इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको “उड़ान” जो की रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित अंग्रेजी बुक A flight of pigeons book summary in hindi है। जिसमें आपको रिव्यु, समरी, कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश, पत्रों का चरित्र-चित्रण और कोट्स भी दिए गए हैं।
Table of Contents
Book Review
“उड़ान” रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित A flight of pigeons का राजपाल एण्ड संस द्वारा प्रकाशित किया गया हिन्दी अनुवाद है। जो 1857 के समय विद्रोहियों और अग्रेजी सरकार के खिलाफ छिड़ी जंग के बीच भटकते प्यार को बहुत ही संजिदें तरीके से बयां करता है। एक ऐसी कहानी जिसका अंत आप कभी नहीं चाहेंगे।
मोटी-मोटी उपन्यास को पढ़ना जरूरी नहीं कि वो बहुत मार्किक और दिल को छु लेने वाली होती है। रस्किन जैसे लेखक अपनी मनोभावों को बस कुछ पन्ने में ही प्रदर्शित करने वाले महारथी हैं। रस्किन कहते हैं कि ये कहानी उन्होंने अपने पिता से सुनी थी, और फिर उन्होंने ये कहानी अपने पिता से सुनी थी। जिसे रस्किन ने अपनी जांच-पड़ताल और गड़ना से उस सच्ची घटना को उपन्यास का रूप दिया। जो पढ़ने लायक है।
सच्ची घटनाओं पर आधारित 1857 के पहले स्वतंत्रता-संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास इतिहास के शिकंजे में जकड़ें प्रेम-भरे दिल की एक दास्तान है। रूथ एक अंग्रेज लड़की है जो अपने माता-पिता के साथ शाहजहाँपुर में रहती है।
चर्च में आते-जाते रूथ एक पठान नवाब जावेद खान के मन को भा जाती है। विद्रोहियों और अंग्रेजी फौजियों के बीच छिड़ी लड़ाई से बचने के लिए रूथ और उसकी माँ मरियम को जावेद के यहाँ पनाह लेना पड़ता है। कहानी बहुत ही मार्मिक है। एक बार इसे अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।
अगर आप 1857 के समय के कुछ कहानियों की तलास में हैं। रस्किन की ये किताब आपकी खोज का अंत करेगी, और आपको एक नए फ्लेवर के साथ इसका आनंद भी मिलेगा। रस्किन बॉन्ड की इसी उपन्यास पर 1979 में श्याम बेनेगल ने “जुनून” नाम की एक फिल्म का निर्माण भी किया था।
यह भी अवश्य पढ़ें:- रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित कश्मीरी किस्सागो पढ़ने के लिए बही क्लिक करें।
A flight of pigeons book summary in hindi
रूथ अपने पिता साथ गांव के दक्षिण में स्थित चर्च गई, जहां पहले से ही कुछ अंग्रेजी अफसर मोजूद थे। रूथ अपने पिता के साथ झुककर प्रार्थना कर ही रही थी कि अचानक बाहर से चीखने-चिल्लाने की आवाज आने लगी। बाहर से भागकर अंदर चर्च में प्रवेश करते लोगों से पता चला कि विद्रोहियों ने हथियार के साथ हमला कर दिया है। इससे पहले कि रूथ और उसके पिता अपनी जान बचाने के लिए कुछ कर पाते उनका सामना वविद्रोहियों के एक हथियार बंद आदमी से होता है, जिसमें रूथ के पिता बुरी तरह से घायल हो जाते है।
चर्च में चारों तरफ प्रार्थना करने आए लोग को विद्रोहियों के नंगी तलवारों का शिकार होना पड़ता है। बहुत से लोग बेमौत मारे जाते हैं। इससे पहले कि रूथ के साथ भी कुछ होता उसके पिता ये कहते हुए घर भेज देते हैं कि वो जल्दी से माँ को लेकर उनकी मदद के लिए आए।
रूथ बिना एक पल भी समय गवाये अपने घर को पहुचती है, जहां देखती हैं कि उसका घर पहले से ही घूँ-धूँ कर जल रहा है। रूथ को कुछ समझ में ही नहीं आता की वो कहाँ जाए और क्या करें की तभी रास्ते में उसकी मुलाकात लाला रामजीमल से होती है, जो उसे अपने घर लेकर जाते हैं।
रामजीमल के घर अपने माँ और नानी से मिलकर रूथ और उसकी माँ को थोड़ा सुकून मिला। रूथ झट से अपने पिता के बारे में बताती है कि पिता घायल हैं और उन्होंने मदद के लिए बुलाया है लेकिन घर से निकलना इस समय मुनासिफ़ न होकर बेहद खतरनाक था। बाहर सड़क पर विद्रोही चारों तरह मडरा रहे थे। कुछ भी हो सकता था। जहां तक बात थी तो उस दिन चर्च से जीवित सिर्फ और सिर्फ रूथ ही बाहर निकली थी।
लाला रामजीमल ने रूथ और उसकी माँ मरियम और उसके साथ रह रहे अन्य लोगों का अपने घर में न सिर्फ पनाह दी बल्कि अपने मेहमान की तरह सेवा-सत्कार भी किया। दोनों वक्त समय-समय पर खाना-पानी दिया जाता था। यहाँ तक रामजीमल ने खुद हाथ में बंदूक लिए भी घर से दूर जाना स्वीकार नहीं किया, क्योंकि अगर विद्रोहियों को थोड़ी भी भनक लगी कि वो कभी भी आ सकते थे।
एक दिन रामजीमल के नहीं रहने पर शाहजहांपुर का नवाब जावेद खान अपने कुछ साथियों के साथ ढावा बोल दिया और रूथ के साथ मरियम को भी अपने साथ चलने को कहा। मरियम जावेद खान और उसके साथियों का बाहादुरी से सामना कर रूथ की रक्षा करते हुए उसके जाना स्वीकार किया।
जावेद खान रूथ और उसकी माँ को लेकर बहुत सारी गलियों से होते हुए अपने घर ले गया जहां उसकी चाची और पत्नी रहा करती थी। चाची ने रूथ और मरियम को अपना आसरा देते हुए निश्चिंत होकर रहने को कहा। लेकिन जावेद खान की बीवी उन दोनों को देखते ही जल उठती थी। क्योंकि उसे पता था कि जावेद खान रूथ से प्यार करता था और उससे शादी भी करना चाहता था।
जावेद खान रूथ को अपने पिता के साथ चर्च को आना-जाना देखकर उसे प्यार हो गया था। जावेद खान ने मरियम से अपनी और रूथ से निकाह की बात भी चलाई लेकिन मरियम ने यह कह कर मन कर दिया कि रूथ अभी 13 साल की है, वो शादी कैसे कर सकती है। और वैसे भी वो जब तक वो अपने भाइयों से सलाह नहीं ले लेती, वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी।
जावेद खान कहता है कि उसके भाई मारे गए। और अब कभी भी नहीं आने वाले। लेकिन अगर उसे ऐसा लगता है कि वो आएंगे तो वो कुछ दिन का समय देता है। “जब तक दिल्ली पर हमारा फतह रहेगा फिरंगी कभी भी नहीं आ सकते।“
लाला रामजीमल जब अपने घर पहुचते हैं और उन्हे नहीं पाकर जावेद खान के यहाँ पहुचते हैं। थोड़ी-बहुत नोक-झोंक के बाद जावेद खान रूथ और मरियम से मिलने देता है। जिसके बाद उनके घर पर रह गए बाकि लोगों को भी रामजीमल पहुंचा जाते हैं।
कुछ दिन बाद शाहजहाँपुर के विद्रोही गुट का नेता नवाब अब्दुल रऊफ सरफराज खान को भेजता है। ताकि वो जावेद खान के घर रह रहे इन फिरंगियों को पता लगा सकें और उन्हे मौत के घाट उतार सके। जावेद खान ऐसा ना करते हुए सरफराज खान को भगा देता है और मरियम को वचन देता है कि जब तव वो जीवित हैं कोई भी तुम दोनों में से किसी को भी कोई हाथ नहीं लगा सकता।
कुछ दिन बाद जावेद खान को पता चलता है कि दिल्ली में अग्रेजी सरकार ने कब्जा का लिया है और वहाँ की राजा को मार दिया गया है उनके राजकुमार अपने घोड़ों पर बैठकर अपनी जान बचाने के लिए भाग निकले हैं। यह खबर तो जैसे रूथ और मरियम के दिल को सुकून देती है, तो दूसरे तरह जावेद के दिल में आग लगा देती है। वो समझ जाता है कि अब आज नहीं तो कल अंग्रेजी सरकार यहाँ भी आ धमकेगी। जिसका मतलब है कि रूथ और उसका निकाह नहीं हो सकता।
जावेद एक आखिरी बार मरियम से रूथ को देखने की इच्छा जाहीर करता है। जिसकों लेकर मरियम सवाल उठाती है लेकिन रूथ जावेद के दिलों की भावनाओं को समझते हुए उसके सामने आ कर खड़ी हो जाती है। दोनों एक-दूसरे को कुछ देर तक देखते रह जाते हैं। फिर जावेद बिना कुछ कहे अपने साथियों के साथ चला जाता है।
इससे पहले कि अब्दुल रऊफ का दल धावा बोलता मरियम और रूथ अपने परिवार सहित एक बैलगाड़ी के माध्यम से शाहजहांपुर से बाहर निकल जाते हैं। रास्ते में उनकी मुलाकात विद्रोही दल के एक नेता से होती है, जिसका सामना करती हुई मरियम अपनी और बाकि लोगों का जान बचाने में कामयाब होती है।
मरियम गाँव के कुछ लोगों के मदद से किसी दूसरे गावं में रहने का आश्रय मांगती है। अगले दिन जब अंग्रेजी सैनिक शाहजहाँपुर को पहुच जाते हैं तब मरियम और रूथ उनसे मिलकर अपने भाई के पास पहुचने में कामयाब होती है।
यह भी अवश्य पढ़ें:-
- “मुट्ठी भर यादें” रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित एक उपन्यास है।
- room on the roof पढ़ने के लिए अभी क्लिक करें।
- panthers moon पढ़ने के लिए अभी क्लिक करें।
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
“मरियम“ जावेद ने कहा, “मैं तुमको यह बताने के लिए आया हूँ कि फिरंगियों ने शाहजहाँपुर पर दोबारा कब्जा कर लिया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम उनके पास नहीं जाओगी। तुम्हें मैने जो संरक्षण दिया था उसको मत भूलाना।“
“मैं कभी नहीं भूलूँगी,” माँ ने कहा, “तुमने अपने घर मे पनाह दी उसके लिए तुम्हारी शुक्रगुजार हूँ। कोथीवाली और कामरान ने हमारे साथ जैसा मोहब्बत-भरा सलूक किया था, वह हमेशा याद रखूंगी।”
“मेरी तुम्हारे से एक इल्तिजा है,” जावेद ने बेचैनी से एक पैर से दूसरे पैर पर खड़े होते हुए कहा।
“हाँ, कहो क्या बात है?” माँ ने पूछा ।
“मैं जानता हूँ कि तुम्हारी बेटी के साथ निकाह करने की बात का वक्त गुज़र गया है। अब उसके लिए बहुत देर हो चुकी है लेकिन क्या जाने से पहले एक बार उसको देखने की इजाजत डोंगी?”
“उससे क्या फायदा होगा?” माँ ने कहा। अचानक किसी भीतरी प्रेरणा के वशीभूत हो कर मैं बाहर रोशनी में जावेद खान के सामने जाकर खड़ी हो गई।
वह एक मिनट तक चुपचाप मुझे देखता रहा और मैने भी पहली बार उसके ऊपर से अपनी नजरें नहीं हटाई। बिना मुस्कुराये, एक शब्द कहे बगैर वह मुदा और घोड़े पर सवार होकर अंधेरे में ओझल हो गया।
पात्रों का चरित्र-चित्रण-
मरियम- मारियम जवाव और खूबसूरत एक अंग्रेजी महिला है। जो बहुत ही गोरी है। उसके चेहरे पर लेस मात्र भी सिकं नहीं है। वह निडर है। बेझिझक विद्रोहियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाती है। वह एक नारंडील महिला भी है। मरियम बहुत ही समझदार, होशियार और सहनशीलता के साथ-साथ खुशमिजाज महिला है। मरियम को एक चीज खास बनाती है उसकी आशावादिता।
रूथ- रूथ मरियम की 13 साल की एक पुत्री है। जो बहुत खूबसूरत और मासूम है। उसका मन जावेद की कड़ी बातों को सुनकर डर जाता है, तो वही उसके कड़ें बातों से वो प्रभावित भी होती है। अंत में रूथ के मन में जावेद के लिए थोड़ा इज्जत पनप जाता है।
जावेद- जावेद शाहजहाँपुर का एक नवाब है। जो बहुत ही अड़ियल है। गुस्सा जिसके नाप पर हमेशा सवार रहती है। वह 13 साल की रूथ से प्यार कर बैठता है और उससे शादी करने की इच्छा भी रखता है। उसके अंदर सहनशीलता और उसे मेहमानों की रक्षा करना भी आता है। रूथ के लिए वो मर-मिटने को भी तैयार है। जावेद बाहर से जितना कठोर है, अंदर से उतना ही नरम दिल भी है।
FAQ-
Q-“A flight of pigeons” का लेखक कौन है?
रस्किन बॉन्ड।
Q-“A flight of pigeons” कब पब्लिश हुआ था?
1978।
Q-“A flight of pigeons” को कौन से पब्लिशर ने पब्लिश किया है?
हिन्दी इडिशन को राजपाल एण्ड संस ने प्रकाशित किया है।
Q-“A flight of pigeons” पर कौन सी फिल्म बनी थी?
1979 में श्याम बेनेगल ने “जुनून” नाम की फिल बनाई थी।