इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे कम्लेश्वर द्वारा लिखित kitne pakistan की book review के साथ-साथ summary in hindi और quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
Table of Contents
Book Review
“कितने पाकिस्तान” कमलेश्वर द्वारा लिखित यह किताब सिर्फ एक किताब या उपन्यास नहीं है। जिसे सिर्फ़ एक बार पढ़ा जा सकता है। इसे बार-बार पढ़ने पर ही थोड़ा-बहुत समझ में आने वाला है। पढ़ने के दौरान या बाद में आपको सोच-समझ कर मंथन करना पड़ेगा। यह और बाकी किताबों या उपन्यासों की तरह नहीं है। यह कोई रोमांटिक या मर्डर मिस्ट्री उपन्यास नहीं है। जिसे कोई भी पढ़ सकता है लेकिन एक बार सबको ये जानने की जरूरत है।
कमलेश्वर के कहने पर अर्दली द्वारा लगाई गई अदालत मे जब अदीब उन सभी को गवाहों और मुलजिमों हाजिर करता है, जिसने सत्ता की चूर मे लाखों लोगों के खून को बहा कर एक नए पाकिस्तान बनाए हैं या जो बनाने की तैयारी कर रहे हैं। चाहे जिन्ना हो, बाबर हो, माउण्टबेटन हो, औरंगजेब हो या हिरोशिमा और नागाशाकी पर बॉम्ब गिराने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति फैंकलीं डेलानों रूज़वेल्ट।
बेसिकली अगर देखे तो यह किताब भारत-पाकिस्तान के बटवारे के बाद हिन्दू और मुस्लिम के संबंध पर आधारित है। इस किताब को पढ़ने के बाद आपको बहुत आश्चर्य होगा, क्योंकि इसमे कुछ ऐसी तथ्य लिखे गए हैं, जिनके नजरिए से देखे तो बाबर ने कभी मंदिर गिराकर मस्जिद का निर्माण नहीं कराया। औरंगजेब ने कभी हिंदुओं को मारा-पिटा नहीं, उसने कभी हिंदुओं को कत्ल नहीं किया, कभी जबरजस्ती मुस्लिम बनाने की भी प्रेरित नहीं किया। और भी बहुत कुछ….
कमलेश्वर का यह उपन्यास मानवता के दरवाजे पर इतिहास और समय की एक दस्तक है… इस उम्मीद के साथ कि भारत ही नहीं, दुनिया भर मे एक के बाद एक दूसरे पाकिस्तान बनाने की लहू लथपथ यह परंपरा अब खत्म हो…
आज के कानून व्यवस्था पर टोंट कसती कमलेश्वर की कलम-यह इंसानी अदालत है, कानून की नपुंसक और अपाहिज अदालत नहीं…
यह भी अवश्य पढ़ें:- साईमाँ कुट्टिकर द्वारा लिखित साँसे।
kitne pakistan: summary in hindi
पिछले शताब्दियों में घटी घटनाओं के कारण आज के समय में प्रभावित होने वाले लोगों और फिर उनके द्वारा कीए जा रहे लड़ाई-झगड़ों से प्रभावित होकर कमलेश्वर ने यह किताब लिखने को प्रेरित किया है। जैसे बाबर द्वारा राम मंदिर गिरान, औररंगजेब द्वारा लाखों हिंदुओं को मरवाना या उनका धर्म परिवर्तन करवाना।
कमलेश्वर ने अपने इस किताब में सिर्फ सुर सिर्फ भारत में घट रही घताओं का चर्चा नहीं किया है, वरन इसमें अमेरिका भी है, इजराइल भी है, फिलिस्तीन भी है, ईरान,इराक भी है। देश-विदेश के कोने-कोने से बुलाए गए बड़े से बड़ा नेता है जिनके वजह से मानवता कुचलाई गई गई है।
कमलेश्वर ने अपनी अदालत बैठाई है और आज के समय मे बीते पिछले कारणों के वजह से घट रही घटनाओं के उन्न सभी जिम्मेदार लोगों को कब्र से बुलाकर कटघरे मे खड़ा किया है। और सबसे बयान तथा सफाई लिया गया है कि आपने ऐसा क्यों किया?
“कितने पाकिस्तान” कश्मीरी पंडितों को उनके कश्मीर से भगाए जाने की भी चर्चा की गई है तो वही अर्दली यानि की समय के द्वारा अदीब से बाबरी विध्वंश को लेकर बाबर को उसके कब्र से उखाड़ कर कटघरे मे खड़ा किया गया है कि उसने राम-मंदिर को गिरा कर बाबरी का निर्माण क्यों कराया? जिसमे बाबर अपनी सफाई देता है।
कुछ ही देर बाद औरंगजेब को उसके कब्र से उखाड़ कर बुलाया जाता है कि उसने बहुत सारे हिंदुओं का खून क्यों बहाया और उसने जबर्जस्ती सबको इस्लाम क्यों कबूल कराया? वायसराय ने भारत-पाकिस्तान का बटवारा क्यों किया? जिन्ना ने नए पाकिस्तान की निव क्यों रखी? अमेरिका ने जापान पर परमाडु बम्ब क्यों गिराया? फिलिस्तीन और इज़राइल का नया पाकिस्तान बनाने का माजरा क्या है? इन सब जवाबों के जवाब के लिए अदीब उन सब नेताओं को अर्दली के कटघरे मे खड़ा किया है। जहां उस समय के मारे गए लाखों लोग इकट्ठा होकर अपना-अपना सवाल-जवाब करते हैं।
यह भी अवश्य पढ़ें:- कभी गावं कभी कॉलेज पढ़ने के लिए अभी क्लिक करें।
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
तुम कितनी मौत दे सकते हो! वह कितनी मौत उठा सकता है! जब तक दूसरा जीवित रहता है, दूसरा नहीं जीतता। मौत ही जय-पराजय तय करती है। सभी युद्धों-महायुद्धों की यही हार जीत है… फिर चाहे कुरुक्षेत्र मे आर्यों का महाभारत संग्राम रहा हो या आरायाना के डेरियास और यूनानी मिल्डियाडिस का मेराथन के मैदान मे हुआ युद्ध!
उसी कहानी मे शामिल है बूटा सिंह और रेटपरी की यह कहानी।
राजस्थान का तपता रेगिस्तान….
कोई चीखा- बन गया साला पाकिस्तान….
समझ में नहीं आता, हर महापुरुष का जीवन एक शोक गीत की तरह ही क्यों समाप्त होता है… क्यों हर बड़े विचार और आविष्कार के बाद दानवों का उदय होता है?…
कोई राजा-महाराजा, बादशाह-शहंशाह , नेता-प्रधानमंत्री अपने वक्त का जवाब नहीं देगा। सब अच्छा या बुरा करके मर जाएंगे… जवाब सिर्फ जनता देगी या कौम को देना पड़ेगा।
हम कराँची से आए हैं… हम सिन्धी हैं, हमे पाकिस्तानी फौज के मुहाजिरों के कहने पर मारा है!
— हम लेबनानी हैं, हमे क्रिश्चनों ने मारा है!
–हम मलडोवा से भारकर आए हैं, हमे रुसियों ने मारा है!
— हुजूर हम बोसनिया से आए हैं, हमे सर्बो ने मारा है!
किम-हकसूँ ने कहा- सर!मैं कोरियन हूँ! तब मैं 17 साल की थी। वैसे मैं पैदा तो सं 1924 मे, जिलीन मे हुई थी। लेकिन 1941 मे मुझे पेइचिंग से जापानी फौजियों ने उठाया था और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मुझसे जापानी सोलजरों ने लगातार 15 बार प्रतिदिन बलात्कार किया। मुझे “तिशीनताई” कोर मे भर्ती किया गया जो सैक्स-कोर थी। जिसे “कमफ़र्ट कोर” नाम से बुलाया जाता था। इस कोर मे लगभग 40 हजार औरतें-लड़कियां भर्ती की गई थी।
चलना अपनी जगह है और पहुचना अपनी जगह… इन दोनों को मिलाते क्यों हो? अदीब बोला- इसका सबूत है यह ठहरी हुई सदियाँ, जो लाखों करोड़ों बरस पहले चली थी, पर पहुंची, जहां से वे चली थीं… बीच-2 मे उन्हे मजहब के पड़ाव मिले और उन पड़ावों ने फिर उन्हे उसी बियाबान रागिस्तान मे पहुचा दिया…
कमलेश्वर के हिसाब से मगोल चंगेज खाँ तो मुसलमान भी नहीं था। तब इस्लाम ही नहीं था, वह तो बौद्धों से पहले के शायानी धर्म का मूर्तिपूजक था।
यह “धर्म-युद्धों” की धरती नहीं है… यहाँ तक कि राम-रावण का युद्ध भी धार्मिक वर्चस्वता और सत्ता का युद्ध नहीं था, वह अनाचार, अनैतिकता, अपसंस्कृती और अत्याचार के विरुद्ध लड़ा गया एक महान नैतिक युद्ध था!
महाभारत का युध्द भी धार्मिक विश्वासहो के लिए लड़ा गया युद्ध नहीं था… वह अधर्मं स्त्री-दमन, असत्य और निरंकुश के विरुद्ध लड़ा गया एक महायुद्ध था! अशोक का कलिंग युद्ध भी किसी धर्म सत्ता का युद्ध नहीं- वह निरंकुश हो गई राज्य सत्ता और लिप्सा के विरुद्ध एक और महायुद्ध था और सिकंदर के खिलाफ लड़ा गया पोरस का युद्ध विधर्मी के धर्म को ध्वस्त करने का युद्ध नहीं, वह विदेशी आक्रमणकारी की साम्राज्य लिप्सा को परास्त करने का एक गौरवशाली युद्ध था!
माउण्टबेटन साहब! सच्चा इतिहास सिर्फ वह नहीं है जो साम्राज्यवादी नस्लों ने लिखा है… सच्चा इतिहास वह है जिसकी इबादत शोषित और दलित देशों की आत्मा पर आज भी उत्कीर्ण है।
लमहों ने खता की थी
सदियों ने सजा पाई…
बेगम! शहद के छत्ते तो सीकरी के बुलंद दरवाजे मे लगते हैं, कभी जाओ तो देखना। इन दिनों तो वहाँ जमुना और बेतवा के कछार मे टेसू फूल रहे होंगे… ढाक के जंगल दहक रहे होंगे…
यह भी अवश्य पढ़ें:- जापानीयों के लंबे जीवन का राज जानने के लिए अभी क्लिक करें।
Quotes
सारे युद्ध-महायुद्ध यही तो बताते हैं कि मौत के आधार पर ही हार-जीत तय हो सकती है।
kitne pakistan by कमलेश्वर
जब-जब अन्याय, अत्याचार, और अनाचार होता है, तब-2 मनुष्य की चेतना और आत्मा को यह प्रलयकारी झंझावात झकझोरते हैं और काली आधियाँ चलती हैं।
kitne pakistan by कमलेश्वर
नफरत और खौफ की बुनियाद पर बनने वाली कोई चीज़ मुबारक नहीं हो सकती…
kitne pakistan by कमलेश्वर
आजादी का लालकिला मोहब्बत की बुनियाद पर खड़ा होगा… नफरत की बुनियाद पर नहीं!
kitne pakistan by कमलेश्वर
एक हल्की-सी मुस्कान तो हर दिन थी, पर वह उम्मीद ही क्या, जो पूरी हो जाए!
kitne pakistan by कमलेश्वर
इबादत करने वाला उसके बराबर नहीं हो सकता, जो गुनाह से खुद को बचाता है…
kitne pakistan by कमलेश्वर
घोड़े का मुँह, आग की लपट और औरत की कोख कभी नापाक नहीं होती।
kitne pakistan by कमलेश्वर
यह भी अवश्य पढ़ें:- ध्यान क्या है, कैसे किया जाता है? इससे फायदा क्या होता है, जानने के लिए भी क्लिक करें।
FAQ
Q कितने पाकिस्तान का लेखक कौन है?
कमलेश्वर ।
Q कितने पाकिस्तान उपन्यास को कब पब्लिश किया गया था?
कितने पाकिस्तान उपन्यास को 1 जनवरी, 2013 को पब्लिश किया गया था
Q कितने पाकिस्तान उपन्यास की मदद से लेखक क्या कहना चाहता है?
कमलेश्वर का यह उपन्यास मानवता के दरवाजे पर इतिहास और समय की एक दस्तक है… इस उम्मीद के साथ कि भारत ही नहीं, दुनिया भर मे एक के बाद एक दूसरे पाकिस्तान बनाने की लहू लथपथ यह परंपरा अब खत्म हो…
Q कितने पाकिस्तान उपन्यास किस पर आधारित है?
भारत-पाकिस्तान के बटवारे और हिन्दी मुस्लिम के बीच चल रहे झगड़े को झुलझाने के लिए किया गया एक छोटी कोशिश।
pdf download
नीचे दिए गए print बटन पर क्लिक करें और save as pdf पर क्लिक करें।