Kashmiri kissago book in hindi. कश्मीरी किस्सागो, रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित “द कश्मीरी स्टोरीटेलर” का हिन्दी अनुवाद है।
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Kashmiri kissago book in hindi Summary
Book Review-
“कश्मीरी किस्सागो” रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित और प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई यह किताब बाल कहानियों का एक समूह है। जिसका हिन्दी अनुवाद विनोद कुमार ने किया है। पढ़ते वक्त युवाओं को अपने बचपन की और बड़े-बुजुर्गों को अपने द्वारा सुनाई गई अपने छोटे-छोटे नाती-पोते की याद दिलाता है। जो इस कितब को बहुत खास बनाता है।
मैं अपने को बहुत खुशनसीब समझता हूँ, क्योंकि मैने बचपन अपने दादाजी के पास सोते हुए उनसे बहुत सारी कहानियाँ सुना था, इस किताब को पढ़ते वक्त मुझे मेरे बचपन के साथ दादा जी की बहुत याद दिलाता है, जो अब मेरे साथ नहीं हैं। हालांकि अब आज के समय मे इस कहानियों सुनाने और सुनने वाले कम होते जा रहे हैं।
मैं कहानी सुनने और सुनाने वाले को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ, पहले सुनाने वाले को अपने दादा या दादी होने का और सुनने वाले को अपने नाती-पोते होने का गर्व महसूस होता था। और दोनों एक-दूसरे से खूब ढेर सारा प्यार करते थे। जो अब कम होते जा रहे हैं।
आज के समय मे अगर कोई रस्किन बॉन्ड की इस किताब को पढ़ता है, उसे खुशी तो मिलेगी लेकिन ये किताब उसके लिए और भी खुशी का पिटारा होंगी, जो अपने अपने नाती-पोतों को कहानियाँ सुनाया करता है। लेकिन उसे कहानियों की कमी महसूस होती है।
“कश्मीर किस्सागो” नाम से ऐसा लगता है कि इसमें जो भी कहानी होंगी, कश्मीर की होंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। एक-से-एक बाल कहानियाँ मौजूद हैं। जो लड़कों को बहुत ही मनोरंजक लगेगी। बच्चों को कहानी सुनाने वाला लँढ़ौर का मुस्लिम दुकानदार जावेद खान है, जो कश्मीरी है। उसके पास मुहल्ले के बच्चे कुछ समान खरीदने आते हैं और वो उन्हे अपने पास बैठाकर परियों, राजा-राजकुमार, शैतान, भिखारी की एक-से-एक कहानियाँ सुनाता है।
Book Summary
रस्किन बॉन्ड की इस बाल कहानियों के समूह मे कुल आठ-दस कहानियां हैं, जो सुनने और सुनाने के लायक हैं । लेकिन मैने उन कहानियों को चयन किया है, जिसका आइडिया सरल और सुलझा हुआ है। ताकि पढ़ने वाले नाती को और बताने वालों मे दादाजी को आसान लगे।
जावेद खाँ के आस-पास बच्चों का समूह इकट्ठा हो गया और उसने कहानियाँ सुनाना शुरू किया, सारे बच्चे बड़े ही ध्यान से उसके चेहरे के तरफ टकटकी लगाए देखने लगे। तब जावेद खान ने कहा-
छोटे अखरोट-
हमारे गावं मे एक आदामी आया, जिसे कोई भी चीज उसे खुश नहीं कर सकती थी, चलते-चलते वो थक चुका तो उसने अखरोट के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया। उस पेड़ पर बहुत सारे छोटे-छोटे अखरोट के फल लगे हुए थे। कुछ देर बाद जब उसने अपनी निगाह आस-पास के चारों तरफ फैलाया तो उसने पास के ही एक खेत मे बड़े-बड़े कद्दू के फल देखे, जो बिल्कुल चमक रहे थे।
उसने आसमान के तरफ देखते हुए कहा कि वाह रे, रचना करने वाले इतने बड़े पेड़ पर ये छोटे-छोटे फल दिए और इस जमीन पर पड़े छोटे-छोटे लताओं मे इतने बड़े फल। तेरी भी क्या लीला है?
कुछ ही देर बाद उसके सर पर एक छोटा सा अखरोट गिरा। तब उसे अहसास हुआ कि अगर इस अखरोट के जगह पर बड़ा सा कद्दू होता तो इतनी ऊपर से गिरने पर घायल हो सकता था या फिर मर भी सकता था। उसे अपनी गलती का आभाष हुआ और मुसकुराते हुए ऊपर वाले को धन्यवाद देने लगा।
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जावेद खान तैयार-
एक राजा अपने महल मे सो रहा था। उसके कमरे के जंगले खुले हुए थे, सुबह का समय था, लेकिन राजा अभी जागने के मुड मे नहीं था। कुछ ही देर बाद एक कौवा उसके जंगले के पास आकर कांव- कांव- कांव करने लगा। राजा ने उसे भगा दिया। कुछ देर बाद कौवा वापस आ गया और जंगले के पास बैठ कर कांव- कांव- कांव करने लगा।
राजा परेशान हो गया और अपने काजी को बुलावा भेजा। राजा की आज्ञा पाकर काजी झट से राजा के पास हाजिर हो गया। राजा ने उस कौवे को दिखाते हुए अपनी व्यथा सुनाई। काजी ने कहा कि हो न हो ये कौवा भी आपकी जनता की तरह कोई फ़रियाद लेकर आया है। कुछ बताना या दिखाना चाहता है। राजा ने मंत्री की बात को स्वीकार कर उस कौवे के पीछे अपने सैनिक भेज दिए।
कौवा आगे-आगे उड़ता और पीछे से सैनिक अपने घोड़े पे सवार तड़बक-तड़बक करते जाते। कौवा एक पेड़ के पास जाकर रुक गया। और तब सिपाहियों ने देखा कि एक पेड़ की डाल को एक लकड़हारा काट रहा है। उस डाल पर आगे, कुछ दूरी पर कौवा का घोंसला है, जिसमें कुछ अंडे हैं। सैनिक कौवे की बात को समझ गए और उस लकड़हारे से कहा कि क्यों तुम्हें वो आगे के तरफ कौवे का घोंसला नहीं दिख रहा।
लकड़हारे ने अनमने ढंग से जवाब दिया, जिससे क्रोधित होकर सिपाही उस लकड़हारे को लेकर राज दरबार मे राजा के सामने पेश किया और सारी बात बताई।
राजा ने काजी से उसके सजा के लिए कोई सुझाव मांगा, तब काजी ने उसे जीवन दान देते हुए कुछ कोड़ों को मारने का सुझाव दिया। जिसके बाद राजा ने अपने सिपाहियों से कहकर उस ढीठ लकड़हारे के पैरों के नीचे पाँच कोड़े मारे गए, जिसके बाद लकड़हारा को छोड़ दिया गया।
कोड़े खाने के बाद लकड़हारा राजा से अपनी करनी का माफी मांगते हुए राज महल से उछल-उछल का चलते हुए अपने घर को गया। जिसे देख सभी मुस्कुरा रहे थे। एक किनारे बैठा कौवा भी खुशी के मारे अपने पंखों को तेजी से फड़फड़ाये जा रहा था। इस प्रकार काजी की सूझ-बुझ से लकड़हारे की जान भी बच गई और उसे सजा भी मिल गई।
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गुम-माणिक –
एक बार की बात है, एक राजा था, जो एक महान और शक्तिशाली सम्राट था। अपने राज्य के कार्य-भाल संभालने वाले मंत्री की उसने परीक्षा लेने सोची। ताकि पता चले कि उसके द्वारा किया जाने वाला काम अच्छा हो रहा है या नहीं। उसका ध्यान राज्य के तरफ है या नहीं। और उसने बहुत ही दुखी होने का नाटक किया।
मंत्री राजा को इस प्रकार दुखी देखकर बहुत ही निराश हुआ और राजा से उसके दुखी का कारण जानने से पहले ही लंबी-लंबी हाँकने लगा। राजा ने उसके सामने एक हाथी के दाँत का बना एक छोटा सा डब्बा लाया और मंत्री के सामने खोलते हुए उसमें एक चमकदार मणिक निकाला। और बताया की यब बहुत ही कीमती है, और मुझे लगता है कि यह यहाँ सुरक्षित नहीं है, मैं चाहता हूँ कि यह तुम संभाल कर रखो।
मंत्री को ये बात बहुत छोटी लगी, और मुसकुराते हुए वो राजा के हाथ से माणिक के साथ-साथ हाथी के दाँत का बना डब्बा लेकर अपने घर को पहुचा। मणिक को अपने पत्नी को दिखाते हुए उसे दे दिया ताकि उसकी पत्नी इसे कहीं सुरक्षित स्थान पर रख दे। पत्नी ने ठीक वैसा ही किया और उसने अपने सारे गहने जहां रखे हुए थे वहीं एक किनारे उस माणिक को भी रख सन्दुक को बंद कर दिया।
मंत्री ने जब राजा से बताया तो वह बहुत खुश हुआ। क्योंकि उसे पता था कि आगे क्या होने वाला है? राजा ने जब माणिक को मंत्री के हाथों में सौपा था, तो उसने अपने कुछ गुप्तचर भी लगा दिए थे, ताकि मंत्री के घर का वह स्थान देख सकें जहां मणिक रखा हुआ है। गुप्तचर ने किसी तरह मंत्री और उसके पत्नी को चकमा देते हुए मणिक को लेने में कामयाब हुए और मणिक पुनः राजा के हाथों में चली गई।
राजा ने उस मणिक को अपने महल के पास से गुजरने वाली नदी मे खिड़की से फेक दिया और मुस्कुराने लगे। कुछ दिन बाद राजा ने मंत्री से अपनी उस मणिक को लाने को कहा। ताकि उसे एक बार देख सके। मंत्री खुशी-खुशी उस मणिक को लाने अपने घर को निकल गए।
मंत्री ने जब अपनी से उस मणिक को पत्नी से लाने को कहा तो, खुशी-खुशी रखे हुए स्थान से लाने चली गई, लेकिन घबराई हुई मंत्री के सामने प्रकट हुई। और तब उसने बताया कि मणिक वहाँ नहीं है। दोनों बहुत परेशान हुए और पूरे घर में इधर-उधर देखा, पर माणिक कहीं भी नहीं मिला।
मंत्री निराश होते हुए जब राज महल में राजा के सामने प्रकट हुए तो राजा ने उन्हे तीन दिन का समय दिया अन्यथा उन्हे पत्नी सहित मौत की सजा सुनाई जाएगी। राजा द्वारा कहीं गई बातों को सुन कर मंत्री बहुत निराश हुए, और अपने घर को लौट गए। चुकी मंत्री की कोई संतान नहीं था, जिसके लिए वो अपने राज-पाठ छोड़ते, अतः उन्होंने पत्नी सहित अपने द्वारा आज तक इकट्ठा किये हुए सारे धन को खर्च कर आराम से बचे हुए दिन को बिताने का निश्चय किया।
उसी दिन से खूब नाच-गाना होने लगा। गरीबों मे सोने-चांदी के सिक्कों का दान दिया जाने लगा। पूरे राज्य मे मंत्री द्वारा एक-से-एक खाने–पीने का दावत दिया जाने लगा।
उसी राज्य मे एक मछुआरा था। जो राज्य की नदी से मछली फाँसकर बाजार मे बेचता था। लेकिन छोटी-छोटी मछलियों के होने के कारण उसने कभी मंत्री को अपना मछली नहीं बेचा था। उस दिन अचानक उसके जाल मे एक बड़ी रोहू मछली फंस गई। मंत्री के द्वारा बाटें जा रहे सोने-चांदी के सिक्कों के बारे में उसे पता था, उसने सोचा क्यों ना इस मछली को मंत्री को बेचकर एक चांदी के सिक्के को कमा लिया जाए।
मछुआरा अपनी मछली को लेकर मंत्री के सामने प्रकट हुआ। मंत्री अपनी पसंदीदा और बड़ी मछली रोहू को देखकर मछुआरे को एक नहीं बल्कि दो, और चांदी के नहीं सोने के सिक्के भेंट किये। मछुआरा उन सिक्कों को पाकर अत्यंत खुश हुआ, क्योंकि उन सिक्कों से अपनी पत्नी और बच्चे सहित आगे का जीवन यापन आराम से कर सकता है।
अगली सुबह मंत्री को पत्नी सहित राज्य मे सजा के लिए पहुंचना था, तो मंत्री ने सोचा कि क्यों न वो मरने से पहले अपनी पसंदीदा मछली का सेवन किया जाए। उसने अपनी पत्नी से इसे आज रात बनाने को कहा। मंत्री का रसोइया उस मछली को साफ करने जब काटता है तो उसमें से मणिक बाहर निकलती है, जिसे लेकर वो मंत्री को दिखाता है।
मंत्री उस मणिक पाकर बहुत खुश होता है। उस रात खुशी-खुशी मछली का सेवन कर अगले दिन जब माणिक के साथ राज महल में प्रकट होता है। मंत्री के हाथ मे माणिक को देखकर राजा बहुत अचंभित होता है और खुश होता है। जिसके बदले मंत्री को सजा नहीं और भी बहुत सारे इनाम दिए जाते हैं। और इस प्रकार राजा को मंत्री पर बहुत ज्यादा भरोसा बढ़ जाता है।
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पात्रों का चरित्र-चित्रण-
कश्मीरी किस्सागो मे बहुत ऐसे पात्र हैं, जो अपनी छाप छोड़ते हैं लेकिन जावेद उन सबसे अलग है, जो उन सब पात्रों का जन्मदाता है। जिससे बच्चे बहुत प्यार करते हैं।
जावेद खान- जावेद खान कश्मीर का रहने वाला एक बूढ़ा आदमी है, जिसकी लाढ़ौर बाजार मे एक छोटा सी दुकान है। जावेद ईमान का सच्चा है। बच्चों से उसे लगाव है। और अपनी सामान बेचने में भी उसे कुशलता हासिल है। जावेद अपने दुकान पर बच्चों को एक-से-एक कहानी सुनाता है और उतनी ही कुशलता से उन्हे अपने समान भी बेचता है। बच्चे भी उससे बहुत प्यार करते हैं और उसके दुकान पर बार-बार आना पसंद करते हैं।
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कोट्स-
- किसी को कुछ पता नहीं होता कि तुम एक दिन क्या बन सकते हो-
- अमीर और गरीब दोनों की फ़रियादों के साथ एक जैसा बरताव करो।
- सभी लोगों के साथ निष्पक्षता के साथ व्यवहार करों।
- उस धन का क्या मतलब है, जिसके लिए तुमने खुद कोई मेहनत नहीं की है?
- कभी भी पैसों की बड़ी राशि न तो उधार दो और न ही उधार लो, क्योंकि उधार लेना या देना दोस्ती को दुश्मनी मे बदल सकता है और कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- कभी-कभी विनम्रता दूसरों पर ऐसा प्रभाव छोड़ती है कि अगला आपको साधारण बुद्धिवाला समझता है।
- परेशानियों का सामना खुशी के साथ करों।
- बच्चों को जाति और धर्म के भेदभाव का ज्ञात नहीं होता, जो बड़ों से ज़्यादा उन्हे बुद्धिमान साबित करता है।
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FAQ-
Q-कश्मीरी किस्सागो का लेखक कौन है?
रस्किन बॉन्ड।
Q- कश्मीरी किस्सागो हिन्दी अनुवादक् कौन है?
विनोद कुमार।
Q-कश्मीरी किस्सागो कब पब्लिश हुआ था?
हिन्दी का प्रथम संस्करण 2018 में पब्लिश हुआ था।
Q-कश्मीरी किस्सागो का जर्ने क्या है?
काल्पनिक है।