Summary of Mastaan Book in Hindi by Vineet Bajpai pdf download. “मस्तान: दिल्ली का बागी सरफ़रोश”! भारत के इतिहास का एक ऐसा योद्धा, जिसने अपनी प्यार की रक्षा के लिए अपनी ज़मीर, और अपनी लोगों से बगावत किया।
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Review of Mastaan Book in Hindi by Vineet Bajpai
1857 में अंग्रेजों के अत्याचार से परेशान होकर मंगल पांडे ने बगावत कर देश के लिए मंगल कार्य आरंभ कर दिया। जिसका धुआँ पूरे भारत में मडराता हुआ जब दिल्ली पहुचा तो अंग्रेजों को उनकी मुंह की खानी पड़ी, जिसकी रक्षा के लिए मस्तान न चाहते हुए भी अपने तलवार के मूठ को और गहरे से थाम लिया। और नतीजा अब सबके सामने था। Mastaan Book in Hindi
“मस्तान: दिल्ली का बागी सरफ़रोश” मेरे द्वारा पढ़ी जाने वाली यह किताब पहली हिस्टोरीकल उपन्यास है। सच बताउँ तो मैने इसे पढ़ने में मात्र 4 से सवा 4 घंटे ही व्यतीत किये। और पहली पन्ना से कब 250 पार हो गया पता ही नहीं चला। कहानी बहुत ही साफ और सरल है। शुरू से अंत तक पाठकों कों बांध कर रखने की कला में विनीत ने पारंगत हासिल किया है।
“मस्तान: दिल्ली का बागी सरफ़रोश” इस किताब को विनीत बाजपेयी ने 2019 में ही अंग्रेजी संस्करण में सबके सामने लाया, जिसका हिन्दी अनुवाद उर्मिला गुप्ता ने 2022 में बड़े ही सहज ढंग से किया है। इस किताब को पढ़ते वक्त आपको थोड़ा सा मंगल पांडे की झलक दिखेगी बल्कि जब आप किताब के कुछ पन्नों को पलटेंगे आपको मंगल के चर्चा और घटना भी देखने को मिलेगी। रानी लक्ष्मी बाई, मिर्ज़ा गालिब, बहादुर शाह ज़फ़र ये सारे भारत के इतिहास के महान अभिनेता थोड़ा बहुत अपना झलक दिखाएंगे। और यदि आपने आरआरआर देख रखी है तो फिर उससे प्रेरित महसूस होंगी। विनीत ने बताया है कि इस किताब को लिखने में उन्होंने बहुत सारे ऐतिहासिक किताबों का सहारा लिया है, जिससे उन्हे एक ऐसी रचना करने को प्रेरणा मिली।Mastaan Book in Hindi
जब आप “मस्तान” जैसी किताब को पढ़ते हैं तो आप कहीं अपनी दुनिया में गुम हो जाते हैं। जिसे कोई सूद-बुद नहीं रहता। जब-तक ये किताब आपके हाथ में रहेगी आपकी निगाहें उसे हमेशा घूरती रहेगी। भारत में ऐसे किताब बहुत विरले ही मिलते हैं। जिसे आप गवाना नहीं चाहेंगे। हमने बचपन ऐतिहासिक घटनाए बहुत पढ़ी है लेकिन यकीन करिए उसमें से मुझे आज के समय में कुछ भी नहीं मालूम। लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद मुझे लगता है कि 1857 से समय भारत को आज़ाद कराने में कौन-2 मुख्य किरदार निभा रहा था, अब याद रहेगा। मेरी यात्रा इस किताब के साथ बहुत अनमोल रही, जिसे एक बार भूलने को अगर मन भी करे, तो मैं इसे भूलना नहीं चाहूँगा।Mastaan Book in Hindi
Summary of Mastaan Book in Hindi by Vineet Bajpai
मस्तान के पिता, “सिपाही नारायण पांडे” ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में अपनी जान दी थी। बिना एक पल गवाये, पांडे अपने ब्रिटिश मालिक को बचाने के लिए, दुश्मन द्वारा फेंके बम पर लेट गया। हिन्दू रिवाजों से उसकी अन्त्येष्टि के लिए उसके शरीर का एक टुकड़ा तक उन्हे नहीं मिल पाया था।Mastaan Book in Hindi
उसके इस महान बलिदान का कर्ज उतारने के लिए, प्रसिद्ध विलियम फ्रेजर ने अनाथ मस्तान की जिम्मेदारी ले ली थी। सिपाही पांडे के बेटे को उस अंग्रेज ने अपने बच्चे की तरह पाला। उसी फ्रेजर ने मस्तान को खुद निशानेबाजी, शिकार, घुड़सवारी, युद्ध के साथ-2 राजनीति, भारतीय ग्रंथ, उर्दू, अंग्रेजी और कला की समझ भी दी थी। उसने बच्चे को बिना हथियार के लड़ना सिखाकर, लड़ने की एक मशीन में बदल दिया। जल्द ही फ्रेजर को एहसास हो गया कि जिस बच्चे को वो प्रशिक्षण दे रहा था, वो असाधारण और दुर्लभ था। और उस लड़के का नाम मस्तान रखा।Mastaan Book in Hindi
फ्रेजर के मरने के बाद मस्तान ने खुद को कंपनी की छावनियों के गर्म माहौल में पाया। लेकिन तब तक फ्रेजर ने दो चीजे सुनिश्चित कर दी थी। पहली, मस्तान के रोम-रोम में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रति शानदार वफादारी और दूसरी, सिपाही पांडे का बेटा, हिंदुस्तान का सबसे शानदार योद्धा बनकर उभरा।Mastaan Book in Hindi
मस्तान जब अपने दोस्त छगनू पांडे की दोस्ती में रह कर डिक्रूज रेजीमेंट के संरक्षक राबर्ट के साथ मिलकर तीनों ने ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसे सब बहादुर कंपनी के नाम से संबोधित करते थे, तीनों बड़ी लगन के साथ इस कंपनी की रक्षा में सम्पन्न थे।
एक दिन राबर्ट ने छगन पांडे और उसके दोस्त मस्तान को अपने घर खाने का नेवता दिया, जिसमें राबर्ट की सुंदर बहन फेय, मस्तान की गाथा सुनकर और उसकी सुंदर गठा हुआ बदन देख कर प्रभावित हो गई। मस्तान को जिस तरह हर एक लड़ाई जितने की आदत थी, उसी तरह बड़े ही आसानी से फेय का दिल भी जित लिया।Mastaan Book in Hindi
मस्तान और छगनू मिलकर कंपनी की सेवा निस्वार्थ भाव से करते रहे कि छगनू बार-2 मस्तान को ये चेताता रहता था कि अब वो समय आ गया है, जब हमारे लोग इस कंपनी के अत्याचार से परेशान होकर आने वाले कुछ दिनों में बगावत का बिगुल बजा देंगे। ये बात मस्तान को कतई नहीं भाति थी। छगनू को अपना प्रिय साथी मानने के कारण उसे बस डांट-डपट कर समझा-बुझा देता लेकिन छगनू अब आगे बढ़ चला था।Mastaan Book in Hindi
मस्तान के मन में (जब अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत करने पर) ये सवाल पैदा हुआ कि बगावत क्यों हो रहा है? छगनू और उसके साथी शाहबाज ने बताया कि पहले अंग्रेज जब भारत आए थे, तो उन्होंने मुगलिया सल्तनत के नीचे काम किया और अपनी कंपनी बैठाई। फिर धीरे-धीरे अंग्रेज के आला अधिकारी आते गए और व्यापारिक कंपनी के नाम पर एक-एक राज्यों को अपना गुलाम बनाना शुरू कर दिया। और आज हालत ये हैं कि अग्रेजों द्वारा भारत का हर राज्य उनके चंगुल में फसा हुआ है और उनका अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में बैठे बहादुर शाह जफ़र की सल्तनत भी गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी हुई है। बगावत तो पहले अग्रेजों ने किया है, जिसे हम भारतीयों को एक होकर उसे फिर से ठीक करना है।
भारत के कोने-2 से बगावत के लिए लोग इकट्ठा होने लगे हैं। और सबसे बड़ी बात ये की पुरबिया से आई समाचार कि अंग्रेज के कारखानों में बने राइफल के कारतूस गाय और सूअर के चर्बी से बने हुए हैं, जिसे मुख से खिचकर फायर किया जाता है। जिसमे सबसे ज्यादा हिन्दू और मुस्लमान सिपाही ही ऐसा करते है। ये अंग्रेज हम भारतीय की धर्म को नीचे गिराना चाहते हैं, जिसका विरोध मंगल पांडे ने किया, जो छगनू पांडे का चचेरा भाई है। कंपनी ने उसे फांसी की सजा सुनाई है।Mastaan Book in Hindi
मस्तान इस बात को समझता है और सबसे पहले मंगल पांडे को बचाने के लिए दोनों साथी सात दिन लगातार घोड़े दौड़ाते हुए उसके राज्य को पहुचते हैं लेकिन देर हो चुकी होती है। कंपनी लोगों को झांसे में रखकर मंगल पांडे को फांसी देने के 10 दिन पहले ही सूली पर चढ़ा देती है। जिसकी वजह से लोगों के दिलों में अंग्रेजों के प्रति गुस्सा उबाल मारने लगा।
मस्तान और छगनू जब तक दिल्ली लौटते अंग्रेजों के महलों और कारखानों में हिंसा शुरू हो चुका था। बल्कि छगनू भी अंग्रेजी हुकूमत से बागी होकर लड़ाकुओं की सेना में शामिल हो गया। मस्तान अपनी प्रेमिका फेय और उसकी दोस्त पेट्रीसिया को बचाने के लिए उन्हे लेकर शहर के मिर्जा गालिब के घर सुरक्षित पहुचा दिया। और लौट कर राबर्ट के महल को पहुच गया।
भारतीय लड़ाके दिल्ली की सड़कों को अंग्रेजों के खूनों से रंगते जा रहे थे। जिसे देख कर मस्तान बहुत परेशान था। क्योंकि उसमें कई मासूम अंग्रेजी महिलाये और बच्चे भी सामील थे। जिसे नहीं होना चाहिए था। मस्तान का दोस्त शाहबाज कहता है कि उन लड़ाकुओं का नेतृत्व छगनू कर रहा है। मस्तान की भौहें तन गई। मस्तान के पूछने पर पता चला कि छगनू की बहन का कल रात अंग्रेजों के दो सिपाहियों ने बलात्कार कर दिया और वो मारी गई। जिसके बाद मस्तान का पैरों तले मानो ज़मीन ही खिसक गई।Mastaan Book in Hindi
रॉबर्ट की हथियार वाले कक्ष के तरफ उग्रवादियों के कूँच करने से पहले मस्तान अपने चेहरे पर बारूद की कालिख लगाने के बाद अपने चेहरे को नकाब से ढकते हुए निकल गया ताकि उसे कोई पहचान ना सके। उस हथियारों को लूटने का मतलब था, सरेआम किसी का भी कत्लेआम करना। क्योंकि भीड़ कुछ भी करने से पहले ये नहीं सोचती कि उसके ऐसा करने से क्या होगा? उस महल तक जब तक छगनू अपने लड़ाकुओं के साथ पहुचता और हमला करता, मस्तान पीछे के दरवाजे से पहुच चुका था। Mastaan Book in Hindi
राबर्ट, मस्तान और शाहबाज के साथ-साथ अपने नौ और सैनिकों के साथ उस कक्ष के दरवाजे का मोर्चा संभाल रखा था। लड़ाकू एक के बाद एक कक्ष में घुसने का प्रवेश करते तब कोई ना कोई उन्हे मार गिराता। लड़ाई कुछ हद तक आगे बढ़ गई और जब लगा कि अब कंट्रोल से बाहर है तो मस्तान अपने साथ बारूद की डिबिया को आग के हवाले कर दिया, जिसमें बाकी के सैनिकों के साथ लड़ाकुओं के हजारों सिपाही मारे गये। मस्तान अपने प्यार को बचाने के लिए अपने देश और अपने लोगों के प्रति बागी बनना स्वीकार किया।Mastaan Book in Hindi
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश Mastaan Book in Hindi
- दिल्ली के बाहरी इलाके की कड़कड़ाती ठंड को, दिसंबर की इस बेमौसम बरसात ने और भी असहनीय बना दिया था । ठंड से ठिठुरते और बारिश के तेज मार से बचने की कोशिश के बीच, ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही बड़ी मुश्किल से अपनी दूरबीन, राइफल और बंदूक पर पकड़ बना पा रहे थे। ठगों के इलाके में आगे बढ़ते हुए, उनके चेहरे डर से उतने ही सफेद पड़ गए थे, जितने इस समय उनकी उंगलियों के पोर थे।Mastaan Book in Hindi
- अंग्रेजी अफसरों, क्लर्क और सिपाहियों की पहली कुछ पीढ़ियां, जो जहाजों से पर चढ़कर मुंबई और कोलकाता के तटों पर उतरी थी, उन्हें इस नए हिंदुस्तान से प्यार हो गया था। इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड के मुकाबले, भारत की खिली-खिली धूप ने आगंतुकों को किसी जन्नत से कम नहीं लगी।Mastaan Book in Hindi
- भारत की खूबसूरत सांवली महिलाओं के आलीशान कढ़ाई किए हुए वस्त्रों सहित, इन अंग्रेजों ने सबकुछ खुले दिल से स्वीकार किया। कंपनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों जैसे सर डेविड ऑकटरलोनी ने मुगलों की तरह कपड़े भी शुरू कर दिए थे, और उन्होंने 13 भारतीय महिलाओं से शादी की। अंग्रेजों ने बड़ी तेजी से खुद को भारतीय संस्कृति की सम्पन्न प्रजाति में ढालना शुरू कर दिया था। बहुत से अंग्रेज अधिकारियों ने हिन्दुस्तानी ग्रंथों, दर्शन और महाकाव्य में गहरी दिलचस्पी दिखाई। बहुतों ने अपने भोले मित्रों की मेजबानी का लुफ़त उठाया, और बदले में उन्हे भुने कबाबों और हुक्के की दावतें दीं। असंख्य ब्रिटिश अधिकारी और सिपाही यहाँ अपनी भारतीय पत्नियों के साथ बस गए और उन्होंने अपने वंश को आगे बढ़ाया।Mastaan Book in Hindi
- ईटों के फर्स पर फेय और मस्तान एक दूसरे की बाहों में खोए बैठे थे, फेय का सिर मस्तान के कंधों पर टिका था और उनकी उंगलियां आपस में गुथी हुई थी, और वह दोनों दिल्ली में उस तारों भरी रात का दीदार कर रहे थे। इस पल में जब उनकी सांसे एक दूसरे में समा गई थी और उनके दिल एक ही ताल पर धड़क रहे थे, तो वह हिंदुस्तानी योद्धा और खूबसूरत अंग्रेज हसीना अपने सारे डरों को भुला चुके थे। वह जानते थे कि उनकी संस्कृति, धर्म और सामाजिक स्तर एक दूसरे से जुदा था। उनकी त्वचा का रंग जुदा था, और वह दोनों दो विभिन्न जीवन शैलियों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- जब इंद्रप्रस्थ, दिल्ली के प्राचीन नगर पर दुर्योधन की बुरी नजर पड़ी थी, तब द्रौपदी के प्रति महान धनुर्धर के बेमिसाल प्रेम ने हीं इसे बचाया था। जब जयचंद ने अपनी मातृभूमि को धोखा देने का फैसला लिया तो पृथ्वीराज और संयोगिता के प्यार ने हीं न सिर्फ राय पिथौरा, बल्कि पूरे हिंदुस्तान की कहानी को अमर बनाया। फिर वो सुलताना रज़िया और सिद्दी याकूत की मोहब्बत हो या महान आमिर खुसरों का अपने महबूब के प्रति पवित्र प्रेम… दिल्ली ने हर बार वापस अपने पैरों पर खड़े होकर मुकाबला किया। उसने इश्क बनाम नफरत की जंग में हर बार फतह हासिल की।
- लालच, पाप, धोखा, हवस… ये कभी भी मुजरिम की आत्मा को खून, आंसुओं और पीड़ा का दाग दिए बिना नहीं छोड़ते थे। और जब पाप किसी एक आदमी के खिलाफ ना होकर, जीवन -मरण के शाश्वत नियमों के खिलाफ हो, तो ऐसा जघन्य अपराध जन्म-मरण की सीमाओं को पार कर अपराधी के समग्र वंश पर अपना अभिशाप छोड़ जाता है। ॠणानुबंधन के कर्मों का फल अनेकों पीढ़ियों को भोगना पड़ता है।Mastaan Book in Hindi
- जो नगर महिलाओं की सुरक्षा, उनकी आजादी और उनकी इच्छाओं का मान नहीं रख पाता, वह ईश्वर की नजरों में सड़े हुए कब्रिस्तान से अधिक नहीं है। धरती और स्वर्ग और इस पूरे ब्रह्मांड के निर्माता की निगाहों में ऐसे नगर के वासी मात्र जिंदा लाशें हैं और उस नगर कतरा- कतरा अनंत काल तक शापित है। एक भी महिला का क्षत-विक्षत शरीर माँ पृथ्वी की आंखों में आंसू ले आता है, और प्रेम, स्वीकार्यता, पुनर्निर्माण, सभ्यता और इससे भी बढ़कर मानवता के आदर्श बेमाने हो जाते हैं।Mastaan Book in Hindi
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कोट्स Mastaan Book in Hindi
- सबको मुश्किल के दिनों के लिए तो बचाकर रखना ही चाहिए।
- नायक की कहानी दूर तक जाती है।
- एक हिन्दू को जबरन गौ मांस खिलाने से बड़ा पाप कोई नहीं है।
- हिंसा से कभी हिंसा को दबाया नहीं जा सकता, बल्कि वो और भी उग्र रूप में बदला लेने के लिए खड़ी हो उठती है।
- जो पहले ही शिकार हो गए हों, वो किसी का शिकार नहीं करते।
- दिल से निकली हर आह का असर कुछ एक अरसे तक ही होता है।
- प्रतिशोध बहुत लुभावना लगता है और जब तक पूरा नहीं होता, तब तक आपको अपनी ओर खिचता रहता है।
- इंसान की नफरत का ज़हर जहरीले सांप से भी अधिक तेजी से फैलता है।
- अपनों की सुरक्षा करना कभी भी गलत विकल्प नहीं हो सकता।
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ग़ज़ल Mastaan Book in Hindi
- रेख्ते के तुम ही उस्ताद नहीं, गालिब;
- कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था।
पात्रों का चरित्र-चित्रण Mastaan Book in Hindi
मस्तान- “मस्तान” इस किताब का मुख पात्र है। जो ब्रिटिश सरकार का सूबेदार है। मस्तान ईस्ट इंडिया कंपनी का रक्षक है, जिसे निशानेबाज़, तलवारबाजी, घुड़सवारी और शायरी करना भी आता है। मस्तान ब्रिटिश का एक दमदार योद्धा होने के साथ-साथ दिल फेक भी है। जो अपने लेफ्टिनेंट की बहन से दिल लगा बैठता है, जिसकी रक्षा के कारन उसे अपने देश और अपने लोगों से बगावत करनी पड़ती है।Mastaan Book in Hindi
छगनू पांडे- छगन मस्तान का दोस्त और ब्रिटिश सरकार का सूबेदार-मेजर है। जिसे मस्तान प्यार से छगनू कह कर संबोधित करता है। छगनू ब्रिटिश का कर्मठ योद्धा होने साथ-साथ एक सच्चा देह भक्त भी है। जिसे ये पता होता है कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर अब काहर दहा रही है। छगन को जब ब्रिटिश सरकार के प्रति विरोध होता हुआ देखता है, तो उन विरोधियों का समर्थन करता हु और ब्रिटिश सरकार के मैगज़ीन, हथियार के लिए कुच करता है, जिसकी रक्षा मस्तान और राबर्ट डीक्रूज कर रहे होते है।Mastaan Book in Hindi
डीक्रूज रॉबर्ट- डीक्रूज मस्तान और छगन पांडे एक ब्रिटिश दोस्त और सरकार का लेफ्टिनेंट है। डीक्रूज मस्तान और छगन को अपना दोस्त मानता है। राबर्ट ब्रिटिश सरकार का एक कर्मठ और बहादुर योद्धा है, जो हमेशा से अपनी सरकार के प्रति सच्ची निष्ठा रखता है। और ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाते हुए अपने को आग में झोंक देता है।Mastaan Book in Hindi
फेय- फेय लेफ्टिनेंट डीक्रूज राबर्ट की बहन है। जो बहुत ही सुंदर और गोरी है। फेय जब पहली बार ही मस्तान के बारे में सुनती है तो बहुत प्रभावित होती है। और जब एक दिन मस्तान रॉबर्ट के घर डावात पर जाता है, तो फेय उसके बलिष्ठ शरीर, और चौड़े सिने को देख कर उस पर मोहित हो जाती और अपना दिल खो बैठती है। जिसके बाद दोनों को एक-दुसरे से प्यार हो जाता है।
नौशा मिर्ज़ा- नौशा मिर्जा दिल्ली के एक बेहतरीन शेयर हैं। जो हमेशा मधुशाला का हाथ थामे अपने शेयर-ऐ-अंदाज में खोए रहते हैं। दिल्ली में चारों तरह दंगे होने के बावजूद जब मस्तान के कहने पर फेय और उसकी दोस्त पेट्रीसिया को अपने घर में शरण देते हैं तो मस्तान उन्हे दिलेर और निर्भीक का खिताब देता है।Mastaan Book in Hindi
FAQ
Q: मस्तान कौन था?
Ans: मस्तान ब्रिटिश सरकार का सूबेदार था। जो बहुत ही बहादुर और दिलेर योद्धा था।
Q: मस्तान का मतलब क्या होता है?
Ans: “मस्तान” एक फारसी नाम है, जिसका मतलब है, खुदा के नशे में मस्त रहने वाला।
Q: मस्तान क्या इतिहास का कोई असली नायक है?
Ans: नहीं! विनीत बाजपेयी ने कहा है कि यफ फिक्शन उपन्यास है, जो ऐतिहासिक घटनाओं से प्रेरित ज़रूर है।
Q: मस्तान का हिन्दी अनुवादक कौन है?
Ans: “मस्तान” का हिन्दी अनुवादक उर्मिला गुप्ता है।
Q: क्या मस्तान का अगला भाग भी आने वाला है?
Ans: अब कहानी और उससे उठते सवाल को देखा जाए तो तमाम ऐसे सवाल छोड़े गए हैं, जिनका जवाब देने के लिए विनीत को वापस इस पटल पर आना ही होगा।Mastaan Book in Hindi
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