इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे अगम जैन द्वारा लिखी “Kabhi gaanv kabhi college” की Book review के साथ-साथ summary in hindi और Quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
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Book Review
“Kabhi gaanv kabhi college” अगम जैन द्वारा लिखित एक उपन्यास है। जिसे हिन्द युग्म ने प्रकाशित किया है। जिसकी गाथा कॉलेज लाइफ से लेकर आईपीएस बनने तक की लिखी गई है। यह किताब अगम जैन की जीवन से जुड़ी हुई है, जब आपने कॉलेज से पास आउट के बाद दिल्ली से यूपीएससी की तैयारी कर पहले साल ही आपने क्वालिफ़ाई कर अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर लिया।
पढ़ने के दौरान पता नहीं चला कि इस किताब को लिखने वाला साहित्य से अपने को अलग मानता है या यूपीएससी से। लेकिन फिर भी यूपीएससी पास करने के बाद अगम ने इस किताब को लिख कर अपने साहित्य जीवन को भी सार्थक कर दिया है। किसी भी पात्र या किसी भी स्थान का इतनी गहराई से वर्णन किया गया है कि बस पढ़ते वक्त मन आनंद से भर जाता है।
सरस और उपमा अलंकार का बेहतरीन उपयोग किया गया है। एक चीज इस किताब को यूपीएससी की तैयारी पर लिखी गई उपन्यास से अलग करती है कि यह किताब सिर्फ और सिर्फ यूपीएससी की तैयारी करने वाले लड़के को लेकर नहीं लिखी गई है।
लेखक ने बहुत ही खूबसूरती से यह बताने की कोशिश की है कि कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के सब के सब इंजीनियर, या सब यूपीएससी की तैयारी नहीं करना चाहते, कोई सरपंच बनना चाहता है, कोई कवि बनना चाहता है, कोई मास्टर भी बनना चाहता है। साधारणतः अगर इस किताब का एक लाइन में वर्णन किया जाए, तो यह उपन्यास कॉलेज लाइफ को दर्शाता है।
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही इस उपन्यास के मुख्य पात्र सुरभि के माध्यम से सहयोगी पात्र विवेक को उसके लक्ष्य के बारे में पता चलता है, और वह कॉलेज के दिनों से ही यूपीएससी की तैयारी करने लगता है, कॉलेज से छूटने के बाद एक साल दिल्ली के राजेन्द्र नगर में ईमानदारी से तैयारी कर पहले ही साल परीक्षा पास कर ड्यूटी ज्वाइन कर लेता है।
मुझे यह उपन्यास बहुत अच्छी लगी, उम्मीद है, आपको भी यह किताब उतनी ही अच्छी या आपको प्रेरणा देने वाली होंगी, जितनी कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले ऐसपेरेंट को अगम जैन की यह किताब प्रेरणा के साथ-साथ सबक की किताब साबित होंगी। आपको यह कैसे लगी कृपया कमेंट कर हमें जरूर बताएं।
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Summary in hindi
कहानी की शुरुआत चिलोंटाजी की डिस्टेम्पर की दुकान से होती है, जिसमें किराना का समान भी रखा हुआ है। उनका कहना है कि जो बिके वो बेचो। गाव के बाहर दुकान के होने के कारण बाजू में ही कुछ दूरी पर कुछ साल पहले बन कर तैयार हुए एक ईजिनीयरिंग कॉलेज के डीन उनकी दुकान से किराना का समान लेने आते हैं।
दोनों की जान-पहचान हो जाती है और बात ही बात में चिलोंटाजी उनसे सौदा कर बैठते हैं कि वह उनकी कॉलेज में लड़कों की भरमार लगा देंगे अगर वह उन्हे हर एक लड़के का 5000 कमीशन दे । इस बात पर डील पक्की हो जाती है और चिलोंटाजी आस-पास के इलाके में अपने गुर्गे लगा देतें हैं। कॉलेज में धड़ल्ले से एडमिशन होना शुरू हो जाता है।
कुछ शहर के भी बच्चे होते हैं और कुछ आस-पास के गांव वाले भी। जिसमें मुख्य बच्चे हैं, विवेक, विनय, चैन सिंह और सुलोचन। कॉलेज में माफिया राज चलाने वाला एक लड़का सुनील। जो उसी गांव के सरपंच का लड़का है। जिसे सरपंच ही बनना है। सुनील कॉलेज की सबसे सुंदर लड़की महिमा से दिल्लगी कर बैठता है। और अपने खौफ से उसके आस-पास किसी अन्य लड़के को भटकने भी नहीं देता है।
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विवेक होशियार और समझदार है, वह पढ़ाई पर ध्यान देता है, क्योंकि उसने आईआईटी पास नहीं होने पर उसे यहाँ एडमिशन लेना पड़ता है, जिस पर अपने मान-मर्यादा का बोझ है। विनय सीधा-सादा और सदाबहार लड़का है। उसे साहित्य में ज्यादा अच्छा लगता है। उसका ध्यान 50% पढ़ाई पर 50% अपने कविता वगैरह पर ध्यान देता है और अपना लिखा हुआ कभी-कभार अपने दोस्त विवेक को सुनाता रहता है।
सुलोचन को पूजा-पाठ पर ज्यादा भरोसा है तो वहीं चैन सिंह इन सबसे अलग जिंदगी जीता है, उसे फिल्में देखना बहुत अच्छा लगता है। उसका हमेशा ध्यान उसी पर रहता है। वो ज्यादा किसी चीज का दिमाग पर ज़ोर नहीं लेता ।
अब बात आती है महिमा कि जो कॉलेज की इकलौती गुलाब है। जिसे सब अपनी बाहों में भरकर महकना चाहते हैं लेकिन सुनील ही उस पर अपना आधिपत्य जमाए हुए हैं, यहाँ तक कि किसी मक्खी को भी उसके आस-पास भिनभिनाने नहीं देता। लेकिन महिमा अपनी असिस्टेंट यानि कि अपनी दोस्त सुरभि की मदद से सुनील को दूर ही रखती है। महिमा से मिलने के लिए बात करने के लिए या किसी भी प्रकार कोई गिफ्ट वगैरह देने के लिए सुरभि से होकर ही गुजरना होता है।
सुरभि को पता है कि महिमा को ये सब अच्छा लगता है लेकिन बिचारी वो मन से भी खूबसूरत लड़की है, कहीं किसी गलत हाथों में न चली जाएं, इसलिए वह एक तरह से उसकी देखभाल भी करती है। और वह जो निर्णय लेती है वहीं महिमा और उसके चाहने वालों के लिए सर्वमान्य होता है। लेकिन सुरभि इन सब से परे एक पढ़ाकू लड़की भी है, वह कॉलेज में खुलने वाले लाइब्रेरी में इकलौती लड़की है, जो वहाँ समय व्यतीत करती है।
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कॉलेज का पहला साल यारि-दोस्ती में निकल जाता है और इसकों मद्देनजर रखते हुए कॉलेज के डीन कॉलेज का रेपोटेशन को बनाए रखने के लिए पेपर को हल्का बनाने का निर्देश देते हैं और रिजल्ट्स भी बहुत उत्तम आता है। सारे लड़के पास हो जाते हैं।
पहले साल विवेक् और विनय के साथ एक घटना घटती है कि एक दिन दोनों कॉलेज से छूटने के बाद अपने कमरे पर जा रहे होते हैं कि कॉलेज की दूरी तीन-चार किलोमीटर होने के कारण दोनों कभी-कभार किसी न किसी गाड़ी वाले से लिफ्ट ले लिया करते लेकिन एक दिन नहीं मिलने पर वह एक भूसा लदे ट्रेकटर पर लटक जाते हैं और वह ट्रैकटर उन्हे उनके कमरे से तीन-चार किलोमीटर दूर किसी दूसरे गांव में लेकर चला जाता है।
वहाँ के लोग जब इस कॉलेज के लड़के को देखते हैं तो अचंभित होते हैं, क्योंकि आज तक उस गांव में कोई भी स्कूल नहीं है। अतः वहाँ के कुछ लोग दोनों से अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए कहते हैं। गांव की स्थिति को देखते हुए दोनों लड़के मान जाते हैं और प्रतिदिन एक से दो घंटे के लिए उस गांव में कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए आने लगते हैं। जिससे सुरभि विवेक पर थोड़ा इंप्रेस होती है। और दोनों एक अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं।
किसी तरह चार साल पूरा होने पर जब कुछ कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आती है, तो कॉलेज को तीन साल के लिए ब्लू लिस्ट में डाल कर कुछ बच्चों का सेलेक्शन करते हुए चली जाती हैं। जिसमें चैन सिंह, सूलोचन और महिमा का सेलेक्शन हो चुका होता है।
सुरभि दिल्ली जाकर किसी और कंपनी में इंटरव्यू देती है और उसका भी सेलेक्शन हो चुका होता है। लेकिन विवेक अपनी सुरभि से प्रेरणा लेते हुए यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली के राजेन्द्र नगर में शिफ्ट हो जाता है। विनय अपने गावं अपना स्कूल खोलने चला जाता है।
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कॉलेज से ड्रॉपआउट होने के दो साल बाद जब कॉलेज द्वारा रखी गई एक मीट में सबकों इनवाइट किया जाता है। जहां सब पहुचते हैं। तब पता चलता है कि विवेक पहले साल ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक पुलिस अधिकारी यानि आईपीएस बन चुका हैं। कॉलेज के दिनों के उसके साथी और पूरा कॉलेज उससे प्रेरित होता है। विनय स्कूल खोल चुका होता है। महिमा भी एक कंपनी में मैनेजर के पद पर अग्रसर होती है। चैन सिंह और सुलोचन किसी कंपनी में जॉब कर रहे होते है।
सुनील अभी भी महिमा को याद कर आहें भर रहा होता है और कॉलेज के बच्चों के लिए उसने दुकान खोल लिए हैं। सुरभि भी बड़े मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रही होती है। सब एक-दूसरे से मिलने पर बहुत खुश होते हैं। पुराने दिनों को याद कर उनका मन खुशी से झूम उठता है।
एक आईपीएस अधिकारी होने के कारण विवेक को कॉलेज में एक भाषण भी देना होता है यहाँ ये कहना होता है कि वह कॉलेज के ही कारण आज वह इस मुकाम पर पहुंचा है। जिसमें कॉलेज की मार्केटिंग हो जाती है। उसके बाद कॉलेज के पोस्टर पर विवेक की फ़ोटो भी छपती है। भाषण देने के दौरान ही विवेज को सुरभि दिखती है। बाद में वह उससे मिलने के लिए लाइब्रेरी जाता है। जहां उसे पता होता है कि वह वहीं मिल सकती है। और यही होता है।
सुरभि उसी लाइब्रेरी में किताबों को हाथ में लिए बैठी रहती है। कॉलेज के दिनों में भी वहीं अक्सर मिला करती थी। दोनों में कुछ देर बातें होती हैं फिर दोनों एक-दूसरे से बातें करते हुए बाहर को चले आते हैं। विवेक सुरभि को पसंद करता है लेकिन उसके मुख से आज भी वह नहीं कहा सका, जो वह कॉलेज के दिनों में कहना चाहता था। ये सोचकर कि पता नहीं उसे लगे कि मैं उसका मजाक उड़ा रहा हूँ। बेचारा….
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
विवेक सुरभि के लिए बहुत खुश था लेकिन अपने भविष्य को लेकर बेहद आशंकित। विवेक और सुरभि ने अपने दिनों को याद किया कि कैसे उनकी प्रेमकथा ना होते हुए भी कॉलेज में उनकी प्रेमकथा अमर हो गई है। सुरभि का कहना था कि अफवाहों का अकोई ओर-छोर नहीं होता। अफवाह आकाश में उगे फुल और गधे के सिंह के समान सिर्फ कल्पना में ही पाई जा सकती है।
विवेक का कहना था कि लोगों की भी गलती नहीं है। यदि वो छुट्टियों में घर न जाकर कॉलेज में रुकेंगे, लांच ब्रेक के बाद साथ में क्लास में जाएंगे तो अफवाहों को हवा तो मिलनी ही थी। और अब दिल्ली भी साथ में जा रहे हैं तो सुरभि के फैन क्लब को चिनूना को काटना ही था। सुरभि हंस दी। विवेक को लगा कि शायद लाइब्रेरी की सुरभि की आखिरी हंसी हो सकती है। उसका दिल थोड़ा भारी हो गया । लेकिन वह कुछ नहीं बोला।
सुरभि ने यूपीएससी की तैयारी को लेकर कुछ बातें कहीं। फिर विवेक को याद आया कि उसे विनय के साथ गांव जाकर वहाँ भी आखिरी बार विदाई लेनी चाहिए थी इसलिए सुरभि से अगले दिन सुबह बस स्टैंड पर मिलने का वादा कर भारी मन से वहाँ से निकल गया।
पात्रों के चरित्र-चित्रण-
विवेक- विवेक होशियार और पढ़ा लिखा समझदार लड़का है। दूसरों के लिए उसके अंदर सेवा-भावना हमेशा जागृत रहती है। वह मेहनत करने वाला है। फालतू के कामों पर वह ध्यान नहीं देता। उसके अपने मन और विचार पर पूरा कंट्रोल है। वह उसे सबके सामने उजागर नहीं करता। और जो चीज वह ठान लेता है, उसे पूरा कर के ही दम लेता है।
विनय- वियन सीधा और सरल बुद्धि का लड़का। उसका मन साहित्य की रोमांचारी और रोमांसकारी में लगा रहता है। उसे भी लोगों की सेवा-भावना की कद्र है। वह अपने मन के अनुसार ही किसी कां को करना पसंद करता है। बेकार के चीजों पर दूसरे क्या कर रहे हैं, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
महिमा- महिमा कॉलेज की सबसे सुंदर और खुशदिल लड़की है। वह मन से एकदम और आजाद खयाल की लड़की है। उसे यह जानकार बहुत खुशी होती है कि कॉलेज के ज्यादा से ज्यादा लड़के उसापे कुर्बान होने को तैयार हैं। लेकिन फिर भी वह बहुत होशियार भी है। वह उँ सभी से हसी-ठिठोली करती रहती है लेकिन किसी को लेकर उसके मन उतना कोई प्रभाव नहीं है।
सुरभि- सुरभि कॉलेज की सबसे होशियार, समझदार और बहुत ही स्वाभिमानी लड़की है। वह चुपचाप अपना काम करती है। वह अपने को दुनिया-समाज से अलग रखती है। उसे किसी के बारे में सोचने की कोई फिक्र नहीं। उसे महिमा और विवेक से साथ सच्ची दोस्ती निभाना आता है। जिस पर वह अमल भी करती है।
Quotes
महान व्यक्ति कुछ अलग कार्य नहीं करते, बस उसी कार्य को अलग ढंग से करते हैं।
शिव खेड़ा, Kabhi gaanv kabhi college
अपनी औकात में रहना बहुत कठिन होता है।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
भले ही चपरासी बनने का सपना हो लेकिन 18 की उम्र तक कोई न कोई सपना जरूर होना चाहिए।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
आदमी के रंग बदलने की गारंटी गिरगिट से भी ज़्यादा है।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
किसी के दुखी होने पर दुखी दिखाना बहुत जरूरी है, नहीं तो वह भी आपके दुखी होने पर दुखी नहीं दिखेगा।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
दिमाग के लिए रटा हुआ ज्ञान पेट के लिए अपाच्य भोजन के समान है।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
दोस्ती के पानी में इतना भी मत नहा लेना कि खुद की खुद्दारी गल जाए।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
कई बार व्यक्ति इसलिए सफल हो जाता है कि कोई उसकी जगह नहीं होता।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
दुनिया के कामों में यदि मूर्ख बन जाओं तो लोग परेशान करना बंद कर देते हैं।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
आज के समय में पढ़ाई का मूल उद्देश्य है पैसा कमाना।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
यदि आपके पास पैकेज है तो आपके शराब पीने को भी लोग सामाजिक मिलनसार मान लेंगे।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
अफवाहों का कोई ओर-छोर नहीं होता।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
अफवाह आकाश में उगे फुल और गधे के सिंग के समान सिर्फ कल्पना में ही पाई जा सकती है।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
हर व्यक्ति साधन चाहता है भले ही वह साधन किसी भी साधन से मिले।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
उस बस के पीछे नहीं भागना चाहिए जो आधे किलोमीटर दूर रुककर फिर हॉर्न बजाकर आपको बुलाए।
अगम जैन, Kabhi gaanv kabhi college
FAQ
Q Kabhi gaanv kabhi college का लेखक कौन है?
कभी गांव कभी कॉलेज का लेखक अगम जैन हैं, जो वर्तमान में भारतीय पुलिस सेवा(आईपीएस) के अधिकारी होकर वर्तमान में भोपाल में पदस्थ हैं।
Q Kabhi gaanv kabhi college का प्रकाशक कौन है?
“हिन्द युग्म” कभी गांव कभी कॉलेज का प्रकाशक है।
Q Kabhi gaanv kabhi college का पहला संस्करण कब प्रकाशित किया गया था?
कभी गांव कभी कॉलेज का पहला संस्करण सितंबर 2022 को प्रकाशित किया गया था
Q Kabhi gaanv kabhi college का मुख्य पात्र कौन है?
कभी गांव कभी कॉलेज का मुख्य पात्र सुरभि है।
Q Kabhi gaanv kabhi college उपन्यास किस बारे में है?
लेखक ने बहुत ही खूबसूरती से यह बताने की कोशिश की है कि कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के सब के सब इंजीनियर, या सब यूपीएससी की तैयारी नहीं करना चाहते, कोई सरपंच बनना चाहता है, कोई कवि बनना चाहता है, कोई मास्टर बनना चाहता है, तो किसी ने यूपीएससी क्वालिफ़ाई की। साधारणतः अगर इस किताब का एक लाइन में वर्णन किया जाए, तो यह उपन्यास कॉलेज लाइफ को दर्शाता है।
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