आपने वे लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं। आशावादी सकारात्मक रूप से निरंतर उनको उद्धृत करते रहिए।

लक्ष्यों की प्राप्ति के आरंभिक बिन्दु इन छः अकक्षरों के शब्द desire(इच्छा) मे निहित हैं-

  • संकल्प कीजिए।
  • मूल्यांकन कीजिए।
  • निर्धारित कीजिए।
  • पहचान कीजिए।
  • दोहराइए।
  • प्रतिदिन।      

दसवाँ सूत्र: अध्यन कीजिए, सोचिए और प्रतिदिन योजना बनाइए। Positive Thinking

अपने जीवन से हर वह चीज प्राप्त करने के लिए, जो आप चाहते हैं, आपका स्वयं के प्रति यह कर्तव्य है कि आप सकारात्मक मानसिक भाव का विश्वाश करें और उसे बनाए रखे।

        अब दिलचस्प चीज यह है कि सफल व्यक्ति महत्वपूर्ण काम करने के लिए, विशेष रूप से वित्तीय लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से, अपने विशेष रोजगार या व्यवसाय मे सफल होने के लिए या अच्छा शारीरिक, मानसिक या नैतिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए स्वयं सहायता पुस्तकों को पढ़ने के लिए समय निकाल लेगा।

          इसे करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिदिन आप निजी समय अपने साथ भी बिताइए। इसका आशय है कि कम-से-कम पंद्रह या बीस मिनट आप-

  • पी. एम. ए. के साथ अपने लक्ष्य के बारे मे सोचिए।
  • पी. एम. ए. के साथ अपने भावों की जांच कीजिए।
  • पी. एम. ए. के साथ अपने कार्यों और विचारों की जांच कीजिए।
  • पी. एम. ए. के साथ प्रेरणादायक, स्वयं सहायता-प्रेरित अध्ययन सामग्री को पढ़िये, यदि यह एक पैराग्राफ, एक पेज या एक अध्ययन ही हो।
  • पी. एम. ए. के साथ पढ़ने, सोचने और योजना बनाने का समय निकालिए।   

FAQ

पी. एम. ए. क्या है? और इसे किसने विकसित किया?

पी. एम. ए. (पॉजिटिव मेंटल एटीट्यूड ) क् संक्षिप्त रूप है; लेकिन यह  जीवन के आशावादी दृष्टिकोण से भी बढ़कर बहुत कुछ है। जब आप इसे अच्छी तरह समझते है और इसे सही तरह से लागू करते हैं तो आप देखेंगे कि यह वास्तव मे एक चौतरफा प्रक्रिया है। उसमे शामिल है-

  • सोचने का एक सही और संतुलित तरीका,
  • एक सफल चेतना, नियति
  • जीवन का एक समावेशी दर्शन और
  • सही कार्यों व प्रतिक्रियाओं द्वारा इसे करते रहने की क्षमता।

पी. एम. ए. के विकास और उसे परिष्कृत करने मे अनेक लोगों ने योगदान किया है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के स्नातक विलियम जेम्स (1842-1910), एक विचार-प्रणाली विकसित करने मे मदद की, जिसे ‘प्रेगमैटिज्म’ कहा जाता है। प्रैगमैटिज्म के विचारों के अनुसार परिणाम का ही महत्व है। विचार कार्यों के दिशा-निर्देशक हैं। जेम्स ने लिखा-“जीवन से भयभीत न हो। इस बात पर विश्वाश करें कि जीवन जीने योग्य है- और आपका विश्वास उस तथ्य का निर्माण करेगा।”

नेपोलियन हिल एक अन्य व्यक्ति थे, जिन्होंने पी. एम. ए. की धारणा को आगे बढ़ाया। हिल ने आती सफल व्यक्तियों के साथ साक्षात्कार को अपने जीवन का कार्य बना लिया और अपने अध्ययन से उन्होंने सत्रह सिद्धांत निकाले जिसे उन्होंने व्यक्तिगत सफलता के प्रथम सिद्धांत मे पिरोया। हिल ने इन सिद्धांतों को अपनी विभिन्न पुस्तकों मे व्यावहारिक दृष्टि से सूचीबद्ध किया, जिसमे उनकी एक पुस्तक ‘द लॉ आफ सक्सेस: थिंक एंड ग्रो रिच’ भी शामिल है।  

अपने ऊपर इसे कैसे लागू करे?

वह बिल्कुल आसान है- पॉजिटिव मेंटल एटीट्यूड के विकास और उसे बनाए रखने का दस सूत्री फार्मूला। ये दस सूत्र आपको न केवल पी. एम. ए.  सिखाएंगे, बल्कि ये आपको इनका अभ्यास करने के लिए भी प्रीतसाहित करेंगे और इसे करके आप उसे अपने जीवन का एक अंग बना लीजिए।

क्या सफल व्यक्ति जीने के कुछ विशेष रहस्य जानते हैं?

हा! वे किसी वस्तु के विचित्र पक्ष की तलाश करते हैं। आज से आप भी करेंगे। आज से आप भी अपनी कमजोरियों पर हँसेंगे, आज से आप भी अपने आपको इतनी गंभीरता से नहीं लेंगे। आज से आप तनाव से मुक्त होने के लिए अपने हास्य ज्ञान का विकास करेंगे। ताकि प्रतिदिन किसी चीज पर संस सके। आज से आप अपने विनोदपूर्ण भाव के कारण नए-2 मित्र बनाएंगे। आज से आप अपनी संमस्याओं के समाड़झान के रूप मे हास्य का प्रयोग करेंगे।

“अपने अध्ययन और अपनी योजना से लाभ उठाने की कुंजी स्वयं को चुनौती देने मे हैं।”

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