Coriolanus

Coriolanus: William Shakespeare, Book Review, Summary in Hindi, Quotes, pdf download

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे William Shakespeare द्वारा लिखित एक बेहतरीन नाटक Coriolanus की Book Review के साथ-साथ Summary in Hindi और Quotes के साथ-साथ pdf download को भी साझा करेंगे।

Coriolanus: Book Review

“Coriolanus” विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक बहुत शानदार नाटक है। इस किताब में इसके अलावा बाकि चार और भी नाटक उपस्थित हैं। जिनमें कोरियोलेनस, द्वितीय और तृतीय रिचर्ड मुख्य हैं। लेकिन इन सभी नाटकों को पढ़ने के बाद मुझे जो अच्छा लगा वो कोरियोलेनस हैं। जिसकी रिव्यु और समरी को मैने साझा किया है।

आज के समय में हिन्दी भाषियों के पढ़ने के लिए मैपल प्रेस प्राइवेट लिमिटेड ने प्रकाशित किया है।

शेक्सपियर की इस नाटक में आपको जो नीच जातियों का आधिकार, वीर सेनापति, अहंकार, द्वेष और प्रतिशोध देखने को मिलता है। यह नाटक शेक्सपियर की अन्य नाटकों से बड़ा भिन्न है। आप विलियम को किसी भी नाटक को उनके दूसरे नाटक या किसी भी एक पात्र से जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे। जो इस नाटक को बहुत ही खास बनाता है।

यह नाटक रोम राज्य के Coriolanus नामक एक वीर सेनापति की गाथा को व्यक्त करता है, जो समाज में एक उच्च जाति का है। वह अपने राज्य के लिए जान तो दे सकता लेकिन वह अपने राज्य के निम्न लोगों के साथ बात-व्यवहार नहीं कर सकता। उनसे हमेशा दूरी बनाए रखता। वह अपने को सबसे उच्च कोटि का मानता है। जिसका नतीजा ये होता है कि उसे देश निकाला जैसी सजा दी  है।

Coriolanus पूरे रोमवासियों से अपना बदल लेने के लिए दुश्मन राज्य से जा मिलता है और उसके साथ मिलकर पूरे रोमवासियों को मौत की घाट उतार देता है।

मुझे यह कहने की जरूरत नहीं कि विलियम शेक्सपियर की यह नाटक बहुत रोमांचक और मजेदार हैं। जिससे आप पूरे वाकिफ़ हैं। तो एक बार अवश्य पढ़ें।

आप को कैसा लगा, आप मुझे कमेंट कर बता सकते हैं।

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Coriolanus: Summary in Hindi

रोम (इटली का प्रसिद्ध नगर) के लोगों ने अपने राजवंश के अत्याचारों से तंग आकर राजाओं को देश से निकाल दिया और बहुत कोशिश करने पर भी ये राजा अपना पहले जैसे अधिकार को प्राप्त नहीं सके, उस समय रोम में उच्च और नीच जातियों में एक प्रकार की दुश्मनी थी।

उच्च जातियां नीच जातियों से नफरत करती थीं और उनकी उन्नति में बाधा डालती थी। नीच जातियां इस नफरत से नाराज होकर उनके खिलाफ उपद्रव किया करती थी। उच्च जातियों को पैट्रोशियन और नीच जाति वालों को प्लेबियाँ कहा जाता था। सबसे पहले राज-कार्य केवल पैट्रोशियन लोगों के हाथ में था, परंतु धीरे-धीरे प्लेबियाँ लोगों को भी यह अधिकार मिल गया था कि वे अपने प्रतिनिधि चुने और नीच जातियों में से कुछ मजिस्ट्रेट चुन लिए जाते थे, जिनका कर्तव्य नीच जातियों के अधिकारों को सुरक्षित रखना था।

एक समय जब दो राज्यों के लड़ाई के कारण देश में अकाल पड़ गया लेकिन पैट्रोशियन के पास अनाज का पूरा गोदान भरा पड़ा था। जिसके कारण नीच जातियों में अराजकता का माहौल पैदा हो गया और लोगों पैट्रोशियन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन लोगों को समझाने के लिए पैट्रोशियन से एक भद्र पुरुष सामने आया। जिसका नाम मिनीनियस अग्रिपा था।

मिनीनियस अग्रिपा ने इकट्ठा हुए लोगों को तितर-बितर हो जाने को कहा लेकिन लोगों ने इंकार कर दिया। मिनीनियस अग्रिपा ने लोगों को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन व नाकामयाब रहा।  तभी वहाँ पर केअस मार्शल आआ पहुंचा। और उसके नीच जाति के लोगों पर गुस्सा किया।

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केअस मार्शल ने कहा कि चूल्हे में जाए। घर में बैठकर ये समझते हैं कि इनको राजसभा की खबर है, अमुक पुरुष धनी है, अमुक गरीब है। ये कहते हैं कि अन्न बहुत भरा पड़ा है। यदि पेट्रोनशियन लोग दयाभाव को उठा लें और मुझे आज्ञा दें तो मैं तलवार से इन सबकी सफाई कर दूँ।

उसी समय एक दूत से पता चला कि वौलसी लोग रोम पर चढ़ाई करने की तैयारियां कर रहे हैं वौलसिया रोम के उत्तर में बसा एक देश था, जिसके साथ रोमवालों की हमेशा लड़ाई होती रहती थी। इस समय वौलसी लोगों में टूल्स आफ़िडियस नाम का एक प्रसिद्ध सेनापति था, जिसकी वीरता से रोमवासी भी डरते थे और केअस मार्शल के अलावा और कोई मनुष्य ऐसा नहीं था जो इस भयानक शत्रु का मुकाबला कर सकता था।

अंत में राजसभा ने यह फैसला किया कि केअस मार्शल, कमिनीयस और टिटस लारशस एक बड़ी सेना लेकर शत्रु का सामना करें।

उधर वौलसिया में आफ़िडियस को रोमवालों की तैयारियों की खबर लग गई और वे और भी होशियार हो गए। आफ़िडियस सेना लेकर मुकाबले के चल दिया और अन्य वौलसी लोग कोरियोली नामक किले की रक्षा करने में लग गए।

अपने वीर पुत्र को युद्ध में जाति देख केअस मार्शल की माँ वौलमनिया अपनी बहु वर्जिलिया के साथ घर में बैठे चरचा करती है। माँ तो गर्व से हर्षित होती है तो वहीं वर्जिलिया का दिल करुणा से भर जाता है। माँ अपने बेटे को युद्ध में जीत के लिए आशीर्वाद देती है तो वहीं वर्जिलिया उसके जीवित लौटने की प्रार्थना करती है ।

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रोम और वौलसिया में भीषण रक्तपात मचता हैं, जिसमें रोम की जीत होती है और केअस मार्शल कोरियोली नामक किले पर अपनी विजय पताका लहरा देता है। वौलसिया का सेनापति अपनी जान बचाकर भाग खड़ा होता है। चारों तरह केअस मार्शल की जयजयकार होने लगती है। रोम के नीच जाति के लोग भी उसकी जयजयजकार करने लगते हैं।

केअस मार्शल के शरीर पर लगे घाव को देख कर उसकी माँ हर्षित होती है कि एक घाव के बदले उसके बेटे ने अपने शत्रु के लिए एक कब्र खोदा है। नीच जाति के लोग उसे माफ करने के लिए एकत्रित होते हैं और सब बारी-बारी से अपना वोट देकर उसे  राज्य का कौंसिल पद दिया जाता है तथा कोरियोली किला को जितने के वजह से उसे Coriolanus नाम से संबोधित किया जाता है।

Coriolanus जब जनता के सामने आता है तो उससे नीच जाति के लोग यह प्रस्ताव रखते है कि उसे अपने घाव दिखाने चाहिए और अपने पुराने दुर्व्यवहार के कारण माफी माँगनी चाहिए। कोरियोलेनस ऐसा करने से इंकार करता है। और भी वहाँ पर कुछ भला-बुरा लोगों को कह देता है। जिससे वहाँ जी जनता उससे रुष्ट हो जाति है और केअस मार्शल से कौंसिल का पद वापस लेकर उसे देशनिकाला दे दिया जाता है।

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Coriolanus अपने मन में इसकी प्रतिशोध की अग्नि लेकर अपने दुश्मन के सेनापति से जा मिलता है और उससे वादा करता है कि रोम को बर्बाद करने में या उसे जितने में ईमानदारी से उसका साथ देगा।    

कुछ दिन बाद आफ़िडियस और Coriolanus मिलकर रोम पर हमला कर सबको मार देते हैं और अंत में बचे हुए महिलाओं और बच्चों को इकट्ठा कर जलाने की आज्ञा देता है। जिसे सुनकर रोमवासियों में तहलका मच जाता है। कोरियोलेनस का दोस्त मिनीनियस दया की भीख मांगने आता है लेकिन कोरियोलेनस उसे दुत्कार देता है।

मिनीनियस उसकी माँ, बहु और बच्चे को भेजता है। माँ कोरियोलेनस भी उसके सामने दया की भीख मांगती है। जिसे वह स्वीकार नहीं करता है। उसकी पत्नी भी रोटी-गिड़गिड़ाती है फिर भी ध्यान नहीं देता। अंत में बच्चा भी कुछ कहता है लेकिन उसे भी वह ध्यान नहीं देता लेकिन एक और आखिर कोशिश में माँ उसे मना लेती है। जिससे रोम की बाकि बची औरतें और बच्चे बच जाते हैं।

Coriolanus आफ़िडियस के साथ अपने राज्य को चल जाता है। आफ़िडियस के मन में कोरियोलेनस को लेकर धीर-धीरे द्वेष पैदा होने लगती है। राज्य में उसे छोड़कर लोग कोरियोलेनस की बहादुरी का गुणगान करने लगते हैं। जिससे परेशान होकर आफ़िडियस अपने कुछ सिपाहियों की मदद से कोरियोलेनस को मरवा देता है।        

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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-

केअस मार्शल बहुत प्रवीण माँ का पुत्र था। उस समय रोम की स्त्रियाँ बहुत निडर हुआ करती थीं और उनके पुत्र युद्ध संबंधी बातों को अपनी मन की गोद में ही जान लिया करते थे। यही कारण था कि रोम में ऐसे वीर हुए हैं। केअस मार्शल की माँ वौलमनीया अपनी बहू वर्जिलिया के साथ घर में बैठी सिलाई कर रही ठी।

मार्शल के युद्ध पर चले जाने के कारण वर्जिलिया को दुखी देखाकर उसने कहा-बेटी जाओ या तो खुश रही। अगर मेरा पुत्र मेरा पति होता, तो मैं उसकी ऐसी अनुपस्थिति को, जिसमें वह मुझसे अधिक प्रेम प्रकट करता।

जब यह मेरा इकलौता पुत्र छोटा ही था और जब कोई माँ भी अपने पुत्र को बादशाह को देना स्वीकार नहीं करती, उस समय मैने यह समझकर कि घर में सुस्त पड़े रहने से यशस्वी होना अच्छा है, उसे युद्ध की परेशानियों में भेज दिया था और वहाँ से वह विजयी होकर आया।

 मैं सच कह रही हूँ कि मुझे इस मनुष्य-पुत्र का पहली बार देखकर इतनी खुशी नहीं हुई जितनी यह जानकर हुई कि अब यह मनुष्य बन गया है।  

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पात्रों का चरित्र-चित्रण-

इस नाटक तो वैसे सात-आठ पात्र हैं लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं केवल मैं ए उन्ही का ही जिक्र किया है।

Coriolanus-

Coriolanus रोम का बहुत ही बहादुर सेनापति था। जिसे कोई भी आसानी से जित नहीं सकता था। बचपन से जवानी तक उसने कम से कान 17 युद्ध लड़े थे, जिसमें उसने अपने नंगी तलवारों से न जाने कितनों की हत्या की थी। इसी कारण उसका कलेजा पत्थर का हो गया था। उसे किसी की जान की परवाह नहीं होती थी, यहाँ तक अपने माँ, पत्नी और पुत्र की भी।

वह अपना सब कुछ युद्ध में न्योछावर कर चुका था, जिसके वजह से वह राज्य की जनता को कुछ नहीं समझता था। वाह मार-काट ज्यादा पसंद करता था। उसके भीतर की कोमलता मर चुकि थी। वह कठोर हृदय का हो गया था। 

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वौलमनिया –

वौलमनिया बहुत प्रवीण स्त्री थी। जो बहुत ही निडर थी। उसे अपने वीर पुत्र Coriolanus पर बहुत गर्व होता था। युद्ध में जाते अपने बेटे को देखकर उसका मन उत्साह से भर जाता था। वह स्वाभिलंब महिला थी। और बेटे को भी उसने यही शिक्षा दी थी। उसका कलेजा मातृत्व नहीं बल्कि बलिदानी का हो गया था। उसने बचप[अं में ही अपने बेटे को राज्य के हवाले सौप दिया था।

Coriolanus: Quotes

अहंकार नहीं करना चाहिए, इससे सदैव सबकुछ नष्ट ही होता है।

Coriolanus: William Shakespeare

वीर पुरुष के लिए वीरता सबसे बड़ा गुण है।

Coriolanus: William Shakespeare

कठोर-से कठोर दिल में भी एक कोमल दिल का वायस होता है।

Coriolanus: William Shakespeare

राजा को अपनी जनता के प्रति हमेशा समर्पण का भाव होना चाहिए।

Coriolanus: William Shakespeare

जो किसी से नहीं हारता वह अपनों से हारता है।

Coriolanus: William Shakespeare

FAQ

Q कोरियोलेनस का लेखक कौन है?

विलियम शेक्सपियर कोरियोलेनस  जैसे महान नाटक के लेखक हैं।

Q कोरियोलेनस कौन था?

रोम का एक वीर सेनापति था। जिसे कोई भी हरा नहीं सकता था

Q कोरियोलेनस ने अपने ही राज्य के प्रति बगावत क्यों की?

रोम की जनता द्वारा अपने ही राज्य से निकाल दिए जाने पर कोरियोलेनस ने शत्रु राज्य से हाथ मिला और उसने अपने ही राज्य पर हमला कर सबकों मौत के घाट उतार दिया।

Q कोरियोलेनस कैसे मारा गया?

रोम की जनता द्वारा अपने ही राज्य से निकाल दिए जाने पर कोरियोलेनस ने शत्रु राज्य से हाथ मिला और उसने अपने ही राज्य पर हमला कर सबकों मौत के घाट उतार दिया।

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