Kashi Kale Mandir Ka Rahasya Book Summary in Hindi by Vineet Bajpai. “काशी: काले मंदिर का रहस्य” विनीत बाजपेयी द्वारा लिखित हड़प्पा शृंखला का तीसरा भाग है। जो रहस्य और हड़प्पा शृंखला के पहले भाग से लेखक ने जागृत किया था, उस राज से पर्दा उठा दिया है।
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Book Review
विनीत की लेखनी का सबसे बेहतरीन ये है कि ठहराव कहीं भी नहीं है। आप निरंतर और उतनी ही लगन से आगे बढ़ते जाते हैं। आप किसी एक सुलझे हुए जगह पर पहुचते हैं, तभी आपको आगे बढ़ने की एक और उलझी हुई कड़ी मिल जाती है और फिर आगे बढ़ने लगते हैं। बहुत ही सुलझा हुआ और सुगमता से एक-एक घटना और एक-एक पात्र को रचा गया है। जो इस किताब को एक शानदार बनाता है।
हड़प्पा शृंखला के सबसे बेहतर पात्र की बात करें तो विवास्वन, मनु और द्वारका शास्त्री हैं। तो वहीं नरमुंड-दैत्य और प्रियंवदा इस चार-चाँद लगाते हैं।
काशी! काले जादू, तांत्रिक, कांस्टेटाइन, न्यू वर्ल्ड ऑर्डर और गोरों की साजिस का वर्णन इतनी सटीकता से किया गया है कि लगता ही नहीं है कि विनीत ने अपने दूरदर्शी से लिखा है। या फिर विनीत एक शानदार दूरदर्शिता वाले हैं। एक पल को लगता ही नहीं कि विनीत कोई बिजनेस भी हैं।
बल्कि अपने द्वारा कथित कथा में अपने पात्रों के बीच उन्ही में से एक है, जिसके सामने घटनाए निरंतर घट रही हैं और विनीत लिखते जा रहे हैं। कुल मिला-जुला कर हड़प्पा शृंखला विनीत के कलम निकली उच्च कोटी की लेखनी है। जिसे पढ़ना चाहिए। यकीन करिए आप बोरियत महसूस नहीं करेंगे। बसरते आपको एक लंबी कहानियाँ पढ़ने का आदत हो और आपको मिस्ट्री पढ़ने में अच्छा लगता हो। तो ये किताब आपके लिए एक अच्छा यात्रा का अनुभव देगी।
Kashi Kale Mandir Ka Rahasya Book Summary
हड़प्पा-
मतस्य मनु को आने वाली विनाशकारी प्रलय के बारे में बताते हैं, जिसमें pura हड़प्पा डूब जाएगा और इतना विनाशकारी होगा कि कभी पता भी नहीं चलेगा कि यहाँ कोई एक सभ्यता भी थी। या शिक्षित शहर भी था। मतस्य उस विनाशकारी pralay से बचाने के लिए एक विशाल नौका बनाने के लिए कहते हैं। जिसके ,aadhyam से सबको बचाया जा सके।
मनु हड़प्पा वासियों को बचाने का निर्णय लेता है। जबकि हड़प्पा वासियों ने उसके परिवार का तहस-नहस कर दिया। लेकिन मनु अपने पिता और मानवता के लिए उन्हे बचाने का निर्णय करता है, जिसे जानकर मतस्य खुश होता है और आशीर्वादके तौर पर ek गंधक और सिंघी देता है,उसे तब बजाना है, जब मनु को लगे कि मतस्य की बिल्कुल जरूरत हैusake baad मतस्य न जाने कहाँ चला जाता है।
मनु सोमदत्त और तारा के साथ हड़प्पा वासियों को बचाने पहुचते हैं। जहां हड़प्पावासियों को भी इस विनाशकारी प्रलय को देखकर विवास्वन की याद आती रहती है। उन्हे अपने ऊपर ग्लानि महसूस होती है, जो उन्होंने विवास्वन के साथ किया। लेकिन जब मनु उन तक पहुचता है, तो hadappavasi भावविभोर हो जाते हैं।
मनु उनको बताता है कि वो उनको बचाने के लिए ही यहाँ आया है। और उसके जगह पर अगर हड़प्पा का सूर्य भी यहाँ होता तो वो भी यही करता। हड़प्पा वासी मनु के नक्शे कदम पर चलने के लिए राजी हो जाते हैं और सब तेजी से हड़प्पा छोड़ने को तैयार हो जाते हैं। अब मनु पंडित चंद्रधर और उसकी पत्नी प्रियंवदा को बचाने के लिए उसके महल तक पहुचता है।
चंद्रधर मनु को देख कर खुश तो होता है लेकिन उतना गुस्सा भी करता है कि आखिर मनु ऐसा कैसे कर सकता है, उसने उसके परिवार का छत-विछत कर दिया और वो उसे बचाने की सोच रहा है। ऐसा सिर्फ और सिर्फ विवास्वन ही कर सकता था। मनु और चंद्रधर की बातों को सुनते हुए प्रियंवदा भी चली आती है, जिसके सामने मनु अपना प्रस्ताव रखता है, लेकिन दोनों पति-पत्नी अपने कर्म से पछतावे के कारण हड़प्पा में ही रहने का निर्णय करते हैं, अंत समय तक।
मनु बाकी लोगों को लेकर हड़प्पा से बाहर और सबसे ऊंचे टीले पर लेकर चला जाता है। सरस्वती का पानी अपना विकराल रूप लेकर हड़प्पा में प्रवेश करती है और सब तहस-नहस कर देती है। मनु के साथ सारे हड़प्पा वासी उस ऊंचे टीले से ये दृश्य देखकर सहम जाते हैं। तभी मनु से मिलने एक योद्धा अपने कुछ लड़ाकुओं के साथ वहाँ आता है और अपना नाम प्रचंड बताता है, जो सूरा का साथी था, और जिसने विवास्वन को आखिरी क्षण तक देखा था।
प्रचंड मनु को बताता है कि वो विवास्वन के साथ अंत समय तक था, जब उसने सूरा को मार दिया और सप्तॠषियों ने उसे श्राप भी दिया, जो उसे आने वाले युगों-युगों तक रहेगा। मनु दुखी होता है। प्रचंड कहता है कि वो उसका साथ देगा और वो भी अपने गुट के लोगों के साथ अपने लोगों को बचाना चाहता है, जिसका उसे उम्मीद है कि मनु उसकों शरण देगा।
इससे पहले कि विनाशकारी प्रलय उस ऊंचे टीले तक पहुचे, जल्द से जल्द नौका बनाने की तैयारी होती है। सारे हड़प्पावासी और प्रचंड के लोग भी साथ देते हैं और एक भरी-भरकम नौका तैयार हो जाती है, जिसकी कल्पना देवता ने भी नहीं किया होगा। लेकिन पता चलता है कि नौका पर कब्जा करने एक नर-मुंड नाम का विशाल और शैतान दैत्य अपने गुट के साथ मला करने के लिए आ रहे हैं।
मनु प्रचंड, सोमदत्त और तारा उससे निपटने के लिए तैयार होते हैं और ज्यादा से ज्यादा शस्त्र तैयार किया जाता है ताकि उनका मुकाबला किया जा सके। नर-मुंड दैत्य अपने विशाल सेना के साथ हमला कर देता है , जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। वो लोगों को मारता और फिर उनको खा जाता। उसके सैनिक दल भी यही करते, जो उसको और भी खतरनाक और भीमकाय बनाते हैं।
नाव के लिए दोनों गुट में युद्ध होता है और मनु के दल के योद्धा हारने लगते हैं। तब मनु ना चाहते हुए भी मतस्य का दिया हुआ गंध का इस्तेमाल करता है, जिसके असर से नर-मुंड दैत्य के योद्धा हारने लगते है। नर-मुंड अब तेजी से मनु के तरफ बढ़ने लगता है। बीच-बचाव के लिए सोमदत्त आगे आता है और उस विशाल दैत्य द्वारा मारा जाता है। दैत्य उसकों मारने के बाद उसे खा जाता है।
जिससे क्रोधित कर मनु अब अपने बचे हुए साथियों के साथ घेरा बना कर हमला करता है और विशाल दैत्याकार नर-मुंड मारा जाता है। बाकी बचे हुए को बंदी बना कर नौका में शरण देता है। अभी ये सब खत्म हुआ ही होता है कि विशालकारी प्रलय का पानी नौका के करीब आ जाती है और देखते ही देखते नौका हिलाने-डुलने लगती है।
ऐसा लगता है कि उस पर बैठे लोगों के साथ नौका उस विनाशकारी प्रलय की शिकार हो जाएगी। मनु को उसे बचाने का कुछ सूझता ही नहीं। तब मतस्य द्वारा दिया गया सिंघी का इस्तेमाल करता है और मतस्य उसकी आवाज सुनकर अपने सेना सहित बहुत सारे मतस्य के साथ आ जाता है,जो नौका को पलटने से बचाता है, कुछ देर बाद सब ठीक हो जाता है और मतस्य मनु और तारा को सृष्टि का निर्माणकर्ता बनने का अपना आशीर्वाद देकर चला जाता है।
बनारस
न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का तीसरा सदस्य मास्केरा बियांका काली मंदिर का रहस्य जानने और आखिरी देवता को मारने के लिए काशी नगरी में प्रवेश कर चुका है।
रोहिणी नक्षत्र आने पर द्वारका शास्त्री विद्युत को काली मंदिर की रहस्य को बताने के लिए उसे देव-राक्षस मठ के अंदर बने गुफा में लेकर जाते हैं। उस समय मठ के सारे सुरक्षाकर्मी चाक-चौबंध में लग जाते हैं। विद्युत एक गुफा की ओर बढ़ता है और फिर उसके अंदर एक गुफा और फिर उसके अंदर एक गुफा। कई सारे गुफा के आने के बाद शास्त्री एक एक निर्जन साधु से मिलाते हैं। जिसका शरीर साँप की चमड़ी की होती है।
उस साधु को देखकर विद्युत को पहले भय लगता है लेकिन शास्त्री के कहने पर विद्युत उन्हे प्रणाम करता है। तब साधु धीरे-धीरे अपना रूप दिखाते हैं। जो एक बड़े साँप में तब्दील हो जाते हैं। जिसके दस फन होते हैं। शास्त्री उन्हे शेषनाग कह कर संबोधित करते हैं। विद्युत को लगता है कि यही काली मंदिर के रहस्य है। जिसे जानने के बाद शास्त्री मुसकुराते हुए अगली गुफा के तरफ बढ़ जाते हैं और विद्युत उनका अनुशरण करता हुआ पीछे-पीछे चलता रहता है।
कुछ दूर आगे चलेने पर एक शंकर जी की मूर्ति दिखती है, जिसे विद्युत प्रणाम करता है। शास्त्री उस मूर्ति को उसके रीड़ की हड्डी के तरफ से खोल देते हैं। तब उस मूर्ति के बीच से एक नीले रंग का चमत्कारी तलवार निकलता है, जिसे विद्युत अपने हाथों में धारण करता है। विद्युत को लगता है कि यही वह रहस्य होगा लेकिन शास्त्री मुस्कुराते हुए फिर आगे बढ़ जाते हैं।
कुछ दूर और आगे चलने पर एक काली अंधेरी गुफा में एक साधारण सा दिखने वाला सन्दुक दिखता है। जिसे शास्त्री खोलने को कहते हैं। विद्युत उस सन्दुक को बड़े ही सावधानी से खोलता है, जिसमें एक बहुत ही विचित्र सा दिखने वाला मटमैला शंख दिखता है। शास्त्री उस शंख के अंदर से एक पत्र नुमा टुकड़ा निकलाने को कहते हैं। विद्युत उस लिपि को बाहर निकालता है।
शास्त्री उस लिपि को पढ़ने को कहते हैं। हड़प्पा लिपि में लिखे होने के कारण विद्युत उसे पढ़ने से मना कर देता है ये कहते हुए कि उस उस लिपि को नहीं जानता। तब शास्त्री उसे याद दिलाते हैं कि वो एक आधा भगवान भी है। वो विवास्वन का अंश है। उसे कोशिश करनी चाहिए। विद्युत कोशिश करता है और दिव्य एनर्जी विद्युत के अंदर उत्पन्न होती है, जिसकी मदद से विद्युत उस लिपि को पढ़ने में कामयाब हो जाता है।
विद्युत को पढ़ लेने के बाद शास्त्री उस लिपि के टुकड़े को जलाने के लिए कहते हैं। विद्युत के पूछने पर कहते हैं कि वो उस रहस्य को जान गया है, और अब वो खुद एक रहस्य बन चुका है, इससे पहले कि कोई और जाने उसे नष्ट कर देना जरूरी है। विद्युत ठीक वैसा ही करता है और उस लिपि को जला देता है।
“कल्कि कब जन्म लेगा और उसके माता-पिता कौन होंगे इससे न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का क्या लेन-देना है।“ विद्युत शास्त्री से सवाल करता है। तब शास्त्री जवाब देते हैं।
“न्यू वर्ल्ड ऑर्डर एक ऐसा संगठन है, जिसकी सोच एक रूढ़िवादी है, जो ये चाहता है कि पूरा विश्व एक सत्ता के छाया में रहे, एक धर्म हो, एक जाति हो, और सबसे बड़ी बात ये कि वो पृथ्वी के सबसे बड़ी जनसंख्या के 75% हिस्से को मारना चाहते हैं। जो की असंभव है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
यहाँ तक कि पूरे विश्व भर में जितने भी मानव छति पहुंची है, चाहे वो जैसे भी हो, उसमें न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का सबसे बड़ा रोल है। अब चाहे वो अमेरिका का 9/11 हो, भारत का 26/11 हो या फिर उनके द्वारा फैलाया जाने वाला जैविक हथियार। रही बात कल्कि की तो जिस प्रकार ईसा मसीह के जन्म पर उन्हे मारने वालों ने षणयंत्र रचा और जिस प्रकार कृष्ण को मारने के लिए कसं ने कोशिश की। ठीक उसी प्रकार न्यू वर्ल्ड ऑर्डर करना चाहता है।
न्यू वर्ल्ड ऑर्डर को ये लगता है कि कल्कि उनके प्लान को खत्म कर देगा और उनका कार्य कभी भी सम्पूर्ण नहीं हो पाएगा। इसलिए वो कल्कि को जन्म लेने के तुरंत बाद ही मारना चाहते हैं।
इन सब के बीच एक दिन मठ में विद्युत के नाम का मास्केरा पत्र लिखकर दशाश्वमेघ घाट पर बुलावा भेजता है। शास्त्री उसे सतर्क करते हैं लेकिन फिर भी विद्युत को जाना पड़ता है। मास्केरा उससे मिलता है और विद्युत से देव-राक्षस मठ को छोड़कर लौट जाने को कहता है, ताकि वो जीवित रह सकें। विद्युत भी मास्केराको उसी के अंदाज में चेतावनी देकर चला जाता है।
उस रात मास्केरा देव-राक्षस मठ पर जापानी योद्धा नींजा के साथ हमला कर देता है। जिसमें मास्केरा के हाथों शास्त्री मारे जाते हैं। जिसे देखकर विद्युत को कतई बर्दास्त नहीं होता है और पहले से भी ज्यादा आक्रमणकारी होकर मास्केरा पर हमला कर देता है। जिसमें मास्केरा मृत्यु को प्राप्त होता है।
अगली सुबह सब कुछ ठीक हो जाता है और विद्युत को मठ का मठाधीश घोसीत कर दिया जाता है। विद्युत मठ में कल्कि को बचाने के वचन लेता है, जब तक वो 13 वर्ष का न हो जाए। विद्युत अपने काम पर दिल्ली लौट जाता है।
तांत्रिक से लड़ते समय ब्रम्हानंद पंडित को विद्युत द्वारा छोड़ दिए जाने पर भाग जाता है और आज वो किसी घने काले अंधेरे रात में कब्रिस्तान में इधर-उधर भटकते हुए लुसिफ़र को जगाने की कोशिश करता है ताकि वो कल को कल्कि से लड़ सकें और उसे मार सके….
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- विनीत बाजपेयी की नई किताब “मस्तान: दिल्ली का एक बागी योद्धा” बुक समरी पढ़ने के लिए अभी क्लिक करें।
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
- हिन्दू धर्म या सनातन धर्म विश्व शांति की कामना करता है। यह सर्व-धर्म-समभाव की दुहाई देता है। यह अनासक्ति का पाठ पढ़ाकर, ब्राम्ह की खोज पर जोर देता है। यह तो वासुदेव कुटुंबकम के माध्यम से पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है।
- विविधता ही तो मानवजाति को इस ग्रह की श्रेष्ठ प्रजाति बनाती है। विविधता ही तो संस्कृति, महत्वकांक्षा, कला व साहित्य, वैज्ञानिक उन्नति, आर्थिक अभिलाषा इत्यादि की जनक है। लोगों की इस विविधता के बिना हम महज भेड़ों का झुंड बनकर रह जाएंगे। अगर दुनिया में आज अनेकों चर्च साथ बनारस के घाट हैं, अगर वैश्विक फैशन की फलती-फूलती दुनिया के साथ ही चमकता खेल जगत है, अगर आज इच्छा मृत्यु और गर्भपात पर स्वस्थ बहस हो रही है- तो ये सब इसलिए कि हम मनुष्य एक-दुसर से भिन्न हैं।
- अच्छाई और बुराई, दोनों ने सृष्टि के संतुलन में अहम भूमिका निभाई है। धरती पर जीवन और प्रेम की निरन्तरता संकेत करती है कि अच्छाई की ताकत बुराई से कहीं अधिक सक्षम है।
कोट्स-
- जिंदगी, फिर वो चाहे किसी भले इंसान की हो या बुरे, उसे बचाना चाहिए।
- हिंसा और रक्त-संघर्ष का साँप कभी भी मानवजाति को अपनी पकड़ से निकलने नहीं देगा।
- जिस जंग में हार सुनिश्चित हो, उसमें कूदने को बहादुरी नहीं कहा जा सकता है।
पात्रों का चरित्र-चित्रण-
मास्केरा बियांका-
मास्केरा बियांका यूरोप ‘न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का तीसरा सदस्य’ क्रूर माफिया सरगना है। जो बहुत ही खूंखार है। उसके आँखों में थोड़ा भी दया-भावना नहीं है। जिसने सिर्फ और सिर्फ लोगों को मारने का ही बीड़ा उठाया है। वो एक पैसे वाला है। उसकी शरीर भी किसी पहलवान की तरह है। जो उसे अलग बनाती है, वो है, जब वो गुस्सा होता है, उसकी आँखों की पुतलियाँ सफेद हो जाती हैं, किसी शैतान की तरह।
सोमदत्त-
सोमदत्त विवास्वन का पक्का साथी है। जिसे मनु अपने पिता के समान ही मानता है। सोमदत्त विवास्वन के बाद मनु का सम्पूर्ण सहयोग करता है। और उसका मार्गदर्शन भी करता है। उसके रगों में अपने देवता के प्रति सम्मान भाव हैं। उसमें अपने देश के प्रति मत-मिटने की शक्ति है। वह मौत से नहीं डरता है। अच्छा-बुरे की उसे पहचान है।
नरमुंड-दैत्य-
नरमुंड-दैत्य हड़प्पा के समय का सबसे खूंखार और लंबा-चौड़ा शरीर वाला आदमखोर दैत्य है। जो लोगों को मारता है और फिर उसे खा जाता है। जो अपनी जीत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जिसके लिए दया शब्द बना ही नहीं है। उसे किसी पर रहम दिखाना ही नहीं है।
FAQ
Q-“काशी: काले मंदिर का रहस्य” का लेखक कौन है?
विनीत बाजपेयी।
Q-“काशी: काली मंदिर का रहस्य” हड़प्पा शृंखला का कौथा भाग है।
तीसरा और आखिरी।
Q-काली मंदिर का रहस्य क्या है?
कल्कि का जन्म और उसके माता-पिता का नाम।
Q-क्या विद्युत न्यू वर्ल्ड ऑर्डर से कल्कि को बचा पाएगा?
अब इसके लिए लेखक को चौथा भाग लिखना होगा, अभी कुछ कहाँ नहीं जा सकता।
Q- काशी: काले मंदिर का रहस्य कहानी का जर्ने क्या है?
काल्पनिक।