इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे सुषमा गुप्ता द्वारा लिखित Qitraah की Book Review के साथ-साथ Summary in hindi और Qitraah की Quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
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Qitraah: Book Review
“कितराह” सुषमा गुप्ता द्वारा लिखित एक उपन्यास है। जिसे हिन्द युग्म ने दिसंबर 2022 में प्रकाशित किया है। ‘कितराह’ यात्रा में घटित होता गल्प है। वह पहले लड़की और लड़के के जीवन में ‘घट’ चुका है, जो इन दोनों को इस क्रूर ‘घटे’ की गली के अंत तक छोड़ आया है। वहाँ से वापस अकेले लौटने का साहस उनके पास नहीं है।
यह उपन्यास पाठकों को भी पात्रों के साथ यात्रा पर ले जाता है जिसे पढ़ते हुए वो अपने भीतर उन अनजाने, भुला दिए गए सपनों की ओर लौटने लगते हैं, लेखक की सुंदर भाषा और दृष्टि का आश्वासन खुद के कंधों पर लिए। पर जब तक जीवन शेष है, घटित-अघटित सब कुछ लौटकर दस्तक देता ही है।
गृहयुद्ध में तबाह सीरिया वहाँ की स्त्रियों के लिए भयावह यातनाघर बन गया। चोटिल देह और आत्मा लिए भारतीय मूल की एक सिरियाई लड़की भारत आती है। यहाँ उसकी मुलाकात भारतीय सेना के उस आफिसर से होती है, जो आतंकवाद से लड़ने में अपना बहुत-कुछ गंवा चुका है। जीवन के सियाह रंगों से भरे ए दो लोग अपने-अपने मन को ताजा करने के लिए एक साथ एक लंबी यात्रा पर निकलते हैं।
कहानी बहुत ही रोचक और मनोरंजक है। इसमें आपको सीरिया के गृहयुद्ध के बारे में पढ़ने को मिलेंगे, जैसा कि “द लास्ट गर्ल” नामक एक उपन्यास है। तो वहीं आपको कश्मीर घाटी आपको आतंकवाद से जूझते देखेंगे। आपको हिमांचल की ऊबड़-खाबड़ रास्ते में मिलेंगे तो वहाँ की खूबसूरत वादियों की दृश्य, आपका मन मोह लेगा।
सुषमा ने अपने इस लेखनी में कहीं-कहीं शुद्ध हिन्दी लेखनी का इस्तेमाल किया है तो कहीं आपको उर्दू के दरख्त पढ़ने को मिलेंगे। जो उन मोतियों की तरह हैं, जिनके होने से एक सुंदरी का गला भरा-भरा और चमकदार लगता है। मैने सुषमा के सुखद पात्रों के साथ उनकी आपबीती सुनते और समझते हुए यात्रा किया, जिसका मैने भरपूर आनंद लिया, उम्मीद है आप भी इस सफर का आनंद उठायेंगे।
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Qitraah: Summary in hindi
यह कहानी एक भारतीय मूल की सिरियाई लड़की कितारा की है। जो सीरिया के गृहयुद्ध से अपनी सब कुछ गवाने के बाद किसी तरह अपनी जान बचाती हुई अपने चचेरे भाई आदित्य के पास भारत आ जाती है। आदित्य अपने दोस्त तृजल के आने पर एक पार्टी रखता है। तृजल भारतीय सेना का मेजर है, जो कश्मीर के अनंतनाग में पोस्टेड है, जिसका काम सिर्फ और सिर्फ कश्मीर घाटी से आतंकवादियों से मुठभेड़ करना है।
आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान तृजल के कुछ साथी मारे जाते हैं, जिसकों वह सहन नहीं कर पाता है और हमेशा परेशान रहने लगता है, तृजल की इस मानसिक हालत को देखते हुए उसे एक महीने की छुट्टी दी जाती है। जिसे जानते हुए आदित्य तृजल को इनवाइट करता है।
इसी पार्टी में तृजल और आदित्य की बहन कितारा से मुलाकात होती है। हालांकि तृजल आदित्य का खासम-खास दोस्त होने के नाते वह अपनी मौसेरी बहन कितारा के बारे में सब कुछ बता चुका होता है। कितारा के बारे में जानने के कारण और उसकी खूबसूरती के कारण वह उस मोहित हो जाता है। चुकि आदित्य के वजह से कितारा को भी तृजल के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी है। और उसे बहुत अच्छा लगता है कि आदित्य तृजल पर बहुत विश्वास करता है।
दोनों के परेशानियों को आदित्य बखूबी जानता है। अगली सुबह तृजल स्पीति “हिमांचल” की लंबी राइड पर निकलने वाला होता है कि कितारा भी अपनी मूड फ्रेश के लिए स्पीति जाने वाली होती है, ये बात आदित्य जानता है, चुकि किसी कारण वश वह नहीं जा सकता अतः कितारा को तृजल के साथ भेज देता है।
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यह जानते हुए तृजल को थोड़ा-बहुत संकोच होता है लेकिन कितारा को अपने भाई पर भरोसा करते हुए वह तृजल के साथ जाने के लिए राजी हो जाती है। दोनों अपनी-अपनी तैयारी कर स्पीति के लिए निकल पड़ते हैं।
इस सुहाने सफर के दौरान दोनों एक-दूसरे को जानने समझने लगते हैं। और धीरे-धीरे एक-दूसरे की आपबीती बताते हैं। जिसमें कितारा सीरिया में पैदा हुई गृहयुद्ध का जिक्र करती है, और बताती है कि कैसे आतंकवादियों ने उसके गैर सुन्नी अल्पसंखयक लोगों को निशाना बना कर मार दिया और महिलाओं का बलात्कार कर रहे हैं।
जिसमें याज़िदि धर्म के लोगों को ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा है। मैने भी अपने अम्मी और भाईयों को अपने आँख के सामने मरते देखा है। और सीरिया सरकार द्वारा जो सैनिक चेकपोस्ट पर नियुक्त कीए गए थे, उन्होंने मेरी मदद के बजाय मेरा यौन-शोषण किया। वो तो मैं किसी तरह भाग कर भारत आ सकी।
कितारा की इस दुख भरी बातें जानने के बाद तृजल उस पर अपना बेइंतहा प्यार लुटाता है। उसे खूब ढेर सारा प्यार देता है ताकि वो अपने अतीत को भुला कर आज को गले लगा सके। इस तरह धीरे-धीरे दोनों आगे बढ़ते हैं कि एक ऐसा भी समय आता है जब कितारा तृजल से उसके स्पीति आने का कारण पूछती है कि तुम्हारे साथ ऐसा क्या हुआ कि तुम्हें अपने ड्यूटी से एक महीने के लिए छुट्टी लेना पड़ा।
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तृजल कोशिश तो बहुत करता है कि वह उसका जिक्र न करें लेकिन कितारा के बार-बार पूछने पर वह उसे अपनी आपबीती सुनाता है।
“मैं अनंतनाग में अपनी ड्यूटी पर मौजूद था। उसे गांव में तीन आतंकवादियों के छुपे होने की खबर मिली थी। मैं अपनी टीम लेकर चला गया। जिसे मैं लीड कर रहा था और मेरा साथ एक मेरा परम मित्र था। मुठभेड़ शुरू हुआ और पता चला कि आतंकवादी तीन नहीं बल्कि सात थे।
दोनों तरह से फायरिंग के दौरान सातों आतंकवादी तो मारे गए लेकिन मेरे भी तीन सिपाही शाहिद हो गए, जिसमें एक मेरा दोस्त भी शामिल था। जिसने मुझे बचाते हुए अपने माथे पर गोली खा ली।
और तो और मुझे ही उसका जनाज़ा लेकर उसके घर जाना पड़ा। जहां मेरी मुलाकात उसकी पत्नी और बेटी से हुई, जो मुझसे कभी-कभार फोन पर बातें किया करते थे, और जब मैं उनसे बात करता था तो उसकी बिटिया से मैं कहा करता था कि मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आऊँगा।
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इस पुराने घटना को याद कर उसके आँखों से अश्क बहने लगते हैं, जिसे कितारा समझाती है। दोनों फिर आगे बढ़ते हैं। दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होने के कारण दोनों एक-दूसरे को अच्छे से समझने-बुझने लगते हैं और दोनों एक-दूसरे को चाहने लगते हैं। लेकिन कितारा यह कहती है कि वह अपने देश को लौट जाएगी क्योंकि वह अपने जैसे और भी लोगों के लिए मदद करना चाहती है। वह अपने देश से प्यार करती है। उसके माता-पिता उसी धरती पर दफ़न हैं, जिसे वह कभी नहीं भूलेगी।
लौटते वक्त तृजल की एक गलती से दोनों का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमें कितारा को गहरी चोट लगती है। घर पहुँचने पर तृजल कितारा का साथ देना चाहता है लेकिन कितारा ये कहते हुए उसे टाल देती है कि जो अपने देश का नहीं हुआ वह मेरा क्या होगा। जिससे नाराज होकर तृजल अपने ड्यूटी को लौट जाता है और कभी मुड़ कर नहीं लौटता।
कितारा ठीक हो जाने के बाद तृजल का इंतजार भी करती है लेकिन उसके नहीं लौटने पर वह अपने देश को लौट जाती है और जब अपनी 10 साल की ड्यूटी कंप्लीट कर तृजल लौटता है तो उसकी मुलाकात आदित्य से होती है, जो कितारा के बारे में बता देता है और यह भी की उसने बहुत इंतजार किया लेकिन जब तुम नहीं आए उसने किसी दूसरे से शादी भी कर ली। लेकिन तृजल मज़ाक में लेते हुए उसके बात को टाल देता है और जर्नलिस्ट का आईडी वगैरह बनाने के बाद सीरिया के लिए रवाना हो जाता है।
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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
इसके पास तेज हवा है, मुट्ठियों में बंद मेरे पास बहुत से धूल के दाने हैं, मुट्ठियों में बंद। यह मुझे और मैं इसे, कब से देख रहे हैं! मन हो रहा है, मैं आगे बढ़कर इसे आलिंगन में ले लूँ। पर मैं इसे गले लगाऊँगी तो मुझे ये धूल के दाने इसकी पीठ पर छोड़ने पड़ेंगे। इसकी कमीज तो सफेद रंग की है! उस पर डागलग जाएंगे। छोड़ो! जाने दो।
गले लगना शायद इतनी अच्छी बात ना रहे, दूर से देखना ही ज़्यादा अच्छा है। यह जाने क्या ही सोचता होगा इस लम्हा! शायद यह भी सोचता होगा कि इसकी मुट्ठियों में भरी हुई हवा मेरे बालों को असत-व्यस्त कर देगी। हवा पेशानी पर डागब भी छोड़ सकती है ऐसा भी हो सकता है सोचा हो, इसलिए यह भी दूर से ही मुझे देख रहा है।
यह अपनी मुट्ठियों में हवा भरकर लाएगा, यह बात इसने मुझे बताई नहीं है, पर मैने महसूस कर ली थी।
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पात्रों के चरित्र-चित्रण-
तृजल-
तृजल भारतीय सेना का मेजर है। जो बहुत बहादुर और देशभक्त है। लेकिन उसका दिल कोमल है। वह भावुक है। उसके मन में प्रेम उमड़ता है। जो एक हद तक बढ़ जाता है लेकिन ताना मारे जाने पर वह वापस अपने ड्यूटी पर चल जाता है। उसे जल्दी गुस्सा तो नहीं आता लेकिन जब आता है तो वह अपने आपसे से बाहर चला जाता है। उसे अपने देश और प्यार में समर्पण होना अच्छी तरह आता है।
कितारा-
कितारा सीरिया सरकार द्वारा सताई हुई लड़की हई। जिसके माता-पिता और भाई मारे जा चुके हैं। जिसके साथ बलात जैसे दुर्व्यवहार भी कीए जा चुके हैं। लेकिन वह एक देश प्रेमी है। वह इतना सब कुछ होने के बावजूद भी अपने देश में जाना पसंद करती है, जहां उसके माता-पिता के कब्र हैं। वह वहाँ के लोगों की सेवा करना चाहती है। कितारा एक साहसी और करुणामई लड़की है। जिसका दिल तृजल के लिए धड़कता तोई है लेकिन वह अपने देश के प्रति कर्तव्य नहीं भूलती और न ही तृजल को भूलने देती है।
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Qitraah: Quotes
मौत के मंजर भयानक होते हैं, इतने भयानक कि मौत सब तहस-नहस करके निकल जाती है और हम कभी उबर नहीं पाते उस तबाही से।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
यूँ जिने की जद्दोजहद में रोज थोड़ा-थोड़ा मरते जाना भी क्या खूब कवायद है!
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मन का ज्यादा सोचना मनहूसियत के सिवाय कुछ भी नहीं है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मोहब्बत जितना मज़बूत करती है शख्स को, उतना ही बेबस और दिल को नाजुक भी कर देती है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
इंसान हर सफर की शुरुआत एक उम्मीद के साथ ही करता है कि सब अच्छा होगा।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मोहब्बत में इंसान कबूतर हो जाता है।
सुषमा गुप्ता
हर रात के बाद सुबह आती है रोशनी के टुकड़े ही नहीं रोशनी से भरा, पूरा का पूरा आसमान लेकर।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
हम वही देखते हैं, जो हमारे मन की उस समय की स्थिति होती है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जब मौत आपको बिल्कुल सामने दिखाई दे और लगता है अब ज़िंदगी का आखिरी पल है तब जाते-जाते आप, अपनों को आखिरी संदेश देना चाहते हैं।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मन के स्वांग भी अजीब हैं। जो भाता है उसे स्वीकार नहीं और जो स्वीकार लिया, उसे दिखाता नहीं।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
इंसान मन के जिन गहरे दरों का सामना नहीं करना चाहता, एक दिन वही सारे डर, सच होते हुए देख रहा होता है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जीवन में कितनी पीड़ाएं ऐसी होती हैं जो कितनी भी संवेदनशीलता से सहेजी जाएँ, पर कम नहीं की जा सकतीं।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जिंदगी में कुछ हसरतें यूं औचक पूरी होती हैं कि उनका होना घट रहा है, दिल को जब तक यह यकीन हो, तब तक लम्हा गुजर जाता है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जिंदगी में सही बातों का सही समय पर होना बेहद ज़रूरी है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मन जो बातें जानता हो उनकी तरफ वह आकर्षित वैसे भी कभी नहीं होता।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
दिल में कशिश हमेशा उन्ही चीजों, उन्ही लोगों, उन्ही लम्हों के लिए पैदा होती है जो अक्सर हमने जिए ही नहीं।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जो आकर्षित करता है वह मिल जाए तो आकर्षण ही नहीं रहता।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
मन जिन खयालों, जिन चीजों, जिन लोगों के पीछे भागता है उनके न होने में ही उनकी खूबसूरती सदा बनी रहती है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
कोई लम्हा छूकर ऐसे निकल जाता है कि वजूद पर उसकी सुगंध ताउम्र तयारी रहती है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
उम्मीद को बचाए रखने का, भ्रम ही तो सहारा है।
सुषमा गुप्ता
एक दिन इतना पुराना हो जाता है खुशी का इंतजार कि इंतजार का खत्म होना भी बासी ही लगता है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
जो यादें अनजाने में बनती हैं वही सबसे खूबसूरत भी होती है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
यादें जोड़ने में एक मुकम्मल इंसान पूरा खर्च हो जाता है।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
परछाइयों से प्रेम करने वाले प्रेम में अक्सर एक-दूसरे की परछाई में खुद का अक्स देखने लगते हैं।
Qitraah: सुषमा गुप्ता
वो मोहब्बत ही क्या जो इम्तिहान न ले!
सुषमा गुप्ता
FAQ
Q कितराह के लेखक कौन है?
कितराह के लेखक सुषमा गुप्ता है।
Q कितराह को कब और किस प्रकाशन ने पब्लिश किया है?
कितराह को दिसंबर 2022 में हिन्द युग्म प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
Q कितराह क्या होता है?
अरबी भाषा में इत्र की खुशबू को कितराह कहते हैं।
Q कितराह का सारांश क्या है?
‘कितराह’ यात्रा में घटित होता गल्प है। वह पहले लड़की और लड़के के जीवन में ‘घट’ चुका है, जो इन दोनों को इस क्रूर ‘घटे’ की गली के अंत तक छोड़ आया है। वहाँ से वापस अकेले लौटने का साहस उनके पास नहीं है।
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