Review and summary of Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond। “देवदारों के साये में” रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित जिसका हिन्दी अनुवाद आशुतोष गर्ग ने किया है।

Table of Contents
Review of Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond
यह किताब एक आठ कहानियों का समूह है। आप इसे ऐसा समझ सकते हैं जैसे वरमाला के लिए तैयार किया गया बेहतरीन, अलग-अलग रंगों और किस्म का एक माला। हालाकि ज्यादातर इसमे खून-खराबी और हत्या का वर्णन है। हत्यारा लग-अलग कारणों से हत्या करता है। एक चीज इस किताब को, बाकी सूक्ष्म कहानीओं के किताबों से अलग करती है और वो है, इस माला में उपर्युक्त धागा।
धागा का काम नंदू और उसका रॉयल होटल। मिस रीप्ली-बिन, जो रॉयल होटल मे हमेशा के लिए रहती है। और तीसरा धागा है, उसी होटल के बार मे पियानो बाजाने वाला लोबो। इनके मजबूत धागे में रस्किन बॉन्ड ने अपने भारी भरकम लाल,पीले, हरे, नीले फूलों जैसे कहानियों को एक के बाद एक क्रम से रखते चले गए हैं। सारी कहानियाँ बहुत ही रोचक के साथ मनोरंजक हैं। मुझे इन सभी आठ कहानियों का सबसे अच्छा कहानी “जुनूनी अपराध” लगा तो वही सबसे नीचे के पायदान पर “दरियागंज का हत्यारा”।
“दरियागंज का हत्यारा” पढ़ने के बाद लगा कि हमेशा ‘अंत भला तो सब भला’ आप नहीं कह सकते। आप ये भी कह सकते हैं कि बाकी सब भला तो कोई जरूरी नहीं की अंत भी भला हो। ओवरऑल बाकी सारी कहानियाँ ठीक थी। मेरे द्वारा पढ़ी जाने वाली रस्किन बॉन्ड की ये पहली किताब हैं। जो लगभग मुझे तो ठीक लगी। बाकी आप भी एक बार पढ़ के देखिए। वैसे मैने रस्किन की बाकी सारी किताबों को मगां लिया है, जिसे मैं एक-एक कर पढ़ने के बाद आपके सामने लाता रहूँगा।
इस किताब को पढ़ने का और भी मन करेगा, जब इसके प्रथम पन्ने को पढ़ेंगे, जिस पर बॉन्ड द्वारा ये कहा गया है कि इसमे मौजूद कहानियाँ सच्ची हैं, जिसे उन्हे एक महिला ने एक होटल में सुनाया था। बॉन्ड ने उस कहानी में उपस्थित पात्रों के नाम को बदल दिया है। रस्किन बॉन्ड की कहानी कहने की शैली तारीफ लायक है। जैसा की उन्होंने किताबें लिखने में महारत हासिल कर ली है। उसकी इस लेखनी से साफ झलकता है। अगर आपने इस किताब के पढ़ने से और भी खूनी या हत्या करने वाली किताबें पढ़ी होंगी तो उन सभी तरीकों को नकारते हुए रस्किन ने अपना एक नया तरीका निकाला है, जो ठीक है। वैसे रस्किन वाकई में बॉन्ड सरनेम के लायक हैं। इसमे कोई शक नहीं।
Summary of Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond
“दावेदारों के साये में” रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित एक कहानी संग्रह है लेकिन इसका स्वरूप थोड़ा उपन्यास की तरह है। इस कहानी संग्रह में जो पात्र हैं, वो सभी कहानियों में शामिल है। जिनके माध्यम से कहानी को कहा गया है। बल्कि बॉन्ड ने भी अपनी एक घटना को साझा किया है। वैसे कहानियाँ तो सारी अच्छी हैं पर मैने उन आठ कहानियों में से कुछ कहानी का ही चयन करने के बाद समरी को दिया है। बाकी के लिए आप किताब खरीद सकते हैं।
देवदारों के साये में– कहानी मनाली में स्थित रॉयल होटल के दो कमरों में रहने वाली मिस रिपली-बिन है, जो रॉयल होटल कभी हुआ करता था। आजादी के बाद उनके पिता ने इस होटल को नंदू के हाथों इस शर्त पर बेच दिया कि मिस रिपली-बिन जब तक जीवित रहेंगी वो यहा रह सकती हैं। जिसके बाद मिस रिपली-बिन बड़े ही आराम से रहती हैं।
अक्टूबर के महीने में होटल के नृत्यशाला में मनाली के अलग-2 जगहों से मंगाए गए फूलों की प्रदर्शनी लगती हैं। जिसे देखने के लिए बहुत से लोग आए होते हैं। उस प्रदर्शनी को देखने के लिए मिस रिपली-बिन अपने दाँत में दर्द होने के बावजूद भी अपने को रोक नहीं पाती। प्रदर्शनी को देखने आए कुछ मुख्य मेहमान जिसमें होटल में रहने वाले डाक्टर राइनहार्ट, श्रीमती बसु और मुख्य बख्शी आए होते हैं। पर्दशनी के बाद श्रीमती बसु को अवार्ड से सम्मानित किया जाता है।
शाम के समय रिपली-बिन होटल के सामने देवदार के नीचे बैठी होती है कि होटल में दो परछाई आपस में झड़प करती हुई प्रतीत होती है और जिसके बाद एक नीचे गिरने के बाद दूसरा उठ कर वहाँ से चला जाता है। मिस रिपली-बिन उस परछाई को ठीक से देख तो नहीं पाती लेकिन उन्हे ऐसा लगता है कि अगले ने उन्हे देख लिया है। बाद मे रिपली-बिन को मिस्टर बख्शी से पता चलता है की श्रीमती बसु का हत्या कर दिया गया है।
होटल का मालिक नंदू पुलिस के साथ मिलकर उस हत्या की तहकीकात करने में मदद करता है। जांच –पड़ताल अभी चलती रहती है। मिस रिपली-बिन भी अपने जुबान को बंद ही रखना ठीक समझती हैं। कीकी उन्हे लगता है कि हो ना हो होटल का ही सदस्य कोई है।
एक दिन मिस रिपली-बिन अपने दाँत दर्द से परेशान होकर उसे उखाड़ने के लिए होटल के दूसरी तरफ बने केबिन में जाती हैं, जहां डाक्टर राइनहार्ट मरीज देखते हैं। दाँत उखाड़ने से पहले डाक्टर उनके मसूड़े मे सुई लगाने जाते हैं। ये कहते हुए कि उन्होंने बसु का गला दबाकर कर मारा है और नीचे फेक दिया। जिसे मिस रिपली-बिन ने देख लिया था। डाक्टर कहताआ है कि वो उन्हे मारने के लिए मसूड़े में जहर की सुई लगा देगा, जिससे दरकार मिस रिपली-बिन ज़ोर से चिल्ला देती हैं। तब-तक उनका कुत्ता फ्लफ आ जाता है, और फिर होटल के बियरबार मे पियानो वादक लोबो भी । जिससे डरकर डाक्टर सुई पने-आप को लगा लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
जन्मजात दुष्ट-ये कहानी रिपली बिन के भाई एलेक्जेंडर बिन की है। जिसके बारे में मिस रिपली-बिन लोबो को बताती है। रिपली-बिन बताती हैं कि एलेक्जेंडर बचपन से ही एक घतईल लड़का था, जो सबके सामने तो अच्छा रहता था, पर उसके दिलों-दिमाग में एक हमेशा से एक शैतान बशता था। जिसे आग की लौ बहुत पसंद थी। जिसे देखने के लिए वों कहीं भी आग लगा देता था, और उसे अपनी बड़ी आँखों से देखते हुए खुश हुआ करता था। और आग को बुझाने की झूठी कोशिश भी करता था। जिससे लोगों को कभी शक नहीं हुआ।
एक बार उसके अपने घर में माता-पिता के नहीं रहने पर उसने घर के सारें सोफ़ा और बेड को एकत्रित कर उसमें आग लगा दिया। जिसके बाद दमकल गाड़ियों ने बड़ी मसकक्त के बाद आग पर काबू पाया पर तब-तक आग बहुत फैल चुकी थी। फिर उसके बाद स्कूल के एक कालीन में तैल गिराकर उसने आग लगा दि और ज़ोर-2 चिल्ला-चिल्ला कर सबकों बताने भी लगा, साथ ही उस आग को बेझाने का भी। जिससे प्रभावित होकर उसे स्कूल के लैब में एक सहायक के पद पर नियुक्त कर दिया गया। एलेक्जेंडर को आग के लिए इससे अच्छी जगह और नहीं मिलती, उसने वहाँ भी वैसा ही किया जैसा की पिछली घटनाओं को उसने अंजाम दिया था।
इस बार उसे वहाँ से स्कूल हॉस्टल में सहायक के रूप मे भेज दिया गया। स्कूल के चारों तरफ दावदारों के पेड़ लगे हुए थे। मार्च-अप्रेल के महीने होने के वजह से पेड़ों के डालिया और कुछ कटीले झाड़ियाँ सुख कर ज़मीन पर बिखरी हुई थी। एलेक्जेंडर ने उन झाड़ियों में आग लगा डि और ज़ोर-2 चिल्लाने लगा। आग इतनी तेज थी कि हॉस्टल तक पहुचने का डर था। एलेक्जेंडर उन आग के लपटों के बीच एक पत्थर पर खड़ा होकर दूसरों को आवाज देता कि अचानक उसके पैर फिसल गए और वो उन आग की लपटों के बीच जा गिरा। जिसे लोगों ने एक बहादुर और शाहिद लड़के का खिताब दिया और उसकी याद में उसका कब्र बना दिया। जो आज भी मौजूद हैं।
डाक में संखिया- ये कहानी 1930 के समय मेरठ में रहने वाले क्लैरेंस स्मिथ उनकी पत्नी डोरिन स्मिथ और मॉन्टी समर्स की है। क्लैरेंस स्मिथ एक आफिस कर्मचारी हैं, जो अपने पत्नी को उतना ही प्यार करते हैं, जितना की उनकी लाइफ आराम से कट जाए। लेकिन डोरिन स्मिथ एक कामुक महिला है, जो क्लैरेंस के साथ खुश नहीं हैं। बाज़ार करते वक्त एक दिन उनकी मुलाकात मॉन्टी समर्स से होती है। मॉन्टी समर्स अपने ससुर द्वारा दिए गए नोकरी डाक खाने में कां करता है। जिसका सावला, लंबा और गठा हुआ शरीर से प्रभावित होकर डोरिन उसके तरफ आकर्षित हो जाती हैं। दोनों धीरे-2 चोरी चुपके मिलने लगते हैं। बात यहाँ तक पहुँच जाती है कि डोरिन मॉन्टी से उसके साथ रहने की इच्छा प्रकट करती है।
एक दिन मॉन्टी डाक के माध्यम से डोरिन को संखिया के साथ उपयोग के तरीके भी लिख कर भेजता है। जिसे डोरिन क्लैरेंस पर धीरे-2 इस्तेमाल करने लगती है और एक आता है जब क्लैरेंस को अपने शरीर से मुक्ति मिल जाती है। अब बारी आती है, मॉन्टी के पत्नी की। जिसे मॉन्टी किराये के आदमी भेजकर उसकी हत्या करवा देता है। लेकिन उसकी छोटी बेटी उन बदमाशों में से एक को पहचान लेती है। जिससे कुछ ही दिनों बाद हत्यारे पकड़े जाते है और उस हत्यारे के वजह से मॉन्टी भी पकड़ा जाता है। मॉन्टी को जाईल में फासी दे डि जाती है।
इन सब कड़ियों को जोड़ते हुए पुलिस अधिकारी जब डोरिन के घर की जांच करते हैं तो उसके बेड के नीचे रखे एक बक्से से मॉन्टी द्वारा भेजा गया सारा पत्र मिल जाता है, जिससे डोरिन भी पकड़ी जाति है और उसे भी जैल हो जाता है लेकिन जब उसे पता लगता है की मॉन्टी को फांसी हो गई तब उसका गर्भपात हो जाता है और डोरिन की भी मृत्यु हो जाती है।
Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond के कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
- पशु के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, किन्तु मनुष्यों के विषय में कुछ भी कहना मुश्किल है। अत्यंत आकर्षक और संकोची मनुष्यों ने प्रायः भयंकर एवं नृशंस अपराधों को अंजाम दिया है।
- अगले दिन पुराने मित्र की भांति, सुबह ने दस्तक डि तो कुछ राहत मिली। पहले पहर की रोशनी हमेशा भरोसा दिलाती है। सुबह हो गई है! एक् नया दिन सामने है। मानव जाति, दाँत के दर्द से परेशान लोगों के लिए बही आशा शेष है।
- बारिश के आरंभिक दिनों में सबकुछ तारों-ताजा हो जाता है। लंबे समय के शुष्क पड़ी जमीन पर वर्षा की बुँदे गिरी तो वह महक उठी। बारिश के कारण नीम के पेड़ों से टूटी पत्तियां, पैरों के नीचे कुचली पड़ी रहती थी और उनकी सुगंध भी अच्छी लगती थी। आम के पेड़ों पर बैठे तोंते शोर मचाते थे, हुदहुद बगीचों में बहार निकल आए कीड़ों को खाते थे।
Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond के कुछ अच्छे कोट्स-
- संसार में जीने का सबसे अच्छा तरीका है कि व्यक्ति अपने कां से मतलब रखे। आवश्यकता के समय सहायता करना अच्छी बात है, परंतु आगे बढ़कर खुद को मुसीबत में नहीं फंसना चाहिए।
- दुष्टता मनुष्य के व्यक्तित्व की एक असामान्य अवस्था है, जो जन्म के समय से ही मस्तिष्क में अंतर्निहित होती है।
- हम अपने बच्चों की दुष्टता पर कभी विश्वास नहीं कर सकते।
- हर बुरी चीज ल अंत होता है।“लोबो ने कहा” और समय बित ही जाता है…
- समय के पास और कोई विकल्प ही नहीं है, उसे बितना ही है।“मिस रिपली बिन ने कहा”
Deodaron ke saye me Book in Hindi by Raskin Bond के प्रमुख पात्रों का चरित्र-चित्रण-
मिस रिपली-बिन- मिस रिपली-बिन एक 68 साल की अविवाहित महिला हैं। जो रॉयल होटल के दो कमरों मे रह कर अपनी जीवन बसर करती हई और होटल में आने-जाने वाले लोगों से मुलाकात कर अपना जीवन काटती है। मिस रिपली-बिन को पुदीने की शराब बनाना आता है, जिसे वो हर कोई देना पसंद करती हैं।
लोबो- लोबो एक 40 साल अविवाहित आदमी है। जो होटल रॉयल बार मे पियानो वादक है। और मिस रिपली-बिन को आंटी कर कर संबोधित करता है। रिपली-बिन और लोबो की बहुत बनती है। क्योंकि लोबो रिपली-बिन की बातें और उनके द्वारा कही जाने वाली कहानियों को बड़े ही ध्यान से सुनता है।
नंदू- नंदू रॉयल होटल का मालिक है। जो दिल का बहुत ही अच्छा और मिलनसार है। नंदू को एक और चीज उसे खास बनाती है कि वो जुबान का पक्का और नरम दिल इंसान है। जिसके कारण मिस रिपली-बिन आराम से उसके होटल रॉयल में रह रही हैं। और वो उन्हे कभी परेशान नहीं करता।
FAQ
Q: मिस रिपली-बिन होटल मे क्यों रहती है?
Ans: होटल के अलावा मिस रिपली-बिन का और कोई घर नहीं है। जिसके वजह से मिस रिपली-बिन के पिता ने नंदू को होटल बेचने से पहले उनको आजीवन रहने के शर्त पर ही होटल बेचा।
Q: डाक्टर राइनहार्ट श्रीमाती वसु को क्यों मारता है?
Ans: डाक्टर राइनहार्ट अमेरिका में उसके विरोध में नाज़ियों द्वारा चलाए जा रहे संगठन में धन इकट्ठा करने का कम करता था, जिसे श्रीमति बसु ने जान लिया था और राइनहार्ट से उसकी जानकारी को गुप्त रखने के लिए बहुत ज्यादे पैसे की मांग से परेशान होकर डाक्टर राइनहार्ट ने उन्हे मारने का सोचा।
Q: इस किताब का ‘gerne’क्या है?
Ans: बॉन्ड के अनुसार तो सही घटनाओं पर आधारित है। लेकिन इसे फिक्शन के केटेगरी में रखा गया है।
Q: क्या सारी कहानियाँ सत्य पर आधारित है?
Ans: नहीं ऐसा नहीं है, लेकिन हा! ज़्यादातर इसमें कहानी सत्य पर आधारित है।