Ravanputra Meghnad

Ravanputra Meghnad: book review, book summary in hindi, pdf download

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे केविन मिसल द्वारा लिखित Ravanputra Meghnad का book review और summary in hindi के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।

Book Review

रावनपुत्र मेघनाद”  केविन मिसल द्वारा लिखित यह उपन्यास रामायण जैसे पौराणिक कथा से प्रेरित है। हालांकि उपन्यास के पहले पन्ने पर लेखक द्वारा यह कहा गया है कि आप इसे उस पौराणिक कथा से कोई संबंध अपने ध्यान मे ना रखते हुए ही इसे पढे। क्योंक लेखन ने अपनी जादुई कलम से 50% तक घटनाए या  पात्र कल्पना किया हुआ है।

अगर आप सभी ने हर दशकों मे एक-दो बार बनने वाले रामायण सीरियल देखा होगा तो आप सभी रावनपुत्र मेघनाद के बारे जरूर सुना और देखा होगा। जिसका चरित्र रामायण मे थोड़ा ही है लेकिन बहुत ही दमदार दिखाया गया है। केविन मिसल ने मेघनाद से प्रभावित होकर उसके बारे में जानने वाले लोगों के लिए इस किताब का निर्माण किया है।

इस किताब को पढ़ते वक्त आपको सबसे रोचक चीज़ ये पढ़ने को मिलेगी की रावण का भाई कुंभकर्ण जिसे हम सभी लोग ऐसा जानते हैं कि वो छः-छः महीने सोता था, इसमे केविन ने उसे एक वैज्ञानिक के रूप मे प्रदर्शित किया है, जो खतरनाक और रासायनिक शस्त्र बनाने का काम करता है। और ध्यान थोड़ी बहुत आकर्षित करती है सुपूर्णखा, जिसे केविन ने उसके नाखून लंबे होने के वजह से सुपूर्णिका नाम दिया है और उसके जीवन की भी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को शामिल किया है।

किस प्रकार सुपूर्णिका लंका का नाश करने एक लिए एक जाल बुनती है, राम का साथ देती है और मेघनाद की प्रेमिका प्रमिला के हाथों मारी जाती है। केविन के मेघनाद की जीवन में ऐसी बहुत ही रोचक घटनाएं हैं, जो आपको बहुत ही आनंदित करेंगी।

कुल मिलाकर केविन मिशल की यह कहानी वाकई दमदार है। इसमे कोई शक नहीं। “रावनपुत्र मेघनाद” मैंने तो एक बार में पढ़ कर खत्म कर दिया, बाकी आप कितने दिन मे पढ़ते हैं और आपको केविन मिसल की कहानी कैसी लगी, मुझे कमेन्ट कर के आप बता सकते हैं।

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Ravanputra Meghnad: book summary in hindi

कहानी की शुरुआत जंगल मे एक कुटिया बना कर रक रहे राघव, उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता से उस इलाके मे अध्यक्ष के पद पर रहने वाली रावण की बहन मीनाक्षी (सुपूर्णिका) उनसे कर(टैक्स) लेने आती है लेकिन राघव द्वारा मना कर देने पर मीनाक्षी अपने सैनिकों के साथ हमला कर देती है। नतीजा ये होता है कि उसके सारे सैनिक मारे जाते हैं और मीनाक्षी को वहाँ से अपना कटा हुआ नाक लेकर भागना पड़ता है।

मेघनाद भी अपने भाई अनिकेत के साथ स्वर्ग मे इन्द्र के द्वारा कैद कर के रखे गए अपें पिता रावण को उनसे छुड़ा कर लंका लेकर पहुचता है। जहां रावण और मेघनाद को मीनाक्षी के माध्यम से राघव के बारे जानकारी प्राप्त होती है। रावण अपने बहन के साथ दुराचार होने पर राघव से बदला लेने के लिए उनकी पत्नी सीता को अपहरण करने का विचार करता है।

मीनाक्षी एक राज की बात बताते हुए रावण से कहती है कि सीता और कोई नहीं बल्कि आपकी बेटी है, जिसे बचपन में मा ने लोक लज्जा से बचने के लिए उसे एक टोकरी रख कर ज़मीन मे गाड़ दिया था, पहचान के लिए उसके गले मे आपके राजचीन्ह का हार है। जिसे कुछ दिन पहले ही मीनाक्षी ने अपने राघव के सामने अपनी गलती की क्षमा-याचना के लिए गई थी और सीता को अपने तरफ से उपहार स्वरूप भेंट किया था। राघव के कहने पर ही सीता ने उसे अपने गले में धारण किया।

कुंभकर्ण, जो एक वैज्ञानिक है और अपने शोध मे छः-छः महीने लगाता है और लोगों को ये लगता है कि वह सोते हुए बिताता है। इससे उसकों कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन कुंभकर्ण की सच्चाई को मेघनाद अच्छी तरह से जानता है। कुंभकर्ण मेघनाद  को ये बताता है कि रावन के कहने के अनुसार पच्छिम की और से भरत हमारे सारे साथी राज्यों को जीत रहा है और उनसे दोस्ती करता जा रहा है जो लंका के लिए खतरनाक है।

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हमे भी अपनी शक्ति और परमाणु जखीरा को बढ़ाना होगा ताकि हम उसका सामना कर सके। कुंभकर्ण आने राज्य की शक्ति को बढ़ाने के लिए मेघनाद से पाताल मे रहने वाले नागलोक कन्या राजकुमारी प्रमिला से शादी करने को कहता है ताकि दोनो राज्यों के बीच एक संधि बन जाए।

कुंभकर्ण ये भी बताता है कि उस सशादी के बदलें में उसे नागलोक मे नागमणियों से भरा खजाना मिल सकता है, जिसमे से रेडियोधर्मिकता निकलता है। जिसकी मदद से हम सोम के साथ मिलाकर एक भारी विशफोटक तैयार कर सकते हैं।

मेघनाद को शादी मे कोई रुचि नहीं होने के बावजूद वो शादी के लिए तैयार हो जाता है लेकिन प्रमिला से मिलने के बाद उसका नजरिया बदल जाता है। प्रमिला भी,  जो  उसे एक राक्षस के समान जानती थी, मेघनाद से मिलने के बाद उसका भी विचार बदल जाता है और दोनों को एक-दूसरे से दिल्लगी कर बैठते हैं।

शादी के दिन ही भरत के साथ मिलकर प्रमिला का पिता और उसका अंगरक्षक मेघनाद को मारने की साजिस करते हैं, जिसका प्रमिला बचाव करती है और मेघनाद के कहने पर उसी समय उसके साथ लंका को चली जाती है। तब उसे पता चलता है कि रावण ने राघव की पत्नी सीता को अपहरण कर लाया है।

मीनाक्षी सीता के हरण के बाद राघव और लक्षमन का साथ देती है और सुग्रीव से मित्रता करने का सुझाव देती है। राघव से मिलने के बाद सुग्रीव अपनी परेशानी बताते हैं और राघव के साथ मिलकर बालि को मारने एक बाद सुग्रीव का राज्याभिषेक होता है ।

सुग्रीव अपने सैनिकों के साथ मिलकर तत्पश्चात लंका की चढ़ाई करने की तैयारी करने लगते हैं। सुग्रीव के परमवीर और सबसे समझदार सदस्य बजरंग(हनुमान) सीता का पता लगाते हैं और बजरंग के माध्यम से राघव सीता को संदेश देते हैं कि वह निश्चिंत रहे क्योंकि अब उन्हे लाने की तैयारी शुरू हो गई है।

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लंका मे भी युद्ध की तैयारी होने लगती है। प्रमिला को लंका की राजमहल में रहते हुए वहाँ के राजचीन्हों को जानने के बाद प्रमिला सीता से मिलती है और इस बात कर पता लगाती है कि उसके गले मे ये हार कहा से आया, जिस पर लंका के राजचीन्ह जड़ित हैं। सीता प्रमिला को बन में घटी सारी घटनाओं को बता देती है। जिसके बाद प्रमिला से रहा नहीं जाता और तुरंत वो मेघनाद से बता देती है लेकिन मेघनाद विश्वाश नहीं करता है।

युद्ध मे जाने से पहले एक बार मेघनाद और प्रमिला मिलकर मीनाक्षी से बातें करते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया? तब मीनाक्षी अपने पति विद्युत का बदला की बात करती है तब मेघनाद कहता है कि ये सच नहीं है। मै जब विद्युत को कारावास से निकाल कर बाहर लाया था, तभी उसने मुझ पर पलट वार कर दिया और मारा गया। बल्कि वो तुमसे प्यार नहीं, तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा था।

इतना सुनने के तुरंत बाद मीनाक्षी मेघनाद पर चाकू से हमला कर देती है लेकिन प्रमिला के वहाँ रहने से मेघनाद बच जाता है। प्रेमिला मेघनाद को समझाती है कि ये युद्ध ही गलत कारणों से हो रहा है अतः इसका परिणाम भी गलत ही होगा, कोशिश ये करो कि किसी तरह ये युद्ध रुक जाए।  

मेघनाद इस बात को समझता है और अपने पिता को भी समझाने की कोशिश करता है, लेकिन रावण ये कहते हुए मना कर देता है कि वो मीनाक्षी की सारी बातों को जानता है और ठीक है कि सीता उसकी पुत्री नहीं है, वो एक नौजवान  और सुंदर महिला है, जिसे युद्ध के बाद वो शादी कर लेगा। मेघनाद को ये बात कुछ अनैतिक लगती है। जिस वजह से मेघनाद युद्ध करने से मना कर देता है।

रावण ये बात जान कर बहुत दुखी होता है कि जिसे आजतक वो बहादुर और अपना सबसे अच्छा बेटा तथा अपना अनुयाई मानता था, आज वो एक महिला के बहकावे मे आ गया है तो ठीक है। वो प्रमिला को ही मार देगा। जो मेघनाद बिल्कुल नहीं चाहता है और ना चाहते हुए भी युद्ध के लिए जाता है। लक्ष्मण से उसकी युद्ध होती है और इस अनैतिक युद्ध में लक्ष्मण के हाथों मारा जाता है ये कहते हुए कि प्रमिला की रक्षा करना और उससे ये कहना कि मैं उसका मेघनाद था, न कि इंद्रजीत। मेघनाद सिर्फ मेघनाद…

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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-

दशानन ने अपनी भौह चढ़ाई, जब मेघनाद ने उसे निकुंबला पहाड़ी की घटना सुनाई, पूरी बात सुनने के बाद उसे पीठिका पर जोर से मुट्ठी मारी। ‘वो कमीना मानव!’ उसे लगता है कि मेरे परिवार के सदस्यों को मारकर वो बच जाएगा।‘

मेघनाद देख सकता था कि दशानन दुखी नहीं था, बल्कि पराजय के डर से भयभीत था, और फिर वो मेघनाद को देखकर मुस्कुराया और उसने उसे गले लगा लिया।

मेघनाद ने उसे गले नहीं लगाया।

‘मेरे पास तुम हो, पुत्र’।  जब तक तुम मेरे पास हो, मैं पूरी दुनिया से जीत सकता हूँ, तुम्हारा दिमाग बहुत तेज है।‘

 उसने मेघनाद के कंधे  को थपथपाया। ‘क्या हुआ?’

उसने आह भरी, और ये कहने से पहलए उसे दोबारा सोचने की जरूरत नहीं थी: ‘मैं अब आपके लिए लड़ाई नहीं करूंगा, पिताजी।‘

‘क्यों?’

‘ये सही नहीं है।‘

‘बात सही या गलत की नहीं है। तुम मेरी बात मानते हो। तुमने हमेशा मेरा अनुशरण किया है।’

मेघनाद ने अपना सर हिलाया। ‘अब और नहीं,’ वो रुका। ‘अगर आपने ये युद्ध नहीं रोका, तो मैं इसमें भाग नहीं लूँगा। अगर आपने युद्ध बंद कर दिया, तो मैं आपके साथ हूँ।’

‘और उन इंसानी कीड़ों को अपना हक ले जाने दूँ!’ वो चिल्लाया। ‘देवी सीता आपका हथियाया हुआ कोई सामान नहीं हैं।’ वो एक महिला है,’ मेघनाद ने कहा। ‘और एक पत्नी, जिसका आपने अपहरण किया।’

‘तुम्हें ऐसे देख मुझे बहुत निराशा हुई। तुम अपने पिता के खिलाफ हो, जिसने तुम्हें वो बनाया, जो आज तुम हो,’ दशानन ने कहा। ‘लेकिन ठीक है, अगर तुम्हें मेरे लिए नहीं लड़ना है, तो मत लड़ो। मैं समझता हूँ। मैं तुम पर दबाव नहीं डाल सकता, पुत्र।‘

मेघनाद हैरान था। क्या उसे मेरे युद्ध में भाग न लेने से कोई आपत्ति नहीं थी?

‘लेकिन फिर मैं…. ’ दशानन अपने आसन पर बैठकर, कंधे उचककर कहने लगा। ‘मुझे बस चिंता हो रही थी…. प्रमिला की।’

‘आप कहना क्या चाहते हैं?’

‘और पुत्र, तुम्हें भी उसकी चिंता करनी चाहिए,’ अपनी नाक फुलाते हुए उसने कहा। उसकी आँखों में निर्दयता थी।

‘आप ऐसा नहीं कर सकते,’ वो दाँत पीस रहा था।

‘वो कोई पहली महिला तो नहीं है, जिसे मैं मारूँगा,’ वो पीछे पीठ टीकाकार बैठ गया। उसके चेहरे पर घिनौनी मुस्कान थी, भावरहित और घातक। ‘और अगर तुम इस युद्ध का हिस्सा हो, तो मैं उसे हाथ तक नहीं लगाऊँगा। वचन देता हूँ। लेकिन अगर तुम नहीं हो… तो मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।’

मेघनाद को एहसास हुआ कि वो जाल में फंस गया था, वो जानता था कि अगर वो युद्ध में नहीं गया, तो उसे हमेशा डर सताता रहेगा कि एक दिन दशानन अपनी धमकी को सच कर देगा।

मेघनाद भाग सकता था लेकिन दशानन उसे पकड़ लेता और किसी न किसी तरह प्रमिला को मार देता।

और अगर वो युद्ध में गया, तो ये उसके उसूलों के खिलाफ होगा। और उसे अब एक ही रास्ता नजर आ रहा था।

युद्धभूमि में समर्पण।

पात्रों का चरित्र-चित्रण-

रावण- रावण लंका का बहुत ही प्रतापी राजा है। जिससे बाकी लोग बहुत डरते हैं। उसके राज्य के लोग दशानन के नाम से ही संबोधित करते हैं। अहंकार, क्रोध और अपान शक्ति प्रदर्शन करना उसे आता है। रावण इतना शक्तिशाली है कि उससे भिड़ने के लिए आस-पास के कोई भी राज्य उससे भिड़ना नहीं चाहता। वह कपटी है। 

मेघनाद- मेघनाद लंकाधिपती राजा रावण का सबसे योग्य पुत्र है। उसके अंदर निर्दयीता कूट-कूट कर भरी है। उसमें इन्द्र को पराजित करने की अपार शक्ति है। ज्ञान-विज्ञान की बातें भी उसे बहुत प्रभावित करती है। अपने भाइयों से उसे बहुत लगाव है। जब उसकी मुलाकात प्रमिला जैसी राजकुमारी से होती है तो उसके प्रति सम्मोहित होकर अपना दिल दे बैठता है। और अंत मे उसकी बचाव के लिए उसे अपनी जान भी देनी पड़ती है।  

प्रमिला-प्रमिला नागलोक की राजकुमारी है। जो चेहरे के साथ-साथ दिल की बहुत ही सुंदर है। बड़ी आंखे, भरे-भरे होंठ, प्यारी सी नाक, खुले बाल और गोरी, लालिमा युक्त रंगत है। जिसे देखते ही मेघनाद अपना दिल हार जाता है। अपने राज्य के गरीब लोगों को खाना-पानी और कपड़े-लत्ते दान करती है। गरीब बच्चों की शिक्षा का भी भार उठाती है।  उसके दिल मे अपने राज्य के प्रति बड़ी श्रद्धा भी है, अपने राज्य के लोगों को बचाने के लिए मेघनाद जैसे खूंखार और वहसी राजकुमार शादी करने के लिए तैयार हो जाती है।  

मीनाक्षी- मीनाक्षी रावण की सौतेली मा की पुत्री है। जिसके बड़े नाखून हैं और लोग उसी कारण उसे सुपूर्णिका नाम से जानते हैं। मीनाक्षी के अंदर बदले की भावना है। वह शक्तिशाली है। वह एक पतिव्रता स्त्री है। और होशियार भी है। उसे राघव पर विश्वास है।

FAQ

Q Ravanputra Meghnad का लेखक कौन है?

केविन मिसल Ravanputra Meghnad के लेखक हैं।

Q Ravanputra Meghnad इसका हिन्दी अनुवादक कौन है?

Ravanputra Meghnad का हिन्दी अनुवादक उर्मिला गुप्ता जी हैं ।

Q Ravanputra Meghnad का प्रकाशक कौन है?

simon & schuster Ravanputra Meghnad के प्रकाशक हैं।

Q क्या Ravanputra Meghnad पौराणिक कथा रामायण पर आधारित है?

नहीं! यह किताब रामायण पर आधारित नहीं है। इसमें बहुत सारी घटायें जोड़ी गई हैं और बहुत सारे पात्र भी नहीं हैं।

Q Ravanputra Meghnad का नाम इंद्रजीत कैसे पड़ा?

जब इन्द्र द्वारा रावण को बंधक बना लिए जाने पर Ravanputra Meghnad ने अपने बल और पराक्रम से अपने पिता को इन्द्र से छुड़ा लाया तब ब्रम्हा जी ने उसे इंद्रजीत नाम से संबोधित किया।

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