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इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे Doglapan: The Hard Truth about Life and Start-Ups जो कि Ashneer Grovar द्वारा लिखित Biography को प्रदर्शित करती है। जिसकी मैं बुक रिव्यु, के साथ-साथ समरी भी साझा करूंगा।
Book Review-
“Doglapan” यह शब्द तब बहुत सुना जाने लगा, जब सोनी टेलीविजन पर प्रसारित एक रिएलिटी शो “शार्क टैंक इंडिया” पर यंग इंडिया के स्टार्ट-अप फ़ेम अश्नीर ग्रोवर ने लड़के की, जो अपने बिजनेस की फंडिंग के लिए आइडिया को पिच कर रहा था।, “ये सब दोगलापन है! मैं तेरा दोगलापन उतारता हूँ अब….” बोलती बंद कर दी। उस लड़के के साथ-साथ जिसने भी यह शब्द सुना सबके मन में अश्नीर की छवि पर सवाल खड़ा कर दिया और अंजाम ये हुआ कि उन्हे अगले सीजन में जगह नहीं दिया गया।
“Doglapan” यह शब्द अश्नीर के जीवन से इतना जुड़ा हुआ है कि पेंगविन इंडिया, जो कि इस उपन्यास का प्रोडक्शन हाऊस भी है, ने उन्हे अपने इस दोगलापन को सबके सामने लाने का मौका दिया और आज सबके सामने हैं।
अश्नीर अपनी इस किताब के माध्यम से यह बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी से दो बड़ी कंपनी को खड़ा किया और फिनटेक के दुनिया में अपनी एक छवि बानते हुए क्रांति ला दी। छोटे-छोटे दुकानदारों, व्यापारियों के जीवन को आसान कर दिया। उन्हे अपने बाज़ार में पैठ बनाने में मदद की।
अश्नीर की यह किताब को पढ़ने के दौरान आपको यह जानने को मिलेगा कि जिस कंपनी को खड़ा करने के लिए उन्होंने अपनी जीवन को दांव पर लगा दिया, और बाज़ार में एक जगह बनाई, उन्ही के साथियों द्वारा उन्हे धोखा देकर और मीडिया के साथ मिल कर उनके ऊपर लांछन लगाते हुए उन्ही के कंपनी से उनको बेदखल कर दिया। लेकिन अश्नीर वही नहीं रुके और दोबारा एक कंपनी खड़ा कर दी।
पाठकगण को यह ध्यान रखते हुए इस उपन्यास को पढ़ना होगा कि वह इस किताब से क्या कुछ सिख सकते हैं और क्या सबक ले सकते हैं। अश्नीर ने इस किताब को इसी मकसद से लिखा है, उनके साथ जो घटनाएं घटी वो और किसी के साथ न हो।
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Summary in hindi-
Doglapan : द हार्ड ट्रुथ अबाउट लाइफ एंड स्टार्ट-अप्स में, अश्नीर ग्रोवर उद्यमिता मे गहराई से उतरते हैं। वह इस तरह के प्रयास के साथ आने वाली कठोर वास्तविकताओं पर स्पष्ट रूप अपना पैर जमाएं रहते हैं और पाठकों को एक सफल उद्यमी बनाने के लिए आवश्यक दृढ़ संकल्प और लचीलेपन का संयोजन से “Doglapan ” के विचार से परिचित कराते है।
यह स्टार्ट-अप इंडिया के पसंदीदा और गलत समझे जाने वाले पोस्टर ब्वॉय अश्नीर ग्रोवर की बेबाक कहानी है। कच्ची, अपनी ईमानदारी से दिल को झकझोर देने वाली और पूरी तरह से दिल से निकली यह कहानी अपने सर्वोत्तम रूप में कही जा सकती है।
दिल्ली के मालवीय नगर में बड़ा हो रहा ‘शरणार्थी’ टैग वाला एक युवा लड़का भारत-आईआईटी दिल्ली में अकादमिक उत्कृष्टता के शिखर पर रैंक धारक बनकर अपनी परिस्थितियों से आगे निकल जाता है। उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद के प्रतिष्ठित हॉल से एमबीए किया, कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग और एएमईएक्स में एक निवेश बैंकर के रूप में अपना करियर बनाया, और दो यूनिकॉर्न-ग्रोफर्स, सीएफओ के रूप में और भारतपे, के सह-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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लोकप्रिय टीवी शो शार्क टैंक इंडिया में जज के रूप में, अश्नीर एक घरेलू नाम बन गए, भले ही उनका जीवन उलट-पुलट हो गया। विवाद, मीडिया की सुर्खियाँ, सोशल मीडिया पर तीखी बहस, तथ्य और कल्पना में अंतर करना कठिन बना देती है।
ग्रोवर सबसे पहले यह बताते हैं कि सफलता के लिए अपने लक्ष्यों के बारे में स्पष्टता होना कितना आवश्यक है। वह विभिन्न रणनीतियों की पहचान करते हैं जिनका उपयोग उद्यमी अपने इरादों को स्पष्ट करने के लिए कर सकते हैं, जिसमें सूची बनाना या उद्देश्यों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना शामिल है।
इसके अलावा, वह बताते हैं कि कैसे व्यावसायिक अवसरों का पीछा करते समय जुनून हमेशा सबसे आगे रहना चाहिए; यदि आपमें अपने निर्णय लेने का जुनून नहीं है, तो आप अपरिहार्य चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को समर्पित नहीं पाएंगे ।
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अश्नीर ने अपने स्वयं के जीवन के अनुभवों से कई उदाहरण प्रदान किए हैं जहां उन्होंने सवाल किया था कि अंततः हार मान लेने का निर्णय लेने से पहले कुछ स्थितियों के लिए दृढ़ता आवश्यक थी या नहीं। यह सबूत के रूप में कार्य करता है कि कभी-कभी छोड़ना फायदेमंद हो सकता है ।
इसके अलावा, ग्रोवर इस बात पर जोर देते हैं कि असफलता से कभी भी किसी को अपने सपने हासिल करने से हतोत्साहित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें याद दिलाना चाहिए कि उन्होंने यह यात्रा सबसे पहले क्यों शुरू की थी
वह आत्म-जागरूकता जैसे विषयों पर भी गहराई से विचार करते हैं जो उन्हें इम्पोस्टर सिंड्रोम पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करता है – जिसके खिलाफ कई उद्यमी रोजाना लड़ते हैं। इसके महत्व पर जोर देकर, ग्रोवर इच्छुक संस्थापकों को ताकत पहचानने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और साथ ही अधिक सार्थक कार्य करने के लिए कमजोरियों में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ।
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इसके अतिरिक्त, इन पृष्ठों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित वार्तालापों को बड़े पैमाने पर संबोधित किया जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को यह एहसास नहीं होता है कि शुरुआत करना कितना कठिन हो सकता है। इस पुस्तक की सतह के नीचे एक और संदेश निहित है – कठिन समय आने पर स्वयं को समझना सर्वोपरि है
कुल मिलाकर, Doglapan : जीवन और स्टार्ट-अप के बारे में कठिन सच्चाई उद्यमी बनने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह पाठकों को उनके उद्यमशीलता प्रयासों में आने वाली किसी भी बाधा के लिए मानसिक रूप से तैयार होने के बारे में आसानी से लिखित सलाह देकर हर चीज को परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करता है।
Characteristic of this novel-
शाश्वत मनसूखभाई-
इस बीस वर्षीय को-फाउंडर आईआईटीयन ने बड़ी ही चतुरता से लाखों रुपये कमाए, वह कंपनी में बाद में शामिल हुए सीईओ सुहैल से बहुत प्रभावित हुआ, जिसका इस्तेमाल मेरे धोखेबाजों द्वारा किया गया। और उसने बोर्ड मीटिंग में मेरे खिलाफ रचे जा साजिसों में उसकी चुप्पी ने मुझे अंदर से तोड़ने का प्रयास किया।
भाविक कोलाडिया-
‘ब्रूट्स, तुम भी?’ मेरे लिए यह जानना सबसे दर्दनाक था की वह धोखेबाजों के गिरोह का था। मैं अकेला व्यक्ति था जिसने उस पर विश्वास किया और अमेरिका में उसकी नाकामी से उसे उबरने के लिए प्रेरित करता रहा। मैं उसे अपने छोटे भाई से कम नहीं समझा। लेकिन उसने भी उन्ही लोगों में अपने नाम शामिल करा लिए, जो मुझे छत से धक्का देने वाले थे।
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सिकोइया-
यह सस्थान या बल्कि, एक व्यक्ति पूरी तरह राजनैतिक संगठन है। इसके पास मुझ पर हमला करने के लिए सबसे बड़ा हथियार था। शुरू में तो यह अनिच्छुक इन्वेस्टर था, पर बाद में यह सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया।
मिकी(रिबिट)-
धरती का सबसे चतुर फिनटेक इन्वेस्टर। उसका इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि दूसरे अमेरिकी फंडस ने भारत पे में पैसा इसलिए लगाया क्योंकि वह खुद भारतपे में पैसा लगा रहा था। इसके अलावा, वह असल में इस बात का कट्टरता से भरोसा करता है कि जहां भी पत्नी-पति की जोड़ि एक साथ कां करती है। वे लोग धोखेबाज होते हैं।
माधुरी-
माधुरी मेरे जीवन की वह संगिनी है, जिसने घर-बार से लेकर मेरे बिजनेस में कदम-डर-कदम साथ खड़ी रही, और उसका मेरे साथ होना मेरे जीवन की सबसे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। जिसके साथ आज भी मैं अपने दो बच्चों के साथ सुखी से हूँ।
सुमित सिंह-
उसे गनरल काउन्सलर के रूप में लाया गया था। मेरा मानना है कि वह माधुरी से नफ़रत करता था क्योंकि उसने उसे वह जीवनशैली नहीं दी जो उसकी चाहत थी। वह एक सफल वकील था, जिसके वजह से उसे लगता था कि वह एक सफल उधमी भी हो सकता है।
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सुहैल समीर-
एक व्यक्ति, जिसकी वजह से मेरा मैकनजी और आईआईएम लखनऊ जैसे प्रतिष्ठित सस्थानों पर से ही भरोसा उठ गया। सुहैल भी माधुरी से नफरत करता था क्योंकि माधुरी को उसके नापाक मंसूबों का पता चल गया था। इसी बीच, वह असुरक्षित भी महसूस कर रहा था। क्योंकि मैने उसे बताया था कि जल्द ही एक नया सिएफओ हमारे साथ जुडने वाला है, उसे लगा कि उसके पंख कुतर दिए जाएंगे।
Importance part of this book-
जित का जुनून-
सफलता का मेरा पहला मंत्र भले ही सुनने में घिसा-पीटा लगे, लेकिन यह है जितने की भूख को बनाए रखना। मैं एक मध्यवर्गीय परिवार में पला-बढ़ा, मेरे अंदर वह भूख हमेशा से थी कि मेरे दादा-दादी ने बटवारे के विस्थापितों के रूप में जो खो दिया था उसे फिर से हासिल करना और इसके साथ ही जीवन में आगे बढ़ने की असीम इच्छा।
नौकरी करने कोई रईस नहीं बना-
आपमें से कई लोग नौकरीशुदा होंगे और मेरी यह बात आपको कोई बहुत अच्छी तो नहीं लगेगी, लेकिन सच्चाई यही है कि अगर आप एक बेहतर जीवनस्तर तो नहीं लगेगी, लेकिन सच्चाई यही है कि अगर आप एक बेहतर जीवनस्तर हासिल करना चाहते हैं तो आपको नियमित आय के फंदे से बचकर निकालना होगा।
काम सौपिए-
इसका सबसे बड़ा नियम है: अकेले कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। आपको लोगों की जरूरत होंगी। एक फाउंडर के तौर पर आपको लोगों को काम सौपने के योग्य होना होगा ताकि आप बड़े परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें। कहने में तो यह आसान है लेकिन यह सबसे कठिन परिवर्तनों में से एक है- खुद करने से शिफ्ट होकर नेतृत्व करने पर आना।
बदले में उपकार की इच्छा न करे-
बतौर एक फाउंडर, आपको अपनी कहानी गढ़नी होंगी और जितना संभव हो, उतने लोगों से साझा करना होगा- इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता कि वह कोई चपरासी है, किसी कंपनी का सीईओ या, कंपटिटर, इन्वेस्टर या कोई रेगुलेटर ही क्यों न हो। इसी तरह आपकी कहानी तेजी से प्रचारित होंगी। यह याद रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि सहयोग मानव प्रगति की आधारशिला है, और केवल लें-दें के संबंध आपको इतनी दूर तक पहुंचा नहीं सकते।
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Quotes-
बतौर एक फाउंडर, आपको अपनी कहानी गढ़नी होंगी और जितना संभव हो, उतने लोगों से साझा करना होगा- इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता कि वह कोई चपरासी है, किसी कंपनी का सीईओ या, कंपटिटर, इन्वेस्टर या कोई रेगुलेटर ही क्यों न हो।
Doglapan
अकेले कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। आपको लोगों की जरूरत होंगी। एक फाउंडर के तौर पर आपको लोगों को काम सौपने के योग्य होना होगा ताकि आप बड़े परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
Doglapan
अगर आप एक बेहतर जीवनस्तर हासिल करना चाहते हैं तो आपको नियमित आय के फंदे से बचकर निकालना होगा।
अश्नीर ग्रोवर
सफलता का मेरा पहला मंत्र भले ही सुनने में घिसा-पीटा लगे, लेकिन यह है जितने की भूख को बनाए रखना।
Doglapan
यदि आपमें अपने निर्णय लेने का जुनून नहीं है, तो आप अपरिहार्य चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को समर्पित नहीं पाएंगे ।
Doglapan
खुद को पहले स्थान पर रखिए हमेशा!
अश्नीर ग्रोवर
अच्छे वक्त में वक्त आपको वफ़ादारी या निष्ठा की जरूरत नहीं होती- अवसर यह कां कर देता है। निष्ठा की परीक्षा बुरे समय में होती है।
Doglapan
बुरे वक्त में आपको अपने साथ सिर्फ परिवार ही खड़ा मिलेगा। आप बीस साल पुराने अपने दोस्तों पर भी भरोसा नहीं कर सकते।
Doglapan
FAQ-
Q दोगलापन का लेखक कौन है?
अश्नीर ग्रोवर अपनी बायोग्राफी को दोगलापन नामक किताब से प्रसारित किया है।
Q दोगलापन को कब पब्लिश किया गया था?
दोगलापन नामक उपन्यास को पेंगविन इंडिया ने दिसंबर 2022 में पहली बार प्रकाशित किया था। जो आज के समय में यह एक बेस्ट सेलर बुक की केटेगरी में शामिल हो चुका है।
Q दोगलापन उपन्यास को पढ़ने से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
ग्रोवर सबसे पहले यह बताते हैं कि सफलता के लिए अपने लक्ष्यों के बारे में स्पष्टता होना कितना आवश्यक है। वह विभिन्न रणनीतियों की पहचान करते हैं जिनका उपयोग उद्यमी अपने इरादों को स्पष्ट करने के लिए कर सकते हैं, जिसमें सूची बनाना या उद्देश्यों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना शामिल है।
इसके अलावा, वह बताते हैं कि कैसे व्यावसायिक अवसरों का पीछा करते समय जुनून हमेशा सबसे आगे रहना चाहिए; यदि आपमें अपने निर्णय लेने का जुनून नहीं है, तो आप अपरिहार्य चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को समर्पित नहीं पाएंगे ।
Q दोगलापन किसे पढ़ना चाहिए?
एआगर आआअप एक उधमी हैं या बनने की इच्छा रखते हैं तो यह किताब आपके लिए एक प्रेरित साबित होंगी, और आपको अपने लक्ष्य तक पहुचने में आपका मार्गदर्शन भी करेगी।
Q अश्नीर ग्रोवर की भारतपे में कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी है?
भारतपे के को-अश्नीर ग्रोवर की आज के समय में 8.43% इक्विटी के साथ कुल 24 करोड़ डॉलर के अकेले सबसे बड़े शेयर धारक हैं।
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