Review And Summary Of Chandpur ki Chanda Book in Hindi by Atul Kumar Rai pdf download. “Chandpur ki Chanda” अपने में बहुत कुछ समेटे हुए हैं, जिसमें पढ़ाई, प्यार, शादी-व्याह, दहेज उत्पीड़न, आत्महत्या और नारी सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया गया है।
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Review Of Chandpur ki Chanda Book in Hindi
“Chandpur ki Chanda” अतुल कुमार राय द्वारा लिखित महिला प्रधान के साथ आपका पहला उपन्यास है। पुरुष पात्र इसका सहयोगी है और समाज तो समाज है ही। बलिया के सुदूर इलाके में सरयू के किनारे बसा एक गावं चाँदपुर। जो आए दिन सरयू के कोख में समा जाता है और फिर जब सरयू उस गावं को नहीं पचा पाती तब उस गावं को तरों-ताजा होने के लिए निगल देती हैं। और उस गावं में रहने वाले लोग खुश हो जाते हैं। घटना! इस उपन्यास की प्रमुख पात्र चंदा उर्फ पिंकी और सहयोगी मंटू के जीवन में घटती है, जिससे इनके साथ-2 पूरा गावं प्रभावित होता है। “Chandpur ki Chanda” अपने में बहुत कुछ समेटे हुए हैं, जिसमें पढ़ाई, प्यार, शादी-व्याह, दहेज उत्पीड़न, आत्महत्या और नारी सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया गया है।
बात करे “Chandpur kiChanda” उपन्यास की भाषा शैली की तो पुरबिया है। अगर पाठक पुरबिया है तो उसे पढ़ने में इतना मज़ा आएगा कि पूछिए मत। पात्रों की आपसी संवाद को सुनकर आपके शरीर में झुरझुरी आ जाएगी। यकीन करिए! अगर आप पुरबिया के पड़ोसी हैं तो भी आपको किताब की घटना तो समझ आ जाएगी लेकिन हो सकता है ,थोड़ा-बहुत आपको पात्रों के बीच का संवाद थोड़ा सोचने-समझने पर मजबूर कर दे।
“Chandpur ki Chanda” उपन्यास में मंटूआ का अपनी चंदा को लभ लेटर लिखता है, माँ कसम! पिंकीया के पढ़ने पर जितना उसके दिल मे गुदगुदी होती है उतना ही पाठकों को भी होंगी। बल्कि मुझे तो एक पल अपने मोबाईल को देखते हुए ये लगा कि इस साला का आविष्कार झुट्ठे हुआ।
इस उपन्यास को पढ़ने के दौरान ये पता चला कि अतुल कुमार राय ने बड़े ही बारीकी से हर एक चीज का वर्णन किया है। जो उनके बारे में ये बताता है कि वो एक बड़े ही मझे हुए खिलाड़ी हैं। उनकी कलम ने जो चाँदपुर गावं का सटीकता से वर्णन किया और फिर किसी भी पात्र को चरितार्थ करने के लिए अपना जलवा दिखाया, काफी सराहनीय है। इस उपन्यास में और भी बहुत कुछ है, जो मैं उतनी सहजता से शायद बयान नहीं कर सकता लेकिन अतुल की ये उपन्यास अतुलनीय है। आपने भी अगर एक बार इस उपन्यास को हाथ लगा दिया, तो पूरा पढ़ने से अपने को वंचित नहीं रख पाएंगे।Chandpur ki Chanda
Summary Of Chandpur ki Chanda Book in Hindi
कहानी बंगाल से आए पाँच लोगों के चाँदपुर गावं में प्रवेश करने से शुरू होती है, जो गावं में डब्ल्यू डेंजर नाम से विख्यात के स्कूल से इंटर की परीक्षा को पास करना चाहते हैं। क्योंकि किसी की शादी नहीं हो रही तो किसी को चौकीदारी की नौकरी नहीं मिल पा रही है। स्कूल के प्रबंधक डब्ल्यू डेंजर ने इन जैसे लोगों से पैसा लेकर पास कराने का बीड़ा उठाया है। परीक्षा की आने वाली डेट पर क्लास में निर्णय होने वाला होता है । जिसे घूम-घूम कर मैनेजर साहब गावं के बाकी बच्चों को एक-दूसरे से कह कर स्कूल आने का बुलावा देते हैं।Chandpur ki Chanda
राकेश मंटू का लँगोटिया यार, स्कूल जाने के लिए जब उसके घर पहुचता है तो देखता है कि मंटूआ अभी सोया हुआ है। उसे जगाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन जब उसे लगता है कि ऐसे नहीं उठेगा, तब कहता है कि पिंकीया आज दादरी मेला वाला पियरका सूट पहन कर स्कूल जा रही है।Chandpur ki Chanda
ये सुनते ही मंटूआ की निद्रा तो जैसे छु मन्तर हो जाता है, और देखते ही देखते लैट्रीन-पेशाब, ब्रश-मंजन, नहा-धूल कर तैयार। मंटू अपने मौसी का आशीर्वाद लेता है और दोनों साइकिल से स्कूल को निकल जाते हैं।
स्कूल में अटेंडेंश लेने के बाद मास्टर द्वारा लड़कों से एक-आद सवाल जवाब होता है, जिसमें मंटूआ फैल और पिंकीया फर्स्ट डिवीजन से पास। पिंकी मंटू को हिदायत देती है कि तनिक पढ़-लिख लो लेकिन मंटू जो है कि ध्यान ही नहीं देता है। परीक्षा शुरू होने से पहले गावं में डब्ल्यू डेंजर के साथ मिलकर मंटू और राकेश, बाकी लड़कों के साथ सरसती पूजन का पंडाल तैयार करते हैं और पर्दा पर फिलीम देखने का प्रोग्राम रखा जाता है ।Chandpur ki Chanda
पिंकी के घर चंदा काटने और रात को बुलावा देने के लिए खुद मंटू और राकेश जाते हैं। पिंकीया से मिलने पर मंटू बताता है कि पर्दा पर फिल्म लग रही है “सिर्फ तुम” देखने आना और परसाद लेकर घर जाना। रात को पंडाल के पास पूरा गावं-घर के लोग-बाग, औरत-बच्चा सब पहुचते हैं। एक किनारे पिंकी और दूसरे किनारे मंटूआ। फिलीम शुरू होता है, जैसे-2 किरदार अपनी रोल अदा करते हुए कहानी को आगे ले चलते हैं, झुंड में बैठी महिलाओं की टोका-टिप्पणी होती रहती है, तो वही मौका मिलने पर मंटू भी अपनी चंदा को ताक-झाक करता रहता है। फिलीम खत्म होती है सबलोग परसाद लेते हैं और अपने-2 घर को निकल लेते हैं।Chandpur ki Chanda
गाव के दक्षिण टोला में झंझा बाबा(जंगबहादुर सिंह) का अपना पक्का मकान है और घर के बाहर लंबे-चौड़े दलानी में बैठे रहते हैं। झंझा बाबा के तीन लड़के और तीनों इंजीनियर। अपना शादी-बियाह कर लिए और अपना-अपना मौगी को लेकर दिल्ली बंबई और बैंगलोर में रहते हैं। झाँझा बाबा की पतोह कहती है कि पिताजी गावं का सब बेंच-बाच कर यही आजाइए लेकिन बाबा का कहना है कि यही जन्म लिए, यहीं मरेंगे। रही बात खाना-पानी का तो कभी गावं वाले कौनों कमी नहीं किये।Chandpur ki Chanda
रमेसर(मंटू के मौसा) अपनी बिटिया (गुड़िया) की बियाहका लड़का देखने के लिए झंझा बाबा को अपने साथ ले जाना चाहते हैं ताकि तनिक बाबा का धौस बना रहेगा और बड़-बुजुर्ग हैं, ठीक-ठाक से हिसाब-किताब लगाकर बात-चित भी कर लेंगे। झंझा बाबा को जब ये बात पता चलती है तो बड़े ही खुशी के साथ रमेसर के साथ चल देते हैं लेकिन एक राय देते हैं कि उनके नजर में एक लड़का है लेकिन रमेसर ये कहते हुए टाल देता है कि हम जोउन देखे हैं उस सरकारी चपरासी है और तो और उपरवारी 500 रुपया प्रतिदिन कमाता है। बाबा रमेसर की बात को ना टालते हुए लड़के के घर पहुच जाते हैं। बात-चित, नास्ता-पानी होता है और दहेज में कम-बेसी कर के बाबा के कहने पर गुड़िया का बियाह फिक्स।Chandpur ki Chanda
मंटूआ का प्यार पिंकी के सर पर चढ़ कर नाचने लगा। मंटू पिंकी उर्फ अपनी चंदा को हमेशा एक लभ लेटर भेजता है लेकिन पिंकी को कभी पढ़ने का हिम्मत नहीं हुआ। लेटर का ऊपरि हिस्सा “मेरी प्यारी चंदा” पढ़ कर ही पिंकी का मन हिलोरे मारने लगता है और पिंकी उस लेटर को छिपा कर रख देती लेकिन आज उसने मंटू की लेटर को पढ़ कर खत्म तो कर दिया लेकिन मन में मंटूआ का लौ ऐसा चला कि बबुनी बौराने लगीं ।Chandpur ki Chanda
इन्टरमिडीएट की परीक्षा का आज पाँचवा दिन है। फुलेसरी देवी इंटरमिडीएट कॉलेज चाँदपुर के विद्यार्थी कमरे के अंदर पेपर दे रहे हैं और उनके घर वाले कमरे के बाहर से प्रश्नों का उत्तर खोजकर खिड़की से भेजते जा रहे हैं। पेपर के मध्य रोक् कर सबसे पैसा वसूला गया। उसके बाद सबने गाइड से देख कर आराम से पेपर किया, सिवाय पिंकी के। परीक्षा के देने के बाद मंटू और पिंकी दोनों ने एक-दूसरे को देखा, पिंकीया मुस्कुराई और मंटू को पिंकी के प्यार का प्रवेश पत्र मिल गया।Chandpur ki Chanda
अब होली का दिन आ गया झंझा बाबा पूरे गावं वालों के साथ मिलकर खूब होली खेले और सबने खूब एक-दूसरे को रंग लगाई। और आ गई अप्रेल का महिना शादी-वियाह वाला दिन। मंटू के घर गुड़िया के शादी की तैयारी होने लगी। मंटू राकेश और गावं के बाकी लड़कों ने गुड़िया के शादी में खूब मेहनत करी। पिंकी ने गुड़िया का मेकअप करने के बाद उसके शादी के हर रश्म पर एक से एक लोग गीत भी गई, जिसको सुनने वाले लोग पिंकी की तारीफ करने लगे। रात को नाच के पंडाल में लड़का और लड़की पक्ष में गोली-बंदूक और लाठी चली। झंझा बाबा सहित गावं के कई लोग चोटिल हुए। और मंटू के ऊपर डब्ल्यू बाबा का हमला हुआ, जिससे बचने के लिए मंटू चाँदपुर के सरयू पार दीयार में राकेश के साथ छिप कर रहने लगा। सुबह गावं की पंचायत बैठी और सुलह होने पर गुड़िया को दूल्हे के साथ बीदा कर दिया गया।Chandpur ki Chanda
अगले दिन गावं के लोग में गुड़िया के बिदा होने के कारण, नाच-पंडाल में मार होने कारण और तो और हल्ला ये हुआ कि मंटूआ ने रात के समय पिंकीया को कमरे में ले गया था। उमेश जब झंझा बाबा के लिए दूध लेकर दलानी में पहुचे तो बाबा ने कुछ देर के लिए अपने पास बैठा लिए। चर्चा शुरू हुआ पिंकी की बड़ी बहन पूनम का। पूनम का आदमी शादी करने के बाद पूनम को छोड़ दिया और शहर चला गया। तबसे अपने मैके ही रहती है। उमेश बताते हैं कि पूनम का दूल्हा उसे छोड़ शहर में किसी दूसरे लड़की से शादी कर लिया है और सुनने में ये आया है कि उसका एगो बच्चा भी हुआ है। चुपचाप मुह लटकाए उमेश घर को चल दिए। घर पहुचे तो पिंकी की चाची ने कह दिया कि इससे पहले की रंडी कौनों गुल खिलाए इंटर पास हो गई, जल्दी से बियाह कर के लखेदो, नहीं तो ये रहेगी इस घर या फिर हम।Chandpur ki Chanda
दिन धीरे-2 आगे बढ़ा और बारिश हुई लगातार पंद्रह दिन। सरयू अपनी सिमा लांघ कर चाँदपुर को लील गई। सब लोग अपनी-2 जान-माल को जैसे-तैसे लेकर सड़क किनारे सरकारी राहत सिवीर में डेरा डाला। सरकार आए, पत्रकार आए और सेवाकर्मी भी आए। बाढ़ से प्रभावित लोगों के साथ अपनी-2 अच्छी फ़ोटो और राहत सामग्री के नाम पर भीख देकर चलते बने। उसी बीच मंटू ने एक आखिरी बार पिंकी उर्फ अपनी चाँद को खत लिखा और मिलने का आग्रह किया रात को 12 बजे।Chandpur ki Chanda
पिंकी मंटू का खत पाते ही उसके पास जाने का विचार की और मौका मिलते ही निकल गई, जब सब लोग सो रहे थे। पिंकी के आ जाने पर मंटू नाव को खेता हुआ सरयू के दूसरी छोर को निकल पड़ा। दोनों ने अपने-2 मन की व्यथा सुनाई और दोनों एक होकर लौट गए। लेकिन किसी ने टार्च जलाकर देख लिया और सुबह हल्ला हो गया। पिंकी का जीवन जीना अब और दूभर हो गया। घर से बाहर निकलना मतलब अपनी मौत को बुलावा देना। मौका मिल गया चाची को तो वो अलग।Chandpur ki Chanda
डेढ़ महीने बाद धीरे-2 चाँदपुर से सरयू माई अपनी लहर सिकुड़ने लगीं और लोगों का बसेरा मरम्मत होने लगा। गावं के कई मवेशी मारे गए। पलानी-छानी उजड़ गए थे, उनको दोबारा ठीक किया जाने लगा। झंझा बाबा के दलानी में कीर्तन बैठा और डब्ल्यू डेंजर की अगुवाई में प्रधान पद के उम्मीदवार ने रामलीला की अगुआई हुई। मंटू और राकेश को डब्ल्यू जी के बुलावा देने पर पंडाल सजाने पहुचते हैं। रामलीला होता है, उसके बाद सब अपने-2 घर। राम लीला में डब्ल्यू डेंजर ने गावं वालों से कहा परधानी के चुनाव के बाद विधायक जी ने 151 लड़कियों का सामूहिक विवाह ठाना है, जो अपनी बिटिया का शादी करना चाहता है, नाम दर्ज करा दे।Chandpur ki Chanda
चुनाव हुआ, डब्ल्यू प्रधान बन गए। पिंकीया को उसकी चाची ने मार-पीट कर घसीटते हुए डब्ल्यू जी को वोट दिलाने ले गई थी। काहे से कि पिंकीया की शादी का खर्चा जो डब्ल्यू जी देने वाले है। कइसो गटई से गर छूटेगा। मंटू राकेश के साथ मिलकर अपने लिए दियारे में एक मड़ई डाल लिया। गुड़िया का परेसर को चिट्ठी आता रहा, जिसमें उसने लिखा कि उसे दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जा रहा है। परेसर ने गुड़िया के बिदाइ के लिए दिन रखा लेकिन उसके ससुराल वालों ने ये कहते हुए टाल दिया गया कि गई तो कभी वापस नहीं आईगी । जिसकी वजह से वो कभी आई नहीं और ससुराल वालों का प्रताड़ना सहती रही।Chandpur ki Chanda
एक दिन दियार में मंटू अपने मड़ई में पड़ा रहता है और राकेश को पिंकी का हाल-चाल लेने के लिए भेजता है लेकिन जब कई घंटों बाद राकेश लौटता है तो तेजी से कुत्ते की तरह हाफ़ता रहता है, मंटू के पूछने पर पता चलता है कि गुड़िया ने अपने शरीर में आग लिया है जिसे सुनकर मौसी आगंन में बेहोश पड़ी है। राकेश और मंटू दौड़ते हुए घर को पहुचते हैं, गांव वाले साथ देते हैं और मौसी को टाली-ट्रेकटर से बलिया अस्पताल ले जाया जाता है, कि रास्ते में रोते हुए परेसर बाबू मिल जाते हैं,जो बताते हैं कि आग से ज़्यादा झुलसने के कारण गुड़िया की मौत हो गई। गावं के लोग मंटू के मौसी के बारे में बताते हैं तो परेसर बाबू गावं वालों के साथ अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाते हैं लेकिन डॉक्टर जवाब दे देता है। अब तो जैसे पूरे गावं में शोक की लहर दौड़ पड़ती है। एक के बाद एक दोनों का क्रिया-कर्म किया जाता है। इसका प्रभाव जितना मंटू पर पड़ता है उससे ज़्यादा पिंकी पर। उसने शादी के समय गुड़िया को सजाया-धजाया था।Chandpur ki Chanda
पिंकी की चाची भी रोज़ पिंकी को गाली दिया करती थी, अब कुछ कम कर देती है। पिंकी का तो वैसे भी घर से निकलना दूभर था। अब दिन-रात खाली रोने में बितने लगता है कि एक दिन अपने-आपको ना रोकते हुए पिंकी बाजू की मनोज बो भौजी के पास चल दी। चाचा ने एक बार पूछा भी तो काम बता दिया लेकिन जब देखा कि चाची का बंदीस बढ़ रहा है तो चाचा का परवाह ना करते हुए जवाब देने लगी लेकिन चाचा पिंकी की मन की भावनाओं को समझते हुए उसे जाने दिए।Chandpur ki Chanda
पिंकी ने मनोज बो भौजी से मदद लिया और चाँदपुर से बाहर जाकर सिलाई सीखना शुरू की और गावं के लड़कियों को फ्री में पढ़ाई-लिखाई के साथ सिलाई भी सिखाती थी। एक दिन पिंकी की तलास करता हुआ मंटू मिल गया। पता नहीं कैसे गावं में फिर चर्चा हो गया कि पिंकी रोज मंटूआ से मिलने जाती है। चाचा-चाची के कुछ कहा-सुनी पर पिंकी ने जहर खा लिया, चाचा भाग-परा कर अस्पताल ले गए पिंकीया की जान बच गई। जिसे जानने के बाद झंझा बाबा उमेश से कह कर दलानी में बुलावा दिया लेकिन सुबह होते ही घर पहुच गए। पिंकी को जब लगा कि कोई अपना है, तब अपने मन में बसे उन सभी विचारों को प्रकट किया, जिसे सुनने के बाद झाँझा बाबा प्रभावित हुए और पिंकी को गोद ले लिया।Chandpur ki Chanda
हलाकि पिंकीया की शादी को उमेश बाबू ने एक 40 साल के आदमी से सामूहिक विवाह में फिक्स कर दिया था लेकिन झंझा बाबा के मना करने पर उमेश मान गए और बाबा ने अपने खर्च-बर्च से पिंकीया की शादी मंटू से कर दी। गावं के जानने-सुनने वाले दांतों तले उंगली दबाबे लगे। और इस तरह मंटू को उसकी चंदा मिल गई। जिसे मंटू अपने नाव पर बैठा कर अपने चंदा को सरयू पार दियार को लेकर चला गया। पिंकी अब आजाद है। झंझा बाबा के दलानी में सिलाई की क्लास चलाती है।Chandpur ki Chanda
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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश Chandpur ki Chanda Book in Hindi
- चांदपुर! सरयू किनारे बसा बलिया जिले का आखिरी गांव! कहते हैं चाँद पर पानी है कि नहीं यह तो शोध का विषय है लेकिन चांदपुर की किस्मत में पानी ही पानी है। चांदपुर चलता है पानी में, जीता है पानी में और टूटता भी है पानी में।
- अब शिक्षा-दीक्षा की बात करें तो गांव में एक संस्कृत पाठशाला है। जिसका संस्कृत से वैसा ही संबंध है जैसा राजनीति का नैतिकता और नेता का ईमानदारी से होता है। स्कूल कमेटी में आए दिन होने वाले लफड़े और स्कूल के मैनेजर नथुनी सिंह द्वारा घूस लेकर अपने दूर के दामादों की की जाने वाली भर्ती के बाद ये बड़े ही सम्मान और गर्व के साथ कहा जा सकता है कि संस्कृत पाठशाला घर बैठकर अवैध पैसा कमाने का एक सुसंस्कृत स्थल है।Chandpur ki Chanda
- मंटू का अपने मौसी से लिपट जाना- देखते-ही-देखते मौसी की आंखों में वात्सल्य का समंदर उमड़ आया। मंटू ने कसकर अँकवारी में पकड़ लिया । एक झटके में रमावती मातृ प्रेम की प्रांजल मूर्ति में तब्दील हो गई । मंटू 6 महीने का शिशु बन गया। उसकी गहरी आंखों में ठहरा प्रेम छलककर पूछने लगा “क्यों सहती हो मेरे लिए किसी की बातें? कहां से लाती हो इतनी ममता, इतनी करुणा और इतना धैर्य?”Chandpur ki Chanda
- इस बसंती हवा मिल रही फगुनी हवा का असर है कि प्रेम के अनजाने पंछी उसकी बंद हो चुकी खिड़की पर आकर बैठते जा रहे हैं! कौतुक से भरा उसका मन कभी मंटू के बारे में सोच रहा है तो कभी दीपक और आरती के बारे में। और सोचते-सोचते समूचा ध्यान खिड़की पर टंगे झोले जैसा टँग जा रहा है।Chandpur ki Chanda
- मनुष्य जब विपत्ति में गिरता है तो मनुष्यता के कुछ और करीब आ जाता है। उसके भीतर की लगभग मृत हो चुकी संवेदना जागती है और उसके भीतर का अहंकार याचक बन जाता है।
- डेढ़ महीने की बदहाली के बाद धीरे-धीरे चांदपुर का जन-जीवन पटरी पर लौट रहा है। जैसे मां से दूर रहा छोटा बच्चा मां को देखते ही मचल उठता है, वैसे ही समूचा चांदपुर अपने पुराने घरों को देखकर मचल रहा है। संघर्ष की बाढ़ में मुरझाए चेहरे धीरे-धीरे निखर रहे हैं। उम्मीदों के झोंके में उदास चेहरों की सिलवटें बदल रहीं है। इधर दिन अब धूसर होता जा रहा है। आसमान एकदम साफ। भोर की हवाएं सरजू किनारे से पितांबरी धारण किए बहती हैं। शीतल, मंद, सुवासित और स्निग्ध।Chandpur ki Chanda
- चिंगारी जी द्वारा भाषण- माननीय मुख्य अतिथि और चांदपुर के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों! इसकी गिनती नहीं की रामलीला में ना जाने कितने स्टार कलाकारों को पैदा किया। इसी रामलीला ने भोजपुरी को उसका शेक्सपियर भिखारी ठाकुर दिया। इसी रामलीला ने हमारे गांव में गंगा-जमुनी तहजीब और सामाजिक समरसता, प्रेम को जिंदा रखा। आज हर जाति वर्ग के लोग दिन-रात मेहनत करते हैं कि उनके गांव में की रामलीला सबसे अच्छी हो। सबके प्रतिष्ठा का सवाल होता है। इसलिए हमने शपथ लिया है कि चांदपुर की लीला को कभी बंद नहीं होने देंगे।Chandpur ki Chanda
- जहां शरीर का आकर्षण खत्म होता है वहां प्रेम का सौंदर्य शुरू होता है। फिर प्रेमी करीब रहे या दूर रहे, वो मिले या बिछड़ जाए। बिना इसकी परवाह किए वहां प्रेम किया जा रहा होता है। एक ऐसा बेशर्त प्रेम! जहां प्रेम मांगना नहीं प्रेम देना ही मुख्य कार्य बन जाता है। तभी तो खाने से पहले उसकी याद आती है कि उसने खाया होगा कि नहीं? जागने से पहले एक बार सोचा जाता है कि रात को उसे नींद आई थी कि नहीं? और कई बार तो ऐसा होता है कि थकान उसे होती है और पैर अपने भी दुखते हैं। भूख से लगती है, और खाया खुद नहीं जाता है।Chandpur ki Chanda
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कोट्स Chandpur ki Chanda Book in Hindi
- अनजान जगह पर मौन रहना भीतर के डर को बढ़ाता है।
- जमाने की आग न जाने किस जमाने से चल रही है। कोई जान गया तो उस आग से निकलना मुश्किल ही नहीं असंभव होगा ।
- प्रेम और पढ़ाई दोनों ही परीक्षा है, लेकिन सारे विद्यार्थी भ्रम में पड़ जाते हैं कि कौन-सी परीक्षा पहले दी जाए? यही तो गलत करते हैं ।
- बेटी का बाप होना पहाड़ होना है, जिसे अपने भीतर से नदी भी निकालनी है और तूफ़ान भी रोकना है।
- जीवन में प्रेम हो तो बाढ़ आंधी-तूफ़ान में भी खुश रहा जा सकता है। और प्रेम न हो तो सावन की सुहानी बौछार भी जेठ की धूप के समान है।
- अगर दुख को गाने से दुख खत्म हो जाता तो दुख किसी के पास आता ही नहीं।
- प्रेम वो रसायन है, जो आदमी से मिलकर आदमी को आदमी बनाता है, एक संवेदनशील आदमी।
- प्रेम में गिरकर हर दर्द खूबसूरत हो जाता है।
- विपत्ति भी आती है तो आदमी को नंगा करके आती है।
- मौत का सौदा महंगा होता है। कहीं सासें गिरवी रखने से बात बन जाती तो ज़िंदगी से ऊबा हर आदमी रोज आत्महत्या कर लेता।
- सबकुछ अपनी सुविधा से सोचने वाला आदमी सबसे बड़ा बेवकूफ होता है।
- दहेज देने से लड़की ससुराल में खुश राहतो तो शहर के अखबार लड़कियों की आत्महत्या से भरे नहीं होते।
- ई साला समाज भी कभी-कभी बेमानी करता है । नियम, कानून, नैतिकता का सारा सवाल शरीफ़ों से ही करता है।
- प्रेम ऐसा दरिया है जिसमें डूबकर आदमी उबर जाता है बबुआ!
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पात्रों का चरित्र-चित्रण Chandpur ki Chanda Book in Hindi
पिंकी- पिंकी “Chandpur ki Chanda” का प्रमुख पात्र और मंटू के दिल की चाँद है। जिसकी भीगी रोशनी से मंटू हमेशा गुलज़ार रहता है। पिंकी उर्फ चंदा बहुत ही कर्मठ, सुयोग्य समझदार, पढ़ाई मे अव्वल और जागरूक लड़की है। जो जानआती है कि लड़कियों का भविष्य उसके अच्छी शिक्षा में ही निहित है। चाची द्वारा प्रताड़ित किये जाने पर भी सर झुकाए चुप-चाप स्वीकार कर लेती है। जिससे उसके सदाचारी होने का प्रमाण मिलता है। लेकिन एक दिन जब उसको लगता है कि अब कुछ ज़्यादा हो तो रहा है तो चाची को मुहतोड़ जवाब भी देती है।
मंटू- मंटू “Chandpur ki Chanda” के प्रमुख पात्र का सहयोगी है। जिसका उपनाम शशि है। मंटू मतवाला है। आशिक है, आवारा है। पढ़ाई-लिखाई में निकम्मा है। लेकिन अपने मौसा-मौसी से बहुत लगाव रखता है। गावं में जब भी कोई कार्यक्रम होता है उसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेता है और सम्पूर्ण कराने में भरसक प्रयास करता है।
राकेश- राकेश मंटू का सबसे अच्छा दोस्त या यूं कह ले कि लगोटिया यार है। जो मंटू के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है। मंटू के मौसा उसकों लाख गाली देते हैं ताकि राकेश मंटू का साथ छोड़कर अपने पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे लेकिन राकेश उनकी बातों को बुरा नहीं मानता है। और मंटू के हर सुख-दुख या विपत्ति में उसका साथ देता है।Chandpur ki Chanda
झंझा बाबा- झंझा बाबा गावं के बड़े बुजुर्ग और सम्माननीय व्यक्ति हैं। बाबा के पास बड़ा घर-म,कान और एकड़ में खेती है लेकिन घमंड तिल मात्र भी नहीं है। गावं समाज के लोग बाबा के पास बैठते-उठते हैं। सलाह-मशवरा करते हैं। झंझा बाबा बड़े ही स्नेह से सबको एक जैसा समझते हैं और अपनी बातों को बड़े ही ठोस विचार के साथ रखते हैं। झंझा बाबा दिल के अच्छे और दिमाग सोनों से बहुत ही स्नेही आदमी हैं। जो पिंकी का दुख-दर्द सुनने-समझने के बाद उसे गोद लेते हैं मन मुताबीक् उसके प्यार से उसका संबंध जोड़ देते हैं। Chandpur ki Chanda
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FAQ
मंटू अपने मौसा-मौसी के यहाँ क्यों रहता है?
Ans: मंटू की माँ के मर जाने के बाद पिता के शराबी होने के कारण मंटू की मौसी रमावती ने उसे गोद ले लिया, जिसके बाद मंटू उनके साथ ही बलिया चला आया और अब साथ में रहता है।
Q: पिंकी के माता-पिता कहाँ रहते हैं?
Ans: पिंकी के पिता एक एक्सीडेंट में मर चुके हैं और माँ छत से गिर कर अपंग हो चुकी है, जिसका सहारा एक मात्र उमेश चाचा है।
Q: झंझा बाबा का परिवार कहाँ रहता है?
Ans: झंझा बाबा के तीन लड़के हैं और तीनों इंजीनियर। दिल्ली, बंबई और बैंगलोर। जो बाबा को अपना खेत-बारी बेच कर बुलाते हैं लेकिन बाबा ने अपना जीवन गावं में त्यागना ही ठीक समझते हैं। रही बात खाना-पानी की हर घर से कुछ ना कुछबाबा के लिए आता रहता है।Chandpur ki Chanda
Q: गुड़िया ने आत्महत्या क्यों किया?
Ans: ससुराल वालों की प्रताड़ना से परेशान होकर गुड़िया ने आत्महत्या करना ही ठीक समझा।
Q: पूनम अपने मैके क्यों रहती है?
Ans: ससुराल वालों ने दहेज कम होने के कारण पूनम को घर से निकाल दिया और उसके पति ने शहर के दूसरी लड़की से शादी कर बच्चा भी पैदा कर दिया। जिसके वजह से उसके घर वाले अब पूनम को पाउछते नहीं और पूनमको अपने मैके ही रहना पड़ता है।
Bahut achha laga 💕🙏 bahut kuchh sikha hmne ese padh kar. Thanks sir 🙏
Author atul sir 🙏
vijit karane ke liye dhanywaad. love you.
love you, sir
Thanks sir 🙏🙏 author atul is a great
Es kahani se bahut kuchh sikha hmne 🙏💕 thanks 🙏👍,. God bless you @authoratul,. Very very helpful story in life