Panthar’s Moon Book Summary in Hindi by Raskin Bond pdf download. भारत के अत्यंत लोकप्रिय कहानीकार रस्किन बॉन्ड की ये पशु-पक्षी प्रधान कहानीयां पाठक को अपने रस से मंत्र-मुग्ध कर देगी।
Table of Contents
Review of Panthar’s Moon Book in Hindi
रस्किन बॉन्ड की “पैन्थर्स मून” पंचतंत्र की कहानियों की तरह है। जिसे हिन्दी में अनुवाद “ॠषि माथुर” ने किया है। इस कहानी संग्रह को पढ़ना बहुत ही अच्छा लगा, लेकिन एक बार को मुझे महसूस हुआ कि अगर मैने अपने उम्र के 8-12 साल के बीच इसे पढ़ा होता तो शायद और भी मजा आता। इस किताब को पढ़ने से ऐसा लगता है कि इस भारतीय बॉन्ड को जंगलों और जानवरों से बहुत प्यार है। इस किताब की आखिरी कहानी “यू बच निकला जावा से” को छोड़ कर बाकी सारी कहानियां पशु-पक्षियों पर हैं। और ज़्यादातर कहानियों का मुख्य पात्र बाघ है। जिसने विलेन का रोल अदा किया है। Panthar’s Moon Book
रस्टी की इस कहानी संग्रह में दो ऐसी भी कहानी है, जो दादा-दादी द्वारा अपने नाती-पोतों को जंगल के शेर-बाघ की कहानी सुनाते हैं। जंगल की इस कहानी को पढ़ते हुए मुझे एक बार “द जंगल बुक” और “द किंग” का विचार आया। लेकिन फिर भी “पैन्थर्स मून” पढ़ना बहुत ही रोमांचक लगा। इस किताब को पढ़ते हुए मुझे अपने बचपन में मेरे अपने दादाजी द्वारा सुनाए गए कहानी याद आती है, जब मैं रात को उनके साथ छत पर मच्छरदानी में लेटे आराम से आसमान में विचरण करते तारों को देखते हुंकारी पारते हुए सुना करता था और कब निद्रा रानी हमें सुला देती थी, पता ही नहीं चलता। Panthar’s Moon Book
आप इस किताब को जब भी पढे, मजा आएगा। खास कर छोटे बच्चे या वो दादा-दादी पढे, जिनके नाती-पोते अक्सर उनसे कोई कहानी सुनाने की गुजारिश करते हैं। कहानी पढ़ने के दौरान आपको जंगलों के साथ-साथ बाघ और उनका सामना करने वाले लड़के के हिम्मत को सुनते हुए बच्चों को भी रोमांच से भरपूर कर देगा। Panthar’s Moon Book
Summary of Panthar’s Moon Book in Hindi
जैसा कि “पैन्थर्स मून” रस्किन बॉन्ड द्वारा एक कहानी संग्रह है, तो मैने उन सभी कहानियों को पढ़ने के बाद जो मुझे सबसे अच्छा और रोमांचक लगा उनमें से कुछ कहानियों को चुन कर उनकी समरी को लिखा है।
“पैन्थर्स मून”:- कहानी बिस्नु की है। जिसका परिवार केंपटी की तलहटी से 5 मिल ऊंची पहाड़ी पर रहता है। पिता की मृत्यु के बाद परिवार में माता और उसकी छोटी बहन पूजा है। जिसे बिस्नु बहुत प्यार करता है। बिस्नु को पढ़ना-लिखना बहुत अच्छा लगता है और वो अपने क्लास सबसे तेज लड़का है। बिस्नु को पढ़ने के लिए पहाड़ी के नीचे घने जंगलों को पार कर जाना पड़ता है, जहां उसका स्कूल है।Panthar’s Moon Book
जंगल में बाकी सारे जानवरों के साथ एक खूंखार आदमखोर बाघ भी रहता था, जो आए दिन बिस्नु के आस-पास गावों में लोगों को अपना निवाला बनाता तो कभी जंगलों में चरने आए मवेशियों का शिकार करता था। बिस्नु के साथ उसका पालतू कुत्ता शेरु भी उसके साथ स्कूल आता-जाता था लेकिन एक दिन शेरु का बिस्नु से जंगल में बिछड़ने के बाद उस आदमखोर बाघ का शिकार हो गया।Panthar’s Moon Book
कुछ दिन तक शोक में डूबे रहने के बाद बिस्नु दोबारा अपने पढ़ाई-लिखाई में लग गया कि एक दिन शाम के समय स्कूल से छूटने के बाद अपने घर को जा रहा था तो उसे अपने समूह से बिछड़ चुके एक मेमना मिल गया। बिस्नु ने उसे अपने साथ लेकर घर को निकल पड़ा लेकिन रास्ते में मेमने की आवाज से आकर्षित होकर बाघ आ गया। बाघ की आहट पाकर बिस्नु झट से एक पेड़ पर चढ़ गया। बाघ उसे पाने के लिए बार-बार अपने पंजे से पेड़ पर वार करता लेकिन बिस्नु हिम्मत ना हारते हुए एक हाथ से मेमने को और दूसरे हाथ से पेड़ की डाल को पकड़ रहा और ज़ोर-2 आवाज देता रहा ताकि उसकी तलास में आए उसके गावं के लोगों को उसकी आवाज सुनाई दे। जो मशाल लेकर उसकी तलास में आ रहे थे। जिसमें उसकी छोटी बहन पूजा भी शामिल थी। उस दिन गावं वालों ने बिस्नु को बचा लिया और मेमना को शेरु का जगह मिल गया।Panthar’s Moon Book
अभी इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे। गावं में थोड़ी शांति थी। बिस्नु अपने घर में सोया था कि आधी रात को अचानक नींद खुलने के कारण अपने बिस्तर से उठ कर बैठ गया। घर के दरवाजे को धीरे-धीरे खरोंचने की आवाज आ रही थी। अब बिस्नु के थोड़ी सी हलचल करने पर पूजा भी उठ कर बैठ गई। भाई-बहन अभी कुछ कहते-सुनते कि उनकी माँ की भी नींद खुल गई। माँ ने धीरे से दरवाजे के थोड़ी सी जगह से और बिस्नु ने छोटे खिड़की से देखा तो पता चला कि वो आदमखोर बाघ है, जिसके बाद सबने ज़ोर-2 से चिल्लाना शुरू कर दिया, ताकि जल्दी से गावं वालों को इकट्ठा किया जा सके। आवाज को सुन कर गावं वाले मशाल और हथियार लेकर बिस्नु के घर पर आ गए। बाघ को जब लगा अब उसकी दाल नहीं गलने वाली है, तो वहाँ से भाग खड़ा हुआ।Panthar’s Moon Book
बारिस की मौसम आने पर बिस्नु अपनी छोटी बहन पूजा के साथ अपने खेत में काम कर रहा था कि बिस्नु को कुछ हलचल सा महसूस हुआ। जब उसने एक छोटी सी पहाड़ी से देखा तो पता चला कि आदमखोर बाघ, चुपचाप काम कर रही पूजा पर ताक लगाए बैठा है। जिसे देख कर बिस्नु चिल्लाता हुआ अपनी छोटी सी कुल्हाड़ी लेकर दौड़ पड़ा। आस-पास के गावं के लोग भी पूजा की रक्षा के लिए दौड़ पड़े और हुआ यू कि बिस्नु की वार से बाग घायल हो गया और गावं वालों की मदद से उसे मार दिया गया। पूजा बच गई। उस रात लोगों द्वारा एक दावत उड़ाई गई और चारों ओर बिस्नु की निडरता और हिम्मत का चर्चा होने लगा।Panthar’s Moon Book
“शुतुरमुर्ग और दादाजी का मुकाबला”:- ये कहानी रस्टी के दादाजी की है। जब वे अफ्रीकन रेलवे में पटरी बिछाने का काम करते थे। जहां से शहर 12 मिल की दूरी पर था। शहर जाने के लिए कोई सवारी नहीं मिलने पर एक दिन उन्होंने सोचा कि पैदल ही क्यों ना चला जाए? उस रास्ते में पड़ने वाला एक शुतुरमुर्ग का बेड़ा पड़ता था। और समय भी उनके प्रजनन का था, जिसमें वो अपने अंडे और बच्चों को बचाने के लिए और भी आक्रामक हो जाते थे। लेकिन वो निश्चिंत थे क्योंकि उनके साथ उनका पालतू कुत्ता भी था। जो आगे-2 चलता था।Panthar’s Moon Book
शुतुरमुर्ग का बाड़ा अब करीब आ चुका था। तभी कुत्ते की नज़र एक खरहे पर पड़ी, जिसका उसने पीछा करना शुरू कर दिया। दादाजी शुतुरमुर्ग के बाड़े के पास पहुच चुके थे। और कुत्ता कहीं भी नजर नहीं आ रहा था कि अचानक एक शुतुरमुर्ग की नजर दादाजी पर पड़ी। उसके बाद दादाजी अपनी जान बचाने के लिए पास के झाड़ियों के तरफ भागना शुरू कर दिया और एक छोटे से पेड़ की डाल पर लटक गए। शुतुरमुर्ग अपने लंबी गर्दन उठा कर उन्हे चोंच मारा करता था। काफी देर तक पकड़े रहने के कारण हाथ से डाल छूट गई और दादाजी नीचे गिर गए।Panthar’s Moon Book
शुतुरमुर्ग ने दादाजी पर ताबड़तोड़ हमला करना शुरू कर दिया। दादाजी को अब लगा कि उनकी प्राण संकट में है तो उन्होंने कुत्ते को आवाज देना शुरू कर दिया। कुछ ही देर बाद शुतुरमुर्ग दादाजी को छोड़ कर टकटकी लगाए एक दिशा की ओर देखने लगा। करीब आने पर पता चला कि उनका कुत्ता करीब आ गया है। कुत्ते के आने से शुतुरमुर्ग अपनी गर्दन उठाए तेजी से अपने बाड़े के तरफ भाग खड़ा हुआ। दादाजी बिल्कुल घायल तो हो चुके थे लेकिन अपनी जान बच जाने के कारण उन्होंने कुछ देर तक कुत्ते को गले से लगाए रखा। और फिर हिम्मत करते हुए किसी तरह शहर को पहुच गए, जहां उनकी इलाज हो सकी।
“यू बच निकला जावा से”:- ये कहानी रस्टी और उनके पिता की है, जब वो जकार्ता में रहते थे और जापान से युद्ध शुरू हो गया। जापान के लड़ाकू जहाज दिन या रात के किसी भी समय यहाँ तक शहरों पर भी बम बरसा जाते थे। जिसमें बहुत सारे लोगों की मौत होती थी। स्कूल-कालेज, आफिस सब बंद पड़े थे और लोग अपने-अपने घरों में दुबके थे। रस्टी के पिता ने अपने एक डच साथी की मदद से जकार्ता छोड़ने का प्लान तैयार किया। जिसमें दो-चार और लोग शामिल थे। जिन्हे सीप्लेन की मदद से दूसरे देश जैसे भारत, श्री लंका या किसी भी देश को जल्दी से निकल जाना चाहते थे।Panthar’s Moon Book
प्लेन की हालत खस्ता थी। लेकिन मजबूरी ये थी कि जकार्ता छोड़ने के लिए केवल एक मात्र समुद्र, रास्ता और वाहन बूढ़ा सीप्लेन था। जिस पर ना चाहते हुए भी चढ़ना पड़ा और हुआ वही जिसका डर था। बीच समुद्र में सीप्लेन ने जवाब दे दिया और पाइलेट की सूझ-बुझ से किसी तरह समुद्र में ही लैंड करना पड़ा। सीप्लेन से दूसरे छोटे नाव, जो बचाव कार्य के लिए उपयोग में लाया जाता था, उसका मदद लिया गया और सारे लोग उस छोटे से नाव पर सवार हो गए।Panthar’s Moon Book
नाव पर कुछ चॉकलेट, पानी, और थोड़ा बहुत खाने की चीजे थी, जिसे खा कर दो हफ्ते तक समय गुजारा जा सकता था। धीरे-2 करके दो-चार दिन बीते। एक सार्क भी पीछा करने लगी थी। सबकी जान हलक में अटकी थी, लेकिन रस्टी के पिता को विश्वाश था कि भगवान उनकी मदद करेंगे और उन्हे जल्दी ही ज़मीन मिल जाएगी। घोर अंधेरी रात के बाद चमकता चटकार सूरज निकला, तब उन्हे पता चला कि उनके ऊपर किसी की छाव आ रही है। आंखे खुली तो खुशी से फुले नहीं समा रहे थे। उनकी नाव एक बड़ी सी नाव के छाव में यानि कि वो एक किनारे आ पहुचे थे।Panthar’s Moon Book
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश Panthar’s Moon Book
- बंद लिफ़ाफ़ों की बात और है, लेकिन पोस्टकार्ड को तो सार्वजनिक संपत्ति समझा जाता था और कोई भी उन्हें पढ़ लेता था। भेजने वाले को भी इस बात का पता होता था, और शायद इसलिए नायक घनश्याम ने जानबूझकर बहुत जल्दी अपनी तरक्की होने की बात का जिक्र किया था। वह चाहता था कि उसके गांव में सब को इस बात का पता चल जाए।
- स्कूल न जाना पड़े तो ज्यादातर लड़के खुश हो जाते हैं, लेकिन जब आप पहाड़ के किसी दूरदराज गांव में रहते हैं, और आपको पता होता है कि पढ़-लिख कर ही आप बाहर की दुनिया देख सकते हैं, तब आप स्कूल जाना चाहते हैं, चाहे वहां पहुंचने के लिए घर से पांच मिल पैदल चलकर ही क्यों ना जाना पड़े।Panthar’s Moon Book
- तेंदुआ अपने आप में एक किस्म की पहेली होता है। कई मौके ऐसे आते हैं जब वह साबित कर दिखाता है कि वह आकाश तले सबसे चालाक जानवर है, और अगले ही दिन में खुद चलकर एक ऐसे जाल में फंस सकता है, जिसकी तरफ खुद पर जरा भी गुमान करने वाला सियार तक रुख नहीं करेगा। एक दिन तेंदुआ दो कुत्तों के पीछा करने पर खरगोश की तरह दुम दबाकर भाग खुद को बिल्कुल डरपोक साबित कर देता है, तो दूसरे दिन घेरा बनाकर आग ताप रहे आधा दर्जन लोगों को झपट्टा मारकर लहूलुहान कर सकता है।Panthar’s Moon Book
- कौओं के पीछे हाथ धोकर पड़े रहने वाले से उनके हिमायती तक, हैवानियत से नेकदिली तक। और कभी-कभी इस सब का ठीक उल्टा–कुछ भी हो सकता है –इंसानों के बारे में किसी के लिए कुछ कहना मुश्किल है।
- भारत में परवरिश के दौरान भाई बहनों की बजाय मेरे साथी थे किस्म-किस्म के पालतू जीव-जंतु। जिसमें एक बंदर, एक कछुआ, एक अजगर और एक राज घनेश में शामिल थे। घर में इतने जंगली जीव मेरे दादाजी की वजह से थे क्योंकि घर उनका खुद का था, इसलिए परिवार के दूसरे सदस्य उन्हें इतनी तरह के पालतू जानवर रखने से रोक नहीं सकते थे, लेकिन उनके इस शौक के खिलाफ जो कहना चाहते थे, वह कहने से बाज नहीं आते थे। क्योंकि घर में लोगों के नाम पर औरतें ज्यादा थी-मेरी दादी, बुआएं। जो आती-जाती रहती थी और कभी-कभी उनके ससुराल वाले भी। दादाजी और मुझे इन सब से निपटने के लिए बहुत चौकन्ना रहना पड़ता था, और बड़ी होशियारी से काम लेना पड़ता था। पालतू जानवरों के मुद्दे पर मेरी और दादाजी की खूब पटती थी, और जब कभी दादी किसी सफेद चूहे से छुटकारा पाने का मन बना लेती थी, तब मैं उसे कटहल के पेड़ के मोखले में छुपा देता था, लेकिन मोटे तौर पर देखा जाए तो दादाजी के जानवरों के शौक को दादी सह जाती थी बल्कि उन्हे तो दादाजी के कुछ पालतू जानवरों से लगाव हो गया था, जबकि बुआएं उन्हे बिल्कुल बर्दास्त नहीं करती थी।Panthar’s Moon Book
- गंगा के बाएं किनारे पर, जहां वह हिमालय की निचली पहाड़ियों से बाहर निकलती है, वहां काफी दूर तक घना जंगल है। जंगल के छोर पर गांव है जिनमें जंगल से बांस काट कर गुजारा करने वाले और किसान बसते हैं, लेकिन वहां ऐसा कुछ नजर नहीं आता है कि जिससे वहां काम-धंधा करने वाले और तीर्थयात्रियों के वहां होने का पता चले। पिछले 70 सालों के दौरान शिकारियों ने जरूर इस इलाके को शिकार के लिए एक बेहतरीन जगह के तौर पर इस्तेमाल किया है। नतीजतन, अब इस इलाके में जानवर नहीं रह गए हैं, जिनते पहले थे। पेड़ धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। और जैसे-जैसे जंगल पीछे होता जा रहा है जानवरों के खाने की जगह कम होती जा रही है, जिससे कि वे हिमालय की तलहटी वाली निचली पहाड़ियों की ओर जाने को मजबूर हो रहे हैं। धीरे-धीरे उनके जीने का हक ही छीनता जा रहा है।
- रस्किन बॉन्ड की और भी किताबों को पढ़ने के लिए अभी क्लिक करें। Panthar’s Moon Book
कोट्स Panthar’s Moon Book
- बीमार पौधों और बीमार लोगों की जरूरतें एक जैसी ही होती हैं।
- कम उम्र में तकलीफों से उबरना आसान होता है।
- बंदरों को कभी जान से नहीं मारना चाहिए। सिर्फ इसलिए नहीं कि हिन्दू उन्हे पूज्य मानते हैं, बल्कि – वे इंसानों जैसे होते हैं।Panthar’s Moon Book
- जंग के जुनून में हम यह भूल जाते हैं कि हम पर दुश्मन के क्या-क्या एहसान हैं।
- हाथी कभी भूलते नहीं और कौए कभी माफ़ नहीं करते।Panthar’s Moon Book
- इंसान भी बड़े अजीब होते हैं। एक दिन वह आपसे नफ़रत कर रहे होते हैं, और दूसरे दिन प्यार।
- यही सबसे ज़रूरी हैं कि अपने बारे में कोई खुद कैसा महसूस करता है।Panthar’s Moon Book
- इंसान भरोसेमंद नहीं होते हैं, कुछ नहीं पता, कब क्या कर बैठे? इसलिए जितना हो सके उनसे दूर ही रहा जाए, इसी में भलाई है।Panthar’s Moon Book
- मानव कौल की नई किताब को पढ़ने के लिए बही क्लिक करे।
- अगर आदमी के पास बंदूक होती है तो वह उसे चलाए बिना नहीं रह सकता, चाहे किसी खरगोश को निशाना बनाए या किसी दूसरे आदमी को।Panthar’s Moon Book
- जंगल में हिरण हमेशा मौत के डर में जीते हैं। एक इंसान ही है जो अपनी कल्पना और ज़िंदगी के बाद क्या होगा यह सोचता है और मरने से डरता है।Panthar’s Moon Book
- सिर्फ दो बातें हैं जो इंसान को जानवरों से बेहतर बनाती हैं, एक तो वह हँस सकता है और दूसरा उसके मन में दया का भाव होता है।Panthar’s Moon Book
- बाघ भारत की आत्मा है, और जब आखिरी बाघ खत्म होगा तब भारत की आत्मा भी मर जाएगी।
- जिंदगी कहीं ठहरती तो है नहीं। रोज़ी-रोज़गार के लिए भी तो कुछ करना पड़ता है।Panthar’s Moon Book
- हर मुसीबत में ही कहीं न कहीं उसका हल छुपा होता है, और अगर ध्यान से देखा जाए तो हमें वह हल मिल ही जाता है।
चरित्र-चित्रण Panthar’s Moon Book
बिस्नु:- बिस्नु “पैन्थर्स मून” पहले पाठ का मुख्य पात्र है। जो बहुत ही होशियार,पढ़ाकू और बहादुर होने के साथ-साथ निडर लड़का है। बिस्नु पढ़ाई के लिए अपने घर से पाँच मिलदूर पैदल चल कर कर घने जंगलों को पार करते हुए स्कूल जाता है। अपने क्लास में सबसे अव्वल लड़का है। जिसके वजह से स्कूल के सारे शिक्षक उसे प्यार करते हैं। मेमना और अपने बहन को बचाने के लिए अकेले ही आदमखोर बाघ से लड़ जाता है,जो उसके बहदूरिका प्रमाण है।Panthar’s Moon Book
दादाजी:- दादाजी “दादाजी और शुतुरमुर्ग का मुकाबला”पाठ के मुख्य पात्र हैं। जो अफ्रीकन रेलवे में काम करते हैं। दादाजी जवान, कर्मठ और संकट का सामना करने वाले व्यक्ति हैं। शुतुरमुर्ग का मुकाबला करते हैं, तब तक उनका कुत्ता आ जाता है। जिससे डर कर शुतुरमुर्ग डर कर भाग जाता है।Panthar’s Moon Book
रस्टी:- रस्टी “यू बच निकला जावा से” पाठ का अपने पिता सहयोगी पात्र है। जो बहादुर, निडर और समझदार है। जावा में बमबारी होने के बावजूद जब उसे अपने दोस्त सोनों से पता लगता है कि गावों में बमबारी नहीं हो रही है तो साइकिल बिना अपनी जान की परवाह किये घर से निकल जाता है। घर लौटते वक्त उसे एक बम का शिकार भी होनया पड़ता है अपर अपने पिता की समझदारी और सूझ-बुझ से बच जाता है और जावा से निकल जाता है।Panthar’s Moon Book
FAQ
Q: रस्किन बॉन्ड कौन है?
Ans: रस्किन बॉन्ड एक भारतीय साहित्य लेखक हैं। जिन्होंने 30 से भी ज्यादा किताबों की लेखनी की है। लेकिन इनकी लखनी का भाषा हमेशा अग्रेजी ही रहा है, पाठकों द्वारा उनकी किताब की प्रशंसा होने पर इसे अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया।
Q: पैन्थर्स मून क्या है?
Ans: पैन्थर्स मून एक कहानी संग्रह है। जिसमें 12 अध्याय है। इसमें सबसे खास बात यह है कि बारहवाँ अध्याय को छोड़कर बाकी सारे अध्याय पशु-पक्षी पर आधारित है। जिससे पता चलता है कि रस्किन को जानवरों से कितना लगाव रखते हैं।
Q: रस्किन बॉन्ड का जन्म कहा हुआ था?
Ans: रस्किन बॉन्ड का जन्म 1934 में कसौली में हुआ था।
Q: रस्किन बॉन्ड की पहली किताब कौन ही है?
Ans: रस्किन बॉन्ड की पहली किताब “द रूम ऑन द रुफ़” है, जो कि एकउपन्यास है।