इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे निशांत जैन द्वारा लिखित Ruk Jana Nhin की Book Review के साथ-साथ Summary in hindi और Quotes के साथ-साथ PDF download को भी साझा करेंगे।
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Ruk Jana Nhin: Book Review
यूं तो आपको ऐसे बहुत लेखकों के प्रेरणादायी किताब जैसे नीलोत्पल मृणाल की “डार्क हॉर्स”, अगर जैन की “कभी गांव कभी कॉलेज“Ruk Jana Nhin: Book Review, Summary in hindi, Quotes, PDF downloadRuk Jana Nhin: Book Review, Summary in hindi, Quotes, PDF downloadRuk Jana Nhin: Book Review, Summary in hindi, Quotes, PDF download,वीरेंद्र ओझा की ‘इलाहाबाद डायरी’ और भी तमाम प्रेरणादायी उपन्यास बाज़ार में उपलब्ध हैं लेकिन उन सबमें निशांत की यह किताब एक अलग छाप छोड़ती है।
निशांत अपनी इस मोटिवेशनल किताब में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए लाइफ सकिल, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, राइटिंग सकिल पर कां की बातें साझा की हैं। उन्होंने असफलता को संभालने और सफलता पानए के कुछ नुस्खे भी सुझाएं हैं। युवाओं की सफलता की कुछ अनूठी और अनकही कहानियाँ भी इस किताब में शामिल हैं।
निशांत ने हिन्दी भाषियों को मद्देनजर रखते हुए इस किताब की रचना की है, जिसके वजह से इसकी भाषा शैली साधारण समझने योग्य हिन्दी का ही इस्तेमाल किया गया है। कुछ-कुछ अंग्रेजी के शब्दों से भी आपका सामना होगा लेकिन इसमें घबराने की बात नहीं है, उन्हे आप जानते हैं और यदि नहीं जानते तो उसका अर्थ भी नीचे लिखा हुआ आपको मिलेगा।
कुछ मिलाकर इसमें निशांत ने अपने जीवन मंत्र को निचोड़ कर इसमें डाल है और इस किताब की सबसे अच्छी बात ये हैं कि इसमें 25उन सफल अभ्यर्थियों की कहानी भी है, जिन्होंने लाख परेशानियों के बावजूद यू. पी. एस. सी. पास कर आईएएस या आईपीएस की वर्दी को धारण किया। उ सभी की कहानियाँ आपको बहुत प्रेरित करेगी।
Ruk Jana Nhin: Summary in hindi-
“रुक जाना नहीं…” निशांत के इस किताब में चौदह ऐसे अध्याय ऐसे हैं जो उनके जीवन से इंसपायर हैं, जिनमें उन्होंने छात्रों का मार्गदर्शन किया है और उसके बाद 25 प्रेरणादायी कहानियाँ हैं, जो यू. पी. एस. सी. के सफल अभ्यर्थियों की हैं। मैं उनमें से कुछ ऐसे अध्याय को आपसे साझा करूंगा, जिन्हे आप आसानी से समझ सकें।
कैसे सँवारे अपना व्यक्तित्व-
कॉम्प्टीशन में सफलता की उम्मीद में अपनी किस्मत आजमाने की चाहत लिए छोटे-छोटे शहरों की, खाली-बोर दुपहरों से, झोला उठाकर चलने वाले युवा एस क्या करें कि उनकी सफलता की संभावनाएं बढ़ जाएँ।
मन में हो विश्वास…..
तैयारी और संघर्ष की लंबी, उबाऊ और थकावट भरी प्रक्रिया में कई बार ऐसा होता है कि आपके अपने माध्ययम/तरीके अपनी काबिलियत या खुद पर ही आपकी आस्था डगमगाने लगती है। कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि यह परीक्षा या यह फील्ड ‘मेरे बस का रोग’ नहीं है। ऐसा महसूस होनया स्वाभाविक है और इसमें कोई दिक्कत भी नहीं है। पर कुछ दोस्त अनास्था के संकट का बुरी तरह शिकार होकर व्यथित हो जाते हैं और परीक्षा सेजुड़े हर पहलू को लेकर एक आशंकापूर्ण और नकारात्मक नज़रीए का निर्माण कर लेते हैं।
अपनी ताकत पहचाने और जुट जाएँ-
प्रकृति ने प्रत्येक व्यक्ति को कुछ विशेषताएं और गुण प्रदान कीए हैं तो स्वातौर पर कुछ कमियाँ भी लेकिन यह तय हैं कि हमारी कमियाँ या खूबियाँ समय के साथ बदलती रहती हैं और कुछ प्रयासों से अपनी कमियों और नुकसान पहुचाने वाली आदतों से निजात भी पाई जा सकती है; परंतु इसके लिए खुद को पहचानना और खुद के प्रति एक समझ विकसित करना जरूरी है।
दूसरे शब्दों में इसी की ‘आत्म-निरीक्षण’ या ‘आत्मन्वेषण’ कहते हैं।
हमेशा सीखते रहे….
मनुष्य में एक ऐसा खास गुण है, जो उसे बाकि प्राणियों से भिन्न बनाता है और जिस गुण के बाल पर वह आज महाबली बन गया है। वह गुण है-सीखना। यह इंसान की सीखने की भूख ही है, जो उसे निरंतर नए आविष्कार करने, निरंतर आगे बधने और कुछ बनाया सीखने की जबरजस्त प्रवृति होती है और वह अनुकरण से तेजी से चीजों को सिखता है।
इस तरह सीखने की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और हमारी सोच के आयामों का विस्तार होता जाता है। हम अपने परिवार, दोस्तों, शिक्षकों पास-पड़ोस, आस-पास के पर्यावरण, अखबार, पत्रिकाएं, इंटरनेट, साहित्य, विज्ञान, खेल-कूद—सबसे निरंतर सीखते ही जाते हैं और दिन-प्रतिदिन परिपक्व होते हाते हैं।
हार्ड वर्क का कोई विकल्प नही-
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता और निरंतर कदम-डर-कदम आगे बढ़ते रहने पर ही सफलता प्राप्त होती है।
आमें कड़ी मेहनत करने की प्रवृत्ति होनया इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि सफलता की राह और उसके बाद सेवाकाल में भी हर मोड पर कठिन परिश्रम का पुरस्कार है और अधिक परिश्रम। लिहाजा मेहनत करने से कतई ण कतराएं और आलसी से बचते हुए खुशी-खुशी सहज भाव से भरपूर परिश्रम करें।
विनम्रता सर्वश्रेष्ठ नीति है –
व्यक्तित्व-निर्माण की प्रक्रिया में जो विशेषता विकसित करना अपरिहार्य है, वह है-विनम्रता । विनम्रता एक ऐसा गुण है, जो आपको भी खुश रखता है और आपसे जुड़े लोगों को भी। हम अपने आस-पास अक्सर ऐसे साथियों को देखते हैं, जो परीक्षा का कोई चरण उत्तीर्ण होने या अपने अच्छे प्रदर्शन पर विचलित हो जाते हैं और ज़मीन पर पाँव भी नहीं रखते।
छोटी-छोटी खुशियों को जीना चाहिए; पर अपनी छोटी-छोटी सफलताओं कागुमान करना या व्यर्थ में इतराना अथवा दूसरों को नीचा दिखाना भला कहाँ की समझदारी है।
अपने कौशल विकसित करें-
यू तो सभी व्यक्तियों की शमताएं अनंत हैं पर हम व्यक्तियों में भेद कैसे करते हैं हम कैसे किसी व्यक्ति को बेहतर या अधिक योग्य समझते हैं और किसी को कमतर? इसका पैमाना होता है उसके व्यक्तित्व में निहित कौशल। मजे की बात यह है कि हम में से कोई भी थोड़ी मेहनत और लगन से अपने कौशल को विकसित कर सकता है।
सकारात्मकता से भरपूर रहें-
मेरी समझ में सफलता के प्रति प्रतिबद्ध किसी भी अभ्यर्थी का आदमी अकारात्मकता से भरपूर होने का गुण उसे बाकि अभ्यर्थियों से काफी बेहतर स्थिति में पहुंचा सकता है। परीक्षा की लंबी व कठिन प्रक्रिया के दौरान स्कारात्मकता और मोतिवेशन लेवल बनाए रखना इतना आसान भी नहीं हैं; पर थोड़े प्रयास से इस स्तर को कायम रखा जा सकता है। मेरी दृष्टि मे, इस सकरात्मकता के स्तर को बनाए रखने में ये कुछ तरीके कारगर हो सकते हैं-
- अमूमन खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें।
- छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करे और आज की खुशी का सेलिब्रेशन कल के लिए आरक्षित न करें।
- कोशिश करें कि पॉजिटिव सोच रखने वालों की संगति करें और निगेटिविटी से भरपूर लोगों से एक सुरक्षित दूरी बनाएं रखें।
- अपनी रूचियाँ विकसित करें। हममें से हर किसी का रुझान और अभिरुचियाँ अलग-अलग हो सकते हैं।
निशांत की 25 प्रेरणादायक अभ्यर्थियों की कहानियों में से मैने दो सफलतम अभ्यर्थियों की जीवनी को मैने चुना है, जिसने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया।
आशीष कुमार, उत्तर प्रदेश-
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से संबंध रखने वाले आशीष कुमार बताते हैं कि वर्ष 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में हिन्दी माध्यम और हिन्दी साहित्य विषय के साथ रैंक 817 के साथ चयनित हुए हैं। आशीष का यह नौवा और अंतिम प्रयास था। इससे पहले पाँच मुख्य परीक्षा और दो इंटरव्यू दे चुके थे।
घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण अपनी मेहनत पर 23 की उम्र में ही सरकारी नौकरी ले लिया लेकिन आशीष ने अपना कदम वहइन नहीं रोका, उसके बाद अपनी तैयारी को सिविल सेवा के तरफ मोड दिया और पहली बार 2010 में मुख्य परीक्षा, 2011 में इंटरव्यू लेकिन उसमें नहीं हुआ, 2016 में फिर प्रारम्भिक परीक्षा फेल। आशीष ने हार नहीं मानी और 2017 में आखिरी बार बैठे और अपने लिए एक सिट कन्फर्म कर ली।
आशीष ने सिविल सेवा की नौकरी सिर्फ और सिर्फ अपने बलबूते हासिल किया। बिना किसी कोचिंग और बिना किसी मार्गदर्शन के। कठिन परिश्रम कर उन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया। आशीष की सबबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने फेलियर का सामना बाट डट कर किया, हालांकि थोड़े-बहुत डिगे लेकिन अपना पथ नहीं छोड़ा और अपना लोहा मनवाकर ही सांस लिया।
आशीष कुमार वर्मा, बिहार-
‘सेरेब्रल पाल्सी’ की बीमारी के बावजूद UPSC पास करने वाले भारत के पहले विद्यार्थी की यह बेमिसाल कहानी है। जिसे हर एक को पढ़नी ही चाहिए। आशीष अपने इस सफलता भरी कहानी में बताते है कि जब मेरे माता-पिता को डॉक्टरों ने बुलाकर कहा-“आपके बेटे को सेरेब्रल पाल्सी नाम की दुर्लभ बीमारी है, ये कभी चल नहीं सकता। आपको यह सत्य स्वीकार करना होगा। एक अच्छी बात ये हैं कि इसकी आई. क्यू. ठीक है, वर्ना ऐसे अधिकांस मामलों में मानसिक क्षमता के नष्ट होने की भी बहुत संभावना होती है।”
मेरे बीमारी का नतीजा यह हुआ कि पटना का कोई भी स्कूल मुझे दाखिला देने को तैयार न था। किसी तरफ किसी स्कूल या कॉलेज ने शरण दी। मेरे लिए एक अच्छा संकेत यह था कि मैं जिस विद्यालय में भी जाता, वहाँ तमाम बाधाओं के बावजूद हर कक्षा में टॉप करता था। साथ-ही-साथ बचपन से कविताएं लिखने का शौक था, जुनून था, जो अब भी अनवरत कायम है। मेरी कविताएं बाल्यकाल से ही विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगीं।
बिहार स्टेट बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा में मैने पूरे राज्य में आठवाँ स्थान हासिल किया और फिर पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. ऑनर्स में तीसरा स्थान एवं एम. ए. में पूरे विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। फिर UGC NET उत्तीर्ण करने के बाद घर पर ही सिविल सेवा की तैयारी करने लगा। ज़ाहिर-सी बात है, दिल्ली जाकर तैयारी करना या कोचिंग क्लासेस करना मेरे लिए दुष्कर था। इसलिए मैने स्व-अध्ययन का ही सहारा लिया।
प्रयत्नों का सुखद सुफल सामने था। सन् 2011 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा मैने उत्तीर्ण की।
कुछ अछे और महत्वपूर्ण अंश-
चलती का नाम ही जिंदगी है और जिंदगी कभी थमती नहीं है, अतः कैरियर विकल्प मन में रखना एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। आइए, हम कुछ ऐसी परीक्षाओं या करियर विकल्पों की चर्चा करते हैं, जिन्हे आप अपने UPSC की तैयारी के साथ-साथ या सफल न हो सकने की दशा में अपना कर एक बेहतर जीवन बिता सकते हैं। इसी को ‘बैकअप प्लान’ भी कहते हैं। एक मशहूर कहावत भी है-
“डॉन्ट पुट ऑल एग्स इन वन बास्केट।” यानि सारे रास्ते एक ही विकल्प तक सीमित करके नहीं रखने चाहिए। लिहाजा जरूरी है कि आप अपनी अभिरुचियों, महत्वाकांक्षाओं और योग्यताओं के अनुरूप वैकल्पिक कैरियर विकल्प भी तलाश लें। इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण कां की बातें इस प्रकार हैं-
UPSC की अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं- सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थी अपनी अहर्ता और अभिरुचि के अनुरूप संघ लोक सेवा आयोगा द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं, जैसे-
- IFoS
- IES(इंजीनियरिंग सेवा)
- ISS
- IES(आर्थिक सेवा)
- CMS
- SCRA
- CAPF
राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाए-
अन्य विविध प्रतियोगी परीक्षाएं-
- JRC
- SSC(CGL)
- DSSSB
- RRBs
- SBI or IBPS
- UGC-NET-JRF
Ruk Jana Nhin: Quotes-
जब कोई व्यक्ति सफलता की प्रबल इच्छा के साथ नतीजे की सोचे बगैर आगे बढ़ता है, तो उसकी सफलता की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
Ruk Jana Nhin
निरंतर अभ्यास से तो मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाते हैं।
Ruk Jana Nhin
निरंतर कदम-दर-कदम आगे बढ़ते रहने पर ही सफलता प्राप्त होती है।
Ruk Jana Nhin
कठिन परिश्रम का पुरस्कार है और अधिक परिश्रम।
Ruk Jana Nhin
विनम्रता एक ऐसा गुण है,जो आपको भी खुश रखता है और आपसे जुड़े लोगों को भी।
Ruk Jana Nhin
छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करें और आज की खुशी का सेलिब्रेशन कल के लिए आरक्षित न करें।
Ruk Jana Nhin
सफलता के प्रति प्रतिबद्ध किसी भी अभ्यर्थी का अदम्य सकारात्मकता से भरपूर होने का गुण उसे बाकि अभ्यर्थियों से काफी बेहतर स्थिति में पहुँच सकता है।
Ruk Jana Nhin
सकारात्मकता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं।
Ruk Jana Nhin
व्यस्त रहना आपको शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखता है।
Ruk Jana Nhin
साथ-साथ चलो, साथ-साथ बोलो और साथ-साथ एक-दूसरे के मन को समझो।
Ruk Jana Nhin
पढ़ना एक बात है और उसे समझना व उस पर मनन करना दूसरी।
Ruk Jana Nhin
दूसरों के विचारों का सम्मान करना सीखें। हमेशा सीखने को तैयार रहें और चारों ओर से बेहतर विचारों को अपनी ओर आने दें।
Ruk Jana Nhin
तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता एक लत का रूप लेकर नये किस्म की समस्याओं को जन्म दे सकती है।
Ruk Jana Nhin
‘परफेक्ट’ जैसा कुछ भी नहीं होता और न ही सफलता के लिए आपको परफेक्ट बनने की दरकार है।
Ruk Jana Nhin
परफेक्शनिष्ट बनने की ज़िद खुद से एक ज़्यादती है क्योंकि कोई भी चीज या कोई भी व्यक्ति स्वयं में पूर्ण या परफेक्ट नहीं होता।
Ruk Jana Nhin
कोई भी समझदार अभ्यर्थी सही तरीके से परिश्रम और पुरुषार्थ के द्वारा टॉपर बन सकता है।
Ruk Jana Nhin
जब आप अपनी यात्रा को मस्ती के साथ जीना शुरू कर देंगे तो आपको महसूस होगा कि कभी-कभी ‘सफर मंज़िल से भी ज़्यादा खूबसूरत होता है।’
Ruk Jana Nhin
शिक्षा अपने अज्ञान की प्रगतिशील खोज है।
Ruk Jana Nhin
जीवन में सफलता का मूल मंत्र है—निरन्तरता।
Ruk Jana Nhin
अच्छे प्लानर बनने के साथ-साथ कर्मशील भी बने।
Ruk Jana Nhin
जिस तरह रुका हुआ पानी सद जाता है, उसी तरह रुका हुआ जीवन थक जाता है।
Ruk Jana Nhin
समय का पहिया हर सफलता और असफलता के बाद भी निरंतर चलता जाता है।
Ruk Jana Nhin
जब हम सफलता के काफी नज़दीक होते हैं, तब हम निराश होकर प्रयास करना ही छोड़ देते हैं।
Ruk Jana Nhin
सफलता अपने साथ बहुत सारी अपेक्षाएं और जिम्मेदारियाँ लेकर आती हैं।
Ruk Jana Nhin
FAQ
Q “रुक जाना नहीं” का लेखक कौन है?
रुक जाना नहीं… के लेखक निशांत जैन हैं।
Q रुक जाना नहीं… को कब और किसने प्रकाशित किया है?
रुक जाना नहीं… को हिन्द युंग ब्लू ने 2019 में प्रकाशित किया था।
Q रुक जाना नहीं… का सारांश क्या है?
निशांत जैन द्वारा लिखित इस किताब का सारांश “सफलता की राह पर बढ़ते जाने के प्रेरक मंत्र है, जो हर उस युवा को अपने तरफ आकर्षित कर उसे अपने आगोश में ले लेगी, जो किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा आहै अथवा वह भटकने के मार्ग पर अग्रसर है।
Q रुक जाना नहीं… को किसे पढ़ना चाहिए?
अगर आप एक युवा है और आपको किसी ऐसे पढे लिखे से अपना मार्गदर्शन करना चाहते हैं तो आपको निशांत की यह किताब अवश्य पढ़ना चाहिए, क्योंकि निशांत ने अपनी इस मोटिवेशनल किताब में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए लाइफ स्किल, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, राइटिंग स्किल पर कां की बातें साझा की हैं। उन्होंने असफलता को संभालने और सफलता पानए के कुछ नुस्खे भी सुझाएं हैं। युवाओं की सफलता की कुछ अनूठी और अनकही कहानियाँ भी इस किताब में शामिल हैं
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