One of the Best Rahgir Poetry Book in Hindi pdf download. घुमक्कड़ राहगीर द्वारा लिखी गई, गीत और कविता संग्रह “कैसा कुत्ता है” है। जिसमें राहगीर ने अपने घुमक्कड़ी के दौरान नंगी आँखों से देखे गए उन तमाम झमेलों को बड़े ही हिफाजत से लिख कर सजोया है। जिसे आज हम-सब पढ़ कर लुफ्त उठा रहे हैं.
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Review of Rahgir Poetry Book In Hindi
“कैसा कुत्ता है!” राहगीर द्वारा लिखित यह कविता संग्रह और उनके द्वारा गाए कुछ गीतों की माला है। जिसे राहगीर ने बड़े ही अच्छे से पिरोया है। ये माला देखने में बहुत ही खूबसूरत और पढ़ने के बाद एक सुकून देने वाली है। आधुनिक युग में इस तरह की कविताएं और गीत को लिखना या पढ़ना अपने-आप एक महान कार्य की तरह है। जिसे राहगीर ने किया है।Rahgir Poetry Book In Hindi
“कैसा कुत्ता है!“ इसे पढ़ते वक्त राहगीर को समाज के देखने भर का एक नजरिया है। जिसे उन्होंने अपने इधर-उधर भटकने या घुमक्कड़ी करने के दौरान आँखों देखि व्यथा को लिखा है। जो अपने में बहुत कुछ समेटे हुए हैं। इस कविता संग्रह में राहगीर द्वारा कुछ गीते भी लिखी गई हैं, जिन्हे यूट्यूब चैनल पर गाकर राहगीर ने लोगों के दिलों में अपने लिए एक जगह बनाया। उन गीतों को सुनकर लोगों ने काफी पसंद किया है और उन्हे अपना चहेता बनाया है।Rahgir Poetry Book In Hindi
“कैसा कुत्ता है!” किताब में राहगीर ने यूट्यूब पर गाए गए फेमस गीतों और चुनिंदा कविता को भी लिखा है, जिसे आप पढ़ सकते हैं या, यूट्यूब और स्पॉटिफ़ाई पर सुन भी सकते हैं। अगर आपको कविता पढ़ना पसंद है, या आप बहुत ही कम शब्दों मे ज्यादा कुछ जानने की चेष्टा करते हैं तों आपको राहगीर की इस कविता संग्रह को अवश्य पढ़नी चाहिए।Rahgir Poetry Book In Hindi
Summary of Rahgir Poetry Book in Hindi
जैसा कि आपको पता है “कैसा कुत्ता है!” एक कविता संग्रह है तो इसका कोई समरी नहीं हो सकता, बल्कि कविताएं और गीत तो अपने आप में एक उन सभी बातों या घटनाओं की समरी होता है, जिसे बहुत ही कम शब्दों में कविता लिखने वाला बया करता है। Rahgir Poetry Book In Hindi
राहगीर जैसे-जैसे अपनी राह चलता गया है और चीजों को समझने की कोशिश की है, अपनी उस भावनाओं को शब्दों में बांधना शुरू कर कर दिया है। चाहे वो ‘भाई राहगीर, ये हम कौन-सी गाड़ी पर चढ़ गए’, ‘आलसी दोपहर’, ‘कैसा कुत्ता है’, ‘सफर-सफर की बात है’, ‘आदमी चूतिया है’, ‘मेरे गावं आओगे’ हो या ‘डबल बेड के कोने पे’। ये सारी रचनाएं राहगीर द्वारा लिखी गई, गीत हैं।
और बात करे कुछ प्रमुख कविताएं कि जो मुझे काफी अच्छे लगे. ‘एक कच्चा घड़ा हूँ मैं’ ‘चलो दो-चार रस्ते कच्चे छोड़ देते हैं’,’जो बदलते गए’, ‘किसी गर्मी की दोपहर में’, ‘कभी देखा है’, ‘मैं ज़िंदा हूँ’, ‘तेरी किसी चीज़ को मेरा होते हुए’।Rahgir Poetry Book In Hindi
राहगीर की इस कविता संग्रह को पढ़ते हुए मैने उनके रचना में सबसे ज़्यादा पेड़-पौधे और जानवरों को पढ़ा है, जो उनकी दास्ता को बताने के लिए काफी है। वैसे देखा जाए तो राहगीर ने सभी के बारे में व्याख्या किया है। चाहे वो पशु-पक्षी हो, पेड़-पौधे हो, घर-बार हो, या फिर समाज। कोई भी उनकी निगाहों से बचा नहीं है। जो बाद में राहगीर से मिलने पर ये शिकायत करें कि उन्हे भुला दिया है, या उनकी चर्चा नहीं हुई है।Rahgir Poetry Book In Hindi
वैसे मैने राहगीर के इस किताब को बहुत मजे से और आराम से एक दिन से हफ्ते तक धीरे-2 पढ़ा है। तो अगर आपको भी कविताएं पढ़ना पसंद है और आप राहगीर की और भी कविताओं को पढ़ना चाहते हैं तो इस किताब को एक बार जरूर पढ़िये।Rahgir Poetry Book In Hindi
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कुछ चुनिंदा गीत
भाई राहगीर, हम कौन सि गाड़ी पर चढ़ गए।
- कभी पतझड़ नहीं आया, अभी से पत्ते झड़ गए
- भाई राहगीर, ये हम कौन सी गाड़ी पर चढ़ गए
- अभी है बाप जिंदा, बेटे बंटवारे को लड़ गए
- भाई राहगीर, ये हम कौन सी गाड़ी पर चढ़ गए
- भूखा रहकर, सबसे लड़कर, लेखक बन गया वो
- झुकने को ने कहा दुनिया ने, लेकिन तन गया वो
- सब ने कहा लिख शहद मगर उसने तेजाब लिखी
- एक नहीं दो चार नहीं, एक पूरी किताब लिखी
- ठेले पर समोसे के उसके फिर पन्ने फड़ गए
- भाई राहगीर ये हम कौन सी गाड़ी पर चढ़ गए
- साले मेले में जो थी सबसे बढ़िया खरीद कर
- बड़े ही चाव से लाई थी एक अंगिया खरीद कर
- घर से पाँच कदम बस दूर एक चक्कर लगाने गई
- नई अंगिया में क्या लगती थी सब को दिखाने गई
- वापस घर आने से पहले ही टांके उधड़ गए
- भाई राहगिर, ये हम कौन-सी गाड़ी पर चढ़ गए।
अभी इसमे और भी है लेकिन मैने कम ही लिखे हैं।Rahgir Poetry Book In Hindi
आलसी दोपहर
- एक आलसी दोपहर में
- एक बूढ़े नीम की छांव में
- जो नक्शे में भी ना मिले
- उस छोटे से गांव में
- मेरे दादा मुझसे कह रहे थे
- कि बेटा कुछ कानून है
- जितने तरह के बंदे दिखते
- उतनी तरह के खून है
- उतने ही तरह के किस्से हैं
- हर बंदे के हर घाव में
- एक आलसी दोपहर में
- एक बूढ़े नीम की छांव में
- एक सिपाही के चर्चे सुन
- रह गया था दंग मैं
- उसने मार गिराए थे
- ना जाने कितने जंग में
- गांव में जब लौटा था
- तो खड्डा था एक आंख में
- पर सारे यही पूछ रहे थे
- कितने मिलाए राख मे?
- किसी ने उसका हाल ना पूछा
- ऐसे ही सब घर गए
- फ़ौजी को लगा कि जैसे
- वह सारे भी मर गए
- उसने अपनी मां से कहा
- कर डाले मैंने पाप कई
- जो चाहे इसे नाम दो
- मैने छीने बेटे-बाप कई
- यह सब-सोचकर मेरी
- आंखें नम होती है
- क्या अजनबियों की जान की कीमत
- अपनों से कम होती है?
कैसा कुत्ता है
- एक कमरा, बिन खिड़कियों-दरवाजों के
- उनमें दीवारों पे, रंग समाजों के
- पंखे से, लटके फंदे, रिवाजों के
- उसमें मेरा दम घुटता है
- मैं सो लूंगा मंदिरों-चौबारे पे
- रह लूंगा अकेला त्योहारों पे
- भोंकूँगा नहीं गुजरती कारों पे
- और लोग कहेंगे, ये कैसा कुत्ता है?
- मैं ना खोलूँगा पजामा अपना
- खुद का खुद में ठोस ले जमाना अपना
- इतना सस्ता नहीं है, खजाना अपना
- मेरा तो कोई और ही धंधा है
- अपनी शर्तों पे जीकर छटपटा लूंगा
- जब थक जाऊंगा तो अपने पर कटा लूंगा
- फिर कोई दरवाजा खटखटा लूंगा
- और पूछ लूंगा कोई खाली फंदा है
कुछ चुनिंदा कविता
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
- एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
- फिर भी
- बरसात में खड़ा हूं मैं
- बुँदे बेरहम हैं
- उनको ये वहम है
- कि मैं टूट रहा हूं
- जो मैं चीख रहा हूं
- पर वह बेवकूफ है
- मैं तो सीख रहा हूं
- ऐसे, पहले भी लड़ा हूं मैं
- एक कच्चा घड़ा हूं मैं
- ये जो खिसक-खिसक के, मैं आगे जा रहा हूं
- ये जो फिसल-फिसल के, मैं पीछे आ रहा हूं
- ये जो सिसक-सिसक के, मैं आहें भर रहा जा रहा हूं
- ये जो पिघल-पिघल के, मैं बहता जा रहा हूँ
- नीचे है खाइयाँ और मैं कांप रहा हूं
- पर मैं जिंदा हूं अभी, अभी हाफ रहा हूं
- ऐसे, पहले भी चढ़ा हूं मैं
- एक कच्चा घड़ा हूं मैं
चलो दो-चार रस्ते कच्चे छोड़ देते हैं
- चलो दो-चार रस्ते कच्चे छोड़ देते हैं
- उस पर बिना तरासे बच्चे छोड़ देते हैं
- उनके दिलों में जो भी ड,र सच्चे छोड़ देते हैं
- और बैठ कर देखते हैं कि क्या होता है
- जंगली कोई कुत्ता कभी हम पाल लेते हैं
- हाथ अपना काटकर उसे हम डाल देते हैं
- फिर हवा में सिक्का उछाल देते हैं
- और बैठकर देखते हैं कि क्या होता है
- एक मुसलमान की थोड़ी जमीन लेते हैं
- फिर एक हिंदू से कुछ बीज़ छिन लेते हैं
- फिर जरा पानी डालकर एक दूरबीन लेते हैं
- और बैठकर देखते हैं कि क्या होता है
मेरे अरमानों से इस तरह खेलती है
- मेरे अरमानों से इस तरह खेलती है
- जैसे आजाद जुल्फों से सबा खेलती है
- उसे पता है कि कितना हारा हूं मैं
- फिर भी मुझ ही से हर दफा खेलती है
- ऐरे-गैरे खेल तो उसे लुभाते ही नहीं
- हर कहानी में मैं बंदा, वह खुदा खेलती है
- कितना इश्क है मुझको, कितना कमजोर हूं मैं
- कितनी सह पाता हूं, सजा खेलती हैं
राहगीर द्वारा कही गई कुछ बातें
यह जो जंगल काटकर बड़े घर बन गए हैं, शहर बन गए हैं, उन्हीं के छज्जों पर पक्षियों ने डेरे बना रखे हैं। वहां जाली लगा देते हैं तो किसी और छज्जे पर सोने लग जाते हैं।Rahgir Poetry Book In Hindi
जिंदा रहने की कोशिश क्या होती है, यह देखना है तो कभी किसी खिड़की, दरवाजे को खुला छोड़ कर देखना। कैसे उड़कर आएंगे डरते डरते और रसोई मे पड़े सील पैक डब्बों पर पैर मारेंगे मारेंगे, चोंच मारेंगे इस आस में कि जो चीज दिखती है, पाई जा सकती है थोड़ी कोशिश करें तो।Rahgir Poetry Book In Hindi
आहट सुनते ही तो तुम कमरे से निकलते हो गालियां देते हुए। वो भी सहमा हुआ फट से उड़ाने की कोशिश करता है। और हरबड़ी में 10-15 बार शोशे पर मुहँ टकराता है और तब जाकर ही बाहर निकल पाता है।Rahgir Poetry Book In Hindi
लेखक के बारे में
राजस्थान के सीकर में जन्में राहगीर आज एक सफल यूट्यूबर होने के साथ-साथ घुमक्ककड़ भी है। अपने घुमक्कड़ी में उन्हे जो चीजे या घटनाएं प्रभावित करती हैं, उन्हे अपने कलम से एक गीत या कविता में लिख डालते हैं और फिर अपने यूट्यूब चैनल पर डाल देते हैं, जिससे उनको चाहने वाले सुन सकें । Rahgir Poetry Book In Hindi
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राहगीर घुमक्कड़ी करने से पहले लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से लेक्ट्रानिक और संचार के क्षेत्र में स्नातक हासिल की है। डेढ़ साल तक एक्सेनचर के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कां किया और पुणे में स्थानीय कैफे और क्लबों के लिए गाना शुरू किया है। धीरे-धीरे चीजे बदलती गई और मंच राहगीर के तहत अपनी खुद की एक पहचान शुरू कर दी । राहगीर ने महाराणा प्रताप के बारे में अपनी गीत ”महाराणा जी” से प्रसिद्धि हासिल की। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मूड़ कर नहीं देखा।
FAQ
Q: राहगीर का असली नाम क्या है?
Ans: राहगीर का असली नाम सुनील कुमार गुर्जर है।
Q: राहगीर का जन्म कब हुआ था?
Ans: राहगीर का जन्म 18 मई 1993 को राजस्थाक के सिकल जिले में हुआ था।
Q: राहगीर कौन से कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है?
Ans: राहगीर ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब से इलेक्ट्रानिक और संचार के क्षेत्र में डिग्री हासिल की है।
Q: राहगीर ने कितने वर्ष तक नौकरी की है?
Ans: राहगीर ने डेढ़ से तीन साल तक नौकरी की है। जिसके दौरान उनका क्लब और पब में जाना शुरू कर दिया था और गीत की शुरूआत हो चुकी थी ।
Q: राहगीर अब कहाँ रहते हैं?
Ans: जैसा की आपको पता होगा कि राहगीर के जीवन का एक हिस्सा ट्रेवल करना है तो उनका अभी तक कोई फिक्स ठिकाना नहीं है।Rahgir Poetry Book In Hindi
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