Leonardo Da Vinci Biography

Leonardo Da Vinci Biography Book in Hindi pdf download

Leonardo Da Vinci Biography Book in Hindi pdf download. एक ऐसा व्यक्ति जिसने न सिर्फ एक रहस्यमई पेंटिंग बनाई बल्कि अपनी कला के साथ विज्ञान को मिलाकर एक इतिहास ही रच डाला। और अपने बहुमुखी प्रतिभा से दुनिया में नई पहचान बनाई।

Review of Leonardo Da Vinci Biography Book in Hindi

“Leonardo Da Vinci Biography Book” जिसे लिखा विनोद कुमार मिश्र ने और प्रभात प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है।लियोनार्दो द विंची सिर्फ एक पेंटर नहीं, विचारक नहीं, इंजीनियर नहीं, समाजसेवी नहीं और दयालु नहीं बल्कि एक बहु प्रतिभावान था। जिसकी चर्चा तब भी होती थी, आज भी हो रही है और सदियों तक होती रहेगी। जब उसके द्वारा कीये गए अमूल्य कार्य, इस पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे।Leonardo Da Vinci Biography Book

पुर्नजागरण काल या मध्य काल में जन्मे “लियोनार्दो द विंची” इस नाम को आप किसी ख्याति के लिए जानते होंगे? शायद “मोनालिसा की रहस्यमयी पेंटिंग” के लिये, तो ऐसा नहीं है। लियोनार्दो द विंची ने अपने कार्यकाल में ही अपने पेंटिंग के दौरान, युद्ध के लिए हथियार, तोप, सुरंग का पता लगाने की नींजा टेक्निक और तो और उस महान कलाकार ने अपने हाथ में आधुनिक का विज्ञान लिए रोबोटिक शेर तक बनाया। जिसे देख कर सब हैरान हो गए।Leonardo Da Vinci Biography Book

विनोद कुमार मिश्र द्वारा लिखित “लियोनार्दो द विंची” एक जीवनी या यूं कह ले कि बायोग्राफी इस महान बहु प्रतिभावान व्यक्ति के जीवन को सिर्फ 128 पन्नों में समेटना उसके लिए नाइंसाफी है। लेकिन हाँ ये एक तरह से सभी भी है कि जिसके पास समय नहीं है या फिर “लियोनार्दो” के जीवन में झाकने के लिए एक छोटा सा खिड़की भर है। Leonardo Da Vinci Biography Book   

किसी की बायोग्राफी या जीवनी लिखने में मुझे नहीं लगता कि लेखक को उतनी मेहनत करनी पड़ती होंगी, जितना वो अपने सोच-विचार से अपनी नई रचना को जन्म देता है। लेकिन  फिर भी ठीक है। जैसा विनोद जी ने लिखा है। लेकिन मैं तो शुक्रिया कहूँगा कि इतनी पतली किताब में ऐसे बहुत सारे तथ्य छिपे  हैं, जिन्हे जानना बहुत जरूरी है। लियोनार्दो, एक ऐसा इंसान जिसने अपने कर्म के आगे उसे कुछ और सुझा ही नहीं कि वो अपने सुख-सुविधा के लिए कुछ कर पाए। उसने बस अपनी बाप के मध्यम से माँ के कोख से जन्म लिया और बाकी का आगे का जीवन उसने खुद के मेहनत से जी लिया, बल्कि हमेशा-2 के लिए अमर हो गया। Leonardo Da Vinci Biography Book

नोट:- इस किताब को पढ़ने से जानकारी तो बहुत मिली पर बहुत गलतियाँ भी मिली, शायद एडिटर द्वारा की गई हैं। जिसने इस किताब के छापे शब्दों को देखा ही नहीं है और हर वो शब्द, जिसमें आधा शब्द का इस्तेमाल हुआ है, वहाँ आधा ज का इस्तेमाल किया गया है। जहां आपको पढ़ते समय थोड़ा अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सिचुएशन के साथ उस शब्द को कंप्लीट करना होगा। Leonardo Da Vinci Biography Book  

Summary of Leonardo Da Vinci Biography Book

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15 अप्रेल, 1452 शनिवार के दिन रात के साढ़े दस बजे अविवाहिता नौकरानी कैटरीना की कोख से “लियोनार्दो द विंची” का जन्म हुआ। और सर पियरों द विंची उसके पिता बने। जो धनाढ्य के साथ उच्च वर्ग के भी थे। उस जमाने में भी जिस लड़की के पिता के पास दहेज देने को पैसे नहीं होते थे, उस लड़की की शादी नहीं होती थी। और शायद कैटरीना की तरह ही ज़्यादातर लड़कियों को अविवाहीता ही माँ बनना पड़ता था।Leonardo Da Vinci Biography Book

लियोनार्दो को अपने चाचा का साथ मिला। गावं के आजू-बाजू घने और सुंदर जंगल हुआ करते थे। जिसे देख कर छोटे लियो के मन में प्रकृति से जुड़े बहुत सारे सवाल पैदा हुआ करते थे और सभी पशु-पक्षियों के बारे में ज़्यादातर। ऊपर से गिरते झरने, ठंडी हवा उत्पन्न करने वाले बादल, उड़ती चिड़िया, चमकते-रेंगते किड़े उसके मस्तिष्क में तरह-2 के प्रश्न खड़े कर देते थे, जिन्हे वह एक-2 कर अपने चाचा के सामने रखते थे। चाचा एक ही जवाब देते कि क्योंकि प्रकृति ने ऐसा ही बनाया है। अपने चाचा के इस जवाब से जिज्ञासु लियो संतुष्ट नहीं होते थे और कारण ये हुआ कि लियो अकेले ही इन इधर-उधर घूमने लगे।

समय के साथ लियोनार्दो ने चित्रांकन कला उत्कृष्ट व परिपक्व होती चली गई। समय के साथ लियो की कल्पना शक्ति बढ़ती गई। उसे हर चीज़ में सौन्दर्य दिखाई देने लगा। चाहे वो दीवाल पर पड़ी सीदाँ ही क्यों ना हो, वह पर्वतों, वादियों के रूप में देखने, जोड़ने-तोड़ने लगा। जिसको समझते हुए पिता सर पियरों अपने साथ फ्लोरेन्स लेकर चले गए। जहां वो काम किया करते थे। फ्लोरेन्स में लियो की मुलाकात आंद्रे डेल विरोचियों नामक जाने-माने कलाकार से हुई। जिसका एक प्रसिद्ध स्टूडियो था। विरोचियों के इस स्टूडियों में समाज के अन्य छोटे बड़े वर्गों के युवा प्रशिक्षण पा रहे थे। किशोर लियोनार्दो अब इन्ही के साथ निसंकोच रहने लगा और यहीं पर नवीन कला की साधना में जुट गया। जहां फर्नीचर तैयार करना, मूर्तियाँ तैयार करना, पेंटिंग बनाना, पत्थर तराशना, नक्काशी करना, बैनर व कोट आदि की डिजाइन तैयार करना, सोने-चांदी का काम करना, सैन्य मशीनरी व कवच ढाल आदि तैयार करना टेराकोटा तैयार करना आदि पर काम होता था।Leonardo Da Vinci Biography Book

 पन्द्रहवी शदीं के तीसरे दशक में मसासियों नामक कलाकार ने ‘ट्रिनिटी’ शीर्षक से एक कलाकृति तैयार की, जो सूली पर जीसस ईश्वर व पवित्रता के साथ दर्शाये गए। इन नई-2 तकनीकों से लियोनार्दो इतना प्रभावित हुआ कि  उसने न केवल उस कला को सीखा वरन उसे चुनौती की तरह लिया और उसमें इस प्रकार सुधार के प्रयास कीये, ताकि चित्र अधिक से अधिक वास्तविक और जीवंत लगे।Leonardo Da Vinci Biography Book

1470 में लियो अट्ठारह वर्ष का हुआ तब एक आकर्षक युवक बन चुका था। प्रारंभ में लियो का झुकाव कला की ओर था, पर ज्यों ही उसके कला संबंधी प्रयोग रंग लाए, उसका झुकाव विज्ञान की ओर भी हो गया। गुरु विरोचियों का भी उस पर पूरा विश्वाश जाम गया था। वह उसे तमाम वैज्ञानिक प्रयोगों, और गणितीय गणनाओं में शामिल करने लगा।Leonardo Da Vinci Biography Book

एक बार विरोचियो के स्टूडियो में काँसे  की धातु का एक विशाल गोला आया था, जो 6 मीटर व्यास का था और उसका वजन 2 टन से भी ज्यादा ही था। यह गोला ब्रुनेलशी की गुंबद पर लगाना था। विरोचियों को कुछ समझ में नहीं आआ रहा था कि कैसे किया जाए तब लियो ने  अपनी कला के साथ विज्ञान का परिचय देते हुए गुंबद के ऊपर नुकिले स्थान पर लगाने का विचार किया ताकि यह स्थिर रहे और सहारे के लिए विभिन्न स्थानों पर जंजीरों से बाँधा जाए। सभी को डर लगा रहा था, पर 27 मई 1471 का दिन आआ गया, जब विशाल गोला को उस समय के क्रेनों द्वारा गुंबद के शीर्ष पर स्थापित किया गया। सभी लोगों को यह नजारा अद्भुत लगा और लियोनार्दो ने अपनी पुरानी प्रवृति के कारण उसकी पूरी तस्वीर बना डाली।Leonardo Da Vinci Biography Book

लियोनार्दो ने समय के साथ अपनी कला में निपूर्ण होता गया और कार्टून कला का निर्माण किया, जो उस व्यथा को दर्शाते थे, आज की तरह सर और सिर्फ मजाकिया वाला कार्टून की तरह नहीं। पंद्रहवीं शदीं में फ्लोरेंस उत्कृष्ट कला का मुख्य केंद्र था। उस काल में फ्लोरेंस में 21 गिल्ड कार्यरत थी। इन सभी के सदस्य विशेषज्ञ ही बन सकते थे और  इनमें हर प्रकार के लोग थे, जैसे- कपड़ा निर्माता, उनी वस्त्र व उन निर्माता, रेशम के बुनकर, बैंक चलानेवाले, मसलों के निर्माता, फलों के व्यापारी आदि। हर प्रकार के कलाकार व शिल्पी इसके सदस्य थे। ये अपने माल पर गिल्ड की मुहर लगाते थे। जो गुदवत्ता की प्रतीक थी। तेईस वर्ष की आयु में ही लियोनार्दो ने अपने शिक्षक का इतना विश्वाश अर्जित कर लिया था कि उसे पने काम में मास्टर घोषित कर दिया गया और गिल्ड की सदस्यता हासिल हो गई।Leonardo Da Vinci Biography Book

1482 में तीस वर्ष की आयु  में लियो फ्लोरेंस की परिस्थितियों से त्रस्त होकर इटली के उत्तरी भाग में स्थित शहर मिलान चला गया। लेकिन इसके बारे में मिथ है कि मिलान का राजा लुडविकों सोर्जा और फ्लोरेंस का राजा मेडिची के बीच समझौता हुआ था और दोनों ने तय किया था कि वे दुश्मनों का मुकाबला मिलकर करेंगे। मिलान के राजा को प्रसन्न करने के लिए मेडिची ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण प्रतिभा मिलान के राजा लुडविकों को भेट कर दी। इसलिए लियोनार्दो मिलान आया था।

लियोनार्दो ने अपना निजी जीवन बहुत अलग तरीके से व्यवस्थित किया था। उसने कभी विवाह नहीं किया। क्यों नहीं किया? यह कभी स्पष्ट नहीं हो सका। उनतालीस वर्ष की आयु तक वह अकेला ही रहता था। इसके बाद उसने एक बच्चे को गोद लिया, जो सड़कों पर चिथड़े कपड़े पहने हुए था। काले रंग-रूप के इस बालक के बाल घुँघराले थे। उसे असहाय और विपन्न बालक का नाम गियाकामों था। लियो ने उसका नाम ‘सलाई’ रखा, जिसका अर्थ था-छोटा शैतान। लियो ने उसे बहुत लाड़-प्यार से पाला-पोशा, जिसका नतीजा ये हुआ कि छोटा शैतान बड़ा होकर कब बड़ा शैतान बन गया पता ही नहीं चला। फिर धीरे-2 लियो ने उसके हाल पर छोड़ दिया लेकिन अपना प्यार उसे हमेशा देते रहे।Leonardo Da Vinci Biography Book

लियो ने अपने जीवन काल मे अपनी कल्पना से सोच-विचार कर कुछ ऐसे चीजे या उपकरण का निर्माण किया, जिसे लोग देखते हुए चिहा जाते थे। जैसे गड्ढे से पानी को निकालने के लिए करें लगे उपकरण, ऐसा टेबल-लैंप, जिसकी रोशनी कम या ज्यादा की जा सके, एक ऐसी आरामकुर्सी, जिसमें बैठनेवाला न केवल सुस्ता सके वरन उसके कमरदर्द, बदनदर्द आदि भी फुर्र हो सकें। लियो ने अपनी कल्पना से ही उड़ने के लिए कपड़ों का एक उड़नतस्तरी बनाया पर किसी ने उसका उपयोग नहीं किया और ठंढे बस्ते में चला गया, फिर उसने युद्ध से बचने के लिए समुद्री पानी को रोकने के लिए बांध का निर्माण किया, जो मिलान को एक भारी युद्ध से बचाने में कामयाब भी हुआ। लियो यही नहीं रुके जब मिलान से लौटने के बाद फ्लोरेन्स पर फ्रांसीसी सेना ने जब हमला किया तो लियो ने अपने शहर और अपनी कला को बचाने के लिए उसने अपने सैनिकों के लिए टैंक, विकराल धनुष-बाण, मल्टी बैरल मशीनगन, सुरंग खोदने का पता लगाना, तीन भालों वाले घुड़सवार, किले की रक्षा के लिए, तलवार छिननेवाली ढाल को भी बनाया।Leonardo Da Vinci Biography Book 

वर्ष 1495 में लियो ने एक अद्भुत पेंटिंग को तैयार किया, जो लगभग 4.6 मीटर ऊंची, 8.8 मीटर  लंबी तथा ज़मीन से 2 मीटर की ऊंचाई से प्रारंभ होती थी। विशेष बात यह है कि लियोनार्दो द्वारा तैयार की गई तमाम रचनाओं में केवल यही रचना ऐसी है जो अभी भी अपने  स्थान पर अडिग है। जिसमें जीसस अपने शिष्यों के के साथ अंतिम रात्री की भोजन किया था। जिसके बाद  अगले ही दिन जीसस को सूली पर चढ़ा दिया गया।Leonardo Da Vinci Biography Book

 सन् 1505 में लियो ने एक ऐसी रचना की रचना की, जो आज तक एक रहस्य बनी हुई है। लियो ने मोनालिसा की 77 सेंटीमीटर लंबा और 53 सेंटीमीटर चौड़ी एक चित्र बनाई। यह तस्वीर इतनी मोहक है कि देखनेवाले को लगता है कि मोनालिसा उसी को देख कर मुस्कुरा रही है। यह भी लगता है कि यदि ज़्यादा देर देखा गया तो वह बोल पड़ेगी। ऐसा उसके होंठों को देखकर प्रतीत होता है। तस्वीर बनाने के बाद उसे इतनी भा गई कि वह उसे अपने साथ रखने लगा। शौचालय में भी। ताकि कहीं चोरी ना हो जाए। बाद में इस पेंटिंग को फ्रांस के राजा लुई बारहवे ने खरीद लिया था। इसके साथ ही यह मोनालिसा भव्य राजमहलों की शोभा बन गई।Leonardo Da Vinci Biography Book

23 अप्रेल, 1519 को लियो गंभीर रूप से बीमार पड़ें। उन्हे अहसास हो गया कि अब वे कुछ दिनों के ही मेहमान है। उन्होंने अपनी वसीयत तैयार करवाई। पूरे जीवन में उनका अपना कोई हमसफ़र तो बन नहीं पाया था। सलाई को उन्होंने पुत्र माना था, पर वह तो महादुष्ट था। लियोनार्दो ने उसके साथ कोई अन्याय नहीं किया और उसे अपनी आधी संपत्ति का वारिस बनाया। अंतिम दिनों में उसके साथी मेलजी ने उनका बड़ा साथ दिया। शेष संपत्ति उन्होंने उसके नाम कर दी । जो महिला उनके घर का काम-काज करती थी उसे भी कुछ धन दिया। 20 मई, 1519 को लियोनार्दो द विंची ने अपने  सारे कर्मों और रचनाओं को इस दुनिया में छोड़ कर अलविदा कहा और काल के गाल में समा गए।Leonardo Da Vinci Biography Book

कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश Leonardo Da Vinci Biography

  • पुर्जागरण काल के समय जर्मनी में जोहान गुटेनबर्ग ने छपाई के लिए प्रेस का आविष्कार कर डाला था। इससे पहले पुस्तकों की कुछ प्रतियां ही तैयार हो पाती थी, जबकि अब हजारों प्रतियां छपने लगी। सोलहावी सदी के प्रारंभ में यूरोप में एक हजार छापेखाने धड़ाधड़ छपाई कर रहे थे।Leonardo Da Vinci Biography Book
  • विभिन्न रंगों को तैयार करने के लिए तरह-तरह की सामग्री को एकत्रित करके मिलाकर कुटा-पीसा जाता था। उसमें निर्जीव पदार्थ, जैसे-पत्थर, मिट्टी, कीमती पदार्थ- कीमती रत्न तथा अन्य प्राकृतिक पदार्थ, जैसे- वनस्पतियाँ, जीवित पदार्थ जैसे-किड़े, घोंघे आदि होते थे जिन्हे पीस-पीसकर रंग तैयार किये जाते थे।Leonardo Da Vinci Biography Book
  • लियोनार्दो चित्र बनाने के लिए पहले भावी चित्र को अपने मन में अंकित कर लेता था। इसके लिए उसने एक अद्भुत तरीका विकसित किया था। वह चित्र के एक पहलू को निहारता और तब तक निहारता रहता जब तक वह वस्तु उसके मस्तिष्क में बैठ नहीं जाती थी। इसके बाद वह दूसरे और फिर उसी तरह तीसरे पहलू पर जाता था। अंततः पूरी तस्वीर का खाका उसके मस्तिष्क में उतर आता था।Leonardo Da Vinci Biography Book
  • लियोनार्दो इतना प्रकृति-प्रेमी और जीवों से प्रेम करता था कि पिंजरे में बंद पक्षियों को दुकानदारों से खरीदकर उन्हे स्वतंत्र, खुली हवा में उड़ने के लिए छोड़ देता था।Leonardo Da Vinci Biography Book
  • सन 1472 में विरोचियों  को एक मठ की दीवार पर ईसा मसीह के ज्ञान प्राप्त करने के दृश्य को बनाना था। कुछ पादरी यह कार्य करवाना चाहते थे। इस चित्र में जीसस को जार्डन  नदी के किनारे खड़ा हुआ दिखाया गया था और पास में सेंट जॉन खड़े उनके सर पर पानी छिड़क रहे थे। कुछ देवदूत घुटनों के बल खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे।
  • लियोनार्दो के पास विचारों का एक विराट व अमूल्य खजाना तैयार हो गया था। तीस वर्ष की आयु में उसके पास उतनी अध्ययन सामग्री, चित्र, डिजाइनें इकठ्ठा हो गई थी कि उन्हे संभालना कठिन हो गया था।
  • लियोनार्दो ने पैदल-चालित नावों, वायु शितलिकरण युक्ति, मैगनिफ़ाइंग प्रोजेक्टर आदि के डिजाइन भी तैयार किये। उसकी डिजाइनों को देखकर यह अनुमान लगाया जाता है कि उसके मस्तिष्क में तरह- तरह के विचार भरे हुए थे और वह ज्यों ही कोई समस्या देखता था तो हल निकालने के लिए उसका स्केच तैयार कर लेता था।
  • 1505 में लियो ने मोनालिसा को अपने दुनिया के लिए एक ऐसी रहस्य को सामने रखा, जिसे आज तक कोई भी उस रहस्य को सुलझा नहीं पाया है। मोनालिसा की पेंटिंग 77 सेमी. लंबा और 53 सेमी. चौड़ा था। यह तस्वीर इतनी मोहक है कि देखने वाले को लगता है कि मोनालिसा उसी को देखकर मुस्कुरा रही है और ज़्यादा देर तक देखने पर अभी बोऐसा उसके होंठों को देखकर प्रतीत होता है। जिसे बाद में फ्रांस के राजा लुई बाहरवें ने खरीद लिया था।
कोट्स Leonardo Da Vinci Biography
  • एक कामयाब और सार्थक दिन के बाद ही खुशनुमा अच्छी नींद आती है।
  • हर व्यक्ति संसार में इसलिए आता है कि वह चमक-दमकवाला व्यक्तित्व प्राप्त करे और गतिशील बना रहे।
  • जो लोग सुस्त, ठहरे हुए पानी की भांति रहते हैं, वे साधारण जीवन व्यतीत करते हैं।
  • ऐसे लोग संसार को कुछ भी नहीं दे पाते हैं वरन अपने शरीर से उत्सर्जित होने वाली गंदगी के द्वारा बड़ी मात्रा में कूड़ा उत्पन्न करते रहते हैं।Leonardo Da Vinci Biography Book
  • कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, सुंदर हो, आकर्षक हो, प्रभावी हो, अपने जीवनकाल में ही याद किया जाता है। उसके जाने के बाद लोग उसे भुला देते हैं।
  • दुनिया छोड़ने के बाद वही व्यक्ति याद किया जाता है जिसके कर्म शेष रह जाते हैं, जैसे किसी साहित्यकार की कालजयी रचना, किसी चित्रकार की अद्भुत पेंटिंग, संगीतकार की अनोखी धुन आदि।
  • जब ऐसा लगता है कि कलाकार काम नहीं कर रहा है तो भी वह काम में व्यस्त होता है।
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पात्रों का चरित्र-चित्रण Leonardo Da Vinci Biography

लियोनार्दो द विंची- लियो बचपन से ही बहुत जिज्ञासु व्यक्ति था, जो अपने आस-पास की चीजों या हो रही घटनाओं को बड़े ही ध्यान से देखता ठा और फिर उसकी कलाकृति बनाता था। लियो कर्मठ, बहुमुखी प्रतिभावान, दयालु और बहुत बड़ा विचारक था। परेशानियों से भागता नहीं था। उसका सामना करता था और उसे अपने रचना में व्यक्त करता था। जिसे देखने वाले अचंभित हो जाते थे।Leonardo Da Vinci Biography Book

FAQ

Q: लियोनार्दो का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans: लियोनार्दो का जन्म 15 अप्रेल, 1452 को इटली के एक भाग तस्कनी में पहाड़ी के ऊपर एक गावं विंची में हुआ था।

Q: लियोनार्दो के वास्तविक माता-पिता नाम क्या है?

Ans: लियोनार्दो के माता का नाम कैटरीना और पिता सर पियरों द विंची है।

Q: लियो ने मोनालिसा की पेंटिंग करना कब शुरू किया और कब पूरा किया?

Ans: लियो ने मोनालिसा की पेंटिंग 1505 में शुरू किया और साल के अंत तक जाते-2 पूरा कर दिया।

Q: मोनालिसा के पेंटिग इसती खास क्यों है?

Ans: मोनालिसा की पेंटिंग देखने पर ऐसा लगता है कि आपको देखकर मुस्कुरा रही और और कुछ देर और देखने पर अभी बोल पड़ेगी।

Q: मोनालिसा की पेंटिंग आज के समय में कहाँ है?

Ans: मोनालिसा की तस्वीर आज भी लॉवरे आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही है। वह कभी भी अकेली नहीं रहती है। रोजाना लगभग 14,000 कला-प्रेमी उसके दर्शन के लिए आर्ट गैलरी आते हैं।

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