Dark Horse: book review

Dark Horse: Book Review, Summary in hindi, Quotes, pdf download

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे नीलोत्पल मृणाल द्वारा लिखित Dark Horse की book review के साथ-साथ, Summary in hindi और Quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।

Dark Horse: Book Review

Dark Horse! नीलोत्पल मृणाल द्वारा लिखित पहला उपन्यास है, जिसे प्रकाशित होने के बाद मृणाल को न सिर्फ एक बेहतरीन लेखक साबित किया बल्कि साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के भी हकदार हुए।

Dark Horse किसी पात्र का नाम नहीं बल्कि इस उपन्यास के पात्र के चरित्र की पहचान है। जो कि इसके लायक है भी। इस उपन्यास में जमीनी जुड़ाव, के साथ-साथ दिल्ली के मुखर्जी नगर की खुशबू भी है। जो आपके नाक को सोंधी लगेगी।

मृणाल ने अपनी जीवन-अनुभव से गांव-शहर की गलियों और चौराहों से होते हुए संघर्ष और आत्ममंथन करने वाले छात्रों का जो चित्र खिचा है, वह पढ़ने और देखने लायक है। यह उपन्यास उन सभी छात्रों की जीवन-ग्राफी है, जो अपने-अपने गांवों से निकल कर दिल्ली के मुखर्जी नगर तक का सफर तय करते हैं और एक आम आदमी से निकलकर खास आदमी बनकर अपनी पहचान बनाते हैं।

इस उपन्यास में हर उस तरह के छात्र अपना चरित्र लिए मौजूद हैं, जो यूपीएससी की तैयारी करने निकलते हैं। किसी का होता है, तो कोई सबक सिखता है लेकिन कोई हारता नहीं, अगर उसने कभी अपने मन से हार न मानी हो।

यूपीएससी की तैयारी करने वाले या चाहने वालों के लिए मृणाल की यह उपन्यास एक बहुत बड़ा मार्गदर्शन का काम करेगी। और आपके साथ-साथ कदम पर आपका साथ भी देगी। आप भटक नहीं सकते, अगर आप इस किताब के अनुसार अपनी राह चुनते हैं। और कुछ सिखकर अपना मार्ग खुद तय करते हैं। मुझे यह किताब एक बार की पढ़नीय लगी और बहुत ही दिलचस्प भी। मुझे यकीन है आप भी निराश नहीं होंगे तो कमेंट कर अवश्य बताएं। 

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Dark Horse: Summary in hindi

यह कहानी बिहार के रहने वाले संतोष की है जिसका सफर बी. ए. करने के बाद शुरुआत होती है और दिल्ली के मुखर्जी नगर में आकर पूरा होती है।

संतोष बी. ए. करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए अपनी माता पिता से दिल्ली जाकर तैयारी करने की इच्छा प्रकट करता है। संतोष के माता-पिता उसकी इच्छा को रखते हुए किसी तरह पैसे का इंतजाम कर उसे दिल्ली भेज देते हैं।

संतोष दिल्ली पहुँचकर अपने पुराने दोस्त रायसाहब से मिलता है। जिनसे वो कभी अपने शहर बोकारों में एक शादी के दौरान मिला था।राय साहब का पूरा नाम कृपाशंकर राय है। वे मूलतः यूपी के गाजीपुर से हैं। रायसाहब पिछले पाँच साल से मुखर्जी नगर में तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सफलता हमेशा उनके हाथ से फिसल जाती है।

रायसाहब संतोष को उसका कमरा दिलाने के लिए अपने दोस्त मनोहर के साथ मिलकर तीसरे दोस्त गुरुराज के पास एक कमरा दिला देने में साथ देते हैं। उसके बाद संतोष को उसके कमरा सेट करने के बाद उसके सारे सामान-वगैरह के साथ-साथ तैयारी के लिए दुनिया भर की किताबों को खरीदने में भी उसका साथ देते हैं।   

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कमरा सेट हो जाने के बाद रायसाहब और मनोहर संतोष से कहकर गुरुराज के कमरे पर एक पार्टी रखते हैं। जिसमें मांस और मदिरा दोनों शामिल होता है। लेकिन जब गुरु को पता चलता है कि संतोष का दोनों से कोई लेना-देना नहीं है तो वह मनोहर और रायसाहब पर भड़कता भी है। उस रात संतोष के लिए अलग से पनीर की सब्जी बनाई जाती है।

अगले दिन मनोहर के चाचा एम्स में दिखाने के लिए दिल्ली आ धमकते हैं। जिससे मनोहर बिल्कुल परेशान स हो जाता है। चाचा जी एम्स में दिखाने तक पूरा दिल्ली भ्रमण करते हैं, और अंत में बत्रा कोचिंग की एक चाय टपरी पर मनोहर के बाकि दोस्तों से मिलते हैं। जिसमें रायसाहब, संतोष, गुरुराज और भरत भी शामिल थे। मनोहर के चाचा सबसे मिलकर बहुत खुश होते हैं ये जानते हुए कि ये भविष्य में होने वाले अधिकारी हैं। लेकिन जब भरत उनके सामने सिगरेट सुलगाता है तो चाचा जी के आँखों में आग लग जाती है। बाकि सब मन मसोस कर रह जाते हैं।

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चाचा जी एम्स में दिखाने के बाद एक आखिरी दिन जब कमरे पर बिताते हैं तो मनोहर के बेड के नीचे से शराब की बॉटल देख उनका भी माथा थानक जाता है और मनोहर की इच्छा तो जिसे ज़मीन में धसने की होती है। लेकिन चाचा जी उस माहौल और मन को भापते हुए भतीजे को समझाते हैं और गांव जाते-जाते उसे ब्लेकमेल करते हुए ये कहते हैं कि हर महीने मेरी दवा भेजते रहना।

संतोष का एडमिशन रायसाहब अपने पसंदीदा कोचिंग में करा देते हैं, जिसमें कभी वो भी पढ़ा करते थे। जिसकी काउन्सलर कभी उनसे हस कर बात कर लिया करती थी। उस कोचिंग में अपना एडमिशन लेते वक्त यही हाल संतोष का भी था। तीन महीने की क्लास चली परीक्षा का समय आ गया, सबने पेपर दिए लेकिन किसी का भी नहीं निकला।

संतोष पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़े। घर पर पर पिता को जब उसके दुख का पता चला तो उन्होंने थोड़ा ढाढ़स बँधाया और फिर से मेहनत करने के लिए बोलने लगे। लेकिन संतोष केपास दूसरी बार की तैयारीके के लिए पैसे नहीं थे, तो उसने माँ से बोला। माँ पिता से झगड़कर किसी तरह पैसे का इंतजाम कर भेज देती है।

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संतोष फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में लग जाता है और इस बार वह अपने मन की सुनते हुए विषय का चुनाव करता है। और इस बार वह कोई कोचिंग का चुनाव नहीं करता बल्कि अपने विषय से संबंधित उस शिक्षक का चुनाव कर तैयारी करने लगता है। धीरे-धीरे समय कब निकल जाता पता ही नहीं चलता। लेकिन अफसोस इस बार भी उसका परीक्षाफल नहीं निकलता। लेकिन वह हार नहीं मानता।

वह अपना कमरा बदलकर किसी दूसरे इलाके में चला जाता है। और इस बार भी पैसे की कमी होने के बावजूद वह खुद से तैयारी में जुट जाता है। और इस बार वह पेपर देता है।  रायसाहब और मनोहर जैसे धुरंधर नहीं निकाल पाते लेकिन इस बार संतोष अपना बैनर पूरा मुखर्जी नगर के हर चौराहे और कोचिंग सेंटरों पर लगाने में सफल होता है तो वहीं गुरुराज भी परीक्षा में उतृण होता है।

संतोष की इस सफलता को उसके साथी उसे Dark Horse कहकर संबोधित करते हैं। जिसका मतलब होता है कि एक ऐसा घोड़ा जिस पर कोई भी डाव न लागाया हो ये जानते हुए कि वो इस खेल के लायक ही नहीं और वही घोड़ा उस रेस का विजेता हो। जिसके अंदर जीत की प्रतिभा छिपी हुई थी।   

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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश:-

मनोहर के चाचा उसके इस पाठन सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध हुए जा रहे थे। भतीजा अंग्रेजी पढ़ रहा है, अंग्रेजी सुन रहा है, कोई मामूली बात थोड़े थी। सामान्य तौर पर हिंदी पट्टी के परिवार और समाज के लिए ‘अंग्रेजी’ वह पतित पावन धारा थी जो हर पाप धो देती थी। अगर आप अंग्रेजी जानते हैं तो फिर आपका सब अच्छा-बुरा इस आवरण में ढक सकता है। अंग्रेजी जानने वाला वहाँ सियारों के बीच लकड़बघ्घे की तरह होता है। गांव से बाहर पढ़ने जाने वाले बच्चे की योग्यता भी बस इसी बात से मापी जाती थी कि इसने अंग्रेजी कितनी जानी।

आईएएस की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के अभिभावकों को भी यह लालसा सदा बनी रहती थी कि बच्चा कलेक्टर बने पर अंग्रेजी में बोलेगा तो बढ़िया कलेक्टर बनेगा।

“Dark Horse मतलब, रेस में दौड़ता ऐसा घोड़ा जिस पर किसी ने भी दांव नहीं लगाया हो, जिससे किसी ने जितने की उम्मीद न की हो और वही घोड़ा सबको पीछे छोड़ आगे निकल जाए, तो वही ‘Dark Horse’ है मेरे दोस्त। संतोष एक अप्रत्याशित विजेता है। मैने तुम्हारे आने से पहले श्यामल सर को और हर्षवर्धन सर दोनों को कॉल लगाया था। संतोष लगातार इन दोनों के संपर्क में था।

पिटी होने के बाद ही उसने अपना कमरा संत नगर की ओर ले लिया था, उसने सर से अनुरोध भी किया था कि उसके बारे में किसी को कुछ न बताएं। जो भी हो किस्मत पलट दी उसने। भाग्य को ठेंगा दिखाकर अपनी मेहनत से अपनी तकदीर खुद गढ़ ली इसने भाई।” गुरु ने कहा।

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पात्रों का चरित्र-चित्रण-

संतोष-

संतोष एक मध्यम वरगिर परिवार का इकलौता लड़का है। जिसने हिन्दी माध्यम से अपनी ग्रेजुएशन को अंजाम दिया है। संतोष गांव में रहता है लेकिन उसके सपने बड़े है। वह आईएएस की तैयारी के लिए दिल्ली पहुंचता है। वह मेहनत करता है। समझदार है। उसे अपने मेहनत पर विश्वास है। संतोष अपने हाथ पर खिची भाग्य लकीर की बदौलत नहीं बल्कि ईमानदारी से कड़ी मेहनत कर आईएएस बन जाता है।

रायसाहब-

रायसाहब! पाँच फिट छः इंच। अंडर शर्टिंग कीए हुए। खुद से सिलवाया हुआ सफेद पर फिरोजी चेक की शर्ट और काली पैंट पहने। बड़ा बकलस वाली बेल्ट। बिना फ्रेम का चश्मा लगाए और पीरों में सफेद मोजे पर अपनी साइज से दो नंबर ज्यादा का लाल कलर का फ़्लोटर पहने रायसाहब एकदम दो हजार सात मॉडल अरस्तू लग रहे थे। थोड़ा भौकाली टाइप।

गुरुराज-

गुरुराज अपने आप में कई विरोधाभासों का मिश्रण था। दुनिया दायें चले तो वह बाएं चलता था। आईएएस की तैयारी के लिहाज से वह उतना पढ़ चुका था जितने की जरूरत नहीं थी। दुनिया को अपनी दृष्टि से देखता था और बिना हिचक अपनी बात कह भी देता था। कुछ लोग उसे अक्खड़ और दंभी कहते थे, पर मूलतः वह साहसी था।

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Dark Horse: Quotes

कठिन परिश्रम कर अपनी भाग्य के निर्माता बन सकते है।

Dark Horse

अपने भाग्य का निर्माता आप खुद बनिए।

Dark Horse

कठिन परिश्रम कर आप कुछ भी कर सकते हैं।

Dark Horse

ज़िंदगी आदमी को दौड़ने के लिए कई रास्ते देती है, जरूरी नहीं है कि सब एक ही रास्ते पर दौड़े।

Dark Horse

हम सबके अंदर एक डार्क हॉर्स बैठा है। जरूरत है उसे दौड़ाये रखने की जिजीविषा की।

Dark Horse

केवल ज्ञान से ही व्यक्तित्व का निर्माण नहीं होता है, संवेदना के साथ व्यक्तित्व के शिल्प पर भी ध्यान देना चाहिए।

Dark Horse

दूसरों को खुशी देना सबसे बड़ा धर्म है।

Dark Horse

खुद को इतना भी गीला न रखो कि कोई जैसा चाहे आकार दे दे।

Dark Horse

दूसरों की बातों से निर्णय लेना ठीक नहीं।

Dark Horse

आदमी जैसे ही पेट का गुलाम होता है, उसके मस्तिष्क के दरवाजे बंद हो जाते हैं।

Dark Horse

FAQ

Q डार्क हॉर्स के लेखक कौन है?

नीलोत्पल मृणाल! डार्क हार्स के लेखक है।

Q डार्क हार्स का मतलब क्या होता है?

“डार्क हार्स मतलब, रेस में दौड़ता ऐसा घोड़ा जिस पर किसी ने भी दांव नहीं लगाया हो, जिससे किसी ने जितने की उम्मीद न की हो और वही घोड़ा सबको पीछे छोड़ आगे निकल जाए, तो वही ‘डार्क हॉर्स’ है मेरे दोस्त।

Q डार्क हॉर्स का पहला संस्करण कब पब्लिश किया  गया था?

डार्क हार्स का पहला संस्करण 2015 में शब्दारम्भ प्रकाशन ने प्रकाशित किया था।

Q डार्क हॉर्स का सारांश क्या है?

संतोष नाम का गांव समाजी लड़का, जिसकी शिक्षा का माध्ययम हिन्दी है, वह गांव से आईएएस बनने का सपना देखता है और उसकी तैयारी के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में प्रवेश करता है। पहला साल उसका दोस्तों के साथ मस्ती और उसके कोचीन के भ्रम जाल में गवा देता है। दूसरा साल सही निर्णय लेने में गवां देता है लेकिन तीसरा साल वह चुपके से पाने लक्ष्य के प्रति सबसे दूर निकल कर अग्रसर होता है और आईएएस की परीक्षा को पास कर लेता है, जिस पर किसी ने कोई उम्मीद भी नहीं की थी।

Q डार्क हॉर्स का मुख्य पात्र कौन है?

डार्क हॉर्स का मुख्य पात्र संतोष है। जो अपना आईएएस का सपना लिए दिल्ली जाता है और तीन वर्ष की तैयारी करने के बाद अपनी कठिन परिश्रम के बदौलत वह आईएएस अधिकारी बन जाता है।

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