Quotes of Autobiography of a Yogi

Life changing Best 84 Powerful Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi

Life changing Best 84 Powerful Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi. परमहंस योगानन्द के सम्पूर्ण जीवन में घटित आध्यात्मिक घटनाए एवं उनके अमूल्य विचारों का संक्षिप्त वर्णन है। परमहंस योगनन्द के के अमूल्य विचार आम जनमानस के सम्पूर्ण जीवन को आध्यात्मिक रूप से बदलने की शक्ति रखते हैं।

Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi 1-20

  • यदि मनुष्य केवल एक शरीर होता तो निश्चित रूप से उनके शरीर के साथ उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता।
  • जिस व्यक्ति ने संभव बना लिया हो, वह न तो किसी लाभ से प्रसन्न होता है और ना ही किसी हानि से दुखी।
  • ईश्वर के उपस्थिति को अपने ध्यान द्वारा उसके साथ साथ उस आनंद को महसूस किया जा सकता है।
  • इस ब्रह्मांड में हर वस्तु की अपनी ऋतु और हर कारण का एक उद्देश्य होता है ।
  • ईश्वर सरल है उसके अलावा सब कुछ जटिल है।
  • केवल तुच्छ व्यक्ति ही दूसरे के दुख के प्रति संवेदनहीन होता है, क्योंकि वह अपने ही संकीर्ण दुखों में डूबा रहता है।
  • आपत्तियों के आघात से कभी विचलित नहीं होना चाहिए।
  • मन ही शरीर की मांसपेशियों को नियंत्रित करता है।
  • उच्च सफलता पाने के लिए कठोर सटीकता की आवश्यकता है।
  • हल्का सा अवरोध संवेदनशील उत्तरों के लिए बाधा उत्पन्न करता है।
  • साधारण प्रेम स्वार्थी होता है उसके अंदर इच्छाएं और संतोष गहराई तक होते हैं।
  • डर का सामना करो, वह डराना बंद कर देगा।
  • मोह का मायाजाल मनुष्य को किसी भी प्रकार के प्रलोभन में फंसने नहीं देता, वह इच्छित वस्तु को ही पाना चाहता है।
  • फिजूलखर्ची अशांति लाती है।
  • उथले व्यक्तियों में छोटी-छोटी विचार रूपी मछलियां बहुत हलचल मचा देती हैं।
  • जो अपने ज्ञान को छिपा नहीं सकता, वह मूर्ख है।
  • मानव चरित्र पर तब तक भरोसा नहीं होता, जब तक वह ईश्वर की शरण में नहीं जाता।
  • ज्ञान ही सबसे ज्यादा परिष्कृत करने वाला है।
  • बीमारी के अस्तित्व को बीमार होने के बावजूद स्वीकार मत करो, उपेक्षित अतिथि स्वतः ही भाग जाएगा।
  • मनुष्य का अहंकार ,जो उसमें कूट-कूट कर भरा हुआ है, उसे केवल निष्ठुर प्रहार द्वारा ही उठाया जा सकता है।

Review And Summary Of “Autobiography of a Yogi” Book in Hindi

Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi 21-40

  • सुंदर चेहरे के उत्तेजक प्रहार को अपने ऊपर मत आने दो ।
  • वासनाओं में आसक्त मनुष्य के लिए अच्छाई बुराई का भेद खत्म हो जाता है।
  • गलत इच्छाओं का अभी अंत करो; अन्यथा वे स्थूल शरीर के खत्म होने के बाद भी सूक्ष्म शरीर का पीछा नहीं छोड़ेंगे।
  • ईश्वर को पाने के लिए किसी को अपना चेहरा विकृत करने की आवश्यकता नहीं है।
  • एक भक्त में यह सोचने की प्रवृत्ति होती है कि उसके द्वारा अपनाया गया मार्ग ही ईश्वर को पाने का एकमात्र मार्ग है।
  • क्रोध केवल इच्छा के अवरोध से उत्पन्न होता है।
  • प्रतिदिन नवीन आनंद ही ईश्वर है।
  • भारत में सत्य की खोज करने वालों के लिए अलिखित नियम है धैर्य रखना।
  • गुरु जान-बूझकर दर्शनार्थी के धैर्य की परीक्षा ले सकते हैं। पाश्चात्य डॉक्टर और दंत- चिकित्सक इस मनोवैज्ञानिक स्थिति का भरपूर उपयोग करते हैं।
  • फल आने पर फूल स्वतः ही झड़ जाते हैं लेकिन फिर भी गुरु अपने शिष्य को उत्साहित करने के लिए अक्सर ईश्वर के आध्यात्मिक रूप  में जुड़े होते हैं।
  • मनुष्य का शरीर एक कपटी मित्र है, उसे उतना ही दो जितना जरूरी है। उससे ज्यादा नहीं।
  • कल्पना ही वह द्वार है जिससे होकर बीमारी और रोग निवारक शक्ति प्रवेश करती है।
  • ऐसा गुरु बहुत साहसी होता है, जो अहंकार से भरे मानवता की अशुद्धियों से भरपूर कच्ची धातु को रूपांतरित करने का काम अपने हाथ में लेता है।
  • अपनी शक्तियों को बचाओ। विशाल समुद्र की तरह बनो, जो अपने अंदर सभी प्रकार की इंद्रिय रूपी नदियों को आत्मसात करता जाए।
  • छोटी-छोटी वासनाए शांति रूपी जलाशय में बने क्षेत्र के समान है, जो शरीर के स्वस्थ रखने वाले जल को विशेष शक्ति के रेगिस्तान में बहा देती है।
  • एक यूनिवर्सिटी की डिग्री का वैदिक ज्ञान से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है, संत अकाउंटेंट के भाँति समूहों में नहीं निकलते।
  • जैसे ही भक्त आध्यात्मिक ज्ञान लाभ के लिए पृथ्वी के दूसरे छोर तक जाने के लिए तैयार होता है उसका गुरु उसके आसपास ही प्रकट हो जाता है।
  • ईंट और गारा हमें कोई सुनने लायक सुर नहीं सुना सकते, केवल अंतर से उठने वाली आवाज से ही हृदय के कपाट खुलते हैं।
  • पशुओं पर प्रहार कर के कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं होता, इससे अच्छा है कि अपने अंदर के बाघ को पराजित किया जाए।
  • दिव्य कृपा को मनुष्य कितनी जल्दी भूल जाता है, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसकी प्रार्थना कभी न कभी पूरी ना हुई हो।

Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi 41-60

  • बच्चों के किशोर मन में केवल अच्छी और सकारात्मक शिक्षा देनी चाहिए। बचपन में दिए गए विचार उसके मन में गहरी पैठ बना लेते हैं।
  • अच्छे और बुरे का ज्ञान दिव्य द्वैत बंधन की ओर इशारा करता है।
  • एक गुरु का एक मात्र कार्य इस संसार की मानव जाति के दुखों को कम करना है।
  • अध्यतामिक निएम के अंतर्गत एक गुरु को बीमार होने की जरूरत नहीं है। जब अज्ञानता के कारण द्वेतवाद रहता है, तब मनुष्य सब वस्तुओं को स्वयं से अलग देखता है।
  • जैसे ही सत्य का ज्ञान प्रकट होता है।, तब पूर्व जन्मों के कर्मों का कोई फल भोगने के लिए नहीं रहता।
  • सबसे पहले अपने परामपीता के साम्राज्य और उनके ही निर्देशों को पाने की इच्छा करों और तब तुम्हें सभी चीजें ऐसे ही मिल जाएंगी।
  • “योग” मन में विभिन्न तैरते विचारों का नियंत्रण है।
  • नैतिक और आध्यात्मिक के बिना मनुष्य कभी भी खुशी नहीं पा सकता।
  • एक अज्ञानी मनुष्य मृत्यु को केवल पार न कर पाने वाली दीवार की तरह देखते हैं।
  • एक योगी जिसने पाने सर्वव्यापी तत्व अथवा आत्मा को जान लिया है, वह शरीर की समय और स्थान की सिमा में बंधा नहीं रह सकता।
  • स्वप्न चेतना में मनुष्य की पकड़ अपने अहंकार की सीमा, ढीली हो जाती है।
  • दुख एक याद दिलाने वाला तीर है। इससे बचने का रास्ता ज्ञान है।
  • सृष्टि स्वयं ही प्रतिशोध की व्यवस्था करती है।
  • केवल मनुष्य के कल्याण के लिए ही महान योगी अपने शब्दों को व्यक्त करते हैं।
  • इस पृथ्वी पर कई अधिक भौतिक बिन्दु है, जिनके लिए ईश्वर ने गुप्त योजना बनाई है।
  • ऐसा व्यक्ति जिसने शांति की अवस्था को प्राप्त कर लिया हो और उसकी आंखे झपकती न हो, ऐसे व्यक्ति ने “समभावी मुद्रा”  को प्राप्त कर लिया है।
  • उन सूक्ष्म नियमों, जो अभी तक मनुष्य के लिए अनजान है, इन्हे सार्वजनिक रूप से बिना विचार-विमर्श के बारे में न तो बात करनी छाइए और ना ही उन्हे प्रकाशित करनी चाहिए।
  • कइयों के दोष के कारण सबका आकलन मत करों।
  • स्मृतियाँ, सच का परीक्षण नहीं हैं।
  • आधुनिक जहाजों की तेज गति एक अफसोसजनक पहलू है।
Quotes of Autobiography of a Yogi in Hindi 61-84
  • मनुष्य केवल रोटी से जीवित नहीं रहेगा, बल्कि ईश्वर के मुख से निकालने वाले प्रत्येक शब्द से जीवित रहेगा।
  • महापुरुष अपने अगाध ज्ञान के कारण अपनी भावनाओं को पूर्णतः व्यक्त नहीं करते।
  • शरीर और मन की बेचैनी पर काबू पाने का एक मात्र तरीका ध्यान केंद्रित तकनीक है।
  • धर्म की विजय के अतिरिक्त कोई अन्य विजय सच्ची नहीं है।
  • जो धन संपत्ति की इच्छा रखते है, वही मौत से डरते हैं।
  • हिन्दू नियम लोगों की रक्षा करते हैं।
  • कोई भी मनुष्य किसी भी परिस्थिति में किसी का दास नहीं बनेगा, बल्कि स्वयं की स्वतंत्रता का आनंद लेते हुए, वह सभी मनुष्यों के समान अधिकारों के प्रति श्रद्धा का भाव रखेगा।
  • युद्ध में केवल क्षत्रिय ही भाग ले सकते हैं।
  • जो तुम चाहते हो वह मत करो और फिर तुम वह कर सकते हो “जीसे तुम्हें करने की इच्छा हो रही है।”
  • मनुष्य एक व्यक्तिगत और अलग आत्मा के रूप में मूलतः एक कारण शरीरधारी आत्मा है।
  • जब तक मनुष्य की आत्मा एक दो या अनेक शरीर रूपी डिब्बे में अज्ञानता और वासनाओं की इच्छाएं रूपी ढक्कन से बंद है, तब तक वह आत्माओं के सागर परम तत्व के साथ नहीं मिल सकता।
  • हिन्दुत्व हर भक्ति को बताता है कि ईश्वर की आराधना अपने विश्वाश या धर्म के अनुसार करनी चाहिए।
  • अहिंसा की मानसिक अवस्था को पाने के लिए अत्यंत कठिन प्रशिक्षण का रास्ता अपनाना पड़ता है।
  • किसी भी आधुनिक विज्ञान के मुकाबले प्रेम का नियम कहीं अधिक महान विज्ञान है।
  • हिंसा के जीतने अधिक हथियार होंगे, उतनी ही ज्यादा मानव जाति की दुर्दशा होंगी।
  • हिंसा की विजय का अंत, दुखों के उत्सव के साथ होता है।
  • अंतर्मन के सुधार ही बाहर की दुनिया को स्थायित्व दे सकते हैं।
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