Divya Prakash Dubey Book Summary of Aako- Bako pdf Download.

Divya Prakash Dubey Book Summary of Aako- Bako pdf Download

Divya Prakash Dubey Book Summary of Aako- Bako pdf Download. दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित यह किताब कहानी संग्रह की तीसरी और कुल किताबों में यह छठी किताब है। जिसे एक बार पढ़ना ही चाहिए।

Review of Aako- Bako Book by Divya Prakash Dubey

“Aako- Bako” दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखी गई, उस इन्द्र धनुष के समान है, जिसमें अलग-अलग रंग होने के बावजूद समानता ये है कि वो एक इन्द्र धनुष है। जो आसमान में तो निकलता है लेकिन उसे किसी बारिश के मौसम की ज़रूरत महसूस नहीं होती। जिसे देखने पर लोगों के चेहरे पर एक हल्का मुस्कान तैर जाती है। लोग कुछ देर तक उसे देखने के बाद वापस अपने काम में लग जाते हैं।  

“Aako- Bako”, इस अच्छे किताब को और अच्छे से बताने के लिए और कोई अच्छा शब्द नहीं है, वर्ना मैं वो अच्छा शब्द दिव्य प्रकाश दुबे की दिव्यता के लिए इस्तेमाल करता। इस किताब की पहली कहानी “सुपर मॉम” की अच्छाई से द्रोपदी की अच्छाई तक जाती है। जिसे बयां करने के लिए आप इस अच्छे शब्द को एक तुच्छ समझेंगे। “आको-बाको” जहां तक मुझे समझ में आ रहा है, इसका मतलब हो सकता है ”कुछ भी”। लेकिन दिव्य प्रकाश दुबे की इस कहानी संग्रह को पढ़ने के बाद नहीं लगता कि इसमे कुछ भी नहीं लिखा है यानि बहुत कुछ लिखा है। जिसे एटलिस्ट एक बार तो पढ़ा जाना चाहिए। चाहे सुपर मॉम की रोल में नीता हो, सुपरस्टार की रोल में राजू, खुश रहो… बाप के रोल में एक बेटा हो या फिर द्रोपदी की रोल में देविका।

दिव्य प्रकाश दुबे को मैं बहुत पहले से पढ़ते हुए आ रहा हूँ, मुझे उन सभी किताबों में “आको-बाको”  बहुत कुछ कहती है या यूं कह ले कि सबसे अपनी कहानी साझा करती है। हालाकि मुझे लगता है कि ये बात कहना ठीक होगा कि नहीं, लेकिन मैने उनकी किताब से महसूस किया है कि दिव्य की लेखनी के साथ, समाज को देखने का नजरिया भी बहुत बढ़ चुका है। जो कि काफी उम्दा है। Aako- Bako

दिव्य प्रकाश दुबे अपनी पिछली किताबों की तरह प्रकाश फैलाने में सफल हुए हैं। जिसके घेरे में आने के बाद हर कोई को एक दिव्य प्रकाश का दर्शन होगा। जिसे उस दर्शन की काफी जरूरत है। Aako- Bako

Summary of Aako- Bako Book by Divya Prakash Dubey

“Aako- Bako” दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित सोलह कहानियों एक कहानी संग्रह है जिसमें बहुत ही अच्छी-2 कहानियों को अलग-अलग घटना पर प्रदर्शित किया गया है। उन सोलह कहानियों में से जो मुझे सबसे अच्छा लगा मैने उन कहानियों को सेलेक्ट कर उनका समरी दिया है। जो नीचे क्रमशः दिए गए हैं।  Aako- Bako

सुपर मॉम’- आको-बाको की पहली घटना है। जिसमें नीता शाहजहापुर के एक सरकारी कलर्क की पत्नी है। और अपने छोटी से सरकारी आवास में रहती है। जिसके चारों तरफ उसके आला अधिकारियों की कोठी है। नीता अपने अधिकारियों की औरतों को देख कर काफी प्रभावित होती है, और उसके मन में भी ये इच्छा होती है कि काश उसके पति को रिटायर्ड होने से पहले कोई एक बड़ा पद मिल जाता तो उसे भी बंगले में रहने का मौका मिलता । Aako- Bako

एक दिन नीता को अखबार में सुपर मॉम बनने का ऑडिशन दिखता है, जो दस दिन में होने वाला होता है। जिसके बाद नीता अपने पति और बच्चे को बताए बगैर सुपर मॉम के ऑडिशन में पास होने के लिए प्रेक्टिस करती है और क्वालिफ़ाई भी कर जाती है। जिसके बाद उसका फाइनल ऑडिशन लखनऊ में होता है, लेकिन उससे पहले उन जजों द्वारा कहने पर सारे कंटेस्ट को एक लाख रुपये बतौर सिक्योरिटी जमा करना होता है। अपने पति और पिता से पैसा नहीं मिलने पर अपने गहने बेच कर पैसे जमा कर देती है और ऑडिशन के लिए होटल में जाती है तो पता चलता है कि वो एक जालसाजी का शिकार हो चुकी है, वापस मुख लटकाए घर को लौट जाती है। Aako- Bako

एक दिन वो अपने एक अधिकारी की पत्नी, जिससे नीता थोड़ा-बहुत बात कर लिया करती है, जब मिलती है तो अपने बात को उसके सामने रखती है। वो औरत नीता को उसके मदद के लिए आगे आती है और अपने बचाए हुए पैसे से एक लाख रुपये नीता को ये कहते हुए दे देती है कि नीता उसे धीरे-2 करके वापस कर सकती है। जिसे लेकर नीता अपने गहने को छुड़ाने के लिए जाती है, लेकिन उस पैसे से अपने गहने ना छुड़ाते हुए एक डांसिंग क्लास शुरू करती है, जिसमें कुछ बच्चे एडमिशन ले लेते हैं।Aako- Bako

उन एडमिशन में से एक बच्चा जब रियल के डांस शो में परफार्म करता है तो उससे नीता को एक अलग पहचान मिलती है और दस लाख रुपये इनाम भी दिए जाते हैं। जिसके बाद नीता की लाइफ बिल्कुल बदल जाती है और उसके पति और बच्चे को नीता पर गर्व होता है। उसके कालोनी के अधिकारियों के लड़के उसके पास क्लास के लिए आने लगते हैं। जो उसे मैम कहकर बुलाते हैं और नीता को ये अच्छा लगता है। Aako- Bako

सुपरस्टार- ये कहानी राजू ड्राइवर की है, जो कभी–कभार फिल्म सिटी में क्राइम पेट्रोल की शूटिंग में मौका मिलने पर काम कर लेता है। और नहीं मिलने पर ड्राइवर का काम करता है। एक दिन एयरपोर्ट से दो आदमी स्टीफन और मिरचंदानी जैसे लोगों से मिलता है, जो अपने को एक अपने को एक पान-बहार कंपनी का चीफ एडिटर बताते है और ये कहते हैं कि वो एक फिल्म निर्माण के सिलसिले में यहाँ आए हुए हैं। Aako- Bako

राजू, जो कि फिल्म से जुड़ा हुआ है तो वो लोगों को जानता होगा, राजू ये स्वीकार करता है और अपने को उनके फिल्म में हीरों बनने की चाहत में उनकी खूब खातिरदारी करता है। उन्हे खूब घुमाता-फिरता है। उन्हे एक महंगे होटल में आराम से ठहरने की व्यवस्था करता है। उनके द्वारा फिल्म काम निपटाने के बाद राजू को भी उस कहानी का हीरो सेलेक्ट कर लिया जाता है। यहाँ तक स्टीफन और मिरचंदानी के कहने पर अपना नाम बदलकर फिल्म के हिसाब से राजीव कुमार रख लेता है। अब बात ये होती है कि स्टीफन और मिरचंदानी अपने कंपनी के हेड से सारी बातें साझा करने के बाद काम को आगे बढ़ाएंगे। जिसमें लीड रोल को राजू निभाएगा।Aako- Bako

होटल से जाते वक्त स्टीफन और मिरचंदानी पैसे देते है तो उनका कार्ड काम ही नहीं करता है और वो राजू से ये कहते हुए मना लेते हैं कि जब वो अगली बार आएंगे तो उसे अपने लीड रोल के लिए देने वाले पैसे में इसे भी जोड़ देंगे। जिसे राजू खुशी से स्वीकार कर लेता है और अपनी कार तक बेच कर पैसे होटल में जमा कर देता है। इस आस में कि एक दिन जब वो आएंगे तो वो एक लीड हीरो की रोल में एक फिल्म में काम करेगा। और वो कभी नहीं आते। Aako- Bako

खुश रहो- ये कहानी एक बाप और उसके बेटे कि है, जो आखिर में बेटा एक हीरो बन कर उभरता है और बाप बेटा बन कर। कहानी ये है कि बाप अपनी पत्नी से तलाक लेकर दूसरी शादी के लिए अपने बेटे को उसमें इनवाइट करता है लेकिन बेटे को ये बात अच्छी नहीं लगती और आने से साफ मना कर देता है। जब ये बात बेटे की माँ को पता चलती है तो माँ भी नाराज होती है और  बेटे के बाप को ढेर सारी गालियां सुनाती है। जो बेटे को भी अच्छा नहीं लगता। बाप बेटे को अपने शादी कार्ड देता है लेकिन बेटा उस कार्ड को फाड़ कर फेक देता  है। बेटे के नहीं आने के वजह से बाप शादी नहीं करता है और बात बेटे को भी कहीं ना कहीं खलती है। बेटा बाप को समझता है और मिलने के लिए चला जाता है, बेटे से मिलकर बाप बहुत खुश होता है और बेटा भी उसे खुश रहो का आशीर्वाद देते हुए कहता है कि बाप को शादी कर लेनी चाहिए। जिसे बाप खुशी-खुशी स्वीकार कर लेता है और बाप की शादी बेटे के सामने हो जाती है। Aako- Bako

द्रोपदी- “आको-बाको” की कहानी संग्रह का आखिरी कहानी है, जो मुझे बहुत ही अच्छी लगी। जिसकी समरी मैने लिखी है। कहानी देविका की है, जिसकी शादी तो किसलय से होती है लेकिन उसे अपने ससुराल आने पर चार और लोगों से शादी करनी पड़ती है। जिसमें उसके ससुर, घर का काम, जिनका घर वो छोड़ कर आई है और पाँचवा ये समाज। देविका की कहानी भी कुछ द्रोपदी जैसी ही है। देविका अपनी बेटी गुनगुन को रात को सोते समय अपनी दादी से कहानी सुनने की आदत को बरकरार रखते हुए हर रोज एक कहानी सुनाती है, जिसे सुनते वक्त गुनगुन एक अच्छी नींद में चली जाती है। देविका गुनगुन को सुनाती है कि द्रोपदी एक बड़े से राजा की पुत्री है, जिसका स्वयंवर किया जाता है, जिसमें राजकुमारी अपनी अनुसार पति को चुन सकती है लेकिन राजा कि एक शर्त होती है कि ऊपर देखते हुए जो तालाब की मछली की आँख को निशाना बना देगा उसी से उसकी शादी की जाएगी। कुछ राजकुमारों के आजमाने के बाद जब एक राजकुमार का नंबर आया, जिसने अपने राज्य के बारे में बताया कि उसके राज्य को उसके चाचा  और उनके लड़कों ने छिन लिया है, जिसे एक दिन वो लेकर रहेंगे तो उस राजकुमार को अपनी कला दिखाने का अवसर मिलता है। Aako- Bako

राजकुमार सिर्फ और सिर्फ मछली की आँखों में देखते हुए उसे अपनी बाड़ों से भेद देता है और शादी हो जाती है। जब राजकुमार अपने भाइयों सहित राजकुमारी को लेकर घर पहुचते है तो ऊनकी माँ कह देती है कि जो भी लाए हो आपस में बाँट लो। अब माँ की बात को ना टालते हुए राजकुमारी को ना चाहते हुए भी पांचों भाइयों से शादी करनी पड़ती है लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है जब द्रोपदी अपने आप को बर्दास्त ना करते हुए अपने बच्चे को लेकर घर छोड़ कर हमेशा के लिए चली जाती है। Aako- Bako

ऐसी ही घटना एक दिन देविका के जीवन में भी होता है और देविका को जब लगता है कि उसका पति उससे खुश नहीं है और शायद किसी की संगत में है तो इन सब से तंग और परेशान होकर कुमकुम के साथ घर को छोड़ कर हमेशा के लिए चली जाती है। Aako- Bako     

Aako- Bako Book के कुछ अच्छे और महातपूर्ण अंश-

  • जिंदगी बिस्तर की सिलवट पर जैसे हर सुबह उलझी हुई मिलती है। इसीलिए उलझी हुई सिलवट को वापस ठीक करने की कवायद में लोग ज़िंदगी के चार सिरे खिचकर रोज उसको सवारतें रहते हैं। ज़िंदगी का कां है उलझाना। आदमी का कां है सुलझाना और उस सुबह का इंतजार करते रहना जिस दिन सिलवट नहीं मिलेगी। Aako- Bako
  • तरु अब बस पुरानी कहानियाँ सुनना चाहती है। कहानियों के वो हिस्से जिसमें उन्होंने मजा डाला था, वो अब दोनों ही भूल चुके है, उदासी है कि जाती जी नहीं। नई कहानियाँ बनाने की उम्र वो दोनों कब की पार कर चुके हैं। Aako- Bako
  • कहानियाँ वो पेड़ है जिसमें लोग छाँव ढूंढने आते हैं। पार्थ कहानियाँ ढूँढता है और तरु उन कहानियों में छाँव। जब पार्थ वो कहानियाँ भूल जाता है तब तरु उन्हे याद दिलाकर दो लोगों भर की छाँव इकट्ठा करके अपने कपड़े की अलमारी में बिछे अखबार के नीचे छुपा लेती है। Aako- Bako
  • लखनऊ में अलीगंज वाले हनुमान जी का मंदिर। जो मांगों सब मिलता है। यहाँ, ऐसा लोग कहते हैं जिनको मिल जाता है। जिनको नहीं मिलता वो नहीं मानते। वो कोई दूसरा मंदिर ढूँढ़ लेते हैं। एक न एक दिन या तो मंदिर मंदिर मिल जाता है या वो इच्छा मर जाती है। मंदिर जाना ईश्वर के होने ना होने से ज्यादा बड़ी चीज है। जैसे विश्वास पहले होना और फिर उस विश्वास का सच हो जाना। जैसे बच्चे का माँ की महक से पहला रिश्ता बना, फिर कुछ साल बाद जानना कि ये महक ही माँ है। Aako- Bako
  • पुरानी कई किताबों में लिखा है कि मुस्कुराकर समस्या हाल की जा सकती है। लेकिन लोग आसान बातें मानते कहाँ है। आँसू, मुस्कुराहट, ओस, हंसी, गुदगुदी और स्पर्श जैसी आसान बातों पर अब लोगों का यकीन नहीं रहा। Aako- Bako
  • इस बदसूरत दुनिया में खूबसूरती वही तलाश सकता है जो इस दुनिया को एक डीएसएलआर कैमरे की नजर से देखे, जो झोंपड़पट्टी, गरीब के पाँव, नाले तक में खूबसूरती ढूँढ़ सके। Aako- Bako
  • नदी पार करने वाले तीन तरह के लोग होते हैं। पहले वो जो पार हो जाते है और पलटकर नहीं देखते। दूसरे वो जो पार होने के बाद दूसरों को पार कराते हैं। और तीसरे वो जो नदी हो जाते हैं। Aako- Bako
  • कविता लिखने के चक्कर में ही हमने एक-दो बार प्यार भी किया। सोचा कि यहाँ से शायद गम मिले और यह हिन्दी फिल्मों और इस दुनिया का सबसे ज्यादा आजमाया हुआ तरीका भी था। प्यार करने के लिए हमने जो लड़कियां चुनी, वो भी आपस में सहेलियाँ थी। हमे लगा कि अगर प्यार करना ही है तो ऐसे करना चाहिए जो आसानी से हो जाए ताकि हम जल्द से जल्द प्यार से अपना पीछा छुड़ाकर उस गम को पा सकें, जिससे कविता आती है। Aako- Bako
  • कभी-कभार यहाँ कुछ उस उम्र के बच्चे भी आते जिनको लगने लगा था कि वो अब बच्चे नहीं रहे। वो भीख मांगने वाली किसी अधेड़ उम्र की औरत को पैसे देकर मर्द बनते। मर्द बनने से ठीक पहले वो उस औरत का नाम पूछते और वादा करते कि फलानी बाई, तुम्हारा नाम कभी नहीं भूलूँगा। Aako- Bako
  • कुछ झूठ इसलिए बोले जाते हैं कि एक सच की इज्जत बची रहे।
  • जैसे ही पास के थाने में नया पुलिस थानेदार आया, उसको लगा यह तो सोने की खान है। उसने भाई और बेटे से एडवांस में एक लाख रुपये लिए। रात में थानेदार दारू पीकर आया और सलमा बीबी पर चढ़ गया। लखन काका वहीं सामने थे लेकिन कुछ कर नहीं सकते थे। सलमा बीबी के कपड़े जहां-तहां फटे थे, उन्होंने कभी उसको सिलवाने की जहमत नहीं उठाई। वो फटे हुए कपड़े इस शहर का अखबार थे। वह अखबार जो रोज हमारे सामने पड़ता है और हम पन्ना पलट देते हैं।
  • सुख एक रुपये का सिक्का था लेकिन दुनिया की जेब पहले से इयतनी भारी हुई थी कि वो सिक्का जल्दबाजी में कहीं छूट गया था। सलमा बीबी णे जीते जी हवेली नहीं छोड़ी और मरने के बाद भूटानी बन जाने वाली उनकी कहानी ने हवेली पर किसी को कब्जा करने नहीं दिया।

Aako- Bako Book के कोट्स-

  • खुशी ना बता पाने का दुख शायद सबसे बड़ा होता है।
  • आदमी बदलता है तो उसकी महक भी बदल जाती है।
  • प्रेरणा हमेशा अंदर होती है, बस उसे जगाने वाला चाहिए।
  • सबको अपने रास्ते बनाने होते है, किसी को बना हुआ रास्ता नहीं मिलता।
  • सही रास्ता मिलने के बाद भी उस पर चलना आसान नहीं होता।
  • बड़े लोगों से भगवान खो जाता है, जैसे बच्चों से खिलौना खो जाता है।
  • यादें खो जाएँ तो ज़िंदगी आसान हो जाती है। हम अपनी यादों से परेशान लोग हैं, दुनिया तो बहुत बाद में परेशान करती है।
  • कुछ शहर जो दूर से आसान दिखते हैं, पास जाने पर इतने आसान नहीं रहते।
  • झूठ जितना बड़ा हो उसको उतने ही आराम से बोलने पर वो सच हो जाता है।
  • उन सभी शायरों-लेखकों के नाम जो कुत्ते की मौत मरे और मरते रहेंगे।
  • इस दुनिया को समझने की कोशिश जब भी हुई है, हर खोज यही पर आकार रुकी है। कि ये दुनिया रहने लायक नहीं है।
  • दुनिया को सच बोलने का वादा चाहिए, सच नहीं ।
  • “तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो, किस-किस को बताओगे कि घर क्यों नहीं जाते।“(आमिर कजलबाश)
  • सभी के पास कुछ बाते, लोग शहर ऐसे होते हैं जो पिछले जन्म के लगते हैं।
  • वो लोग जो लिखते-पढ़ते हैं उनके पास अक्सर ही शब्द खत्म हो जाते हैं।
  • कुछ सपने हमारे इतने भीतर दबे होते हैं कि पता ही नहीं चलता कि वो हैं। कुछ सपने आवाज नहीं करते।
  • अगर प्यार होना और प्यार से पीछा छुड़ाना इतना ही आसान होता तो पूरी दुनिया शायर होती।
  • कविता जब आती है तो खुशबू वाले फूल जैसी होती है और जब बनाई जाती है तो उस फूल की प्लास्टिक कॉपी जैसी लगती है।
  • अपने बाप को शायद मरने के बाद ही आदमी जान पाता है।
  • ऊपरवाला मेहरबान होता है तब आदमी कविता लिख पाता है और जब ऊपरवाला बहुत मेहरबान होता है तब वो जीवन को कविता बना देता है
  • पहले से तय कर लेना कि अब सच्चा प्यार नहीं होगा, इस जीवन की असीम संभावनाओं का अपमान है।
  • झूठी कहानियों से सच्ची कहानियों का रास्ता खुलता है।
  • ज़िंदगी, छोटे-मोटे फुटकर भर सुकून की तलाश ही तो है। कई बार कोई पहला पुरुष जब आपके आस-पास जगह बनाता है तो हम उसको ही प्यार समझ लेते है।
  • कई बार जब सुंदर सपना चल रहा होता है तो उसमें सवाल-जवाब करके उसे तोड़ना नहीं चाहिए।
  • नौकरी की अच्छी बात यही है कि ये कभी-2 दुखी होने की फुरसत नहीं देती।
  • इस दुनिया में कुछ भी पूरा नहीं मिलता, तुकडोनमे ही मिलता है। हर टुकड़ा अपने आप में पूरा होता है।
  • ज़िंदगी में वो पल कभी-ना-कभी आता ही है जब अपने ही घरवालों से भागने के अलावा और कुछ सूझता नहीं।
  • अगर पता हो कि दुनिया दो दिन में खत्म हो जाएगी तब शहायड लोग दो दिन जी पाए।
  • आदमी की ‘बिसात’ ही कुछ ऐसी है कि उम्मीद नहीं छोड़ता। हर आदमी तबही तक नॉर्मल है जब तक कि समाज उसे पागल घोषित नहीं कर देता।
  • असल में हम उसे ही अपना भगवान मानना चाहते हैं जिसको हम देख और छु सकते हैं, फिर वो चाहे पत्थर ही क्यों ना हो।
  • जो लोग खुद लेट होते हैं, वो अक्सर दूसरों को समय से पहले पहुंचा देते हैं।
  • काम कई बार इसलिए भी जरूरी हो जाता है ताकि हम अपने दुख भूल सकें।

Aako- Bako Book के पात्रों का चरित्र-चित्रण-

नीता- नीता मध्यम वर्गीय फैमिली से संबंध रखने वाली एक सरकारी कलर्क की पत्नी है। नीता स्वाभिमानी, संघर्षशील और मेहनती महिला है। जो अपने आप-पास के अधिकारियों की हाई-फाई औरतों को देख कर उसके मन में भी उनके जैसा बनने की इच्छा जागृत होती है और जब उसे मौका मिलता है, तो उसे पूरा करने के लिए पीछे नहीं हटाती और समाज में अपना एक नया पहचान बनाने में कामयाब होती है।   

राजू- राजू फिल्म सिटी में छोटे-मोटे काम करने वाला एक को-स्टार है। कभी-कभार काम नहीं मिलने पर ड्राइवर का कां करता है और मन में हीरो बनने की चाहत रखता है। जिसकी वजह से एक दिन वो एक बड़ी ठगी का शिकार हो जाता है, जिसमें उसकी गाड़ी भी बिक जाती है। 

देविका- देविका गुनगुन की माँ और किसलय की पत्नी है। जो अपने बिटिया को प्रतिदिन सोने से पहले एक कहानी सुनाती है, जिसकी मुख पात्र द्रोपदी होती है। देविका एक वात्सल्य नारी है, लेकिन जब उसे लगता है कि उसका पति, जिसे वो बहुत प्यार करती है पर वो किसी दूसरे की जाल में फसा जा रहा है तो अपने बिटिया को लेकर घर से निकल जाती है।

FAQ-

Q: “आको-बाको” उपन्यास है या कहानी संग्रह?

Ans: “आको-बाको” एक कहानी संग्रह और दिव्य प्रकाश द्वारा लिखित यह छठी किताब है।

Q: क्या इसमें जो भी कहानियाँ है? वो सच है।

Ans: अब ये तो नहीं बता सकता एलकीं हाँ सच्ची घटनाओं से प्रेरित जरूर हैं। चुकी दिव्य प्रकाश दुबे अब मुंबई की मायानगरी में ही विराजमान हैं, तो हो सकता है कि उन्होंने इन कहानियों का पता लगाया हो या किसी ने अपनी आपबीती सुनाई हो।

Q: क्या दिव्य प्रकाश दुबे एक अच्छे लेखक है?

Ans: अगर मैं अपनी बात को साझा करूँ तो हाँ , लेकिन ये उसपे भी डिपेंड करता है कि जो पाठक अपने को उनके किताब में कहीं खोजने की कोशिश करता है और वो अपने को नहीं पाता है तो वो बुरा ही कहेगा।

Q: यह किताब किसी-किस को पढ़नी चाहिए?

Ans: इस किताब को पढ़ने के लिए दिव्य प्रकाश दुबे ने कोई केटेगरी डिसाइड नहीं की है, यानि कि ये किताब सबके लिए हैं। जो समाज के घटी घटनाओं से रूबरू होना चाहते हैं या किसी को रूबरू कराना चाहते हैं।

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