इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपसे राहगीर द्वारा लिखित उपन्यास Aahil की Book Review के साथ-साथ Summary in Hindi और Quotes के साथ-साथ PDF Download को भी साझा करेंगे।
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Book Review
“आहिल” राहगीर द्वारा लिखा जाने वाला यह उनका पहला उपन्यास है। इसके पहले उन्होंने कैसा कुत्ता है! नाम की एक कविता हिन्दी युग्म पब्लिशर के माध्यम से पब्लिश कराई थी, उसके बाद यह उनकी दूसरी किताब और पहली उपन्यास है।
राहगीर ने जिस तरह अपने कविता से लोगों को ध्यान अपने तरफ आकर्षित किया था, ठीक उसी तरह उन्होंने अपने इस बेहतरीन उपन्यास से एक बार और लोगों का अपने तरफ खिचा है। यह कहानी एक बेचारा आहिल की है। बेचारा आहिल को मैने इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही कहा है। क्योंकि एक तरफ वो एक खतरनाक शातिर बाज लड़का है तो दूसरी तरफ समय की मार उसे बेचारा बनने पर मजबूर कर देती है।
राहगीर ने अपने इस लेखकी से जिस तरह इस शातिरबाज पात्र की रचना की है, वह थोड़ी आपको झकझोर देने वाली है। जो बचपन से ही समय और मजबूरी की मार उसे बेचारा बनने पर मजबूर कर देती है तो शयाने होने पर वो ऐसे घृणित कार्य में लिप्त हो जाता है कि कभी आपको उससे मोह होगा तो दूसरे पल उसके प्रति घृणा।
अपने द्वारा उठाए गए गलत कदम पर सोच कर उसके भी कदम डगमगाने लगते हैं। उसे भी अपने पर ग्लानि महसूस होती है, शर्म आती है। लेकिन उसी पल वह दूसरों के भोलेपन का फायदा उठाकर उनका शिकार कर वह अपनी आगे की ज़िंदगी ठाट से गुजारने के लिए निकल पड़ता है।
“गुज़रा कल किसी पागल सांड को छेड़ने में गुज़र गया, आने वाला कल उसके आगे भागने में गुजरेगा…” राहगीर अपने इसी कथन को सत्य करने में इस उपन्यास की रचना की है, जिसमें पाँच साल के आहिल ने पच्चीस साल तक के आहिल का किरदार निभाया है।
Summary in Hindi
राजस्थान के खोरोली गांव में चार साल का आहिल अपने अम्मी-अब्बू के साथ बड़े ही खुशी के साथ रहता था कि एक दिन उसके गांव में एक पीर बाबा का आगमन होता है। जिसकी उपदेश से प्रभावित होकर आहिल के पिता सरीम उसे लेकर उस महान आत्मा के पास पहुचते हैं।
कुरान की सारी आयतें याद होने के कारण पीर बाबा सरीम को बहुत सी परेशानियों का हल बताया और कुछ उपाय भी ताकि आने वाले जीवन में कभी कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। उस पीर बाबा द्वारा दिए गए सभी उपदेश में एक यह भी था कि हमेशा दायें हाथ से खाना खाना चाहिए। अन्यथा घर में सुख-शांति नहीं रहती है। पीर बाबा से ज्ञान लेने के बाद दोनों अपने घर को निकल गए।
एक दिन रात के समय आहिल को दायें हाथ से खाना खाते देखकर सरीम गुस्सा हो जाता है वह आहिल को बेतहासा मारने लगा। जिससे उसके होंठ कट गए। वो तो आहिल की माँ अंजुम ने उसे बचा लिया। उसके बाद सरीम आहिल को हमेशा क्रोध की नज़रों से ही देखता।
एक साल बाद अंजुम को दूसरा बेटा हुआ, जिसका नाम दाविद रखा गया। दाविद के होने के बाद सरीम का गुस्सा कुछ कम होने लगा और वह दाविद को बहुत प्यार करता। आहिल भी उससे प्यार करता। लेकिन मन ही मन वह उससे बहुत नफरत भी करता। क्योंकि सरीम दाविद को अपना सारा प्यार देता और आहिल को पूछता तक नहीं। धीरे-धीरे समय बीतता गया आऊर दाविद चार साल का हो गया।
दोनों साथ में मदरसा जाते और रास्ते में लौटते हुए एक कुए के पास बैठकर कुएं में पत्थर मारते, जिसके कारण कुएं के दरारों में रहने वाले कबूतर फड़फड़ाकर बाहर निकलते और दाविद उन्हे देखकर बहुत खुश होता। उसके बाद दोनों घर को चले जाते। एक दिन पास के गांव में मेला लगा था। सरीम आहिल को मेला नहीं ले गया लेकिन दाविद को खुशी-खुशी कंधे पर बैठाकर ले गया। जिससे आहिल को दाविद को लेकर और भी चिढ़न बढ़ गई।
एक दिन दोनों जब मदरसे से लौटते समय कुए के मुंडेर पर बैठकर उड़ते कबूतरों को देख रहे थे कि अचानक आहिल के मन में दाविद के प्रति घृणा भर उठी और उसने दाविद को कुएं में धक्का दे दिया। और फिर दौड़ते हुए उसके सरीम और अंजुम को इकत्तिला भी कर दिया। लेकिन तब तक देर हो चुकि थी। चुकि सरीम को पता था कि ये आहिल ने जान बुझ कर किया है तो उसने कुल्हाड़ी से आहिल के हाथ ही काट दिए।
अंजुम के बहुत विनती करने के बाद आहिल को बचा लिया लेकिन सरीम ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ दिन ऐसे ही बीते कि एक दिन मौका पाते ही आहिल घर से फरार हो गया और रास्ते में उसे एक ट्रक वाले का साथ मिल गया। जिसका नाम माधव था। माधव ने अपने ट्रक पर उसे पनाह दी। धीरे-धीरे दिन बितते गए और आहिल ट्रक चलाना भी जान गया। उसने अपने पास पैसे भी इकट्ठे कीए।
एक दिन माधव की गैर-मौजूदगी में उसकी मुलाकात रास्ते में एक औरत से हुई, जिसके साथ उसने रात बिताई और वह ऐसे ही जीवन जिने के लिए उसके मन में इच्छा पैदा हुई। ज्यादा पैसा कमाने की इच्छा पैदा हुई। अब ईमानदारी से ज्यादा पैदा कमा नहीं सकता तो उसके माधव को ट्रक मालिक झूठा-सच्चा बयान देकर उसे कां से निकलवा दिया और खुद उस ट्रक का मालिक बन गया।
जिसके बाद उसने बहुत लूट-पाट मचाया। आहिल ने शराब भी पीना शुरू कर दिया। जब उसकी सोच अपने माता-पिता पर गई तो उसने ट्रक से कमाए हुए पैसे लेकर ट्रक से घर जाने लगा लेकिन रास्ते में एक कार से टकरा जाने के बाद वह वहाँ से भाग खड़ा हुआ और गुजरात पहुँच गया।
गुजरात में उसे एक कारोबारी ने उस पर रहम खा कर अपने यहाँ पनाह दी। वह वहाँ आराम से रहने लगा और उसके बाग-बगीचों की रखवाली करता। चुकि आहिल अब चौबीस साल का एक युवा हो चुका था। उस पर कारोबारी की पत्नी का हवस जाग उठा। वह उसका इस्तेमाल करने लगी।
हालांकि, आहिल ऐसा नहीं चाहता था, लेकिन फिर वह उसके उकसावे से बच नहीं सका और दोनों दोपहर। रात को मिलने लगे। कुछ साल बिताने के बाद जब कारोबारी को इसकी भयानक लगी तो आहिल ने उसकी पत्नी से पैसा और सोने-जेवरात लेकर साथ भागने का प्लान बनाया। यह बात उस कारोबारी पत्नी को जच गई। उसने दोपहर के समय एक बैग में पैसे और जेवरात के साथ अपने कुछ कपड़े भी रख कर आहिल के कमरे में रख आई।
आधी रात के समय जब सारे सो गए थे तो उस कारोबारी की पत्नी से धीरे से किसी तरह आहिल के कमरे तक पहुँच गई और जब दरवाजा खोला तो आहिल वहाँ पहलए से ही गायब था। वह धीरे से जाकर वापस अपने कमरे में सो गई।
आहिल सब कुछ लेकर अपने गांव को रवाना हो गया। घर जाते वक्त रास्ते में जब उसकी नज़र उस कुएं में पड़ी तो उसे कुछ पुराने दिन याद आने लगे, जिससे उसका मुह उदास हो गया लेकिन पास ही में पड़ा पत्थर उठाकर उसने कुएं में मार और ये कहते हुए घर की ओर चल देता है कि “कुएं में पत्थर फेकने के मज़े लेने हैं तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है।”
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
समंदर हमारी ज़िंदगी की तरह है और लहरें मुश्किलों की तरह, जो दूर से बहुत बड़ीं और भयानक लगती हैं, लेकिन हम तक आते-आते छोटी हो जाती हैं। और फिर खत्म हो जाती है। जिनके पैर दूर से देखकर उनके आकार और दहाड़ से नहीं डगमगाते, वही उन्हे अपने पैरों तले दम तोड़ते देख पाते हैं। और चलती हुई ठंडी मद्धिम हवाएं खुशियों की तरह हैं, जिन्हे न देखा जा सकता है न छुआ, बस महसूस किया जा सकता है। जो हमेशा लहरों से डरने और लड़ने में ही लगा रहता है, वह हवाओं का आनंद लेना भूल जाता है।
पात्रों के चरित्र-चित्रण-
आहिल-
आहिल राहगीर द्वारा रचा गया एक बहुत खतरनाक और घाक पात्र है। जो अपने खुशी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, जिसकी शुरुआत उसने नौ साल की उम्र में अपने चार साल की भाई को कुएं में फेक दिया था. उसके बाद उसके अंदर की भावना जैसे मर ही गई। उसका यह कथन था कि अगर कुएं में पत्थर फेंकने के मजे लेने हैं तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है। इसी कथन से आप उसकी चरित्र का पता लगा सकते हैं।
माधव-
माधव एक सीधा-सादा, ईमानदार और मेहनती आदमी था और उसने सेठ से कभी भी एक रुपया भी ज्यादा नहीं लिया था। वह ट्रक चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। माधव ने ही एक दिन रास्ते में भटकते आहिल को अपने साथ आने का न्योता दिया और उसे अपने बेटे के समान रखता। उसकी सेवा करता। और उसे कोई भी परेशानी नहीं होने देता। बुरी आदतों से उसे दूर रहने की सलाह देता। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया, जब उसे आहिल से निराशा हाथ लगी।
दामोदर-
दामोदर बहुत ही करुणा दिल वाला अमीर इंसान था। जिसके पास अपना बिसनेस और बड़ा बंगला था। जिसकी खूबसूरत पत्नी थी। उसका ले लड़का अभी था, जो दिल्ली में पढ़ाई करता था। घर में कां करने को नौकर थे, लेकिन जब उसने अपने समाने ठंढ में लाचार पड़े आहिल को देखा तो उसने अपने यहाँ ठहरने का प्रस्ताव दिया। उसका आदर-सत्कार कर अपने यहाँ उसे काम पर रख लिया।
Quotes
प्रकृति इतनी बेरहम है कि एक छोटा पौधा जो एक पेड़ बनने के लिए कई सावन लेता है, कभी-कभी मिनटों में मर जाता है।
Aahil
इंसान प्यार का भूखा होता है, उसे जहां भी प्यार मिलता है, वह खुद को वहाँ बार-बार जाने से रोक नहीं पाता।
Aahil
अगर शरीर का एक-एक कतरा खून बहाकर भी आज़ादी मिल पाए तो वह भी कोई घाटे का सौदा नहीं है।
Aahil
कभी-कभी किसी का एक पल में लिया फैसला दूसरों की पूरी ज़िंदगी की कहानी बदल देता है।
Aahil
कैसे किसी की ज़िंदगी एक पल में बदल जाती है और कोई अपनी पूरी ज़िंदगी एक ही बुलबुले जितने संसार में बिता देता है।
Aahil
बात में शब्दों से ज़्यादा भाव का पलड़ा भारी होता है।
Aahil
एक-दो-साल के अकाल के बाद हुई बरसात में नदियों के पानी को पुराने रास्ते तलासने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
Aahil
कुएं में पत्थर फेंककर मज़े लेने हों तो कुछ कबूरतों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है।
Aahil
लोग जब नई चीज खो देते हैं और दूसरी खरीदना उनके बस का नहीं होता है तो वो अक्सर अपने पुराने घिसी-पीटी चीज़ को ही निकालकर साफ़ करने लग जाते हैं।
Aahil
जब सपने आदमी को दराने लगें तो वह हकीकत का ही दामन थामता है।
Aahil
कोई भी अपनी खोई चीज़े वापस नहीं पाता है, कस-से-कम जिस हालत में कोई उस हालत में तो बिल्कुल भी नहीं।
Aahil
कभी-कभी एक छोटा सा झूठ लोगों को पूरी ज़िंदगी काटने में मदद देता है।
लोग ज्यादा चिंता करके अपनी जिंदगी का मज़ा नहीं ले पाते।
Aahil
कोई आदमी समय के साथ खुद को ढाल सकता है।
Aahil
पीछे की ज़िंदगी में मिले सारे दुख आगे मिलने वाले रोमांच के लिए चुकाई कीमत होती है और कुछ नहीं।
Aahil
ज़िंदगी इतनी मनमौजी है कि कभी-कभी आदमी अपने ही लोगों में खुश नहीं रह सकता, लेकिन अजनबियों से उसे खुशी मिल जाती है।
Aahil
आदमी को उसकी ताकत की असली सिमआआ का तबही पता चलता है जब वह सब खो देता है।
Aahil
अपनी मंज़िल खुद ही ढूँढ़ लो, किसी को आगे समझकर उसके पीछे न हो जाओ।
Aahil
जिन आँखों को हजारों चमकते सूरज भी चौधिया नहीं पाते, वो अक्सर कुछ चमकते सिक्कों से अंधी हो जाती हैं।
Aahil
किसी बहुत ही खूबसूरत और बहुत बदसूरत चीज से नज़र हटाना बहुत ही मुश्किल होता है।
Aahil
कभी-कभी आदमी को ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए गलत काम करने ही पड़ते हैं।
Aahil
ज़िंदगी कैसी भी हो, आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
Aahil
ज़िंदगी में एक ऐसा वक्त आता है कि झूठे दोस्त पीठ नहीं दिखाते, सीधा गायब हो जाते हैं।
Aahil
कभी-कभी दूसरे के हाथ की मशाल आपके रास्ते में अंधेरा बिखेर देती है।
Aahil
गलत करने पर अपने ज़मीर की आवाज को दबाने ले लिए हर इंसान दूसरों के गुनाहों के बारे में भौकाने लगता है।
Aahil
कुछ चाहिए तो उसके लिए मेहनत करके कमाओ, नहीं कमा सकते तो मांग लो, पर चोरी नहीं।
Aahil
सपनों के बारे में सबसे बुरी बात यह नहीं है कि आदमी उन्हे सुबह होते ही भूल जाता है।
Aahil
कुछ लोगों की किस्मत इतनी खराब होती है कि उन्हे पूरी ज़िंदगी एक ही जगह, एक ही रूटीन में बितानी पड़ती है और उससे भी दिलचस्प बात यह है कि वो उसी में खुश रहते हैं।
Aahil
पेड़ों की शाखाएं वही हवाएं तोड़ देती हैं जो कभी उसके पत्तों को प्यार से सहलाया करती थी।
Aahil
FAQ
Q आहिल का लेखक कौन है?
राहगीर नाम प्रख्यात लेखक आहिल जैसे शानदार उपन्यास की रचना की है।
Q आहिल का पब्लिशर कौन है और इसे कब पब्लिश किया गया था?
आहिल नाम के उपन्यास को हिन्द युग्म नाम के पब्लिशर मे जनवरी 2023 में पहली बार पराशित किया था।
Q आहिल का चरित्र-चित्रण क्या है?
आहिल राहगीर द्वारा रचा गया एक बहुत खतरनाक और घाक पात्र है। जो अपने खुशी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, जिसकी शुरुआत उसने नौ साल की उम्र में अपने चार साल की भाई को कुएं में फेक दिया था. उसके बाद उसके अंदर की भावना जैसे मर ही गई। उसका यह कथन था कि अगर कुएं में पत्थर फेंकने के मजे लेने हैं तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है। इसी कथन से आप उसकी चरित्र का पता लगा सकते हैं।
Q आहिल को अपना घर क्यों छोड़ना पड़ा?
आहिल को अपने पिता से प्रताड़ित होने के कारण अपना घर छोड़ना पड़ा।
Q आहिल के पिता उससे नफरत क्यों करते थे?
आहिल के पिता एक झूठे पीर की बातों में आकर अपने बेटे से नफरत करते थे।
Q आहिल उपन्यास का सारांश क्या है?
“कुएं में पत्थर फेंकने के मजे लेने हैं तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है।” इस कथन को आहिल अपने जीवन में उतार कर अपनी जीवन नौका को पार करता है और निरंतर आगे बढ़ता जाता है। उसे फरक नहीं पड़ता कि पीछे उसने क्या किया। वह आज अपने अपने वर्तमान को ठीक करने में लग जाता है।
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