इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे Bewkoof ladka कहानी-संग्रह की book review के साथ-साथ summary in hindi और Quotes के साथ-साथ pdf download भी साझा करेंगे।
Table of Contents
Book review
“बेवकूफ लड़का” रमेश जोशी द्वारा लिखा गया कुछ बेहतरीन कहानियों का संग्रह है। जिसे पढ़ते वक्त मुझे बहुत अच्छा लगा। कहानी कहने का इनका अंदाज बड़ा निराला है, इन्होंने मजाक-मजाक में ही बहुत सिरियस मैसेज सामने रखे। और इनके नजरिए से समाज को देखना बड़ा ही आसान है। इन्होंने अपने इस कहानी-संग्रह में हर एक उम्र के लोगों को थोड़ी बहुत जगह दी है।
अब चाहे लड़का-लड़की हो, मम्मी-पापा हो, दादा-दादी या स्वयं खुद मृत्यु ही क्यों न हो। “मेरी जबानी मेरी मौत की कहानी” मतलब एकदम अलग ही लगी। यह कहानी एक अधेड़ उम्र में मरने वाले की है, जो मर चुका है और जब तक उसके शरीर को आग नहीं दी जाती उसकी आत्मा वहीं अपने मरे हुए शरीर के पास ही रहती है। और सबकुछ अपने आप-पास घट रही घटनाओं को देखती रहती है। जो इस किताब को बहुत खास बनाता है।
ऐसी ही बहुत सारी कहानियाँ है। रमेश की इस कहानी संग्रह को पढ़ने का अनुभव एकदम अलग रहा और दिलों-दिमाग में छा गया। मान गए गुरु।
कथाकार की भाषा आधी दिल्ली वाली है और आधी पूरब की। जोशी जी की लेखनी बड़ी गहरी है। कहानी पढ़ते वक्त ऐसा लगता है कि चलो अब खत्म हो गई लेकिन अपने में बहुत कुछ समेटे धीरे-धीरे एक-एक कर पन्ना पलटते हुए आगे बढ़ती जाती है। मतलब आप यह अनुमान ही नहीं लगा सकते कि कब और कहाँ खत्म होंगी। अगर आप उस कहानी का आखिरी पन्ने तक न पलट कर देखें।
कूल मिलाकर मुझे इस कहानी-संग्रह से उतनी उम्मीद नहीं थी, लेकिन जब हाथ लगी तो पढ़ते वक्त मज़ा आ गया। मुझे बहुत अच्छी लगी। और उम्मीद करता हूँ, कि जो इसे पढ़ेगा, उसे भी अच्छी लगेगी। हाँ! एक बात और इस कहानी संग्रह की तीसरी कहानी लव लेटर जरूर पढ़ें, मुकुल द्वारा अपनी प्रेमिका छवि को लव लेटर लिखना इस कहानी संग्रह में दाल में तड़का लगाने जैसा है।
आपको मेरी यह रिव्यु और समरी कैसी लगी, कृपया कमेंट कर जरूर बताएं।
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Bewkoof ladka: Summary in hindi
रमेश जोशी द्वारा लिखित इस कहानी-संग्रह में कुल सात कहानियाँ हैं। जिसे मैने मैने पढ़ा है लेकिन मैने उनमें से कुछ कहानियों को ही साझा करूंगा बाकि अगर आपको अच्छा लगता है तो आप उनकी किताब को खरीद सकते हैं।
बूढ़े-बुढ़िया की लव-स्टोरी-
कहानी की शुरुआत पार्क से होती है, जहां एक 55-60 साल का बूढ़ा थक कर आराम करने के लिए पार्क में लगे पत्थर के कुर्सी पर बैठता है। जहां पहले से ही एक 55-60 की बुढ़िया मौजूद रहती है। बूढ़ा अपने पैर के दुखने से थोड़ा परेशान रहता है, जिसके वजह से दोनों में बातें शुरू होती हैं। बातें करते-करते पता चलता है कि दोनों की हालत एकदम एक जैसी है।
बूढ़ा के भी बेटे-बहु हैं, दोनों जॉब करते हैं और बुढ़िया के भी बेटे-बहु हैं और दोनों जॉब करते हैं। बूढ़े की पत्नी मर चुकि है और बुढ़िया का पति मर चुका है। लेकिन बूढ़े-बुढ़िया को उसने बेटे या बहु उन पर ध्यान नहीं देतें। अपने काम से काम मतलब रखते हैं। बल्कि बुढ़िया तो अपने बेटे-बहु के लिए खाना बनाना और बरतन धोने तक का काम करती है।
इसी दौरान उन्हे पता चलता है कि दोनों एक ही बिल्डिंग के रहते हैं। जिसके बाद दोनों समय-समय पर मिलने के लिए पार्क पहुँच जाते और तब-तक बैठते जब तक उनका मन न भर जाता। वैलेनटाइन डे के दिन बूढ़ा बुढ़िया को एक लिफ़ाफ़े के माध्यम से गुलाब का फुल देकर अपने प्यार का इजहार करता है।
बुढ़िया गुलाफ़ के फुल के साथ-साथ उसके दिल का प्रपोजल भी स्वीकार करती तो है लेकिन उसे समाज का डर लगता है लेकिन बूढ़ा इन सब से बेफिक्र बुढ़िया की ढाढ़स बांधता है और हर पल साथ देने का वादा करता है। कुछ दिनों बाद बूढ़े ने बुढ़िया के सामने शादी करने का भी प्रपोजल रखा, पहले तो बुढ़िया ने स्वीकार करने से मना कर दिया लेकिन बाद में बूढ़े के समझाने-बुझाने पर मान गई।
तब बूढ़े ने एक चल चली, चुकि उसके लड़के भी उससे परेशान रहते थे, और अलग भी इसलिए नहीं होते थे कि मकान बूढ़े के नाम की थी, बूढ़ा उनके मन की बात को अपने कानों से सुन रखा था। बूढ़े ने अपने सेव कीए कुछ पैसे से उन्हे कहीं बाहर घूमने का पैकेज बुक कर भेज देता है और पहले से ही मकान बेचने की बात डीलर से चल रही थी, अतः बूढ़े ने मौका पाकर मकान को बेच कर बुढ़िया के साथ दूसरे जगह मकान लेकर रहने लगा और शादी भी कर ली।
कुछ दिनों बाद यह घटना पेपर में छपी और बूढ़े को अपने बेटे को घर से भागने का आइडिया सोशल मीडिया पर छा गया। अब वह कुछ दिनों तक अपना इंटरव्यू देने में व्यस्त है। और लड़का अब किराये के मकान में रहता है। अपनी अधर्म पत्नी के साथ।
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सट्टा किंग-
नाम से पता चल आगया होगा कि यह कहानी किस बारे में है। जी हा! आपने सही गेस कीयता है। यह कहानी एक 21 वर्ष के नवयुवक की। जिसे सट्टा खेलने की आदत लग चुकि है। बचपन में जब पहली बार अपने किसी दोस्त के साथ इस घटिया खेल की शुरुआत की थी तो उसे कुछ फायदा हुआ, जिसके कारण उसे चस्का लग गया। और वह लगातार खेलने लगा। फिर उसके बाद वो कभी फायदा नहीं कमाया।
चस्का उसे इस कदर लगा कि उसने अपने माँ के पैसे चुराकर खेलना शुरू कर दिया। एक दिन पकड़े जाने पर उसे बहुत मार भी पड़ी, पर फिर कुछ दिन बाद वह पुनः उसी रास्ते पर लौट आया। और इस बार उसने किसी से उधार लेकर खेलना शुरू कर दिया। आलं ये हुआ कि उसने अपनी माँ के 1.50 लाख रुपये सट्टा में गवा दिए।
अब उसे इस बात की चिंता होने लगी कि मानगने वाले जब उसके घर जाएंगे तो माँ को बात पता चल जाएगी, जिसके कारण वह ठंडी के मौसम में पाना घर छोड़कर भाग निकलता है। रात की अनशेरी से इधर-उधर भटकते हुए जब वह सुबह होते ही अपने किसी दोस्त से मिलता है तो उसके साथ उसका बड़ा भाई भाई आता है।
दोनों समझा-बुझा कर घर ले जा रहे होते हैं कि पैसे वाली बात उसके दिमाग में कहीं कहीं खटक रही होती है। लड़का सोचता है कि उसने पैसे लिए है अगर वो न रहे तो कोई पैसे भी नहीं मांगेगा। यही सोचकर वह लड़का प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाली मेट्रो के सामने कूद जाता है।
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अजनबी लड़की-
ये कहानी है आकाश की जो आफिस में कां करता है। लेकिन वह कभी भी समय से नहीं पहुंचता, जिसके वजह से उसे हमेशा अपने कंपनी के बॉस मेहता सर का डांट सुनना पड़ता। एक दिन आकाश जल्दी से आओफिस के लिए मेट्रॉन लिए निकलता है कि उसकी नजर एक लड़की पर पड़ती है, जिसे वह देखता ही रह जाता है।
मेट्रॉन के भीड़-भाड़ में लड़की कहना गायब हो जाती उसे पता ही नहीं चला। आकाश उस भीड़ में लड़की को खोजने की बहुत कोशिश करता है लेकिन वह लड़की कहीं नहीं दिखती। और वह अपने आफिस को चला जाता।
एगाले दिन भी उसकी निगाह उस लड़की को देखती रही लेकिन लड़की कहीं नहीं दिखी। दिन बिताते गए और जब शुक्रवार का दिन आया तो आकाश को उसी लड़की की मुलाकात मेट्रॉन स्टेशन पर हुई। आकाश ने फिर से उसे देखना शुरू किया और देखता ही रहा। लेकिन लड़की की तरह से कुछ रिस्पॉन्स न मिलने एक कारण निराश रहता।
एक दिन मेट्रॉन में किसी से बात करती हुई उस लड़की का नाम पता चल गया, आकष ने किसी से फोन पर बात करते हुए सुना की उसका नाम साक्षी है। आकाश खुश था। लेकिन किसी तरह बात-चित न होने पर मायूस था। धीरे-धीरे दिन बिताते गए। और आकाश हर शुक्रवार को उसी समय पर साक्षी के आने का इंतजार करता । दोनों एक-दूसरे को देखते लेकिन कहते नहीं।
एक दिन कंपनी में आकाश की प्रमोशन हो गई। और अगले संडे को ऑफिस से मेहता सर ने अपने घर इनवाइट किया। आकाश जब वहाँ पहुंचा तो मेहता सर ने उससे अपने बेटी से शादी का प्रस्ताव रखा। कुछ देर बाद जब उसकी बेटी सामने आई तो आकाश के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि वो लड़की कोई और नहीं बल्कि साक्षी थी। दोनों एक-दूसरे को ऐसे देखने में खो गए कि मेहता सर का वहाँ होना न होना कोई मायने नहीं रखता।
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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
प्यारी छवि!!!
समझ नहीं आआ रहा कहाँ से शुरू करू, कहने के लिए इतना कुछ है पर शब्द है मिल ही नहीं रहे हैं। अब तो ये कह कर भी नहीं बच सकता पहली बार किसी लड़की को लेटर लिख रहा हूँ। तुम्हारे बर्थडे के अगले दिन जो लेटर तुम्हें अपने बैग में मिला था वो मैने ही लिखा था। शयद वो पढ़ने में तुम्हें लेटर जैसा कम किसी पेपर के सवाल-जवाब जैसा ज़्यादा लगा हो।
पर क्या करू पहली बार पहली बार किसी से प्यार हुआ है! और पहली बार किसी के लिए लेटर भी लिख रहा हूँ, इसलिए अभी दिल के जज़्बात कलम से उतारने नहीं आते। मेरा दोस्त सूरज कह रहा था हमारे स्कूल में बारहावी में पढ़ने वाला शंकर बड़े अच्छे लव लेटर लिखता है। हमारे स्कूल में भी जिस भी लड़के को पहली बार किसी लड़की को लेटर देना होता है वो शंकर से ही लिखवाता है।
हाँ! इसके बदले में वो उनसे रुपये जरूर लेता है पर सुना है उसके लिखे लेटर लड़कियों को इतने पसंद आते हैं कि लड़की किसी भी लड़के को न नहीं बॉल पाती। और तो और उसके लिखे लेटर के बारे में तो मैने यहाँ तक सुना है लड़कियां सोने से पहले रात को सिरहाने में तकिया के नीचे वो लेटर रख कर सोती हैं।
मुझे नहीं पता ऐसा क्या वो लिखता है जो लड़कियां इस तरह उसके लिखे लेटर अपने सिरहाने रख कर सोती हैं। मेरे दोस्त ने भी मुझे उससे लेटर लिखवाने की सलाह दी पर मैने मना कर दिया। बात पैसों की नहीं है, बात ये हैं कि मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचता हूँ! क्या महसूस करता हूँ! वो शंकर को कैसा पता होगा?
शंकर तो वही सब लिखेगा जो अब तक हर किसी के लेटर में लिखता आया है। जनता हूँ मेरे पास उसके जैसे शब्द नहीं होंगे अपनी बात कहने के लिए मेरे जज़्बात सच्चे होंगे। इसलिए मैं अपना लेटर खुद लिख रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ तुम्हें पसंद आए और तुम, लेटर पढ़कर मुझसे दोस्ती के लिए हाँ कर दोगी!
Quotes
बुढ़ापे में अकेले रहने से बड़ा इस दुनिया में कोई दूसरा दर नहीं होता।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
कल्पनाए जब हकीकत का रूप लेती हैं तो वो पल पहले से भी ज़्यादा खासबन जाता है।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
यादें अच्छी हो या बुरी वो खुद ब खुद इंसान के दिल में एक ऐसा कोना ढूँढ़ ही लेती हैं जहां वो सारी उम्र रह सके।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
यादें भी हमारे शरीर के अंगों की तरह हमारा ही एक हिस्सा होती है।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
इंसान को लड़ने, हसने, बोलने के लिए कोई न कोई चाहिए होता है।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
शायद ज़िंदगी यही है, कोई आपका विश्वास तोड़ने के लिए आप की ज़िंदगी में आता है, तो कोई उस विश्वास को फिर से जोड़ने के लिए।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
किसी पर खुद से भी ज्यादा भरोसा करना और उसके हाथों ठगा जाना, ये ऐसा है जैसे इंसान का जीते जी मर जाना।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
हम ज़िंदगी में भले ही रोज पल-पल मरते रहे लेकिन मौत को सीधे गले लगाना ये इतना आसान नहीं है जितनी आसानी से हम किसी की आत्महत्या की खबर को सुनकर दो पल मरने वाले के प्रति दुख जताकर उस खबर को पचा लेते हैं।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
ज़िंदगी के रास्तों में भटक जाओ तो लोग तुम पर पहले हसेंगे और फिर पीछे ही पीछे तुम्हारी बुराई करेंगे।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
इंसान कैसा भी हो अच्छा या बुरा सारी उम्र वो खुद को दूसरों के सामने बेस्ट साबित करने की कोशिश में एक दिन खर्च हो जाता है।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
ज़िंदगी हो या जुआ दोनों गेम उम्मीद पर ही तो तीके होते हैं।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
ज़िंदगी को इतना भी सिरियस मत लेना की जी ही न पाओ।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
सुख-दुख, लाभ-हानि बस कुछ पल के ही साथी हैं।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
गुजरा वक्त अच्छा हो या बुरा कहाँ फिर से लौट कर आता है। ज़िंदगी कितनी तेज गुजर जाती है बात का एहसास हमें तब होता है जब कभी भूले-बिसरे जाना पहचाना चेहरा जिंदगी की राह में किसी तपती दोपहर या शाम में अचानक सामने आकर खड़ा हो जाता है।
रमेश जोशी, bewkoof ladka
FAQ
Q “बेवकूफ लड़का” का लेखक कौन है?
“बेवकूफ लड़का” का लेखक रमेश जोशी हैं।
Q “बेवकूफ लड़का” कहानी-संग्रह का प्रकाशक कौन है?
“बेवकूफ लड़का” कहानी-संग्रह का प्रकाशक राजमंगल प्रकाशक है।
Q “बेवकूफ लड़का” कहानी संग्रह को कब प्रकाशित किया गया था?
“बेवकूफ लड़का” कहानी संग्रह को 10 अक्टूबर, 2021 को प्रकाशित किया गया था
Q “बेवकूफ लड़का” कहानी संग्रह में कुल कितने कहानियाँ हैं?
“बेवकूफ लड़का” कहानी संग्रह में कुल सात कहानियाँ हैं
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