Nelson Mandela biography

Nelson Mandela biography: birth and death, education, war, marriage life, jail, freedom and FAQ

इस ब्लॉग पोस्ट मे हम आपसे Nelson Mandela biography को विस्तार से जानकारी जैसे birth and death education, war, marriage life, jail, freedom and FAQ को साझा करेंगे।

Book Review

नेल्सन मंडेला! साउथ अफ्रीका का महात्मा गांधी कहे जाने वाले व्यक्ति। एक ऐसा व्यक्ति जिसे नॉवेल पुरस्कार से सम्मानित कीए जाने के बाद भी अमेरिका के लिस्ट मे आतंकवादी थे। जिन्होंने अपने जीवन का 40-45% हिस्सा जेल में रह कर गुजारा और निकला तो चार में अफ्रीकी चुनाव की मदद से अपने देश के अफ्रीका निवासियों के पहले राष्ट्रपति बन चुने गए।

प्रभात प्रकाशन द्वारा 2021 में प्रकाशित की गई नेल्सन मंडेला की यह बायोग्राफी, जिसे मि. सुशील कपूर ने हिन्दी में लिखा है। नेल्सन की जन्म से लेकर मंडेला बनने तक और फिर जेल के रास्ते होते हुए राष्ट्रपति बनने तक एक-एक पॉइंट को इतने सरल और सुगमता से लिखा गया है कि पढ़ने में मजा आ गया। और बहुत सारी जानकारी भी हासिल हुई।

प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई अब तक की मैने जितनी भी बायोग्राफी किताब अलग-अलग लेखकों द्वारा पढ़ी उनमें से सबसे अच्छी तरह से लिखा गया मंडेला की बायोग्राफी हैं। जो बहुत ही विस्तार से लिखा गया है। लेकिन एक चीज जो मुझे कमी लगी वो ये कि अंग्रेजों के प्रति जो महात्मा गांधी की लड़ाई की शुरुआत हुई, वह अफ्रीका से ही हुई लेकिन उसका थोड़ा बहुत भी चर्चा नहीं किया गया है।

जैसा कि आप सब जानते हैं। नेल्सन मंडेला की जीवनी पढ़ना और अफ्रीका की आज़ादी के बारे में पढ़ना एक ही है। कभी-कभी तो मुझे लगा ही नहीं कि मैं मंडेला की जीवनी पढ़ रहा हूँ या भारत के आज़ादी के किस्से। सारे कुछ परेशानियाँ वैसी ही हुई जैसा भारत मे हुई थी। खैर! वैसे इस बायोग्राफी को पढ़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मुझे बहुत अच्छा लगा।

अगर आप भी हिन्दी संस्करण में मंडेला की जीवनी पढ़ना चाहते हैं तो प्रभात प्रकाशन द्वारा लिखी गई इसी किताब का चयन कीजिएगा। तो चलिए शुरू करते हैं।

यह भी अवश्य पढे:- हेलेन किलर की बायोग्राफी पढ़ने के लिए अभी क्लिक करे।

Nelson Mandela biography

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसकी क्षेत्र के मैजो गांव मे हुआ था। मंडेला परिवार का संबंध राजघराने से था। ये खोसा जाति के थे। उन दिनों मुखिया और सामंतों की की अनेक पत्नियाँ होती थी। जिसके कारण नेल्सन के पिता की भी चार पत्नियाँ थी और नेल्सन अपने पिता फाकानिसवा की उन चारों पत्नियों में से नेल्सन की माता नासेकेनी फ़ैनी तीसरी पत्नी थी। जो उच्च घराने से संबंध रखती थी।

 फाकानिसवा अपने पत्नियों को अलग-अलग आवासों में रखते थे, जिन्हे बाड़ा कहा जाता था और प्रत्येक बाड़ों की दूरी मिलों हुआ करती थी। फाकानिसवा प्रत्येक पत्नी के पास बारी-बारी से आते-जाते थे। नेल्सन अपने पिता का सबसे छोटा पुत्र और माँ की सबसे बड़े पुत्र थे, उसके बाद तीन बहने भी थी।

अग्रेजी सरकार का जब दबदबा बढ़ता गया तब फाकानिसवा को उसके मुखिया पद से बेदखल कर अपना नियम कानून लागू कर दिया गया। सारा-राज्य-पाठ छिन लिया गया। जिससे सब बहुत परेशान हुए।इस आपत्ति के बाद नेल्सन की माँ ने 1920 में अपने बच्चों को लेकर पास ही गावं कुनु मे चली गई, जहां अभी अंग्रेजी हुकूमत ने अपना पैर नहीं पसारा था।

कुनु मे बहुत कम लोग पढे लिखे थे, वहाँ के बच्चे पढ़ने के बजाय बड़ों से सब-सिखकर ही भाषा का ज्ञान और अन्य जानकारी पाते थे। अपने पुरखों की शौर्य गाथाएं, पौराणिक कहानियाँ व परियों की कहानियाँ उनकों प्रायः अपनी माताओं से सुनने को मिल जाति थी। बाकि जानकारी भी उनकों मौखिक रूप से ही हासिल होती थी। जो नेल्सन को बहुत प्रभावित करती थी।

फाकानिसवा अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे, जिसके वजह से उन्हे अंग्रेजों द्वारा बनाए गए स्कूल मे भेजना स्वीकार किया। 1925 में स्कूल जाने के लिए उसे अंग्रेजों की भाति ही पतलून और शर्ट मे भेजा गया। नेल्सन का बचपन नाम खोसा संस्कृति से रखा गया रोहिल्लाहला मंडेला था, लेकिन स्कूल में उन्हे एक अंग्रेजी नाम दिया गया जो नेल्सन मंडेला था। नेल्सन उस स्कूल की वातावरण और नई-नई चीजों के बारे में जानकारी बहुत प्रभावित करती थी।

 सब कुछ हीक से चल रहा था कि एक दिन फाकानिसवा जब नासेकेनी फ़ैनी के बाड़े मे ठहरे हुए थे कि अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और वो 1927 में मृत्यु को प्राप्त हुए। जिससे पूरा परिवार बहुत प्रभावित हुआ। और नासेकेनी फ़ैनी नेल्सन को लेकर कुणी से निकल गईं और  फाकानिसवा के शाही दोस्त, जो अभी अंग्रेजी हुकूमत से बाहर था, और थैंबू कबीले का राजा जोगिनताबा के राजमहल मे लेकर पहुंची।

फाकानिसवा ने कभी जोगिनताबा की मदद की थी, अतः वह फाकानिसवा की मृत्यु से दुखी हुआ लेकिन अपने दोस्त का मान रखते हुए नेल्सन को अपने पुत्र की भांति गोद लिया और अपने पुत्र जस्टिस के साथ मंडेला भी रहने लगा। नेल्सन को जस्टिस के साथ राजमहल की सारी सुख-सुविधाये मिला करती थी। और दोनों एक साथ पढ़ने जाया करते थे।

जोगिनताबा ने अपने बेटे जस्टिस और नेल्सन को सन 1934 में कालर्कबेरी इंस्टीट्यूट के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया। यह बाशे नदी के पार केजवैनी से लगभग 60 मील की दूरी पर था। राजा जोगिनताबा खुद अपनी शानदार कार में उसे वहाँ छड़ने गए। इससे पहले उसका भव्य विदाई समारोह हुआ।

उस स्कूल से मंडेला ने अनुशासन और कठोर परिश्रम करना सीखा और कुछ गोरे लड़कों के शिकार भी हुए , अपनी जूनियर की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद उन्हे ब्यूफोर्ट के वैसलिन कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया। हिलटाउन के इस नगर की दो खूबियाँ थी। एक तो शहर बहुत सुंदर और आधुनिक था; दूसरा, उसका प्रिय मित्र और राजा जोगिनताबा का बड़ा बेटा जस्टिस अब वहा पढ़ता था।

इस अफ्रीकन स्कूल मे 1,000 युवक-युवतियाँ साथ पढ़ते थे। खोसा संस्कृति से प्रभावित इस स्कूल में कई बाहरी क्षेत्रों से आए लड़के लड़कियां भी पढ़ते थे, जिनके वजह से अक्सर इन्हे भेद-भाव का सामना करना अपड़ता था, जो इस इनके मन को ठेस पहुचती थी। तो वहीं इस कॉलेज  मेन काभ-कभार खोसा जाति से महानं व्यक्तिव भी आते थे, जिन्हे सुनकर नेल्सन बहुत प्रभावित होते थे।

कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के वाद जब दोनों अपने राजमहल को लौटे तो जोगिनताबा ने दोनों की शदी करने की सोची जिसके वजह से दोनों ने उस राजमहल के साथ-साथ गावं और शहर से भाग निकले और जोहाँसबर्ग पहुंचे। जो सोने की नगरी कहलाता था। जहां बहुत बड़ी-बड़ी सोने की खाद्याने थी। और दोनों ने उस शहर में टिकने के लिए कलर्क और चौकीदार की नोकरी पकड़ ली और ईऊस तरह खर्चा-पानी का जुगाड़ हो गया।

वहाँ भी अभी काम करते वक्त कुछ ही समय बीते थे कि जोगिनताबा का संदेशा वहाँ भी पहुँच गया और उन्हे फिर से वहाँ से भागना पड़ा लेकिन इस बार वो पकड़े न जाए इसलिए दो अलग-अलग जगह के लिए निकल पड़े। मंडेला पास ही के एक उपनगर में अपने चचेरा भाई गार्लिन मैकेजी जॉर्ज गोश के पास पहुँच गए। जहां मंडेला की मुलाकात  एक प्रॉपर्टी एजेंट और नेता सीलूलु से से हुई।

मंडेला ने अपनी सारी बात सीलूलु के सामने रख दी। जिसे सुनने के बाद सीलूलु ने मंडेला को वकालत फर्म में काम  करने को सलाह दिया। जो पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने के भी आसार थे। यह बात मंडेला को ठीक लगी और सीलूलु ने एक गोरे वकील की कंपनी में काम दिलवा दिया।

कां मिल जाने के बाद मंडेला ने अलेक्जेंड्रा में एक कमरा किराये पर ले लिया। यह घनी आबादी और तंग गलियोंवाला इलाका था। अक्षवएटों की इस बस्ती मे न बिजली थी, न पानी। मंडेला को यह छोटे मकान में तीन की छटवाला झोपड़ी के आकर का कमरा रहने को मिला, पर वे इससे संतुष्ट नहीं थे।

अलेक्जेंड्रा मे हालात अच्छे नहीं थे। टँगहाली का लम यह था कि कई-कई दिन भूखे भी रहना पड़ता था, क्योंकि थोड़ी से आमदनी में से नेल्सन को पढ़ाई की फीस और घर का किराया देने के बाद बहुत कम बचता था। एक बड़ा और जरूरी खर्चा मोमबत्तियों का भी था, जिसकी रोशनी में नेल्सन रात को पढ़ाई किया करते थे।

यहाँ आकर ही नेल्सन कोअफ्रीकी बस्तियों मे अंग्रेजों  द्वारा कीए जा रहे अत्याचार दिखाई देते थे, उनके आने-जाने के लिए अलग ट्रेन, बस की सेवा थी, अलग टाइम था, बाज़ार मे जाने का भिस आमे अलग था, श्वेत और अश्वेत में इस कदर भेदभाव था कि वो अच्छा खाना भी नहीं खा सकते थे। उनके लिए सरकारी किसी काम करना भी मनाही था। श्वेत लोगों की सुनवाई पहले होती थी।

और अश्वेत लोगों के लिए अलग कानून थे। जिससे मंडेला बहुत दुखी हुए और इन अंग्रेजी हुकूमत को खदेड़ने की ठानी। वहाँ पर कां कर रहे भारतीय मूल के लोगों को भी इस अंग्रेजी हुकूमत का शिकार होन अपड़ता था, जो अपनी आवाज उठाते थे। लेकिन बिना किसी हिंसा के। जिसे सरकार सुनती भी थी।

उन भारतीयों से प्रभावित होकर मंडेला भी उन्ही के नक्शे कदम पर चलते थे। लेकिन उनमें एक बात खास थी, कि उनका कहना था कि उन भारतीयों का अपना राष्ट्र है वो सिर्फ और सिर्फ यहाँ की कानून के खिलाफ हैं लेकिन हमें अपनी भूमि को आजार कराना है।

अपनी वकालत की पढ़ाई और कां के दौरान उनकी मुलाकात एलन नाम की एक लड़की से हुई, जो स्वाजी संस्कृति से ताल्लुक रखती थी। नेल्सन को वह भा गई और दोनों मिलने जुलने लगे लेकिन यह सिलसिला ज़्यादा दिन तक नहीं चला और दोनों अपने-अपने रास्ते पर अलग हो गए।

1942 में जस्टिस के पिता की मृत्यु के बाद मंडेला और जस्टिल अपने राज्य को पहुंचे वहाँ कुछ दिन व्यतीत करने के बाद जस्टिस ने अपने पिता की गद्दी संभाल ली और मंडेला अपने मिशन को आगे ले जान एके लिए वापस लौट गए।

नेल्सन के दफ्तर में एक अफ्रीकी श्री गौड रेनबे थे। वे नेल्सन से काफ़ी बड़े और अधिक पढे-लिखे थे। जिनके पास बहुत सारी जानकारी का खजाना था और हर स्थिति के प्रति एक नजरिया और अपने तरीके तरीके की सोच थी, जिसने नेल्सन को बहुत प्रभावित किया। वे नेल्सन को अपने साथ अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस की बैठकों में ले जाते थे। नेल्सन वहाँ एक श्रोता य दर्शक के तौर पर ही जाते ।

उन्होंने अभी राजनीति में किसी तरह का हिस्सा लेने या उससे वास्ता रखने का मन नहीं बनाया था उनके सामने अभी तो उनका लक्ष्य था-वकालत की पढ़ाई पूरी करके एक काबिल वकील बनना। सीलूलु और गौड के निकट संपर्क में आने के बाद नेल्सन को लगा कि अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस ही एक ऐसी सस्थ है, जिसके सदस्य वास्तव में दक्षिण अफ्रीका की स्वाधीनता के लिए कृत-संकल्प हैं।1944 में मंडेला के युवा लीग ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस को ज्वाइन किया।

एक दिन सीलूलु के घर में नेल्सन की मुलाकात एवलिन से हुई, जिससे दोनों प्रभावित हुए और दोनों ने प्यार का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए दोनों ने विवाह कर लिया। और 1946 में उनका एक बेटा हुआ। जिसे सभी उसे प्यार से थैंबी पुकारते थे। लेकिन यह भी जोड़ी कुछ ज्यादा देर तक नहीं टीक सकी और 1957 में एवलिन ने मंडेला से तलाक लेकर अपने पुत्र को लिए अलग हो गई। धीरे-धीरे किसी तरह साल निकला 14 जून, 1958 को विनी मदिकजैला से विवाह कर लिया ।      

1940-1950 के बीच जैसे-जैसे दक्षिण अफ्रीकी सरकार की दमन नीतियों में बढ़ोतरी होती गई, नेल्सन मंडेला के दिल में उसका विरोध करने की इच्छा भी जोर पकड़ती गई। राष्ट्रपति चुनाव मे अफ्रीकी अश्वेत लोगों की जब वोट देने से वंचित रखा गया तो और भी मामला बिगड़ गया और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ इधर-उधर विरोध प्रदर्शन होने लगे। जिसमें अंग्रेजी सरकार द्वारा बहुत से लोगों को मारा गया और बहुत को जेलों में भरा जाने लगा जिसमें मंडेला भी शामिल थे।

1952 में पहला राजद्रोह का मुकदमा होने के बाद मंडेला को पहले नौ महीने के लिए फिर तीन साल के लिए और फिर पाँच साल के लिए और फिर 27 साल के लिए जेल में रखा गया। नेल्सन इससे बचाने के लिए भागते रहे, इधर-उधर छिपाते रहे लेकिन यह ज्यादा दिन तक ऐसा नहीं हुआ और हर बार पकड़े जाते और हर बार अपनी चतुराई से कोर्ट द्वारा छोड़ दिए जाते। जितनी बार भी मंडेला को पुलिस ने पकड़ उतनी बार मंडेला और उनके चाहने वालों ने अफ्रीका की आज़ादी की लड़ाई और ज़ोर पकड़ लेती।

 11 फरवरी, 1990 को 27 साल बाद जेल से रिहा होने के बाद मंडेला का बहुत भव्य स्वागत किया गया। चारों दिशाओं में छा गए। 5 जुलाई, 1990 को अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस  के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित कीए गए। 1993 में मंडेला और क्लार्क को सयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार मिला। लेकिन मंडेला का  अमेरिका की आतंकवादियों की लिस्ट में पहले पायदान पर नाम दर्ज थे, जिसे बाद में हटाया गया।

1994 में मंडेला की आत्मकथा प्रकाशित की गई, जो पूरे देश-विदेश में पढ़ा जाने लगा। 10, मई, 1994 को दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक रूप से 60% मतदान मिलने के बाद निर्वाचित 75 वर्षीय सबसे वयोवृद्ध राष्ट्रपति चुने गए। सब कुछ ठीक था कि 1996 में विनी ने मंडेला से तलाक ले लिया लेकिन मंडेला ने हार नहीं मानी और 1998 में ग्रेसा मिशेल से विवाह कर लिया। 1999 में अपने राष्ट्रपति पद से छुट्टी मिलने के बाद आराम की जिंदगी  ग्रेसा मिशेल के साथ बिताने लगे।  1918 मे जन्मे इस महान शांतिदूत ने 5 दिसंबर, 2013 को हमेशा के लिए शांत हो गया।   

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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-

दक्षिण अफ्रीका में रह रहे गांधी जी के पुत्र मनीलाल गांधी साउथ अफ्रीकन इंडियन कॉंग्रेस के एक महटवुरण सदस्य थे। उनका वहा बड़ा माँ-सम्मान था। वे अपने पिता के समान ही अहिंसा के पुजारी, विनम्र और न्याय के लिए संघर्ष करनेवालों में थे। उन्होंने सलाह दी कि उनके पिता ने जिस तरह भारतीय स्वाधीनता संग्राम अहिंसा और अवज्ञा आंदोलन के डम पर चलाया, हमें भी वैसा ही करना चाहिए। उनके इस विचार की बड़ी सराहना हुई।

हालांकि कुछ लोगों ने यह राय भी दी कि हमें व्यावहारिक होनया चाहिए। दक्षिण अफ्रीका एवं भारत की स्थितियों में अंतर है और उसे ध्यान में रखते हुए हमे अपने कार्यक्रम में कुछ परिवर्तन करना चाहिए।

संघर्ष की रणनीति बनी तो आंदोलन को दो चरणों में बाटा गया। पहले चरण में प्रशिक्षित और चुनिंदा स्वयंसेवकों को सरकार के बनाए रंगभेदी नियमों का उल्लंघन करना था। इसके लिए उनको ऐसी जगहों पर जाना था, जहां अक्षवएटों के जाने पर पाबंदी थी। यह कां भी उनको पुलिस को पहले से जानकारी देकर करना था, ताकि वह उन्हे आसानी से गिरफ्तार कर सके। उसके बाद बड़े पैमाने पर अवज्ञा आंदोलन चलाया जाना था और हड़ताल होनी थी।

योजना के अनुसार शुरू में सिर्फ 250 स्वयंसेवकों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन करके गिरफ्तारियाँ दिन। उसके बाद दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसमें मिल मजदूरों, छात्रों, डॉक्टरों, वकीलों, गृहणियों-सभी ने बिना परिणाम की परवाह कीए आंदोलन में हिस्सा लिया।  

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पात्रों का चरित्र-चित्रण-

नेल्सन मंडेला- नेल्सन मंडेला बचपन से बहुत कुशाग्र बुद्धि के थे। चपलता उनके रगों में खून बन कर दौड़ती थी।जानकार वह पढ़ कर हुए लेकिन होशियार वह इधर-उधर के लोगों से बात कर के सभाओं में उपस्थित होकर और बहुत सारी परेशानियों को झेलते हुए हो गए। उन्हे किसी बात का डर नहीं लगता था। इन सब के बावजूद उनका दिल कोमल की भांति धड़कता था। जो एलन, एवलीन, विनि और अंत में ग्रेसा मिशेल ने महसूस भी किया। लेकिन यह सत्य है कि मंडेला ने अपने परिवार और लोगों से बढ़कर अपने देश को सबसे अधिक प्यार किया। 

जोगिनताबा- जोगिनताबा मंडेला के पिता के प्रिय दोस्त थे, जिनके अपने वादों के बड़े ही पक्के थे। जिन्होंने अपने  पुत्र और मंडेला में कभी अलग नहीं समझा। वह बहुत ही बहादुर और दूसरों ओ ख्याल रखने वाले थे। उनके पास धन बहुत था लेकिन घमंड पल भी उनके पास नहीं भटकता था।

कोट्स-

कोई भी लक्ष्य जब तक प्राप्त नहीं कर लिया जाता, तब तक असंभव ही लगता है।

nelson mandela

कानून ने मुझे अपराधी करार दिया। जो मैने किया था, उसके लिए नहीं, मैं जिसके लिए संघर्ष कर रहा था।

नेल्सन मंडेला

जुल्म का तख्ता पलटना हर स्वतंत्र आदमी की सबसे बड़ी आकांक्षा है।

नेल्सन मंडेला

अगर समाज में मां-सम्मान पानए की इच्छा है तो खुद कुछ बनकर दिखाओ।

नेल्सन मंडेला

सामने चाहे कोई भी हो, अगर कोई बात उचित नहीं लगती तो परिणाम की चिंता कीए बिना उसका विरोध करो और अपने विचार निर्भयता से उसके सामने रखो।

नेल्सन मंडेला

स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए कृतसंकल्प किसी भी देश की अत्याचार से पीड़ित जनता को संसार की कोई भी शक्ति रोक नहीं सकती।

नेल्सन मंडेला

मैं नस्लवादी नहीं! नस्लवाद से मुझे नफरत है, चाहे वह किसी श्वेत से आए या अश्वेत से।

नेल्सन मंडेला

जिस संसद में मेरे प्रतिनिधि नहीं हैं, उसके बनाए कानून का पालन करने के लिए मैं अपने आपको न तो नैतिक रूप से और न ही कानूनी तौर पर बाध्य मानता हूँ।

नेल्सन मंडेला

सही अर्थों में कानूनन सबके समान होने का मतलब है कि जो कानून हम पर लागू होते हैं, उन्हे बनाने में भागीदारी का अधिकार भी मिले।

नेल्सन मंडेला

दूसरों से अपने हित की उम्मीद रखना व्यर्थ होता है।

नेल्सन मंडेला

संगठन में बड़ी शक्ति होती है और उसके बाल पर जित हासिल की जा सकती है।

नेल्सन मंडेला

नस्लवाद को उखाड़ फेकने और लोकतंत्र की स्थापना का एक ही रास्ता है-समझौतों-रहित व दृढ़ जन संघर्ष।

नेल्सन मंडेला

जो कानून अनैतिक, अन्यायपूर्ण और असहनीय हों, हमें अवश्य उनका प्रतिरोध करना चाहिए, हमें अवश्य उनका विरोध करना चाहिए, हमें अवश्य उनकों बदलने का प्रयास करना चाहिए।

नेल्सन मंडेला

जब पेट पर लात पड़ती है तो आदमी मरने-मारने पर उतारू हो जाता है।

नेल्सन मंडेला

अपनी सजा पूरी हो जाने के बाद मैं फिर से अन्याय की समाप्ति के लिए यथाशक्ति संघर्ष आरंभ करूंगा और इसे तब तक जारी रखूँगा, जब तक वह पूर्णरूप से सदा के लिए मीट नहीं जाता।

नेल्सन मंडेला

जब तक हमारे देशवासी समान अधिकारों व अवसरों के साथ भाईचारे से नहीं रहते, हम कभी समृद्ध नहीं हो सकते।

नेल्सन मंडेला

यह अफ्रीका की जनता का संघर्ष है । उनके अपने कष्टों और अपने अनुभवों से प्रेरित संघर्ष। यह उनके जीने के अधिकार का संघर्ष है।

नेल्सन मंडेला

केवल कष्ट सहकर, बलिदान देकर सशस्त्र संघर्ष से ही स्वाधीनता पाई जा सकती है।

नेल्सन मंडेला

हमारी मुक्ति का प्रभाव सन्निकट है। आओ, हम स्वाधीनता, स्वतंत्रता और बंधन मुक्ति के लिए भाइयों की तरह एकजुट होकर प्रयास करें।

नेल्सन मंडेला

मैने सदा स्वाधीन व लोकतांत्रिक समाज के उन आदर्शों को सँजोया है जिसमें सभी लोग पूरे सौहार्द के साथ मिल-जुलकर रहते हैं और जिसमें उनकों समान अवसर प्रदान कीए जाते हैं। इसी आदर्श के लिए मैं जीवित हूँ और इसके लिए अपने प्राण भी दे सकता हूँ।

नेल्सन मंडेला

संघर्ष ही मेरा जीवन है। मैं अपने अंतिम समय तक स्वाधीनता के लिए लड़ता रहूँगा।

नेल्सन मंडेला

FAQ-

Q नेल्सन मंडेला का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसकि क्षेत्र के मैजो गाव में हुआ था।

Q नेल्सन मंडेला के माता-पिता का नाम क्या था?

नेल्सन मंडेला के माता का नाम नासेकेनी फ़ैनी तथा पिता का नाम फाकानिस्वा था।

Q नेल्सन मंडेला का बचपन का नाम क्या था?

नेल्सन मंडेला का बचपन नाम रोहिल्लाहला मंडेला था।

Q नेल्सन मंडेला ने अफ्रीका नेशनल कांग्रेस कब ज्वाइन किया था?

नेल्सन मंडेला ने 1942 मे अफ्रीका नेशनल कांग्रेस को ज्वाइन किया था।

Q नेल्सन मंडेला पहली बार जेल कब और क्यों गए?

नेल्सन मंडेला ने 1957 मे राजद्रोह के मुकदमें में पहली बार नौ महीने के लिए जेल गए थे। 

Q नेल्सन मंडेला ने कितनी बार शादी किया था?

नेल्सन मंडेला ने तीन बार शादी किया था, जिनमें से दो को तलाक दे चुके हैं।

नेल्सन मंडेला को कितने पुरस्कार और सम्मान मिले है?

नेल्सन मंडेला को 695 पुरस्कार और सम्मान मिला है और सिलसिला यहीं थमा नहीं है।

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